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लेखक: राज अग्रवाल
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(भाग-१)
“राज, सोनिया मैडम अपनी केबिन में तुमसे मिलना चाहेंगी,” मेरी सेक्रेटरी ने मुझसे कहा।
ये एक ऐसा वाक्या था जो कोई भी वर्मा इंटरनैशनल में सुनना पसंद नहीं करता था। इसका सीधा मतलब था कि आज से आपका वजूद एक इतिहास बनने वाला है। सोनिया वर्मा का ये मानना था कि वो खुद अपने हर कर्मचारी को खराब खबर सुनाना पसंद करती थी बजाय अपने किसी अधिकारी के ज़रिये। पिछ्ले कईं सालों से वर्मा इंटरनैशनल का कारोबार धीमा पड़ता जा रहा था। खर्चों को कम करने के हिसाब से वो अपने कर्मचारियों में कटौती करते आ रहे थे। मैं समझ गया कि आज मेरा नंबर है, मुझे फिर इंटरव्यू की लाईन में खड़ा होना पड़ेगा।
मैंने सोनिया वर्मा के प्राइवेट केबिन के दरवाज़े पर दस्तक दी।
“कम इन,” मुझे सोनिया की आवाज़ सुनायी दी।
मैंने दरवाज़े को धकेला और उसके ऑफिस में कदम रखा। सोनिया अपनी मेज़ से उठ कर मेरे पास आयी और अपना हाथ मुझसे मिलाने के लिये आगे बढ़ा दिया। उसे देख कर हर बार की तरह फ़िर मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी फ़ैल गयी। वही सुंदर चेहरा, गोरा बदन और फ़िगर के तो क्या कहने, ठीक किसी मॉडल की तरह। काले बिज़नेस स्कर्ट-सूट और उससे मेल खाते काले हाई-हील सैंडलों में उसका व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली लग रहा था।
“हाय राज कैसे हो? अच्छा लगा तुमसे मिलकर, बैठो।” उसने अपने मधुर स्वर में कहा।
हाथ मिलाने के बाद वो अपनी मेज़ के पीछे की कुर्सी पर बैठ गयी और मैं उसके सामने की कुर्सी पर। मेरे बैठते ही उसने अपने सामने फ़ोल्डर को खोला और कुछ पढ़ने लगी, फ़िर उसने मेरी तरफ़ देखा और फ़िर फ़ाइल को पढ़ने लगी।
“राज तुम हमारी कंपनी में कितने सालों से काम कर रहे हो?” उसने पूछा।
“लगभग दस साल से, अपने हाइस्कूल के ठीक बाद ही मैंने आपके पिताजी के साथ काम करना शुरु कर दिया था,” मैंने जवाब दिया।
“बड़ी मुश्किल हुई होगी तुम्हें, दिन भर ऑफ़िस में काम करना फिर रात को कॉलेज में पढ़ना?” सोनिया ने कहा।
“इतना आसान तो नहीं था मिस वर्मा, पर आपके पिताजी ने मेरी काफी मदद की इस विषय में,” मैंने कहा।
“हाँ मुझे पता है। वो अपनी दिल की बात ज़ुबान पर नहीं ला पाये नहीं तो हमेशा उन्होंने तुम्हें अपने बेटे की तरह माना था। पिताजी ने तुम्हें तुम्हारी पढ़ाई के लिये उधार भी दिया था जिसे उन्होंने तुम्हारी ग्रैज्युएशन का तोहफ़ा कहकर माफ़ कर दिया था। ऐसा उन्होंने क्यों किया राज?” सोनिया बोली।
“मुझे पता नहीं,” मैंने जवाब दिया।
“तुम्हें पता है राज और मुझे भी पता है। तुमने ऐसा क्यों किया राज? तुमने उस झमेले में अपनी गर्दन क्यों फ़ंसायी?” सोनिया ने कहा।
“आपके पिताजी बहुत ही ही अच्छे इंसान थे मिस सोनिया, और मैं नहीं चाहता कि कोई रंडी उनकी ज़िंदगी बरबाद कर दे,” मैंने जवाब दिया।
“क्या तुम्हारी पढ़ायी के लिये पैसे देना फ़िर इनाम में माफ़ कर देना उसकी कीमत थी?” सोनिया ने पूछा।
“नहीं मैडम ऐसा नहीं था। आपके पिताजी मुझे पहले ही उधार दे चुके थे और उसे मेरी डिग्री का तोहफ़ा कह कर माफ़ कर चुके थे। और ये वो एक कारण था जिसके लिये मैंने सब कुछ किया। उन्हें मेरी मदद करने की जरुरत नहीं थी, उन्होंने जो कुछ किया अपने दिल से किया, और कोई भी इंसान ये सब सहन नहीं कर सकता कि कोई पैसे की भूखी रंडी किसी ऐसे अच्छे इंसान के साथ ये सब करे,” मैंने कहा।
“तुम खुशनसीब हो कि उस समय डी-एन-ए टेस्ट का चलन नहीं था, अगर होता तो तुम्हारी कहानी हवा हो गयी होती,” सोनिया बोली।
“ऐसी बात भी नहीं थी, पचास-पचास प्रतिशत संभावना थी कि मेरी कहानी हर हाल में सच साबित हो जाती।” मैंने जवाब दिया।
“तुमने और पिताजी ने मिलकर ये सब किया?”
