घर की कहानी -(भाग-3)

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शोभा ने ही पहली बार उसकी लंड को चूसा था और उसे चोद कर उसका कौमार्य भी भंग किया था । आज वही शोभा दुबारा से उसे एक नयी काम कला सीखा रही थीं और अगर इस समय उसके कारण शोभा के आनन्द में जरा भी कमी हुई तो ये उसके लिये शर्म की बात होगी । बाद में वो शोभा को अपने दिल की बात बतायेगी कि अब उसे किसी और से चुदने की जरुरत नहीं है । देवर से भी नहीं । उसे जो चाहिये जैसे चाहिये वो देगी । देवरानी की चूत को चाटने का हक अब सिर्फ़ उसकी है । दीप्ति ये भी नहीं जानती थी कि शोभा आज पहली बार ही मुख मैथुन कर रही है और वो ही उनकी जिन्दगी में ये सब करने वाली पहली औरत भी है ।

शोभा का चूत रस दीप्ति की क्षमता से कहीं ज्यादा था। सांस लेने के लिये दीप्ति ने अपना सिर थोड़ा सा घुमाया तो शोभा की चूत से उसकी जीभ बाहर फ़िसल गई । मारे हवस के चाची ने अपनी भारी गांड को पीछे ढकेला तो मम्मी की नाक उनकी बुर की फ़ांकों में घुस गई । शोभा ने उस बिचारी नाक को भी नहीं छोड़ा और लगी अपनी तनी हुई क्लिट को नाक की हड्डी पर रगड़ने । थोड़ी पस्त हो चुकी थी सो आगे को झुकते हुये जेठानी के स्तनोँ पर ही पसर गई शोभा । कमर ऊपर नीचे हिलाते हुये भी कुछ बड़बड़ा रही थी व । "हमारा अजय अब सब सीख गया दीदी...अब आप भी उससे अपनी लंड चटवा सकती हैँ । कभी भी..आह.." हर शब्द के साथ उसकी कमर तालबद्ध होकर दीप्ति के चेहरे पर रगड़ रही थी । आर्गैज्म की तेज धारें अब बहते पानी में बदल गई थी । दीप्ति को भी थोड़ी राहत मिली । अपना चेहरा देवरानी के चिकने चर्बीयुक्त नितम्बोँ पर रगड़ने लगी । शोभा को तुरन्त ही चूत में ढेर सारे छोटे किन्तु शक्तिशाली आर्गैज्मों का अहसास हुआ । मानों किसी ने जलती पटाखों की लड़ी घुसेड़ दी हो । शान्त होती शोभा के चेहरे पर असीम शान्ति पसर गई । दीप्ति को गले लगा वो उसका धन्यवाद व्यक्त करना चाहती थी ।

अजय आंख खोल कर सामने देखा तो चाची मम्मी के लंड को मसल रही थी । अजय ने आगे बढ़ माँ के सुपाड़े को अपने होंठों में दबा लिया । धीरे से दोनों टट्टों को हाथों से मसला और अपनी जीभ को सुपाड़े की खाल पर फ़िराया । तुरन्त ही दीप्ति के लंड ने 10 इंच का रुप धारण कर लिया । शोभा लंड को वही छोड़ अजय के चेहरे के पास जाकर होंठों पर किस करने लगी । दोनों ही एक दूसरे के मुहं में अपना अपना रस चख रहे थे ।

"अजय चलो.. गेट रैडी । वर्ना मम्मी नाराज हो जायेंगी" । शोभा ने अजय का ध्यान उसकी प्यासी मां की तरफ़ खींचा । अजय एक बार को तो समझ नहीं पाया कि चलने से चाची का क्या मतलब है । उसकी मां तो यहीं उसके पास है । शोभा ने अजय को इशारा कर बिस्तर पर एक तरफ़ सरकने को कहा और दीप्ति को खींच कर अपने बगल में लिटा लिया । अजय से अपना ध्यान हटा शोभा ने जेठानी के स्तनों पर अपने निप्पलों को रगड़ा और धीरे से उनके होंठों के बीच अपने होंठ घुसा कर फ़ुसफ़ुसाई,"अब आपकी बारी, मालूम है कि हम औरतों को क्या पसन्द है ।" कहते हुये शोभा ने जेठानी को अपनी बाहों में भर लिया ।

