नेहा का परिवार 02

Story Info
Incestuous adventures of Neha.
2.4k words
3.61
59k
3

Part 2 of the 22 part series

Updated 06/08/2023
Created 11/03/2016
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नेहा का परिवार Chapter 2

लेखिका:सीमा

*******************************************************

कहानी के सारे पात्र कहानी विवरण के समय अट्ठारह साल के या उसके ऊपर हैं।

***************************************************

दोस्तों, मैं तो बस बड़े मामाजी,दुसरे परिवार के सदस्यों और नेहा के प्यार का विस्तृत वर्णन ही कर रहीं हूं। उन्हें किस किस तरह तरह की रति-क्रिया से सुख मिलता है उस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं है। आशा है कि पाठकगण भी उनकी निजी काम-इच्छाओं का आदर करेंगे और बुरा नहीं मानेगें।

सीमा

**************************************************************

————२————

नाना, दादा और दादी जी को सारे परिवार को एक जगह इकट्ठा देख कर बहुत सुख मिला. तीनो बहुत खुश और संतुष्ट लग रहे थे. सारी शाम बहुत हसीं-मजाक चलता रहा.

बेचारी नीलम भाभी की तो हालत खराब हो गयी. अंजू भाभी के मज़ाक से दादा, नाना और दादी जी भी हसीं रोक नहीं पाए.

अंजू भाभी, मैं और नीलम भाभी खाने के बाद नीलम भाभी के बंगले में चले गए. अंजू भाभी ने बंगला बहुत ही अच्छे से सजा रखा था. सब तरफ फूलों की मालाएं और गुलदस्ते बिखरे हुए थे. अंजू भाभी का काम में नीलम को सुहाग रात के लिए तैयार करना भी था. अंजू भाभी ने नीलम के कपड़े उतारने शुरू कर दिए. अंजू भाभी के अश्लील मज़ाक मुझे भी कसमसा रहे थे. नीलम भाभी का सुंदर मूंह शर्म से लाल हो गया था.

नीलम भाभी अब बिलकुल नग्न थीं. मेरे सांस मुश्किल से काबू में थी. नीलम भाभी का सुंदर गुदाज़ शरीर मुझे भी प्रभावित कर रहा था. उनके बड़े-बड़े भारी स्तन अपने वज़न से थोड़े ढलक रहे थे. उनकी सुंदरता की एक अच्छे मूर्तिकार की किसी देवी की मूर्ती से ही तुलना की जा सकती थी. नीलम भाभी की सुडौल भरी कमर के नीचे मुलायम काले घुंघराले बालों से ढकी हुई योनी ने मुझे भी प्रभावित कर दिया. नीलम भाभी की मांसल टाँगे उनके भारी गोल नितिम्बों के उठान को और भी खूबसूरत बना रहीं थीं.

अंजू भाभी ने बिना किसी शर्म के नीलम भाभी के दोनों उरोजों को दोनों हाथों से मसल दिया, "नीलू, कल सुबह, इन दोनों सुंदर चूचियों नीले दागों से भरी होंगी. मनू भैया इन सुंदर चूचियों को खा जायेंगें."

नीलम भाभी शर्मा कर हंस दी. अंजू भाभी ने नीलू भाभी को एक झीने सिल्क का साया पहना दिया. अंजू भाभी ने नीलम भाभी को खूब सता कर बिस्तर में लिटा कर विदा ली.

वापसी में मुझसे रहा नहीं गया, "अंजू भाभी सुहागरात में मनू भैया क्या-क्या करेंगे नीलम भाभी के साथ."

अंजू भाभी पहले थोड़ा हंसी, "नेहा, मनू नीलम की आज रात पहली बार चूत मारेगा. नीलम को पता नहीं है की मनू का लंड कितना बड़ा है."

मेरी जांघों के बीच में गीलापन भर गया, "भाभी आपको कैसे पता की मनू भैया का ल ..ल ..लंड कितना बड़ा है?"

थो "नेहा, मैंने मनू को पेशाब करते हुए देखा है. वास्तव में मैंने मनू को बावर्ची की बेटी को चोदते हुए देखा है. मनू की चूदाई कोई लड़की नहीं भूल सकती."

"अंजू भाभी क्या नरेश भैया का लंड भी उतना बड़ा है?"

