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Click hereमुझ पर व्हिस्की का नशा छाने लगा था और मैं मस्ती में आ गयी थी। मैंने रशीद को इशारा किया तो उसने एक क्रीम झबरू को दे दी। झबरू ने ढेर सारी क्रीम अपने लंड पर लगा ली। उसके बाद मैंने भी आननफ़ानन अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये और ऊँची हील के सैंडल के अलावा बिल्कुल मादरजात नंगी हो गयी।। जब मैं एक दम नंगी हो गयी तो उसने मेरे चूत्तड़ बेड के किनारे पर रख कर मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद मेरी टाँगों के बीच ज़मीन पर खड़ा हो गया। उसके बाद उसने दो तकिये मेरे चूत्तड़ों के नीचे रख दिये। मेरी चूत अब उसके लंड की सीध में हो गयी।
उसने मुझे कहा, “एक बार फिर से सोच लो!”
मैंने कहा, “अब सोचना क्या है। अब तुम मेरी इस तरह से चुदाई करो कि मुझे ज्यादा तकलीफ़ ना हो।”
उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के बीच रखा और अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर दबाने लगा। अभी उसका लंड दो इंच भी अंदर नहीं घुस पाया था कि मुझे दर्द होने लगा। मैंने अपने होठों को जोर से जकड़ लिया। वो बहुत धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर घुसाता रहा। मुझे लग रहा था कि मेरी चूत फट जायेगी। धीरे-धीरे उसका लंड मेरी चूत में चार इंच तक घुस गया तो मेरी हिम्मत जवाब दे गयी। मेरे मुँह से जारेदर चींख निकली।
उसने कहा, “घबराओ मत। थोड़ा दर्द बर्दाश्त करो। अभी चार-पाँच मिनट में मैं धीरे-धीरे अपना पूरा का पूरा लंड आपकी चूत में घुसा दुँगा और आपको ज्यादा तकलीफ़ भी नहीं होगी!”
मैं चुप हो गयी। उसने और ज्यादा लंड घुसाने की कोशिश नहीं की और धीरे-धीरे मुझे चोदने लगा। थोड़ी देर तक मैं चींखती रही लेकिन बाद में जब मेरा दर्द कुछ हल्का हुआ तो मैं चुप हो गयी। वो मुझे धीरे-धीरे चोदता रहा।
पाँच मिनट बाद मैं झड़ गयी तो उसने अपनी रफ़्तार थोड़ी सी बढ़ा दी। अब वो हर आठ-दस धक्कों के बाद एक धक्का थोड़ा सा तेज लगा कर मेरी चुदाई करने लगा। जब वो थोड़ा तेज धक्का लगा देता तो दर्द के मारे मुँह से हल्की सी चींख निकल जाती लेकिन मैं इतने ज्यादा जोश और नशे में थी कि मुझे उस दर्द का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था। इसी तरह वो मेरी चुदाई करता रहा। करीब दस मिनट और चुदवाने के बाद मैं फिर से झड़ गयी। मैंने झबरू से पूछा, “अब तक तुम्हारा लंड मेरी चूत में कितना घुस चुका है?”
वो बोला, “करीब सात इंच घुस चुका है और अभी तीन इंच बाकी है। आप घबराओ मत... मैं धीरे धीरे अपना बाकी का लंड भी आपकी चूत में घुसा दुँगा।”
वो उसी स्टाईल में मेरी चुदाई करता रहा। संजीदा बैठ कर व्हिस्की के पैग की चुस्कियाँ लेती हुई आँखें फाड़े उसके लंड को मेरी चूत के अंदर घुसता हुआ देखती रही। झबरू अभी मुझे तेजी के साथ नहीं चोद रहा था। उसके हर धक्के के साथ दर्द के मारे मेरे मुँह से आह की आवाज़ निकल रही थी। करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी। मेरे मुँह से अब बहुत जोर-जोर की चींखें निकलने लगीं। मैंने झबरू से कहा, “थोड़ा धीरे-धीरे चोदो, दर्द हो रहा है!”
वो बोला, “अब मैं अपनी रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ाता रहूँगा क्योंकि अब आप मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर ले चुकी हो!”
मैंने चौंक कर कहा, “क्या?”
वो बोला, “मैं सही कह रहा हूँ। आप इन मेमसाब से पूछ लो!”
मैंने संजीदा की तरफ़ देखा तो संजीदा ने कहा, “आपा, ये ठीक कह रहा है। इसका पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत के अंदर घुस चुका है। झबरू ने इतनी अच्छी तरह से अपना पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुसा दिया है कि मैं भी अब इससे चुदवाने के लिये तैयार हूँ!”