“मुझे नहीं पता कि आपके पिताजी ने क्या किया, पर मेल-रूम के आधे से ज्यादा कर्मचारी ये कर सकते थे। उनमे से कोई भी उसके बच्चे का बाप हो सकता था,” मैंने कहा।
“फिर भी ऐसी क्या बात थी जो तुमने उसके खिलाफ़ गवाही दी। जब उसने कहा कि मेरे पिताजी ने उसे गर्भवती बनाया है, पर उसने तुम्हें बताया था कि वो बच्चा मेरे पिताजी का नहीं है, वो तो सिर्फ़ पैसो के लिये ऐसा कह रही है,” सोनिया ने कहा।
“इमानदारी और नमक हलाली और कुछ नहीं,” मैंने जवाब दिया।
“पर मैंने सुना है तुम पुराने ख्यालातों के हो?” सोनिया ने कहा।
“जहाँ तक मेरा सवाल है, इमानदारी और नमक-हलाली वक्त के साथ नहीं बदलती मैडम!” मैंने जवाब दिया।
“क्या ऐसा हो सकता है कि जो इमानदारी और नमक-हलाली तुमने मेरे पिताजी के साथ दिखायी थी वो उनकी आगे की पिढ़ियों के साथ भी कायम रह सकती है?” सोनिया ने प्रश्न भरी नज़रों से मुझसे कहा।
“आपके कहने का मतलब क्या है, मैं कुछ समझा नहीं?” मैंने पूछा।
“इतना ही राज!! क्या तुम वो ही इमानदारी और नमक-हलाली मेरे साथ निभा सकते हो?” सोनिया ने कहा।
“मिस वर्मा, मैं अभी भी आपकी बातों का मतलब नहीं समझा,” मैंने कहा।
“राज मैं काफी मुसीबत में हूँ और मुझे एक ऐसा इंसान चाहिये जो मुझे इस मुसीबत से बाहर निकाल सके,” सोनिया थोड़े दुखी स्वर में बोली।
“मिस वर्मा मुझसे जो हो सकेगा मैं करुँगा,” मैंने कहा।
“हो भी सकता है और नहीं भी राज! सबसे पहले तो तुम ये समझ लो कि तुम्हें काफी जिल्लत से गुज़रना होगा, ऐसा भी वक्त आ सकता है कि तुम मुझसे नफ़रत करने लगो। आज रात का खाना मैं तुम्हारे साथ खाना चाहुँगी राज, जहाँ हमारी बातों को कोई सुन नहीं सके, वरना दीवारों के भी कान होते है ये मैंने सुना है। क्या मैं तुम्हें आज रात सात बजे पिक कर लूँ? सोनिया ने कहा।
“हाँ क्यों नहीं, मैं आपको मेरे घर का पता दे देता हूँ,” मैंने कहा।
“इसकी जरुरत नहीं है राज, मुझे पता है तुम कहाँ रहते हो।”
शायद इन बातों के दौरान मेरे चेहरे पर अजीब भाव आ गये होंगे। “थोड़ा इंतज़ार करो राज, आज की रात तुम्हें तुम्हारे हर प्रश्न का जवाब मिल जायेगा।”
थोड़ा सा इंतज़ार करो। उसके लिये कहना आसान था पर मेरे लिये नहीं। उसे कैसे पता कि मैं कहाँ रहता हूँ। दीवारों के भी कान होते हैं - इस बात का क्या मतलब है, वो मुझसे क्या चाहती है, इन ही सब ख्यालों में खोया मैं अपने केबिन में बैठा था। मैं इन ही ख्यालों में खोया था और अपने काम पर भी ध्यान नहीं दे पा रहा था। मेरे दिमाग में यही घूम रहा था कि आज की रात खाने पर वो मुझसे क्या कहेगी।
