Manorama... Six Feet Under Pt. 07

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मनोरमा का सुहाना सफ़र देवरों के साथ
2.3k words
3.68
31.5k
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Part 7 of the 8 part series

Updated 10/31/2022
Created 07/10/2014
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Note: All the characters in this story are 18 years are above.

इस कहानी के सारे पात्र 18 वर्ष या 18 वर्ष से ऊपर हैं।

अब तक आपने पढ़ा -

मनोरमा के विवाह के बाद, उनके सम्बन्ध उनके ससुर शमशेर और दोनों देवरों (राजेश और अनिल) के साथ स्थापित हो जाते हैं. मनोरमा को ये पता चलता है की उसके पिता श्रीराम सिंह के सम्बन्ध उसके घर की पुरानी नौकरानी गुलाबो से हैं. इसी बीच उनके ससुर शमशेर की बहन कमला देवी शहर से गाँव आती है. शमशेर कमला अपने पुराने दिन घर आने के पहले रास्ते में ही ताज़ा करते हैं. शमशेर सरप्राइज के तौर पर अपने भाई बल्ली को भी कमला के साथ के खेल में शामिल करते हैं. पर ये किसी को पता नहीं है की बल्ली की बीवी सुषमा उन तीनों की हरकत कैमरे में कैद कर ली है.

अब आगे पढ़िए -

शमशेर कमला को ले कर हवेली पहचे. मनोरमा ने दरवाजे पर आरती उतार कर हवेली के पुराने तरीके से उसका स्वागत किया. कमला ने मनोरमा को सौ साल जीने का आशीर्वाद दिया.

सब लोग चाय और जलपान कर ही रहे थे की शमशेर का फ़ोन बजा. शमशेर उठ कर बाहर बालकनी में चले गए.

"सफ़र कैसा रहा बुआ जी" मनोरमा ने पूछा.

"एकदम बढ़िया बहु" कमला बोली.

"क्या बस लेट आई थी क्या. काफी टाइम लग गया ससुर जी को वापस आते आते" ,मनोरमा ने पूछा.

मनोरमा की आज की सुबह की ससुर चुदाई नहीं हो पायी थी क्योंकि ससुर को बस स्टैंड जाना था.

बुआ ने बोला, "हाँ ऐसे ही .... थोडा देर हो गयी"

मनोरमा को बुआ की बात में कुछ डाल में काला लगा. उसके ससुर चोदु हैं ये तो उसे पता था. पर भाई बहन के रिश्ते को भी उन्होने नहीं छोड़ा होगा ये बात उसे बिलकुल पता नहीं थी.

कमला को मनोरमा का सवाल सुन कर एक घंटे पहले ही अपनी गांड और चूत में भकाभक पेलाई करते हुए दोनों लौंड़े याद आ गये. पर वो मनोरमा को वो सब कैसे कहती. सो उसने बात बदलने का प्रयास किया.

"बहु, तुम्हारे मायके में सब कैसे हैं"

"एक दम ठीक बुआ जी, कल ही बात हुई थी मेरी", मनोरामा बोली. उसे भी फ़ोन पर सुनी हुई पापा की चुदाई याद आ गयी.

"अरे बहुत के घर से खुशखबरी है. समधी जी का फ़ोन था" कहते हुए शमशेर अन्दर आये.

"सच! बताइए न ससुर जी", मनोरमा ने लगभग सीट से उछालते हुए बोला.

"अरे, तुम्हारे भाई अमित का विवाह तय हो गया है. लडकी शहर में कंप्यूटर कर रही है. अगले हफ्ते बरीक्षा है. बहु, वहां कोई औरत तो है नहीं. इस लिए तुम्हारा वहां होना बहुत जरूरी है." शमशेर बोला.

"जैसा आप ठीक समझें ससुर जी", मनोरमा बोली.

"मैं कल रवि से कहूँगा की तुम्हें तुम्हारे घर ड्राप कर दे. वहां से किसी भी तरह की जरूरत हो तो मुझे फ़ोन जरूर करना" शमशेर ने कहा.

मनोरमा ने जवाब में अपना सर हिला दिया.

अगले दिन मनोरमा जब अपना बैग पैक कर के निकली तो देखा की रवि की बजाय उसके दोनों देवर उसे छोड़ने के लिए आये थे. रवि को काम के सिलसिले में दिल्ली जाना था सो उसने वो काम अपने भाई से बोला. अब ये भाई कोई काम अकेले तो करते नहीं थे इस लिए दोनों आ गए भाभी को छोड़ने.