अजय अपनी चाची के पीछे लेटा ये सब करतूत देख रहा था । लंड को पकड़ कर जोर से चाची कि गांड की दरार में रगडने लगा, बिना ये सोचे की ये कहां जायेगा । दिमाग में तो बस अब लंड में उठता दर्द ही बसा हुआ था । किसी भी क्षण उसके औजार से जीवनदाय़ी वीर्य की बौछार निकल सकती थी. घंटों इतनी मेहनत करने के बाद भी अगर मुट्ठ मार कर पानी निकालना पड़ा तो क्या फ़ायदा फ़िर बिस्तर पर दो-दो कामुक औरतों का ।

शोभा ने गर्दन घुमा जेठानी की नज़रों में झांका फ़िर प्यार से उसके होंठों को चूमते हुये बोली, "दीदी, मेरे आगे नहीं, पीछे आ जाओ । जल्द ही दीप्ति अपनी तने लंड को पकड़ कर उठी और शोभा के पीछे उसकी उभरी हुई गांड से सटा कर लेट गई । शोभा को दीप्ति के लंड का सुपाड़ा अपनी गांड के छेद पर चुभा तो था पर इस वक्त ये सब नये नये प्रयोग करने का नहीं था । रात बहुत हो चुकी थी और दीप्ति एवं अजय अभी तक ढंग से झड़े नहीं थे । अजय ने मां के फनफनाते लंड की तरफ़ देखा । दीप्ति की आंखों में शर्म और वासना के लाल डोरे तैर रहे थे । दीप्ति ने एक बार और गांड को हल्के से झटका सुपाड़ा फ़िर से शोभा के पिछले छेद में जा लगा । शोभा की सांस ही रुकने को थी कि अजय ने हाथ बढ़ा चाची के चेहरे को सहलाया । इस तरह शोभा अब अपनी जेठानी और भतीजे के नंगे जिस्मों के बीच में दब रही थी । शोभा के चेहरे पर अपना गोरा चेहरा रगड़ते हुये बोली

"शोभा, तुम हमें कहां से कहां ले आई?"। "कोई कहीं नहीं गया दीदी । हम दोनों यहीं है.. आपके पास", कहते हुये शोभा ने अपने उभरी चुतडोँ को दीप्ति के खडे लंड से रगड़ा ।

"हम तीनों तो बस एक-दूसरे के और करीब आ गये हैं." शोभा ने अपनी उन्गलियां दीप्ति के पेट पर फ़िराते हुये आधा तने लंड पर रख दीं । "आप तो बस मजे करो.." शोभा की आवाज में एक दम से चुलबुलाहट भर गई । आंख दबाते हुये उसने अजय को इशारा कर दिया था । शोभा ने अपनी नंगी पीठ पर जेठानी के गरम स्तनोँ को महसूस किया । दीप्ति ने एक हाथ शोभा की कमर पर लपेट कर उसको अपनी तरफ़ दबाया । लंड सीधा चाची की भारी गांड के सकरे रास्ते में फ़िसल गया ।"उधर नहीं दीदी". चाची कराही । अपना हाथ पीछे ले जा कर जेठानी के बालोँ को पकड़ा और उसके गालों पर एक गीला चुम्बन जड़ दिया । आज रात एक पारम्परिक भारतीय घर में जहां लंड और चूतों का रस सभी सम्भावित तरीकों से मिश्रित थे । "दीदी, अपना पैर मेरे ऊपर ले लो", शोभा ने सलाह दी । शोभा दोनों के साथ आज रात एकाकार हो गई थी । उसने तुरन्त हाथ बढ़ा खुद ही दीप्ति की मोटी जांघ को उठा अपने नितम्बों के ऊपर रख लिया । दीप्ति ने सोचा शायद शोभा अपनी चूत उसकी लंड से रगड़ना चाहती है । लेकिन जल्दी ही दीप्ति की गरम मूषल लंड उसकी चूत और गुदा के बीच सरकने लगा । जेठानी ने उत्तेजना में बिना निशाना साधे वार कर रही थी । जब भी जेठानी के मोटे लंड का प्रहार शोभा के गुदा द्वार पर पड़ता तो पीड़ा से कराह उठती । अपने जेठानी की सैक्स जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए गांड मराना? ये तो अप्राकृतिक है ।

