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Click hereमैं दर्द से बिलबिला रही थी पर मेरी आवाज़ मामाजी ने अपने मुंह से घोंट दी थी. मेरे नाखून मामाजी की पीठ की खाल में गड़ गए. मैंने बड़े मामा की पीठ को अपने नाखूनों से खरोंच दिया.
मैं उनसे अपनी फटी चूत में से मामाजी का महाकाय लंड बाहर निकालने की याचना भी नहीं कर सकती थी. यदि इसको ही चुदाई कहते हैं तो मैंने मन में गांठ मार ली कि जब मामाजी ने मुझे इस यंत्रणा से मुक्त कर देंगे तो उसके बाद सारा जीवन मैं चूत नहीं मरवाऊंगी .
मुझे ज्ञात नहीं कि मैं कितनी देर तक रोती बिलखती रही. मेरे आंसू और नाक निरन्तर बह रही थी. काफी देर के बाद मुझे थोडा अपनी स्तिथी का थोड़ा अहसास हुआ. मैं अब रो तो नहीं रही थी, पर जैसे लम्बे रोने के बाद होता है, वैसे ही कभी-कभी मेरी हिचकी निकल जाती थी. बड़े मामा का मुंह मेरे मुंह पर सख्ती से चुपका हुआ था. मेरी चूत में अब भी भयंकर दर्द हो रहा था. मुझे लगा कि जैसे कोई मूसल मेरी चूत में घुसड़ा हुआ था.
बड़े मामा ने धीरे से मेरे मुंह से अपना मुंह ढीला किया, जब मेरे मुंह से कोई दर्दनाक चीख नहीं निकली तो मामाजी अपना मुंह उठा कर बोले, "नेहा बेटा, आपकी कुंवारी चोट बहुत ही तंग है. सॉरी, यदि बहुत दर्द हुआ तो."
मुझे विष्वास नहीं हुआ कि मेरे पिता-तुल्य मामाजी को मेरे चीखने चिल्लाने के बावज़ूद मेरी पीड़ा का ठीक अंदाज़ा नहीं था, "बड़े मामा," मैंने सुबक कर बोली, 'आपने मेरी चूत फाड़ दी है. आप बहुत बेदर्द हैं, मामाजी. आप ने अपनी इकलौती भांजी के दर्द का कोई लिहाज़ नहीं किया?"
बड़े मामा ने हल्की सी मुस्कान के साथ मुझे माथे पर चूमा, "पहली बार कुंवारी चूत मरवाने का दर्द है, नेहा बेटा. आगे इतना दर्द नहीं होगा."
मैं अपनी चूत में फंसे मामाजी के मूसल को अब पूरी तरह से महसूस करने लगी. मुझे बड़े मामा के अत्यंत मोटे लंड के ऊपर अपनी चूत के अमानवीय फैलाव की जलन भरे दर्द का पहली बार ठीक से अनुमान हुआ. मेरी कुंवारी चूत में अबतक मेरी एक पतली कोमल उंगली तक नहीं गयी थी, उसमे बड़े मामा ने अपना घोड़े से भी बड़ा लंड बेदर्दी से मेरी नाज़ुक, कुंवारी चूत में पूरा लंड की जड़ तक घुसेड़ दिया था.
बड़े मामा प्यार से मेरा मुंह साफ करने लगे. बड़े मामा ने प्यार से मेरे सारे मलिन मुंह से सारे आंसू और बहती नाक को चाट कर साफ़ कर दिया. मैं दर्द के बावज़ूद हंस पड़ी, "मामाजी, मेरे मूंह पर सब तरफ मेरी नाक लगी है, छी आप कितने गंदे हैं." मैंने मामाजी को कृत्रिम रूप से झिड़कना दी, पर मेरा दिल मेरी मामाजी के लाड़-प्यार से पिघल गया. मुझे अब अपने, विशाल शरीर और अमानवीय ताकत के, पर फूल जैसे कोमल हृदय के मालिक बड़े मामा पर बहुत प्यार आ रहा था. अब मुझे उनका बेदर्दी से मेरी चूत फाड़ना उनकी मर्दानगी और मर्द-प्रेमी की सत्ता का प्रतीक लगने लगा. आखिर मेरे सहवास के अनाड़ीपन का भी तो बड़े मामा को ख़याल रखना पड़ा था?