शमशेर ने तीनों को विदा किया. पुराने मॉडल की पद्मिनी कार में सवार हो कर मनोरमा अनिल राजेश के साथ निकल गयी. शमशेर को ये पता था की ये दोनों रास्ते में कम से एक बार तो अपना काम करेंगे ही. उन्हें मनोरमा का जाना अच्छा भी लग रहा था और बुरा भी. अच्छा इसलिए की उन्हें अपनी बहन कमला पर पूरा ध्यान देने को मिलेगा. बुरा इस लिए की अब उनकें मनोरमा की जवान चूत मिस होगी. पर जीवन में रोज सब कुछ नहीं मिलता ऐसा सोच कर वो मेहमान कच्छ की तरफ बढे जहाँ कमला ठहरी हुई थी.

इधर मनोरमा की कार गाँव से थोडा आगे निकली नहीं की राजेश ने गाडी रोक कर मनोरमा को आगे अपने और राजेश के बीच में बिठा लिया. पाठकों को ये बता दूं की उस जमाने की पद्मिनी कार में गियर स्टीयरिंग व्हील के साथ होते थे. इसलिए आगे की सीट में तीन लोग बैठ सकते थे.

मनोरमा तो जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रही थी. पर पहल करने का उसका कोई मूड नहीं था. उसने उस दिन लो-कट ब्लाउज बहना हुआ था. दोनों देवर उसके मम्मे निहार रहे थे. मनोरमा दोनों हाथों से उन्हें और ऊपर उठा लिया था. उसने ध्यान दिया कि राजेश और अनिल के पतलुनों के जिपर पूरी तरह ताने हुए थे. क्योंकि उनके लौंड़े बुरी तरह खड़े थे.

"भाभी तुम्हारी छाती देख के हमारे डंडे बिलकुल तन गए हैं", अनिल बोला.

"देवर जी, मेरे से गलती हो गयी. लगता है मुझे कुछ और पहनना था. क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर्रूँ इस मामले में", मनोरमा ने उसे छेड़ा.

"अरे भाभी ये हमारे लंड नहीं खड़े हैं. ये तो हमारा अंदाज़ है आपके हुस्न और जवानी को सलाम करने का", राजेश बोला और उसने अपनी चैन खोल कर अपने 8 मोटे लंड को आज़ाद कर दिया.


"सलाम करने वालो को मेरा चुम्मा", मनोरमा ये कहते हुए राजेश के लंड पर अपने होठ टिका दिए.

अनिल ने मौके की नजाकत को समझते हुए गाड़े साइड में एक फैक्ट्री की तरफ मोड़ ली. वो फैक्ट्री एक साल पहले बंद हो गयी थी और उस तरफ कोई जाता नहीं था. उसे पता था की फैक्ट्री के आस पास उसके प्लान के लिए अच्छी जगह होगी.

अनिल ने जगह देख कर गाडी रोकी और तीनों बाहर आ गए. अनिल ड्राईवर की साइड से बाहर निकला. मनोरमा राजेश का लंड पकड़ कर बाहर निकली जैसे कोई किसी स्कूटर का हैंडल पकड़ कर उसे चलाता है. अनिल पास में आया और मनोरमा की चुंचियां दबाने लगा.

"राजेश भाई ये भाभी की चुंचियां आज कुछ ज्यादा बड़ी नहीं लग रहे हैं." अनिल बोला.

"अरे भाभी के चुन्ची और गांड दोनों दिन पर दिन साइज़ में बढ़ते जा रहे है" कहते हुए राजेश ने मनोरम की गांड पर एक चपत रसीद कर दी.

मनोरमा को इस वीराने में चुदवाने में थोडा डर लग रहा था. पर इसका मज़ा ही अलग था. उसको चोदने वाले लोग उसके अपने देवर थे. इसलिए जल्दी ही उसने अपना पूरा मन चोदने पर केन्द्रित किया.

कुछ पलों में ही दोनों देवरों ने अपनी भाभी को एक नंगा कर दिया. मनोरमा झुक कर राजेश का लंड चूसने लगी. और अनिल मनोरमा की गांड की तरफ बैठ कर उसकी चूत की दरार पर अपनी जीभ चलाने लगा. मनोरमा को इन दो कुत्तों की कुतिया बनने में जो मज़ा आ रहा था उसका बयान करना मुश्किल है. अनिल जो मज़ा उसकी चूत को दे रहा था, वो सारा मज़ा राजेश के लौड़े को चूस चूस कर उसे वापस कर रही थी. थोड़े ही देर में राजेश के लंड ने अपना माल उसके मुंह में उड़ेल दिया जिसे वो पी गयी. लगभग इसी समय उसकी चूत से उसका रस अनिल की जीभ पर झड गया. अनिल अपना लंड अपने हांथों से हिला रहा था.