बातें करते हुए हम मेरे कमरे तक पहुँच गए थे, "नेहा, इस घर के सारे मर्दों के लंड दानवीय माप पर बने हैं. तुम्हारे नरेश भैया का लंड भी महाकाय है. जब उन्होंने पहली दफा मेरी चूत मारी तो मैं सारी चुदाई में रोती ही रही दर्द के मारे. पर अब मुझे उनके लंड से अपनी चूत मरवाए बिना चैन नहीं पड़ता. जब तुम्हारे भैया ने पहली बार मेरी गांड मारी तो मैं तीन दिन तक पाखाने नहीं जा पाई."

अंजू भाभी ने मेरे होठों पर प्यार से चुम्बन दिया फिर फुसफुसा के मेरे कानो में कहा, " नेहा, यदी रात में मेरी बातों से चूत गीली और खुजली से परेशान कर रही हो तो हमारे कमरे में आ जाना. तुम्हारे नरेश भैया को मैं तुम्हारी चूत के मालिश करने को मना लूंगी."

मैं बहुत शर्मा गयी. मेरा मूंह बिलकुल गुलाब की तरह लाल हो गया. नीलम भाभी का मेरे भाई से मेरी चूत मरवाने के ख्याल से ही मेरी हालत बुरी हो गयी.

अंजू भाभी मेरी स्तिथी को भांप गयी थी, "नेहा, अच्छे से सोना. प्यार सबसे बड़ा आशीर्वाद होता है. समाज के प्रतिबन्ध तो कम अक्ल के लोगों के लिए होतें हैं." अंजू भाभी की गम्भीर और गहरी बात की महत्वता अगले कुछ दिनों में सत्य हो जायेगी.

*****३*********

मैंने अपने कपड़े बदल लिए. बाथरूम में पेशाब करते हुए मुझे अपनी चूत में से सुगन्धित पानी निकलता मिला. मैंने हमेशा की तरह ढीली-ढाली टीशर्ट पहन ली. मै रात में कोई ब्रा और जाँघिया नहीं पहनती थी. मेरे दीमाग में मनू भैया का लंड नीलम भाभी की चूत के अंदर घुसने की छवि समा गयी थी. मैं बिलकुल सो नहीं पाई. आखिर में मैंने हार मान ली. मेरे वासना से गरम मस्तिष्क ने हर किस्म का ख़तरा उठाने का इरादा कर लिया.

मैंने गरम पश्मीना शौल ओड़ कर कमरे से निकल पड़ी. जिस बंगले में मनू भैया और नीलम भाभी की सुहागरात का इंतज़ाम किया गया था उसके बाहर एक खिड़की थी जो एक संकरे गलियारे की वजह से दूर से नहीं दिखती थी.

मैंने धीरे से गलियारे में पहुँच कर धीरे से खुली हुई खिड़की को धक्का दिया. फूलों की माला से खिड़की बंद ही नहीं हुई थी. बाहर अन्धेरा था. अंदर मंद बिजली थी.

मैंने अपनी शॉल कस कर अपने शरीर पर लपेट ली,वायू में थोड़ी सी ठण्ड का अहसास होने लगा था. यदी कोई भी मुझे भैया-भाभी के कमरे में झांगते हुए देख लेता तो मेरी सारी ज़िन्दगी शर्मिन्दिगी से भर जाती. पर मेरी कामवासना और उत्सुकता ने मेरे डर को काबू कर लिया.

कमरे में नीलम भाभी बिलकुल वस्त्रहीन थीं. उनके बड़े मुलायम उरोज़ मनू भैया के हाथों में थे. मेरा जिस्म बिलकुल गरम हो गया. मनू भैया ने अपने मूंह में नीलम भाभी का बायां निप्पल ले लिया. मनू भैया, लगता था कि वो ज़ोर से भाभी का चूचुक चूस रहे थे. नीलम भाभी के मूंह से सिसकारी निकल पडी. नीलम भाभी का चेहरा बिलकुल साफ़ साफ़ तो नहीं दिख रहा था पर फिर भी उनकी आधी बंद सुंदर आँखें और आधा खुला ख़ूबसूरत मूंह उनकी काम-वासना और आनंद को दर्शा रहे था. मैंने हिम्मत करके खिड़की थोड़ी और खोल दी.