चलो स्त्री की शरीर मेँ लंड होने के नाते एक दूसरे की सैक्स जरुरतें भी पूरी की जा सकती है । शोभा जैसी घर की ही अन्य वरिष्ठ सदस्य का साथ भी चल सकता है । किन्तु गुदा मैथुन! ना । इन्हीं सब विचारों में खोई हुई शोभा को पता ही नहीं चला कि कब अजय ने उसकी टांगों के बीच में से हाथ घुसेड़ कर अपनी माँ के सख्त लंड को पकड़ लिया था । माँ के जननांग को सहलाने लगा । उसकी खुद की बुर में अभी तक हल्के हल्के झटके आ रहे थे । शायद जेठानी के द्वारा चूसे जाने के बाद कहीं ज्यादा संवेदनशील हो गई थी । सिर्फ़ सोचने मात्र से ही लिसलिसा जाती थी । दिमाग को झटका दे अजय ने मम्मी की तेल पिये लंड को चाची की रिसती चूत के मुहं पर रखा । "अब डालो", मम्मी के चेहरे की ओर देखता अजय बोला जो इस समय माँ के बिशाल लंड को चाची की चूत में गुम होते देख रहा था । "आह! दीदी धीरे.. आह", शोभा चित्कारी । लंड काफ़ी सकरे मार्ग से चूत में प्रविष्ट हुआ था । बुर की निचली दीवारों से सरकता हुआ दीप्ति की लंड शोभा के गर्भाशय के मुहांने को छू रहा था । इतने सालों की चुदाई के बाद भी शोभा की चूत में ये हिस्सा अनछुया ही था । जेठानी के साथ संभोग करते समय भी उसने कभी इस आसन के बारे में सोचा नहीं था । कृतज्ञतावश शोभा जेठानी के गालों पर चुम्बन बरसाने लगी । दीप्ति की लंड उसके चुतडोँ के बिच कार्यरत था ।

दीप्ति ने शोभा के एक चूंचे को हाथ में कस के दबा लिया । शोभा को अपने फ़ूले स्तनों पर जेठानी के नरम हाथ सुहाने लगे । वो अपना दूसरा स्तन भी दीप्ति के सुपुर्द करना चाहती थी । शरीर को हल्का सा उठा दीप्ति को दूसरा हाथ भी इस्तेमाल करने के लिये उकसाया । दीप्ति ने तुरन्त ही शोभा के बदन के उठे बदन के नीचे से दूसरा हाथ सरका के दूसरे चूंचे को दबोच लिया । अब दोनों ही चूंचे मम्मी के पंजों में जकड़े हुये थे और वो उनके सहारे अपनी मांसल नितम्ब को शोभा की कमर पर जोर जोर से पटक रहा थी । मम्मी के जबड़े भींच गये । अजय की नज़रें उसी पर थी । चाची के सिर के ऊपर से चेहरा आगे कर दोनों एक दूसरे को चूमने लगे । छोटे छोटे चुम्बनों के आदान-प्रदान से मानों एक दूसरे को जतला रहे हो की अब उनकी कामक्रीड़ा का केन्द्र-बिन्दु सिर्फ़ चाची ही है । शोभा ने गर्दन मोड़ कर अपने सिर के पीछे चलती माँ बेटे की हरकत को देखा तो वो भी साथ देने के लिये उतावली हो गई । दोनों के जुड़े हुये होंठों के ऊपर बीच में से उसने अपने होंठों को भी टिका दिया । तीनों अब बिना किसी भेद-भाव के साथ चुमने चाटने लगे । आंखें बन्द किये मालूम ही नहीं कौन किसके मुहं में समाया हुआ है ।