और वह घड़ी आयी। सोनिया मुझे लेने आयी। हमेशा की तरह मैं उसे देखता ही रह गया। कमर तक लंबे खुले हुए उसके काले घने बाल, मदहोश कर देने वाली आँखें, आकर्षक स्कर्ट-टॉप और उससे मेल खाते उँची हील के सैंडल। मैं एक आह भर कर गाड़ी में बैठ गया और हम गाड़ी में बात करने लगे।
“राज मैं चाहती हूँ कि तुम मुझसे शादी कर लो!” सोनिया ने कहा।
सोनिया की बात सुनकर मेरा शरीर पत्थर सा हो गया। मुझे उससे इस बात की उम्मीद नहीं थी। बड़ी मुश्किल से मैंने अपने आपको संभाला और गहरी साँस लेने लगा।
“राज आज की रात मैं तुम्हें सब कुछ बता दूँगी और मुझे उम्मीद है कि जो भी बातें हम दोनो के बीच होंगी उसे तुम राज़ ही रखोगे। जो मैं तुमसे कह रही हूँ तुम मानो या ना मानो ये तुम्हारी मर्ज़ी है, मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे और मेरे पिताजी के संबंधों को देखते हुए तुमसे ये कह रही हूँ। क्या तुम्हें पता है कि उन्होंने अपनी वसियत में लिख रखा है कि तुम हमेशा वर्मा इंटरनैशनल के लिये काम करोगे। इसका मतलब है कि कोई भी तुम्हें ना तो नौकरी छोड़ने के लिये कह सकता है और ना ही तुम्हें रिटायर कर सकता है,” सोनिया ने कहा।
“मुझे इस बात की जानकारी नहीं है,” मैंने कहा।
“तुम्हें जानने की जरुरत भी नहीं है, मैं तुम्हें ये बात सिर्फ़ इसलिये बता रही हूँ कि जो मैं तुमसे माँगने जा रही हूँ, अगर तुम उस बात से इंकार करते हो तो तुम्हें तुम्हारी नौकरी का कोई डर ना हो। क्या तुम ऐसा कर सकते हो राज? क्या तुम मुझसे एक वादा कर सकते हो? आज की रात तुम चाहो जो फ़ैसला करो, पर जो बातें मैं तुम्हें बताने जा रही हूँ वो सिर्फ़ तुम्हारे और मेरे बीच रहेंगी,” सोनिया ने कहा।
“ये बात आप पहले से जानती हैं मिस वर्मा, वरना मैं आज यहाँ आपके सामने ना बैठा होता,” मैंने कहा।
“हालातों को देखते हुए मुझे लगता है राज कि तुम मुझे सोनिया नाम से पुकारो तो ज्यादा अच्छा रहेगा। लो हम पहुँच गये,” सोनिया ने गाड़ी एक रेस्तोराँ के सामने रोकी। हम ने अंदर जा कर ड्रिंक्स ऑर्डर किये। सोनिया ने अपने पर्स में से सिगरेट निकाली और मुझे भी ऑफर की।
“राज, जैसे ही तुम्हारे गले के नीचे पहला पैग जायेगा तुम पर मैं एक बिजली सी गिराने वाली हूँ।” सोनिया ने सिगरेट का कश लेते हुए कहा। मेरे चेहरे पे आये भावों ने उसे मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया। वो भी अपना पैग पीने लगी और फिर बोली, “मैं जानती हूँ आज सुबह से तुम्हारे दिमाग में हज़ारों प्रश्न घूम रहे थे, पर मैं शर्त लगा सकती हूँ कि तुम्हें मुझसे ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी।”
“हाँ मैडम! मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि आप मुझे ये कहेंगी,” मैंने धीरे से सिगरेट का कश लेते हुए कहा।