मनू भैया ने नीलम भाभी का सारा शरीर चुम्बनों से भर दिया. दोनों ने फिर से अपने खुले मूंह ज़ोर से एक दुसरे के मूंह से चिपका दिए. भैया के दोनों हाथ भाभी के दोनों चूचियों से खेल रहे थे. भाभी का हाथ भैया के पजामे के ऊपर पहुँच गया और भैया के लंड को सहलाने लगा.

मेरी छाती हिमालय की चोटी के सामान शॉल में से उभर रही थी. मेरी सांस तेज़-तेज़ चलने लगी. मुझे अपनी जांघों के बीच में गीलापन का अहसास होने लगा. मेरा दायाँ हाथ अपने आप मेरी बाये उरोंज़ को सहलाने लगा. मेरा निप्प्ल बहुत जल्दी लंबा और सख्त हो गया. मेरा चूचुक [निप्पल] बहुत संवेदनशील था और मेरा हाथ के रगड़ से मेरे बदन में बिजली की लहर दौड़ गयी. मैंने बड़ी मुश्किल से अपने मूंह से उबलती सिसकारी को दबा पाई.

अंदर कमरे में भाभी ने भैया का पजामा खोल कर नीचे कर दिया था. भाभी अपने घुटनों पर बैठीं थी और उनका मूंह भैया की जाँघों के सामने था. भैया के शक्तिशाली मज़बूत नितम्ब आगे पीछे होने लगे . मेरा दिल अपने भैया का नंगा बदन खाली पीछे से देख कर ही धक्-धक् करने लगा. नीलम भाभी के मूंह से उबकाई जैसी आवाज़ सुन कर मुझे लगा िक भाभी भैया का लंड चूस रही थी. काश मैं भाभी का मूंह भैया का लंड चूसते हुए देख पाती.

नीलम भाभी ने मनू भैया का लंड काफी देर तक चूसा. भैया कभी-कभी ज़ोर से अपने ताकतवर नितम्बों से अपना लंड भाभी के मूंह में ज़ोर से धकेल देते थे. भाभी के मूंह से ज़ोर की उबकाई जैसी आवाज़ निकल पड़ती थी पर भाभी ने एक बार भी अपना मूंह भैया के लंड से नहीं हटाया.

मेरा हाथ अब मेरे उरोज़ को ज़ोर से मसल रहा था. मैंने अपना निचला होंठ, अपनी सिस्कारियों को दबाने के लिए अपने दातों में भींच लिया.

मनू भैया ने नीलम भाभी को अपने मान्स्ली मज़बूत बाज़ूओं में उठा लिया और प्यार से उनको बिस्तर पर लिटा दिया.

नीलम भाभी ने अपने दोनों टाँगे खोल कर अपने बाहें फैला दीं, "मनू अब मेरी चूत में अपना घोड़े जैसा लंड दाल दो. मेरे पिताजी ने कितने महीनो मुझे इस दिन का इंतज़ार करवाया है. अब तुम अपने लंड से मेरी चूत को खोल दो."

नीलम भाभी की वासना भरी आवाज़ ने मेरे मस्तिष्क को कामंगना से भर दिया. मेरा पूरा शरीर में एक अजीब किस्म की एंठन होने लगी. मेरी सांस मानो रुक गयी. में भैया के लंड को भाभी की चूत के अंदर जाते हुए देखने के लिए कुछ भी कर सकती थी.

मेरा सारा ध्यान अंदर के दृश्य पर था. मुझे पता भी नहीं चला कि एक बहुत लम्बा चौड़ा पुरुष मेरे पीछे काफी देर से खड़ा था. अचानक उसने मुझे अपनी मज़बूत बाज़ू में जकड़ लिया और दुसरे हाथ से मेरा मूंह बंद कर दिया. मेरा सर उसके सीने तक भी मुश्किल से पहुच रहा था.

"श..श..श...चुप रहो," उसकी धीमे भरी आवाज़ मुझे बिलकुल भी पहचान नहीं आई.

मैं काफी डर गयी. पर नानाजी के घर के किसी भी नौकर की घर की स्त्रियों के साथ इस तरह व्यवहार करने की हिम्मत नहीं थी. उसने मुझे या तो कोई नौकरानी अन्यथा किसी नौकर की बेटी या बहिन समझा होगा.