अजय ने अपना सिर मां और चाची के पास से हटा नीचे चाची के चूचों को जकड़े पड़े मम्मी के हाथों को चूमा । और थोड़ा नीचे आते हुये चाची के नंगे बदन पर जैसे चुम्बनों की बारिश ही कर दी । चूत में भरे हुये मम्मी के लंड और मुहं में समाई उसकी जीभ के बीच मेँ अजय की हरकतों को महसूस ही नहीं कर पा रही थी । किन्तु जब अजय ने अपने होंठों को उसकी घनी झांटों के बीच में से तनी हुई क्लिट के ठीक ऊपर रखा तो शोभा मम्मी के मुहं में ही चीख पड़ी । शोभा के तपते होंठ और चूत को रौंदती दीप्ति का बलशाली पुरुषांग एक साथ शोभा के होशो-हवास छीन चुके थे । दीप्ति की हालत भी खराब थी । देवरानी के प्रजनांग में अन्दर बाहर होते उसके लंड को अजय के नर्म होंठों पर से गुजरना पड़ रहा था । हे भगवान, मम्मी चोदने की सब कलाओं में पारंगत है । प्रणय क्रीड़ा के चरम पर खुद को महसूस कर दीप्ति लंड को जोर जोर से मशीनी पिस्टन की भांति शोभा की झाँटोँ से भरी चूत में भरने लगा । मम्मी खजुराहों की किसी सुन्दर मूर्ति के जैसी बिस्तर पर देवरानी के बुर मेँ लंड अंदर किए पसरी पड़ी थी । एक हाथ पीछे ले जाकर दीप्ति ने अपने भारी नितम्बोँ को सहला रही थी और दुसरे से शोभा की कमर पकड़ उसे अपनी मोटी जांघों की गहराई में दबा रखी थी । मम्मी की गोरा गदराया शरीर धक्कों के साथ बिस्तर पर उछल रहा था ।

शोभा की चूत एक ही समय में चोदी और चूसी जा रही थी । अजय के सिर ने अपनी माँ के लंड के साथ तालमेल बैठा लिया था । जब मम्मी की लंड शोभा चाची की चूत में गुम होता ठीक उसी समय अजय भी चाची के तने हुये चोंचले को पूरा अपने होंठों में समा लेता । फ़िर जैसे ही मम्मी लंड को बुर से बाहर खींचती, वो भी क्लिट को आजाद कर देता । चूत की दिवारों पर घर्षण से उत्पन्न आनन्द, लाल सुर्ख सुपाडी पर पडते बिजली के झटके और शोभा के हाथों में दुखते हुये चूंचें, कुल मिलाकर अब तक का सबसे वहशीयाना और अद्भुत काम समागम था ये दीप्ति के जीवन में । अगले कुछ ही धक्कों के बाद दोनों जेठानी-देवरानी अपने आर्गैज्म के पास पहुंच गये । अब किसी भी क्षण वो अपनी मंजिल को पा सकते हैं । पहले शोभा की चूत का सब्र टूटा । मम्मी के गले में "म्म्म।" की कराह के साथ ही चाची ने अजय के सिर को चूत के ऊपर जोरों से दबा दिया । दीप्ति के हाथों ने पहले से ही दुखते शोभा के स्तनों पर दवाब बढ़ा दिया । दीप्ति की सूजे हुये लंड पर फ़िसलते अजय के होंठों ने आग में घी का काम किया । जैसे ही उसे लंड में कुछ बहने का अहसास हुआ, मम्मी ने लंड को चाची की बुर में जोर-जोर से अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया ।