“राज मैंने तुमसे कहा था कि मेरा नाम सोनिया है..... तो कैसा लगा तुम्हें मेरा प्रस्ताव?” सोनिया मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली। उसका पैग खत्म हो चुका था और वेटर आ कर उसके लिये दूसरा पैग रख गया।
“अगर सच कहूँ तो मुझे डर सा लग रहा है, और मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है।”
“मैं तुम्हें साफ़-साफ़ बताती हूँ, आर्थिक कारणों से मुझे पति की सख्त जरुरत है, और मेरी अपनी मजबूरी है कि जिससे मैं प्यार करती हूँ वो मुझसे फ़िलहाल शादी नहीं कर सकता” सोनिया ने जवाब दिया और अपने ड्रिंक का सिप लिया।
“माफ़ करना मैडम, मेरी समझ में अब भी आपकी बात नहीं आयी,” मैंने कहा।
“मैं तुम्हें ये तो नहीं बता सकती कि मैं अपने प्रेमी से क्यों शादी नहीं कर सकती पर बाकी की सब बातें तुम्हें बताती हूँ। मेरे पिताजी ने अपनी वसियत कुछ अजीब किस्म की लिखी है, ऐसा उन्होंने क्यों किया ये वो ही जानते है.... शायद मेरे चालचलन की वजह से उन्हें मुझ पर उतना भरोसा नहीं था....” कहते हुए सोनिया बीच में रुकी और अपने पैग का बड़ा सा घूँट पी कर सिगरेट के कश लेने लगी।
“आपका चालचलन....?” मैंने जिज्ञासा पूर्वक पूछा।
“हाँ.... उन्हें मेरा स्वच्छंद लाईफ स्टाईल पसंद नहीं था.... यही शराब-सिगरेट पीना, देर रात पार्टियों से नशे में घर लौटना.... और फिर जब मैं कॉलेज में थी तो ड्रग्स भी लेने लगी थी और तब पिताजी ने मुझे ड्रग्स कि लत छुड़ाने के लिये एक क्लिनिक में तीन महिनों के लिये अमेरिका भी भेजा था।” सोनिया ने बताया और वेटर को तीसरा पैग लाने के लिये इशारा किया। मैं तो ये जानने की जिज्ञासा में कि वो मुझसे क्या और क्यों चाहती है, अपनी पहली ही ड्रिंक नहीं खत्म कर पाया था।
“हाँ तो मैं कह रही थी कि पिताजी ने अपनी वसियत में लिखा है कि तीस साल की उम्र तक अगर मैंने शादी नहीं की तो सारी दौलत अलग-अलग धर्म संस्थानों को दान में दे दी जायेगी। सारी दौलत तीन हिस्सों में बाँटी गयी है जिनके तीन ट्रस्टी हैं। ये दौलत मुझे मेरी शादी पर मुझे मिल जायेगी,” अपनी सांसो को काबू करते हुए सोनिया ने कहा और एक और सिगरेट सुलगा ली।
थोड़ी देर अपनी बातों को रोक ग्लास को टेबल से उठा कर ड्रिंक पीने लगी। उसकी आँखों में गहरी चिंता और परेशानी साफ़ नज़र आ रही थी। उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “सात महीनों में मैं तीस साल की हो जाऊँगी। जिससे मैं प्यार करती हूँ वो किसी कारण वश मुझसे शादी नहीं कर सकता और मैं अपनी दौलत को अपने हाथ से जाने नहीं दे सकती। अपनी दौलत बचाने के लिये मुझे एक पति की जरुरत है, पर पति भी कुछ खास किस्म का होना चाहिये।” सोनिया ने अपने पैग का सिप लिया और एक कश लेकर बोली, “राज तुम ध्यान से सुन रहे हो ना मैंने क्या कहा?”