**********४************

उस अजनबी पुरुष का एक हाथ मेरे दोनों उरोज़ों पर था. उसके हाथ के दवाब ने मेरे चूचियों को और भी संवेदनशील बना दिया. मेरा बदन अब बुरी तरह से कामान्गनी में जल रहा था. मेरी उत्तेजना और भी बड़ गयी और मेरी वासना ने मेरे डर और दिमाग पर काबू पा लिया. मेरा सिर अपने आप उस वृहत्काय आदमी की मज़बूत सीने से लग गया. मेरे शरीर की प्रतिक्रिया ने उस आदमी की, यदि कोई भी झिझक बची हुई थी तो वो भी दूर कर दी.

उसने मेरे मूंह से अपना हाथ हटा लिया. उसने दोनों हाथों से मेरे दोनों उरोज़ों कमीज़ के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया. मेरी सांसों में तूफ़ान आ गया. मेरी गले में सिसकारियां भर गयीं जो मैंने बड़ी मुश्किल से दबा दीं. उसके हाथों ने मेरे निप्पल को बहुत संवेदनशील और सख्त बना दिया. मैं और पीछे होकर अपने शरीर को उसके विशाल काया से चिपका दिया. हम दोनों की निगाहें अंदर कमरे में भैया-भाभी के बीच हो रहे सहवास पर एकटक लगी हुईं थीं.

मेरे भैया ने अपनी मज़बूत बाँहों में नीलम भाभी को ऊठा कर बड़े प्यार से बिस्तर पर लिटा दिया था. नीलम भाभी ने अपने दोनों गुदाज़ मांसल जांघें मोड़ कर पूरी चौड़ा दीं. उनकी रेशमी घने घुंगराले काले बालों से ढकी गीली चूत मेरे भैया को मानों अमिन्त्रित कर रही थी,"मनू, अब मुझसे और नहीं बर्दाश्त होता. मेरे पिताजी के िज़द की वजह से मेरा कौमार्य तुम्हरे लंड से इतने अरसे से दूर रहा.अब तुम अपने घोड़े जैसे लंड से मारी चूत का कुंवारापन मिटा दो."

भैया जल्दी से मेरी भाभी की खुली टांगों के बीच में बैठ गए. भाभी के गले से एक हल्की चीख निकल गयी. भैया ने अपना लंड भाभी के चूत में डालना शुरू कर दिया था. भैया ने अपना विशाल महाकाय शरीर से भाभी की मांसल कोमल काया को ढक दिया. भैया के बलवान हृष्ट-पुष्ट नितम्ब ने मेरी किशोरी वासना को और भी उत्तेजित कर दिया.

भैया के नितम्बो की मांसपेशिया थोड़ी संकुचित होई और भैया ने बड़े ज़ोर से अपने कूल्हों को नीचे धक्का दिया. कमरे की दीवारें नीलम भाभी की दर्द भरी चीख से गूँज ऊंथी. मेरी सांस रुक गयी. मेरी चूत अपने आप संकुचित हो गयी. भाभी की चीख ने मुझे उनकी चूत पर भैया के लंड के प्रभाव का अन्दाज़ा दे दिया था.

अजनबी आदमी ने मेरा एक बड़ा कोमल स्तन अपने बड़े हाथ में जितना भर सकता था भर कर दुसरे हाथ की उँगलियों से मेरी भगशिश्निका [क्लाइटॉरिस] को सहलाने लगा. यदि मेरे सामने भैया-भाभी की चुदाई नहीं होती तो मेरे आँखें उन्मत्तता की मदहोशी से बंद हो गयीं होतीं.

भैया ने, मुझे लगा, बड़ी बेदर्दी से नीलम भाभी के चीखों को नज़रअंदाज़ कर के अपने ताकतवर नितम्बों की मदद से अपना लंड भाभी की चूत में घुसाते रहे. अब भाभी के रोने की आवाज़ भी उनकी चीखों के साथ मिल गयी,"आँ.. आँ ..आह..मनू..ऊ...ऊ...मेरी चूत फट गयी. अपना लंड बहर निकाल लो प्लीज़," नीलम भाभी सिस्कारियां मेरे दिल में सुइओं की तरह चुभ रहीं थीं. मेरा मन अंदर जा कर नीलम भाभी को सान्तवना देने के लए उत्सुक हो रहा था. उसी वक़्त मेरे भग-शिश्न पर उस आदमी की उँगलियों ने मेरी मादकता को और परवान चड़ा दिया.