अजय ने भी चूत से लंड तक बिना रुके चाटना जारी रखा । जीभ पर सबसे पहले चाची का चूतरस आया । क्षणभर पश्चात ही मम्मी का मीठा खत्टा वीर्य भी होठों के किनारे से आ लगा । गंगा, जमुना सरस्वती की भांति, चाची का आर्गैज्म, मम्मी का वीर्य और उसका थूक उसके गले में मिल संगम बना रहे थे । शोभा ने सांस लेने के लिये जेठानी के मुहं में दबे पड़े अपने होंठों को बाहर खींचा । आर्गैज्म के बाद आते हल्के हल्के झटकों के बाद दिमाग सुन्न और शरीर निढाल हो गया । मानो किसी ने पूरी ऊर्जा खींच कर निकाल ली हो । परन्तु अभी तक दीप्ति का लंड तनिक भी शिथिल नहीं हुआ था । बार बार धक्के मार कर शोभा की बुर में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा था । शोभा के पेट के बल लुढ़क जाने से मम्मी की लंड अपने आप स्प्रींग की तरह उछल कर बाहर आ गया । अजय रुक कर ये सब देख रहा था । तुरंत अजय ने चाची की टांगों के बीच से घुसकर मम्मी की लंड पर गोल करके अपने होंठों को सरका दिया । कुछ देर तक सिर को हिल-हिला कर मम्मी की लंड को आखिरी बूंद तक आराम से झड़ने दिया ।

दीप्ति आनन्द के मारे कांप रही थी । उत्तेजना से भर कर अपने दांत शोभा की कंधों में गड़ा दिये । वीर्य की आखिरी बूंद भी शोभा चाची के गले में खाली करके मम्मी का लन्ड "पॉप" की आवाज के साथ चाची के मुहं से बाहर निकल आया । शोभा ने पहली बार किसी औरत की वीर्य अपने गले भरा था, इससे पहले भी अजय को चूसते समय उसको गले से बाहर ही अपने मुखड़े पर झड़ाया था और कुमार अपने पति को तो वो सिर्फ़ उत्तेजित करने के लिये ही चुसती हैं । जैसे ही मुहं खोल गले के भीतर का मिश्रण बिस्तर पर उलटना चाहा, जेठानी के वीर्य के गाढ़ेपन और स्वाद से रुक गई । फ़िर उन्गलियां चेहरे पर फ़िरा कर बाकी बचे तरल को भी चटखारे ले लेकर मजे से खा गई । मम्मी ने भी चाची की मांसल जांघों को पकड़ कर अपनी मुँह की तरफ खिंच लायी और उसकी बुर से निकल रहे वीर्य और चुत रस के मिश्रण को चाट के निगल लिया । काफी देर रात तक चोदाई के करण तीनों थक चुके थे और उसी तरह नंगे ही गहरे नींद में सो गए ।

थकान से चूर होकर अजय बेसुध सो रहा था कि देर रात में या कहे की सवेरे की हल्कि रोशनी में बिस्तर पर किसी की कराहों से उसकी आंख खुली । आंखों ने मम्मी को चाची की बुर सहलाते हुए देखा । मोटी मोटी गोरी जांघों के बीच में काले घने बालों से भरी चाची चूत सॉफ नज़र आ रही थी । क्या फूली हुई चूत थी!। मम्मी ने शोभा की टाँगें और चौड़ी कर दी और जीभ निकाल कर चूत चाटने लगी ।