बड़े मामा ने मेरा पूरा चेहरा अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर, मेरी नाक को अपने मूंह में भर लिया. बड़े मामा की जीभ की नोक ने मेरे दोनों नथुनों के अंदर समा कर मेरी नाक को प्यार से चाट कर साफ़ कर दिया. मैं खिलखिला कर छोटी बच्ची की तरह हंस पड़ी.
बड़े मामा के ने मेरी नाक को प्यार से चूमा और मेरे हँसते हुए मुंह को अपने मुंह से ढक लिया.
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बड़े मामा ने धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकलना. मेरी सांस मेरे गले में फंसने लगी. मामा जी ने बहुत सावधानी से धीरे-धीरे अपना मूसल लंड मेरी कुंवारी चूत में जड़ तक डाल दिया. मुझे बहुत ही कम दर्द हुआ. इस दर्द को मैं चूत की चुदाई के लिए कभी भी बर्दाश्त कर सकती थी. बड़े मामा ने उसी तरह अहिस्ता-अहिस्ता मेरी चूत को, अपने महाकाय लंड की अत्यंत मोटी लम्बाई से धीरे-धीरे परिचित कराया. क़रीब दस मिनट के बाद मेरी सिसकारी छूटने लगीं. इस बार मैं दर्द से नहीं कामवासना की मदहोशी से सिसक रही थी.
"बड़े मामा, अब मेरी चूत में दर्द नहीं हो रहा. हाय,अब तो मुझे अच्छा लग रहा है, "मैं कामुकता से विचलित हो, बड़े मामा से अपनी चूत की चुदाई की प्रार्थना करने लगी, "बड़े मामा, अब आप मेरी चूत मार सकते हैं. आह..आपका लंड कितना मोटा..आ.. है."
मैं वासना की आग में जलने लगी. बड़े मामा ने उसे प्रकार धीरे-धीरे मेरी चूत अपने लंड से चोदते रहे. पांच मिनट के अंदर मेरे गले में मानो कोई गोली फँस गयी. मेरे दोनों उरोंज़ दर्द से सख्त हो गए. मेरी चूत में अब जो दर्द उठा उसका इलाज़ मामा का लंड ही था. मैंने बड़े मामा की गर्दन पर अपने बाहें डाल दीं और अपना चेहरा उनकी घने बालों से ढके सीने में छुपा लिया. मैं अब गहरी-गहरी सांस ले रही थी.
बड़े मामा ने मेरी स्तिथी भांप ली. मेरे यौन-चरमोत्कर्ष के और भी जल्दी परवान चढ़ाने के लिए बड़े मामा अपना लंड थोड़ी तेज़ी से मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे. बड़े मामा जब अपना विशाल लंड जड़ तक अंदर घुसेड़ कर अपने कुल्हे गोल-गोल घुमाते थे तो उनका सुपाड़ा मेरी चूत की बहुत भीतर मेरी गर्भाशय की ग्रीवा को मसल देता था. मेरी किशोर शरीर थोड़े दर्द और बहुत तीव्र कामेच्छा से तन जाता था. बड़े मामा का विशाल लंड मेरी चूत में 'चपक-चपक' की आवाज़ करता हुआ सटासट अंदर बाहर जा रहा था.
"बड़े मामा, मैं अब आने वाली हूँ. मेरी चूत झड़ने वाले है. मेरी चूत को झाड़िए, मामाजी..ई..ई..अँ अँ..अँ..आह्ह."
मैं जैसे ही मेरा यौन-स्खलन हुआ मैं बड़े मामा के विशाल शरीर से चुपक गयी. मारी सांस रुज-रुक गर मेरी वासना की तड़प को और भी उन्नत कर रही थी. मेरी चूत मानो आग से जल उठी. अब मेरे चूत की तड़पन मेरी बड़े मामा के महाविशाल लंड की चुदाई के लिए आभारी थी.
मेरे रति-निष्पत्ति से मेरा सारा शरीर थरथरा उठा. मुझे कुछ क्षण संसार की किसी भी वस्तु का आभास नहीं था. मैं कामंगना की देवी की गोद में कुछ क्षणों के लिए निश्चेत हो गयी.
