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Click here“मुझे तो बहुत मजा,,,,,,,आया… बता ना, तुझे कैसा लगा…?”
“हाय, मालकिन ... पहली बार इतनी बडी लन्ड से चुदी हुं…” -कहते हुए, उनके होठों को हल्के से चुम लिया ।
माया देवी पंडिताईन की कमर पकड़ अपनी तरफ खींचते हुए उसको कमर से पकड़ कस कर भींचा । चौधराइन की खड़ी हो चुकी लण्ड, सीधा पंडिताईन की जांघो के बीच दस्तक देने लगा । पंडिताईन उनकी बाहों से छुटने का असफल प्रायास करती, पंडिताईन गरम तो थी हीं चौधराइन की लण्डअपनी दोनों माँसल रेशमी जाँघों के बीच दबा के मसलते हुए बोलीं –
"मालकीन एक बात पूछुं आपसे.. ।"
"एक नहीं सौ बात पूछ ।"
"आप हमारी मालकीन हो, हमारी चौधरी साहव की धर्मपत्नी, फिर ये लंड आपकी शरीर में कै... से... क्या आप पुरूष हैं .....?"
"अरे... नहीं.. रे पगली, मैं पहले भी औरत थी..आज भी हुं और आगे भी औरत ही रहुंगी । अपनी इस बदनसीबी पे रोऊं या खुशीयां मनाऊं मैं... पहले तो बहुत रोने को मन किया, फिर धीरे-धीरे सब खुशीयों में बदलने लगे । मेरी शरीर में लंड के उगने से मेरी जिस्मानी ख्वाईशें जरुर बदल गईं हैं....... फिर भी मैं तुम लोग जैसी तन और मन से पूरी तरह औरत ही हुं और अब मैं अपनी बदकिस्मती की खुशीयां मना रही हुं, बस्... किसी और दिन मैं तुझे अपनी पूरी कहानी बताऊंगी ।"
कहने के साथ माया देवी पंडिताईन को आगोश में भर लिया और पागलों की तरह उसे चुमने लगीं ।