" आआआः ..आ.एयेए..ऊवू! बहुत अच्छा लग रहा है । बाल आपके मुँह में तो नहीं जा रहे दीदी ।?" शोभा अपनी भारी चूतर उच्छाल कर अपनी चूत मम्मी के मुँह पर रगड़ रही थी । दीप्ति कभी शोभा की चूत चाटते और कभी बड़ी बड़ी चूचिओ को चूस्ते । थोरी देर बाद मम्मी और चाची 69 की मुद्रा में आ गये अब शोभा की चूत मम्मी के मुँह पर थी और मम्मी की मोटी लंड शोभा के मुँह में। काफ़ी देर तक चूमा चॅटी का खेल चलता रहा। फिर मम्मी ने चाची को बिस्तेर पर लिटा कर उनकी मोटी जांघों को चौड़ा किया और लंड का सुपरा उनकी चूत के मुँह पर रख कर रगड़ने लगी ।
" ऊऊऊः, अब तंग मत करिए दीदी । पेल दीजिए पूरा लंड।" शोभा गांड को उचका कर लंड चूत में डालने की कोशिश करती हुई बोली। मम्मी अपना लंड चूत के लाल छेद पर रगडती रही और शोभा को उत्तेजित करती रही ।

" बस भी कीजिए।! अब और नहीं सहा जा रहा । मम्मी ने अपनी चौड़ी उभरे गांड हवा में उछाली और एक ज़ोर का धक्का लगाया । मम्मी की लंबा मोटा लंड आधा शोभा की चूत में समा गया ।
" एयाया….आआआः. ऊऊऊऊः….ओई माआअ……।" मम्मी ने लंड को बाहर खींच कर फिर एक ज़ोर का धक्का लगाया । इस बार तो पूरा लंड शोभा की चूत को चीरता हुआ जड़ तक अंडर घुस गया । अब मम्मी के गांड थिरकने से अंडकोष शोभा की गांद के छेद से रगड़ रहे थे । मम्मी अब जबरदस्त गांड उछालते हुए चाची को चोदे जा रही थी ।

" वी माआअ…..आआआआ, आआआहह! धीरे दीदी धीरे । इतने उतावले क्यों हो रहें हैं । एयेए…..आआआः कहीं भागी तो नहीं जा रही ।" मम्मी ने अपना लंड शोभा की चूत से बाहर खींच लिया । शोभा की चूत के रस में गीली मम्मी की लंड एकदम भयानक लग रहा था । मम्मी ने फिर से शोभा की झांटों भरी चूत में मुँह दे दिया और जीभ निकाल कर चाटने लगी । शोभा की सिसकारियाँ तेज होती जा रही थी । वो चूतर उच्छाल उच्छाल कर अपनी चूत मम्मी के मुँह पर रगड़ रही थी । आख़िर जब शोभा से नहीं रहा गया तो बोली, " बस करो दीदी । अब चोद कर मेरी चूत की आग ठंडी करो ।"

मम्मी ने शोभा की चूत में से मुँह निकाला और लंड का सुपरा शोभा की चूत पे रख कर ज़ोरदार धक्का मारा । पूरा 10 इंच का मूसल शोभा की चूत को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया ।
"आआआआआ…….आआआआआअ….आआआः, ऊऊ…… चोदो दीदी और ज़ोर से चोदो । फाड़ डालो चूत । अया ओई माआ……बहुत अच्छा लग रहा है ।" चाची मम्मी की धक्कों का जबाब चूतर उछाल उछाल कर दे रही थी । चूत बुरी तरह गीली थी । मम्मी कराहने लगी थी, मुँह से अजीब आवाजें निकल रही थी । भाशो की चूत से फ़च..फ़च…फ़च ओर मुँह से आआआआ…..ऊओ…ऊऊओफ़ की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज़ रहा था । फिर मम्मी के धक्के तेज़ होने लगे और । और मम्मी गांड उछाल-उछाल कर चाची को चोदे जा रही थी । अचानक मम्मी कराहने लगी, मानो रो पड़ेगी और एक बार जोर से अपनी उभरी गांड हवा उछाली और चाची के ऊपर लुढ़क गई । फिर से मम्मी की लंड ने ढेर सारा वीर्य भाशो की चूत में उंड़ेल दिया । दो मिनिट के बाद मम्मी ने भाशो की चूत के रस और अपने वीर्य में सना लंड बाहर निकली और उसकी होंठों पे रख दिया । मोटे लंड पे सफेद सफेद रंग का भाशो की चूत का रस और उनका अपना वीर्य चिपका हुआ था । मम्मी के 10 इंच लंबे लंड को जड़ से सुपरे तक चाटने और मुँह में डाल कर चूसने लगी । भाशो की चूत में से वीर्य निकल कर उनकी गांद के छेद की ओर बह रहा था चूत बुरी तरह से फूल गयी थी और झाँटें गीली हो कर चमक रही थी । शोभा ने चाट चाट के मम्मी का लंड साफ कर दिया । मम्मी ने चादर मुट्ठी में भर रखी थी और नीचला होंठ दातों के बीच में दबा रखा था । फिर मम्मी निचे आयी और शोभा की बुर से अपनी वीर्य और बुर रस के मिश्रण को चाटने लगी । अभी तक जी नहीं भरा मम्मी का?। मम्मी अपनी दोहरी सेक्स अंगोँ से भरपूर लुफ्त उठा रही थी..... ये सोचते हुए अजय की आंखें फ़िर से बन्द होने लगी । गहन नींद में समाने से पहले उसके कानों में चाची का याचना भरा स्वर सुनाई दिया ।

