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Click hereशादी का मौहौल
भारत में शादी त्योहार जैसा होता है जहाँ लोग मिलते है, रिश्तेदार और दोस्तों से मुलाकात होती है, और नए लोगो से एक नया रिश्ता कायम होता है | ऐसी ही एक शादी में जब मुझे जाने का मौका मिला तो मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना न रहा | वैसे भी मुंबई में रहते हुए मुझे 2 साल हो गए थे और इतने सालों में घर की किसी शादी में जाने का कभी मौका ही नहीं मिला था |
ओह ! मैंने अपने बारें में तो बताया ही नहीं |
मैं मौसुमी - उम्र 23 साल - शादी शुदा | बी.ए. करने के बाद ही घर वालो ने शादी करा दी थी और चूँकि पति मुंबई में नौकरी कर रहे थे तो मुझे भोपाल छोड़ कर जाना पड़ा. 5 साल बाद फिर से एक शादी का मौहौल , फिर से बहुत सारे लोग और फिर से कुछ यादें......
एक दिन मौसी का फ़ोन आया कि नीतू की शादी तय हो गयी है और मुझे वह आना है. बड़ी बहन होने के नाते बहुत रस्में मुझे ही करनी थी | फ़ोन रखते ही मैंने रोहित को फ़ोन किया |
रोहित कौन ??? अरे मेरे पूज्य पति परमेश्वर !! बहुत कामकाजी है | बताते है ऑफिस में लोग सबसे ज्यादा उन पर ही भरोसा करते है | मैं भी ... पूरा भरोसा है की ऑफिस के काम के अलावा उन्हें कुछ नहीं सूझता | मैं भी नहीं .....................
खैर कहाँ मैं कुछ और बताने लगी | फ़ोन किया तो बोलने लगे कि उन्हें इस महीने बहुत काम है और वोह शादी में नहीं जा पाएंगे.. पता ही था | मैंने भी ज्यादा नहीं बोला... घर जाउंगी तो ये साथ में होंगे तो बाकि सब लोग से कहाँ मिल पाऊँगी... वैसे जैसे मैं मिलना चाहती थी ;-)
अभी तो घर जाने में बहुत दिन थे | सोचा की कुछ पुरानी सहेलियों से पूछा जाये की वो कहाँ है आजकल | सहेली की याद आई तो बस फिर क्या था ... तुरंत नम्रता को कॉल किया | BTech किया था मेरी सहेली ने ! IBM में नौकरी भी लग गयी थी | उसकी शादी में भी नहीं जा पाई थी | पिछले 1 साल से गुडगाँव में अपने पति राहुल के साथ रह रही है | राहुल से फ़ोन पर बात करवाई थी थी नम्रता ने | बहुत ही जिंदादिल और मजाकिया इन्सान लगे | थोडा बहुत मजाक तो सबको अच्हा लगता है | क्या फ़ायदा कि सिर्फ काम में भी उलझे रहो और जिंदगी को नीरस कर दो | आज नम्रता को कॉल किया तो उसने कॉल उठाया ही नहीं.. मुझे लगा कि मीटिंग में होगी तो मैंने sms कर दिया और लिखा कि बहुत याद आ रही है तुम्हारी ... कॉल करना | 5 मिनट बाद ही वापस नम्रता का कॉल आ गया | फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ राहुल थे | कहने लगे कि नम्रता फ़ोन घर पर भूल गयी है, उनकी छुट्टी है और उन्होंने sms देखा तो कॉल किया | उनकी आवाज़ सुनते ही कुछ अच्हा सा लगा | कितने आराम से बात करते है | हम लोगो कि बात होने लगी .. कुछ ऐसे ..
मैं: तो जीजा जी ... आज ऑफिस नहीं है आपका
राहुल: नहीं. मैं लम्बी छुट्टी पर हूँ.. सोचा बहुत हो गया काम .. अब घर में सिर्फ आराम ... और तुम बताओ रोहित कैसे है... खुशखबरी कब दे रहे हो तुम दोनों ?
मैं: क्या जीजा जी !! रोहित ठीक है ... खुशखबरी... अभी हम लोग विदेश जाने की सोच रहे है ... (उनको क्या बताऊ की रोहित कितना समय देते है मुझे .. )
राहुल: कोई नहीं .. लेकिन कभी हम को भी याद कर लिया करो.. सिर्फ नम्रता को याद करते हो..
मैं: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है... आप तो याद रहते हो .. कम ही लोग होते है जो इतने अच्हे तरीके से बात करते है
राहुल: ये तो है ... और बहुत सारी चीज़ें है जो मैं अच्हे से करता हूँ.. और लोग याद भी करते है..
मैं: (मैंने सोचा की क्या ये कुछ और कह रहे है... खैर.. मजाक ही तो कर रहे है.. थोडा मजाक कर लेने में क्या हर्ज़ है.. ) हाँ हाँ जीजा जी .. उसके लिए मिलना जुलना भी पड़ता है .. आप लोग तो इतना दूर रहते है...नीतू की शादी तय हो गयी है ... मैं सोच रही थी की आप दोनों भी आ जाओ तो खूब मज़ा आएगा |
राहुल: हम्म...दरअसल नम्रता का ऑफिस में काम है .. वो शायद नहीं आ पायेगी.. वैसे मैं भोपाल जा रहा था कुछ काम से... उस समय नीतू की शादी में आ सकता हूँ.. हाँ लेकिन अगर सिर्फ नम्रता को निमंत्रण है तो ....
मैं: नहीं जीजा जी.. आप ही आ जाइये.. और नम्रता को भी ले आइयेगा ... इतना भी क्या काम
राहुल: चलो मैं देखता हूँ,.... मिलते है फिर...अच्हे से.
फ़ोन रखने के बाद मैं सोचने लगी कही कुछ और मतलब तो नहीं जीजा जी के बोलने का..
कोई नहीं... महीने भर बाद ... वो दिन आ गया जब मुझे भोपाल जाना था...
It's a good start. I hope you will continue it through its juicy detailed journey.