“हाँ मैं सुन रहा हूँ, आप आगे कहें,” मैंने ने कहा।
“तो मुझे एक खास पति चाहिये जो अच्छी तरह समझ ले कि वो सिर्फ़ नाम का ही मेरा पति होगा। जिस्मानी रिश्ता बहुत कम होगा और अगर होगा तो भी एक तरफ़ा होगा। वो ये भी अच्छी तरह समझ ले कि उसका प्रत्यक्ष रूप में काफी अपमान होगा। वैसे अपमान सिर्फ़ दिखावे का होगा जिससे वो पाँच साल बाद मुझसे तलाक ले सके। और इन पाँच सालों में उसे मुझे माँ बनाकर बाप भी बनना होगा। क्या तुम ये काम करने को तैयार हो राज?” सोनिया ने कहा।
“अभी कुछ तय नहीं कर पाया हूँ, आप आगे बतायें कि मुझे क्या मिलेगा ऐसा करके?” मैंने पूछा।
“ठीक है मैं तुम्हें बताती हूँ। तुम्हारे नाम से किसी बैंक में पचास लाख रुपये जमा करा दिये जायेंगे। पर पाँच सालों तक तुम उस रकम को नहीं पा सकते। तुम मेरे साथ रहोगे, और मैं तुम्हारे हर खर्चे का भुगतान करुँगी। तुम्हें घर, गाड़ी जो तुम चाहो, जिस क्लब की मैंबरशिप चाहो, मिलेगी। जेब खर्च के लिये तुम्हें बीस हज़ार रुपये महिना मिला करेंगे। इसके बदले में तुम्हें ये वादा करना होगा कि तुम हमेशा मेरे साथ इमानदार पति बन कर रहोगे। अब अच्छा लग रहा है सुनकर?” सोनिया ने कहा। उसका तीसरा पैग खत्म हुआ और तब तक मेरा पहला ही खत्म हुआ था। उसने हम दोनों के लिये और एक-एक पैग का ऑर्डर दिया। उसकी आँखों में मैं नशा चढ़ते देख सकता था।
“हाँ अच्छा तो लग रहा है, पर कुछ परेशानियाँ हैं।”
“और वो क्या है?” सोनिया ने पूछा।
“तुमने कहा कि हम दोनों में जिस्मानी रिश्ता कम से कम रहेगा और मुझे पत्नि-व्रत बन कर रहना होगा। अब इस उम्र में मैं चुदाई के बिना नहीं रह सकता,” मैंने कहा।
“अगर तुम्हारी चुदाई वाली समस्या का मैं कोई इंतज़ाम कर दूँ तो कैसा रहेगा?” सोनिया ने कहा।
“जो सब तुमने कहा वो सुनने में तो अच्छा लग रहा है, पर दूसरी अड़चनें भी हैं, जैसे मेरा आत्म सम्मान! तुमने कहा कि मुझे अपमान सहन करना होगा, मैं जानना चाहता हूँ कि कहाँ तक?” मैंने पूछा।
“तुम्हें कोई जिस्मानी अपमान या नुकसान नहीं पहुँचने वाला। हाँ बोलने से जरूर अपमान होगा जिससे हमें तलाक लेने में आसानी हो,” सोनिया ने कहा।
“फिर भी कुछ चीज़ें है जिसका मैं खुलासा करना चाहुँगा” मैंने कहा।
अपना पैग पीते हुए सोनिया प्रश्न भरी नज़रों से मुझे देखने लगी। वो सोच में पड़ गयी। मैंने उसके दिमाग की हालत देख कर कहा, “ठीक है अगर तुम्हें मेरी कुछ शर्तें मंज़ूर हों तो मैं ये काम करने के लिये तैयार हूँ।”
“और वो क्या है?” सोनिया ने पूछा।
“हम दोनो के बीच एक लिखित करार नामा बनेगा, जिसमें तुम सब सच-सच लिखोगी। उसमें ये लिखा होना चाहिये कि पाँच साल बाद मुझे पचास लाख रुपये मिल जायेंगे, और अगर किसी कारण वश हमारे बीच ये समझौता पाँच सालों तक नहीं चलता तो भी मुझे ये रकम मिलेगी और उसमें मेरी कोई गलती नहीं होगी, बोलो मंजूर है?