जब दीप्ति सुबह उठी तो बाथरुम से किसी के नहाने की आवाज आ रही थी । अजय पास में ही सोया पड़ा था । बाहर सवेरे की रोशनी चमक रही थी । शायद छह बजे थे । अभी उसका पति या देवर नही जागे होंगे । लेकिन यहां अजय का कमरा भी बिखरा पड़ा था । चादर पर जगह जगह धब्बे थे और उसे बदलना जरुरी था । तभी याद आया कि आज तो उसके सास ससुर आने वाले है । घर की बड़ी बहू होने के नाते उसे तो सबसे पहले उठ कर नहाना-धोना है और उनके स्वागत की तैयारियां करनी है । पुरी रात की चोदाई के बाद उसकी लंड दुख रहा था । दीप्ति निचे अपनी लंड पर नजर गडाया... क्या लंड पाई है! अपनी पति और बेटे से भी ज्यादा लम्बा और मोटा लंड था दीप्ति का । अपनी मुरझाए लंड को फिर एक बार मसलते हुए भावना मेँ खो गई.... लंड से चोदने मेँ उसे अद्भुतपूर्व आनंद प्राप्त हो रहा था जो उसकी नारी जीवन कभी नहीँ मिला था । गोरे बदन पर जगह जगह काटने और चूसने के निशान बन गये थे और बालों में पता नहीं क्या लगा था । माथे का सिन्दूर भी बिखर गया था । जैसे तैसे उठ कर जमीन पर पड़ी नाईटी को उठा बदन पर डाला और कमरे से बाहर आ सीढीयों की तरफ़ बढ़ी । और जादू की तरह शोभा पता नहीं कहां से निकल आई । पूरी तरह से भारतीय वेश भूषा में लिपटी खड़ी हाथों में पूजा की थाली थामे हुये थी । "दीदी, मां बाबूजी आते होंगे । मैने सबकुछ बना लिया है । आप बस जल्दी से नहा लीजिये" कहकर शोभा झट से रसोई में घुस गई, आज दिन भर उसे सास ससुर की खातिरदारी में अपनी जेठानी का साथ देना था । रात भर भी साथ देती ही आई थी । खैर, दिन के उजाले में सब कुछ बदल चुका था ।

समाप्त

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ChoduBollsChoduBollsabout 2 years ago

Ghar me hi ek dusri ki maa ben bhai ben baap beti chodne ka maza ek bar utha kr delho, fir bhosdichod bonthok maa ke lodo duniya ki randiya ko bhul jaaoge bhen ke lodo bhadve salo chut me pissuo.

AnonymousAnonymousover 11 years ago
hindi story kaise likhi

hindi mein story kaise submit karte hain...aap

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