तीनों फैक्ट्री के हाते में पड़े हुए तखत पर बैठ गए. अनिल सीधा लेट गया. मनोरमा ने अनिल की चूत चुसाई के इनाम के रूप में उसका लंड चूसना प्रारंभ कर दिया. राजेश साइड में बैठ कर मनोरमा की चूत की अपनी दो उँगलियों से चोदने लगा.

अनिल ने मनोरमा से बोला, "भाभी, आज आप घोड़े की सवारी कर लो"

मनोरमा अपने देवर का इशारा तुरंत समझ गयी. उसने उसके लंड को अपने मुंह से गीला कर की रखा था. थोडा सा एक्स्ट्रा थूंक हाथों से अनिल के लौंड़े को लगाया और उठ कर वो अनिल के लंड के ऊपर बैठ गयी. अनिल ने अपना लंड चूत के छेद पर भिड़ाया. मनोरम ने अपना वज़न धीरे शीरे अनिल के लौंड़े पर रिलीज़ किया. चूत एकदम गीली थी सो लंड आराम से जैसे स्लो मोशन से उसकी चूत के अन्दर चला गया. अनिल ने उसके दोनों मम्मे अपने हाथो से दबाने शुरू कर दिया. और अपनी कमर उठानी शुरू कर दी. मनोरमा को इस "घोड़े" की सवारी बड़ी अच्छी लग रही थी.

राजेश भाभी के गोरे नंगे चूतड़ों को अनिल के लंबे लंड पर ऊपर नीचे जाते देख रहा था. हालाँकि थोड़े देर पहले ही उसने अपना वीर्य भाभी के प्यारे से मुंह में जमा किया था, इस चुदाई को देख कर उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. वह तखत पर भाभी के चूतड़ों के ठीक ऊपर खड़ा हो गया. तखत पर खड़े हो कर ऊँचाई से उसने चूरों तरफ एक निगाह मारी. दूर दूर तक कोई नहीं था. .

मनोरमा ये सोच कर खुश हो रही थी कि आज फिर उसकी चूत नें दो दो लौंडे जायेंगे. पर वो ये भूल गयी थी की ये दोनों हरामी हर बार कुछ नया करते हैं. राजेश ने अपने हाथ पर थूका और सारा थूक अपने लंड पर लगाया. उसने लंड के सुपाडे पर खूब सारा थूक लगाया. अनिल शायद समझ चूका था की आज भाभी के साथ क्या होने वाला है. सो जैसे ही राजेश झुका अनिल ने अपने धक्के एकदम धीमे कर दिए.

राजेश ने अपना थूक से सना हुआ लौंडा मनोरमा भाभी की गांड के छेद पर भिड़ाया और इसके पहले भाभी अपनी गांड उचका का उसका हमला विफल करती, उसने पूरा का पूरा सुपाडा अन्दर पेल दिया. राजेश और अनिल दोनों ने मनोरमा की गांड जोर से पकड़ राखी थी. राजेश ने भाभी के चूतडों को दोनों हाथों से उतना फैलाया ताकि गांड का छेद और चौड़ा हो जाए और उसका बाकी का लौंडा अन्दर जा सके. उसने सुपाडा बाहर खींच कर भाभी की गांड के छेद पर उंगली से थोडा और थूंक लगाया. इस बार उसने लंड भिड़ा कर आधा घुसेड दिया.

मनोरमा को ऐसा लगा जैसे उसकी गांड की रिम 3-4 जगह से फट गयी है. उसे लगा जैसे वहां से खून निकल रहा है.

"अरे हराम के जनों, मेरी गांड फाड़ दी. खून निकल दिया हरामियों... ये क्या किया सालों..."

मनोरमा दर्द से चिल्लाई.

"अरे भाभी आपका खून नहीं निकल रहा है...हम आपके देवर हैं आपके हुस्न के पुजारी है, कोई बलात्कारी नहीं जो ऐसा काम करेंगे."

राजेश ने सांत्वना देते हुए समझाया.

अब तक मनोरमा को मज़ा आने लगा था. वह अपनी गांड हिला हिला कर दोनों के लौड़े लेने लगी.

"राजेश भैया, भाभी की गांड कैसे लग रही है." अनिल ने पूछा

"अरे, अनिल पूछ मत. अगर भाभी की चूत बर्फी है, तो गांड मस्त मलाई" राजेश हाँफते हुए बोला.

"अरे सालों, भाभी को पूरी हलवाई की दूकान बना डाला", मनोरमा ने हँसते हुए बोला.