सोनिया थोड़ी देर तक मेरी आँखों की गहराइयों में झाँकती हुई सिगरेट के कश लेती रही और फिर बोली, “ठीक है, मुझे मंजूर है,” और उसने अपना हाथ मिलाने के लिये आगे बढ़ा दिया।
वैसे तो ये सब एक आसान काम साबित हुआ, पर अटपटा भी। उसका प्रेमी एक निहायत ही काईयाँ किस्म का इंसान था। उसका नाम अमित कपूर था। वो किसी कारणवश सोनिया से शादी नहीं कर सकता था, और सोनिया के पिताजी की वसियत के अनुसार सोनिया को तीस साल की उम्र तक शादी भी करनी थी और पैंतिस साल की उम्र तक एक बच्चे की माँ भी बनना था।
सोनिया से शादी करने के बाद मुझे उस उल्लू के पट्ठे अमित को झेलना था। सोनिया की करीबी सहेलियाँ शायद अमित के बारे में जानती थी इसलिये अक्सर उससे पूछा करती थीं कि उसने अमित में ऐसा क्या देखा, पर वो कहावत सच है कि प्यार अंधा होता है।
“राज, मैं जानती हूँ कि कभी-कभी अमित को सहन करना मुश्किल होता है, पर क्या करूँ मैं उससे प्यार भी बहुत करती हूँ। और प्यार में अक्सर ऐसा होता है, है ना राज? और तुम तो खुद ये सब भुगत चुके हो और प्रीती के साथ सहन कर चुके हो। है ना राज?”
“तुम प्रीती के बारे में कैसे जानती हो?”
“मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानती हूँ राज। जिस दिन मैंने तुम्हें अपना किराये का पति बनाने का फ़ैसला किया उसी दिन से तुम्हारे पीछे जासूस लगा दिया था। मैं कोई चाँस नहीं लेना चाहती थी क्योंकि पचास करोड़ दाँव पर है। जब मुझे तुम्हारे और पिताजी के बीच गहरे संबंधों का पता चला तो मुझे लगा कि तुम मेरे काम आ सकते हो। इसलिये मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानना चाहती थी। वैसे एक बात पूछूँ तुम्हें बुरा ना लगे तो, तुम्हें प्रीती से अलग हुए कितना अरसा हो गया?”
“दो साल, ग्यारह महीने, तीन हफ़्ते, दो दिन, तीन घंटे और चालिस मिनट” मैंने जवाब दिया।
“तुमने इतना सब क्यों सहन किया राज?”
“तुम्हीं ने तो कहा कि प्यार अंधा होता है और इंसान प्यार में बहाने तो ढूँढ ही लेता है। अगर उसने अपने किसी प्रेमी के लिये बेवफ़ाई की होती तो शायद मैं उसे माफ़ कर देता पर अपने सगे पिता और भाई के साथ। ये मैं कैसे सहन कर लेता इसलिये उसकी ज़िंदगी से दूर हट गया।”
“तो फिर क्या सोचा राज तुम मेरा ये काम करोगे ना?” सोनिया ने सिगरेट का धुँआ उड़ाते हुए पूछा।
“हाँ करुँगा,” मैंने कहा, “पर ये तुम्हें खुलासा करना होगा कि कम से कम जिस्मानी संबंध और एक तरफ़ा का क्या मतलब है?”
“अच्छा वो?”
“हाँ वो।”
“मैं अमित से बहुत प्यार करती हूँ और उसके प्रति पूरी तरह वफ़ादार रहना चाहती हूँ। उससे मिलने से पहले मेरे कईं लोगों से शारिरिक संबंध थे पर जब से अमित मेरी ज़िंदगी में आया है, तब से मेरे ताल्लुकात सिर्फ उसके साथ ही रहे हैं। शादी के बाद हम दोनों एक बार जरूर साथ में सोयेंगे जिससे शादी पर मोहर लग सके फिर उसके बाद जब बच्चे का वक्त आयेगा तभी जिस्मानी संबंध बनायेंगे। मेरी अपनी कुछ जिस्मानी जरूरते हैं जिसे पूरी करने से अमित इंकार करता है। उन जरुरतों को पुरा करने के लिये तुम मेरी मदद करोगे... इसके लिये वो तैयार हो गया है। वो इसे बेवफ़ाई नहीं मानता है बल्कि कुछ खास परिस्थितियों में एक समझौता समझ सकता है।” सोनिया ने कहा। उसकी आवाज़ में भी अब नशा ज़ाहिर हो रहा था पर मैं उसे और पीने से कैसे रोक सकता था।
“और वो खास परिस्थितियाँ क्या हैं?” मैंने पूछा।
“क्या अभी सब बताना जरुरी है राज?”