झबरू की रफ़्तार अब धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही थी। मुझे अभी भी दर्द हो रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद मेरा दर्द एक दम कम हो गया और मुझे मज़ा आने लगा। मैंने धीरे-धीरे अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर झबरू का साथ देना शुरू कर दिया तो उसने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी। दो मिनट के बाद मैं फिर से झड़ गयी तो झबरू ने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी। अब वो मुझे बहुत तेजी के साथ चोद रहा था। मैं भी एक दम मस्त हो चुकी थी। उसका लंड मेरी चूत के लिये अभी भी बहुत ही ज्यादा बड़ा था। जब वो अपना लंड बाहर खींचता तो मुझे लगता कि मेरी चूत उसके लंड के साथ ही बाहर निकल जायेगी। धीरे-धीरे झबरू की रफ़्तार बहुत तेज हो गयी। अब वो मुझे एक दम पागलों की तरह से चोदने लगा था।
अब तक मुझे चुदवाते हुए करीब चालीस मिनट हो चुके थे। मेरी चूत ने झबरू के लंड को रास्ता दे दिया था और मुझे अब ज्यादा मज़ा आने लगा था। वो मुझे चोदता रहा और मैं एक दम मस्त हो कर चुदवाती रही। करीब एक घंटे की चुदाई के बाद झबरू झड़ गया और मैं भी उसके साथ ही साथ एक बार फिर से झड़ गयी। मैं इस चुदाई के दौरान चार बार झड़ चुकी थी। झबरू ने अपनी तमाम मनि मेरी चूत में निकालने के बाद अपना लंड बाहर निकाला तो मुझे लगा कि मेरी चूत भी उसके लंड के साथ ही बाहर निकल जायेगी। उसने अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया तो संजीदा बोली, “आपा, तुम रहने दो! इसका लंड मैं चाट कर साफ़ करूँगी!”
संजीदा ने अपना पैग खतम किया और झबरू के लंड को चाट-चाट कर साफ़ करना शुरू कर दिया। उसके बाद झबरू बेड पर लेट गया और आराम करने लगा। अब वो एक दम मुतमाइन नज़र आ रहा था। तीस मिनट के बाद संजीदा ने झबरू से कहा, “मुझे भी चोद दो!”
संजीदा भी काफी ज्यादा पी चुकी थी और नशे में झूम रही थी।
झबरू बोला, “अभी थोड़ी देर मुझे और आराम कर लेने दो, उसके बाद मैं आपको भी चोद दुँगा। जब मैं आपकी चुदाई करूँगा तो आपको ज्यादा तकलीफ़ होगी।”
संजीदा ने पूछा, “क्यों?”
झबरू ने कहा, “आपने अभी तक मोनू से ज्यादा से ज्यादा बीस बार चुदवाया होगा। अभी आपकी चूत अमीना मेमसाब की चूत से बहुत ज्यादा तंग होगी।”
संजीदा बोली, “कुछ भी हो, मैं तो बस तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर लेना चाहती हूँ।”
झबरू बोला, “ठीक है.. थोड़ी देर के बाद मैं आपको चोदुँगा।”
संजीदा तो नशे में मस्त थी और उसकी चूत दहक रही थी। उसने अपने कपड़े उतार दिये और सिर्फ अपने सैंडल पहने ही मेरे पास आ कर बैठ गयी और मेरा हाथ अपनी चूत पे रख दिया। मैं थोड़ी देर उसकी चूत सहलाती रही पर मेरी अँगुलियों से उसकी चूत को कहाँ राहत मिलती। कुछ देर बाद झबरू ने संजीदा से अपना लंड चूसने को कहा तो संजीदा झबरू का लंड चूसने लगी।
जब उसका लंड खड़ा हो गया तो उसने संजीदा की चुदाई शुरू की। उसने मुझे जिस तरह आरम से चोदा था, ठीक उसी तरह संजीदा को भी चोद रहा था। लेकिन संजीदा की चूत अभी भी बहुत ज्यादा तंग थी। वो बहुत चिल्लायी और उसे दर्द भी बहुत हुआ लेकिन आखिर में झबरू ने अपना पूरा का पूरा लंड संजीदा की चूत में डाल ही दिया। संजीदा की चूत में झबरू को अपना लंड आरम से घुसाने में करीब बीस मिनट लगे और फिर उसके बाद उसने बहुत ही बुरी तरह से संजीदा की चुदाई शुरू कर दी और उसे करीब सवा घंटे तक चोदा। संजीदा उससे चुदवाने में तीन बार झड़ गयी थी। झबरू से चुदवाने के बाद संजीदा की चूत में इतना ज्यादा दर्द हो रहा था कि वो बिल्कुल भी हिलडुल नहीं पा रही थी।
झबरू ने कहा, “मैं अभी एक बार आपकी चुदाई और करूँगा... उसके बाद तुम हिलडुल सकोगी और चल भी सकोगी।”
संजीदा ने झबरू से चुदवाने से मना कर दिया लेकिन झबरू माना नहीं। करीब तीस मिनट के बाद झबरू ने फिर से संजीदा की चुदाई शुरू कर दी। इस बार उसने संजीदा को एक दम पागलों की तरह बहुत ही बुरी तरह से चोदा। इस बार पूरी चुदाई के दौरान संजीदा जोर-जोर से चींखती ही रही। करीब तीस मिनट चोदने के बाद झबरू ने संजीदा को ज़मीन पर खड़ा कर दिया और खड़े-खड़े ही उसकी चुदाई की। थोड़ी देर खड़े हो कर चोदने के बाद झबरू ने उसे डॉगी स्टाईल में चोदना शुरू कर दिया। उसके बाद झबरू ने संजीदा को कईं स्टाईल में बुरी तरह चोदा और उसकी चूत में ही झड़ गया।
संजीदा बहुत तड़पी लेकिन झबरू ने उसकी एक ना सुनी। झड़ जाने के बाद जब झबरू ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल तो संजीदा की चूत कईं जगह से कट-फट गयी थी और बुरी तरह से सूज भी चुकी थी।
झबरू ने संजीदा से कहा, “अब मैंने आपकी चूत को एक दम चौड़ा कर दिया है। अब आप मुझे चल कर दिखाओ!”