"अनिल, क्या तुम्हें मलाई का स्वाद नहीं चखना है" मनोरमा ने अनिल का मजाक उडाते हुए पूछा.

दोनों भाइयों ने भाभी का इशारा तुरंत समझ लिया.

मनोरमा के शरीर में घोंपे गए दोनों लौड़े तुरंत निकाल लिए गए. राजेश तख़त के किनारे बैठ गया. उसके पैर फर्श पर रखे थे. मनोरमा आ कर उसके छाती से अपनी छाती भिडाकर बैठ गयी. उसकी चूत इतनी गीली थी की राजेश का लंड उसमें गपाक से समां गया. अनिल फर्श पर खड़ा था. उसे अपने लंड को मनोरमा की गांड के छेद के निशाने पर आने के लिए थोडा झुकना पड़ा. एक बार लंड महराज गांड के छेद पर पहुचे तो तुरंत गांड के अन्दर. मनोरमाँ की गांड ने अभी अभी राजेश का लौंडा लिया था. राजेश का मोटे लंड से मनोरमा भाभी की गांड आलरेडी थोडा फ़ैल गयी थी इस लिए अनिल का लम्बे लंड को अपनी गांड में गपाक से लेने में मनोरमा भाभी को जरा भी तकलीफ नहीं हुई.

"अरे, जम के पेलो अपनी भाभी को. तुम दोनों दुनिया के सबसे बड़े चुककड़ हो हरामियों.."

मनोरमाँ ने अपने देवरों को ललकारा.

राजेश और अनिल समझ गए की भाभी अब अपना रस छोडने ही वाली है. उन्होंने अपने लंड की रफ़्तार बाधा दी.

"फाड़ दो मेरी....ईई....सी...सी... मैं गयी रे ...इ....इ...." मनोरमाँ चिल्लाई

"ये ले भाभी....तुम्हारी गांड में मेरा रस ले ......." अनिल झड़ते हुएबोला.

इसी बीच, राजेश का मोटा लौंडा मनोरमा भाभी की चूत में अपना छोड़ रहा था. मनोरमा और राजेश दोनों का रस बह कर राजेश की गोलियों पर बह रहा था. राजेश ने मनोरमा को ज़ोरों से चूम लिया.

तीनों हाँफते हुए वहां तखत पर लेट गए. मंद मंद हवा बह रही थी. चिड़ियों की आवाज माहौल को बड़ा सुन्दर बना रही थी.

राजेश और अनिल दोनों को मनोरमा का अपने मायके जाना बुरा लग रहा था. कौन सुबह सुबह उनके खड़े लंड को शांत करेगा... तबेले में तो बड़ी शान्ति हो जायेगी..

मनोरमा सोच रही थी की मायके में वो अनिल और राजेश की गरम चुदाई को मिस करेगी. पर राम नगर में उसके आशिकों की कमी नहीं थी. वह मन ही मन अपने पिता को गुलाबो के साथ पकड़ना चाहती थी. शमशेर से चुदवाने के बाद उसकी चूत को सफ़ेद बाल की झांटों वाले लंड से चुदने का जैसे नशा हो गया था. पर पापा के बारे में ऐसा सोच के भी उसे अजीब लगा रहा था.

तीनों ने अपने कपडे पहने. चुदाई की कसरत के बाद, तीनों को भूख लग गयी थी. अगले 5-6 किलोमीटर पर एक ढाबा था जहाँ का खाना बड़ा फेमस था, वहीँ खाने का प्लान बना.

इस बार राजेश और मनोरमा भाभी पीछे की सीट पर जा कर बैठ गए. अनिल ने कार आगे बढाई. मेन रोड पर जा कर जब वो गाडी का रियर व्यू मिरर सेट कर रहा था, उसमें उसने देख की भाभी की नंगी गांड ऊपर नीचे हो रही है.

अनिल ने अपना सर पीट लिए और बडबडाया, "कुछ लोगों को साला हमेशा चोदने के अलावा कुछ सूझता नहीं है. अभी अभी छोड़ के निकले हैं और अब फिर से कार के अन्दर चालू. अरे जल्दी करो लेकिन...ढाबा आने ही वाला है..."

मनोरमा हँसते हुए बोली, "देवर जी थोडा धीरे चलिए न, अगले टाइम आप ले लीजियेगा ये वाला स्पेशल सीट और अपनी भाभी के साथ जम के मजा लीजियेगा आप भी".

इस बात पर तीनों हंसने लगे.

प्यार और मोहब्बत से इस तरह से साथ में रहने की मिसाल अजीब तो है पर इसमें सबके लिए आनंद ही आनंद है.

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