“सब सच-सच बताना होगा सोनिया! मैंने पहले ही कहा था। फिर बाद में या पहले तुम्हें बताना तो पड़ेगा ही तो फिर आज क्यों नहीं,” मैंने कहा।
“मुझे अपनी चूत चुसवाने में बहुत मज़ा आता है, पर अमित ऐसा करने से मना करता है, पर तुम अगर मेरी चूत चूसो तो उसे कोई ऐतराज़ नहीं है... सिर्फ़ इतना कि कभी-कभी वो तुम्हें ऐसा करते देखना भी चाहेगा” सोनिया ने कहा।
“जो तुम कह रही हो उसके बारे में तुमने अच्छी तरह सोच लिया है ना?”
“हाँ राज मैंने सोच लिया है, फिर तुम्हें क्या फ़र्क पड़ता है। प्रीती जब दूसरे मर्दों से चुदवाकर आती थी तब तुमने कई बार उसकी चूत चुसी होगी। पर उस वक्त कोई खज़ाना तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रहा था, पर इस बार पचास लाख रुपये तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। सोचो जरा थोड़ी सी चूत चूस कर तुम ये हासिल कर सकते हो। मैं तुमसे वादा करती हूँ कि तुम्हें चूत की कमी नहीं होने दूँगी। सिर्फ़ वो मेरी नहीं किसी और की होगी” सोनिया ने कहा।
मैं मन ही मन सोचने लगा। मेरी उम्र छब्बीस की होने वाली है, और चूत चूसने से अगर पचास लाख रुपये मिलते हैं तो बुराई क्या है। इतने रुपये से मेरी बाकी की ज़िंदगी आराम से कट सकती है। मैं सिगरेट पीता हुआ सोनिया को घूरता रहा और फिर कहा, “मेरी तीन शर्तें होंगी... एक, लिखित समझौता होगा। दूसरा तुम चाहे जिसका इंतज़ाम करो मुझे चूत मिलती रहेगी और आखिरी और अहम शर्त हमारी सुहागरात सिर्फ़ मेरी होगी सिर्फ़ मेरी! बोलो मंजूर है?” मैंने कहा।
“ये सुहागरात वाली बात से तुम्हारा क्या मतलब है?”
“दो बातें हैं। जैसे तुमने कहा कि तुम्हारा प्रेमी मुझे तुम्हारी चूत चूसते देखना चाहता है। पर उस रात नहीं! मैं नहीं चाहता कि उस रात वो तुम्हारे पास भी फ़टके। दूसरी बात वो रात मेरी होगी, पूरी तरह से मेरी। ऐसा नहीं हो कि आधे घंटे में चुदाई खत्म करो और फ़ुटो। उस रात मैं अच्छी तरह और हर तरह से तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूँ, तुम्हें मेरा लंड भी चूसना होगा और गाँड भी मरवानी होगी” मैंने कहा।
“मैं ऐसा नहीं कर सकती राज, ये अमित के साथ बेवफ़ाई होगी।”
“तुम कर सकती हो सोनिया। तुम पहले ही मान चुकी हो कि सुहागरात को हम चुदाई करेंगे वो समझौता है बेवफ़ाई नहीं। फिर समझौता थोड़ी देर का हो या पूरी रात का, क्या फ़र्क पड़ता है एक ही बात है।”
“नहीं राज मैं नहीं कर सकती, ये गलत होगा।”
“सोच लो सोनिया या तो हाँ या फिर तुम किसी और को ढूँढ लो।”
“इतनी छोटी सी बात के लिये तुम पचास लाख रुपये छोड़ने को तैयार हो।”
“और तुम पचास करोड़ खो दोगी।” मैंने कहा।
“मैं किसी और को भी तैयार कर सकती हूँ, तुम ये बात जानते हो राज।”
“हाँ तुम कर सकती हो।” कहकर मैंने टेबल पर मेनू कार्ड उठाया और वेटर को आवाज़ दी।
“राज विषय को बदलो मत।”