संजीदा ने चलने की कोशिश की लेकिन वो ठीक से चल नहीं पा रही थी। झबरू ने कहा, “अभी थोड़ी देर बाद मैं फिर से आपकी चुदाई करूँगा। उसके बाद आप चलने फिरने लगोगी।”
संजीदा बोली, “अब मैं तुमसे नहीं चुदवाऊँगी। तुमने मेरी चूत की हालत खराब कर दी है।”
लेकिन झबरू माना नहीं। एक घंटे के बाद झबरू ने फिर से संजीदा को बहुत ही बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया। वो मना करती रही लेकिन झबरू माना नहीं। उसने इस बार भी संजीदा को बहुत ही बुरी तरह से करीब डेढ़ घंटे तक चोदा।
उसके बाद झबरू ने संजीदा से कहा, “अब मुझे फिर से चल कर दिखाओ”, तो संजीदा डर के मारे ठीक से चलने को कोशिश करने लगी।
झबरू ने कहा, “शाबाश! देखा तीन बार चुदवाने के बाद आप थोड़ा ठीक से चलने लगी हो!”
वो बोली, “साले हरामी! वो तो मैं ही जानती हूँ कि मैं कैसे चल रही हूँ!”
झबरू बोला, “अभी मैं फिर से आपकी चुदाई करूँगा!”
एक घंटे के बाद झबरू ने फिर से संजीदा की बहुत ही बुरी तरह से चुदाई की। झबरू से चुदवाने के बाद मैं भी बिना सहारे के नहीं चल पा रही थी। मैंने कहा, “मैं भी तो ठीक से नहीं चल पा रही हूँ।”
वो बोला, “पहले मुझे इनकी चाल ठीक कर लेने दो। उसके बाद मैं आपकी भी बहुत बुरी तरह से चुदाई कर दुँगा उसके बाद आप भी ठीक से चलने लगोगी!”
उस दिन के बाद से तो संजीदा और रशीद प्रैक्टीकली मेरे घर पर ही रहने लगे। सारा काम रशीद ही संभालने लगा क्योंकि मैं साईट पर भी अब हफ्ते में दो-तीन दिन ही जाती थी। संजीदा भी मेरी तरह ही चुदक्कड़ निकली और हम दोनों मिलकर नशे में मस्त होकर दिन-रात मोनू और झबरू से चुदवाती रहती। रात को रशीद अकेला दूसरे बेडरूम में सोता रहता जबकि संजीदा मेरे साथ मेरे बेडरूम में मोनू और झबरू के साथ ऐश करती।
॥॥। समाप्त ॥॥।
Dear Ameena, I am writing to express my deepest appreciation for your inspiring and courageous real-life story. jis bahaduri aur mehnat se aap ne apne marhoom shohar ke construction ke karobaar ka zimma uthaya wo qabil -e -tareef hai. As a Muslim Indian woman myself, I was touched by your story on multiple levels, as your story not only highlighted your determination to overcome challenges but also shed light on the importance of embracing your physical needs without social stigmatization. Your honesty and openness in sharing your experiences are truly commendable. Your decision to hire the workers from your construction site as household help, acknowledging the fact that their role extended beyond just fulfilling physical labour requirements. Your willingness to explore and embrace your own sexual desires is a powerful statement of self empowerment and liberation. It is a testament to your strength of character and the boundaries you have been able to navigate in a world that often imposes limitations on women. You have challenged traditional gender roles and highlighted the importance of embracing one's sexuality within the framework of personal choice and consent.
Your ability to balance your responsibilities as a businesswoman and address your own sexual needs is a remarkable feat, inspiring other women to break free from societal norms and embrace their own desires without shame or guilt. Thank you for sharing your sexual journey with the world.
Very nice story. Nice plot, and erotic detailing make it even more wonderful. Keep more of Amina's adventure come
क्या बात है अमीना जी…. मज़ा आ गया…. सिर्फ़ आपने मज़दूर नौकरों के लंड तक ही सीमित हो या और ग़ैर मर्दों के साथ भी अय्याशी करती हो…