बड़े मामा ने मेरे मुंह को चुम्बनों से भर दिया. बड़े मामा ने अब अपना लंड सुपाड़े को छोड़ कर पूरा बाहर निकाला और दृढ़ता से एक लम्बी शक्तिशाली धक्के से पूरा मेरी चूत में जड़ तक पेल दिया. मेरे मुंह से ज़ोर की सित्कारी निकल पड़ी. पर इस बार मेरी चूत में दर्द की कराह के अलावा उस दर्द से उपजे आनंद की सिसकारी भी मिली हुई थी.
बड़े मामा अपने वृहत्काय लंड की पूरी लम्बाई से मेरी कुंवारी चूत को चोदने लगे. मैं अगले दस मिनटों में फिर से झड़ गयी.
बड़े मामा ने मेरी चूत का मंथन संतुलित पर दृढ़तापूर्वक धक्के लगा कर निरंत्रण करते रहे. बड़े मामा ने मेरी चूत को अगले एक घंटे तक चोदा. मैं वासना की उत्तेजना में अंट-शंट बक रही थी. मेरी चूत बार-बार मामाजी के लंड के प्रहार के सामने आत्मसमर्पण कर के झड़ रही थी. मेरे बड़े मामा ने अपने विशाल लंड से मेरी चूत का मंथन कर मेरी नाबालिग, किशोर शरीर के भीतर की स्त्री को जागृत कर दिया.
"बड़े मामा, मेरी चूत को फाड़ दीजिये. मुझे और चोदिये.मुझे आपका लंड कितना दर्द करता है पर और दर्द कीजिये." मेरी बकवास मेरे बड़े मामा के एक कान में घुस कर दूसरे कान से निकल गयी. बड़े मामा ने हचक-हचक अपने अत्यंत मोटे-लम्बे लौहे की तरह सख्त लंड से मेरी चूत का लतमर्दन कर के मुझे लगातार आनंद की पराकाष्ठा के द्वार पर ला के पटकते रहे. मैं भूल गयी कि उस दिन मेरी पहली चुदाई के दौरान, मेरी चूत, बड़े मामा के लंड की चुदाई से कितनी बार झड़ी थी.
बड़े मामा ने ने मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों पर अपने होंठ जमा लिए और उपने मज़बूत चूतड़ों से मेरी चूत को और भी तेज़ी से छोड़ने लगे, "नेहा बेटी, मुझे अब तुम्हारी चूत में आना है. मेरा लंड तुम्हारी चूत में झड़ने वाला है," बड़े मामा कामोन्माद के प्रभाव में फुसफुसाये.
मैंने अपनी बाँहों से इनकी पीठ सहलायी, "बड़े मामा आप अपना लंड मेरी चूत में खोल दीजिये. मेरी चूत को अपने मोटे लंड के वीर्य से भर दीजिये."
बड़े मामा ने अपना पूरा लंड बाहर निकल कर पूरे शक्ति से मेरी चूत में जड़ तक घुसेड़ कर मेरे मुंह के अंदर ज़ोर से गुर्राए. उनके लंड ने मेरी चूत के अंदर थरथरा कर बहुत दबाव के साथ गरम, लसलसे वीर्य की पिचकारी खोल दी. मेरी चूत इतनी उत्तेजना के प्रभाव से फिर झड़ गयी. बड़े मामा का लंड बार बार मेरी चूत के भीतर बार बार विपुल मात्रा में वीर्य स्खलन कर रहा था. मुझे लगा कि बड़े मामा के लंड का वीर्य स्खलन कभी रुकेगा ही नहीं.
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Contd.
Next part kab aayega.. aagay kya hoga.. I am eager now :).. keep writing.
Tum ne kamaal ki chut aur lund ka milan kiya. mera tau lora khara ho gaya. ya tum bhi chut bade lund se marvaty ho?
Dear Seema,
5 Stars
I have been waiting for this culmination of Mamaji and Neha's first time sex. And it is just wonderful.
You have great talent for building up the pace and then everything explodes.
Hope there is more of Neha......
If there were more stars to tick I would have
Harrie