मनू भैया ने या तो भाभी का रोना और चीखें नहीं सुनी अथवा उनकी बिलकुल उपेक्षा कर दी.

भैया के गले से एक गुरगुराहट के आवाज़ निकली और उनकी कमर की मांसपेशियां और भी स्पष्ट हो गयी कि वो अपनी विशाल शरीर की ताकत से भाभी की चूत में अपना लंड डालने का प्रयास कर रहे थे.

भैया ने अपना लंड थोडा बहर निकला और कुछ देर रुक कर, बिलखती हुई नीलम भाभी की चूत में निर्दर्दी के साथ अपना लंड पूरा जड़ तक धकेल दिया. नीलम भाभी की चीख से लगा जैसे भैया के लंड ने उनकी चूत फाड़ दी हो.

"आं...आँ...आँ...मई मर गयी....ई..ई...ई. मेरी चूत फट गयी मनू..ऊ..ऊ.बहुत दर्द कर रहे हो.मेरी चूत तुम्हारा लंड नहीं ले सकती. प्लीज़ निकल लो बाहर. हाय माँ मुझे बचा लो." नीलम भाभी की दिल से निकली दर्दभरी पुकार सुन कर भी मेरी काम-वासना में कोई कमी नहीं आई. मेरी चूत में अब आग लगी होई थी. उस वक़्त यदी मुझे कोई मौका देता तो मैं एक क्षण में नीलू भाभी से स्थान बदल लेती.

मेरे अजनबी प्रेमी ने मेरे भगांकुर [क्लित] को तेज़ी से रगड़ना शुरू कर दिया. मेरी सांस अब अनियमित हो गयी थी. उसका हाथ मेरी बड़े कोमल उरोंज़ को मसल रहा था और उसकी उंगलियाँ मेरे चूचुक को मरोड़ रही थीं. मुझे अब लगाने लगा कि, किसी दुसरे के स्पर्श से, मेरा पहला रति-निष्पत् होने वाला था.

मैं धीरे से फुफुसाई,"आह..आह..और मैं आने वाली हूँ. प्लीज़ मुझे झाड़ दो."

उस आदमे ने मेरे सिर पर चुम्बन किया और उसकी उँगलियों ने मेरे भंगाकुर को तेज़ी से सहलाना शुरू कर दिया. मेरी चूत और चूची, दोनों में एक अजीब सी जलन हो रही थी. उस जलन को बुझाने की दवा उस आदमी के हाथों में थी. कुछ क्षणों में ही मेरा शरीर अकड़ गया. मेरी सांस मुश्किल से चल रही थी. मेरे चूत के बहुत अंदर एक विचित्र सा दर्द जल्दी ही बहुत तीव्र हो गया. मेरे अजनबी प्रेमी ने मुझे अपने शरीर से भींच लिया. मेरी चूत झड़ने लगी और मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गयी. मुझे काफी देर तक कोई होश नहीं रहा. मुझे काफी देर में अपनी अवस्था का अहसास हुआ. मैंने अपना शरीर पूरा ढीला अपने अपरिचित प्रेमी के शरीर पर छोड़ दिया.

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Anonymous
7 Comments
AnonymousAnonymousalmost 5 years ago
क्या आप पारिवारिक मां बेटे और पूरे परिवार की चुदाई की कहानी लिख सकते हो

आप में वह जज्बा है वह आग और ताकत है

प्लीज मेरे लिए लिखो

S h a n k g o r e 1 2 3 @ g m a i l . C o m

AnonymousAnonymousalmost 7 years ago
अति उत्कृष्ठ हिंदी

भाषां पर बहुत बढिया कमांड हैं

AnonymousAnonymousover 7 years ago
This is really good Hindi erotica

Great work Seema.

I shall keep chasing the coming chapters

harrie1963harrie1963over 7 years ago
Very good style and prose

Your command of hindi and style of prose can do anyone proud

Thanks

Harrie

AnonymousAnonymousover 7 years ago
Very Good

I am already taken in but your story .Please keep it up.

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