“मैं कोई विषय को नहीं बदल रहा। हम यहाँ कोई बात करने आये थे, मैंने अपनी शर्त तुम्हें बता दी और तुमने उसे नकार दिया तो मैंने समझा कि हमारी बात पूरी हो गयी। हम यहाँ खाना खाने आये थे सो वेटर को खाने का ऑर्डर दे रहा था जिससे बाद में मैं टैक्सी पकड़ कर घर जा सकूँ और तुम्हें मुझे छोड़ने की जहमत ना उठानी पड़े” मैंने कहा।
“पर तुम इस एक बात पर क्यों अड़े हुए हो? ऐसी क्या खास बात है इसमें?” सोनिया ने कहा।
“मेरी मानसिक हालात के लिये बहुत जरुरी है, सोनिया।”
“ये तो कोई बात नहीं हुई राज।”
“तुम्हारे लिये नहीं होगी पर मेरे लिये ये बहुत जरुरी है।”
“क्या तुम मुझे जरा खुल कर समझा सकते हो।”
“बड़ी सीधी सी बात है सोनिया। तुमने मुझे पहले ही बता दिया है कि मुझे आने वाले पाँच साल तुम्हारे उस बद-दिमाग प्रेमी को झेलना होगा। मैं कोई बेवकूफ़ नहीं हूँ, आने वाले पाँच सालो की कहानी मैं अभी लिख सकता हूँ। पहले तो वो मुझे चिढ़ायेगा कि मैं अपनी पत्नी को नहीं चोद रहा हूँ बल्कि वो हर रात मेरी पत्नी को चोदता है। जब वो तुम्हें चोद रहा होगा तो मुझे बगल के कमरे में इंतज़ार करना होगा कि कब वो तुम्हारी चुदाई खत्म करे और मैं आकर तुम्हारी चूत को चूसूँ। इसी तरह वो मुझे चिढ़ाकर अपमानित करता रहेगा।”
“उसके हर अपमान पर मैं मुस्कुरा कर उसका जवाब दूँ एक गधे की तरह, नहीं! मैं ये सहन नहीं कर सकता। हाँ मैं करुँगा पर जब मैं उसे देखूँ तो मन ही मन कह सकूँ कि देख मैंने तेरी प्रेमिका की चूत चोदी है, उसके मुँह में अपना पानी छोड़ा है, उसकी गाँड की तो धज्जियाँ उड़ा दी हैं। उसके गर्भ में मेरा बीज है जिससे वो माँ बनने वाली है,” मैंने कहा, “जैसा मैंने कहा सोनिया... ये मानसिक लड़ाई है जो मेरे लिये जरुरी है, फिर तुम्हारा कुछ जाने वाला नहीं है, वैसे भी उस रात तुम मेरे साथ चुदाई करने को तैयार हो तो क्या फ़र्क पड़ता है।”
“राज, मुझे ऐसा लग रहा है कि मुझे एक बार फिर सोचना पड़ेगा। चलो खाने का ऑर्डर देते है, भूख लगी है” सोनिया ने अपना पैग खत्म करते हुए कहा।
खाना खाने के बाद जब हम उठे तो सोनिया नशे में झूम रही थी। मैंने टैक्सी लेने का सुझाव दिया तो उसने मुझे टैक्सी नहीं बुलाने दी। वो बोली कि सालों से वो रात को ड्रिंक करके ड्राईव करती रही है। फिर उसने ज़िद्द करके मुझे भी घर तक छोड़ा। जब मैं गाड़ी से उतर रहा था उसने कहा, “हम फिर बात करेंगे राज पर मुझे सोचने के लिये कुछ वक्त दो।” ये कहकर वो चली गयी।
दो दिन के बाद सोनिया ने मुझे अपने ऑफ़िस में बुलाया और बैठने को कहा। जैसे ही मैं कुर्सी पर बैठा उसने कुछ कागज़ात मेरे सामने रख दिये।
“राज ये एग्रीमेंट जैसे तुमने कहा था वैसे ही बनाया गया है। जहाँ तक हमारी सुहागरात का सवाल है तुम हर वो काम कर सकते हो जो तुम चाहो उसके लिये मैं तैयार हूँ। अब रहा सवाल तुम्हारे लिये किसी पर्मानेंट चूत के इंतज़ाम का तो मैं चाहुँगी कि घर में एक दिखावे की नौकरानी रख ली जाये जिसका असल काम घर की सफ़ाई नहीं बल्कि तुम्हारे लंड की सफ़ाई करना होगा। बाहर वालों को कुछ पता ना चले इसलिये मैं चाहुँगी कि ये सब हमारे घर की चार दिवारी में ही हो। अगर तुम्हें ये मंज़ूर हो तो बोलो।”