किरन की कहानी

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सुहैल ने शरारत से मुस्कुराते हुए बीच में कहा कि “शायद कोई चीज़ चुभ गयी होगी” तो मैंने उसकी तरफ़ बनावटी गुस्से से देखा और मैंने मम्मी से कहा, “हाँ मम्मी, हो सकता है कोई चीज़ चुभ गयी हो, कल रात बिजली भी तो चली गयी थी न और अंधेरा हो गया था तो हो सकता है कोई चीज़ सच में चुभ गयी हो” तो मम्मी ने इतमिनान की साँस ली और कहा “ठीक है, अगर दवाई लगानी हो तो लगा लो।“

तो सुहैल ने मुस्कुराते हुए कहा कि “आप फिक्र ना करें खाला, मैं इसे आज दर्द कम होने का इंजेक्शन लगा दुँगा जिससे इसका दर्द हमेशा के लिये खतम हो जायेगा!” मम्मी ने कहा कि “हाँ ये ठीक है”, पर उन्हें क्या पता कि सुहैल कौन से इंजेक्शन की बात कर रहा है और ये इंजेक्शन वो मुझे कहाँ लगायेगा। ये तो बस मैं जानती थी या वो।

मैंने नाश्ता किया और कॉलेज चली गयी। कॉलेज तो चली गयी पर कहीं दिल ही नहीं लग रहा था। चूत में मीठी-मीठी खुजली हो रही थी। बार-बार मेरा हाथ मेरी चूत पे ही चला जाता था और सारे जिस्म में मीठा-मीठा सा दर्द हो रहा था। बार-बार अंगड़ाई लेने का मन कर रहा था। पता नहीं क्यों, आज कॉलेज कुछ अजीब सा लग रहा था । खैर कॉलेज का टाईम खतम हुआ और मैं घर आ गयी और लंच के बाद अपने रूम में जा के सो गयी। बहुत देर तक सोती रही और उठने का मन ही नहीं कर रहा था। सारे जिस्म में एक अजीब सी मिठास लग रही थी। शाम को देर से उठी और फ़्रेश हो के नीचे आ गयी और हम सब ने डिनर साथ किया। वहीं डिनर टेबल पे बैठ के हम सब बातें करने लगे मगर मेरा मन तो कहीं और ही था। मैं बातें सुन तो रही थी पर समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था। थोड़ी देर के बद मैंने कहा कि अब मैं जाती हूँ, मुझे पढ़ाई करनी है और मैं ऊपर अपने कमरे में चली गयी।

रात के करीब साढ़े दस हो गये थे और मुझे अभी भी नीचे से मम्मी डैडी और सुहैल की बातों की आवाज़ें आ रही थी। मैं आते ही अपने बेड पे लेट गयी और मेरा हाथ खुद-ब-खुद मेरी सलवार के अंदर चूत पे चला गया और मैं अपनी चूत को सहलाने लगी और चूत से खेलने लगी। मैंने देखा कि मेरी चूत पे थोड़ी-थोड़ी झांटें उग आयी हैं। वैसे तो मैं हर हफते अपनी झांटें साफ़ करती हूँ और अभी तीन ही दिन हुए थे मुझे झांटें साफ़ किये हुए और अब हल्की-हल्की सी महसूस हो रही थी। मैं बाथरूम में गयी और क्रीम लगा के बची खुची झांटों को साफ़ कर दिया। अब मेरी चूत मक्खन जैसी चिकनी हो गयी थी। मैं वापस बेड पे आके लेट गयी और कमरे की बिजली बंद कर दी और अंधेरे में ही एक बार फिर से अपनी चूत को सहलाने लगी। अब चूत एक दम से मक्खन की तरह चिकनी हो चुकी थी। ठंड बढ़ चुकी थी और मैं ब्लैंकेट तान कर लेट गयी और अब अंधेरे में मुझे मसाज करने में बहुत मज़ा आ रहा था। लड़कियाँ, खासकर कॉलेज जाने वाली लड़कियाँ जानती हैं कि सर्दी की रात हो और चूत मक्खन जैसी चिकनी हो तो चूत से खेलने में और मसाज करने में कितना मज़ा आता है और मैं भी अपनी चूत का मसाज करने लगी और मसाज करते-करते मेरी उंगली तेज़ी से चलने लगी। कभी उंगली चूत के सुराख में अंदर डाल के और कभी मैं क्लीटोरिस का मसाज कर रही थी और फिर अचानक मेरा हाथ तेज़ी से चलने लगा और जिस्म काँपने लगा और फिर मेरा लावा फिर से उबलने लगा और चूत में से जूस निकलने लगा। मेरी आँखें बंद हो गयी और दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था और दिमाग में सांय-सांय सी होने लगी और मस्ती में ना जाने मैं कब सो गयी।

मुझे अपनी चूत पे किसी का हाथ महसूस हुआ तो मेरी आँख खुल गयी। पता नहीं कितनी रात हो गयी थी। मेरी आँख खुली और मुझे होश आया तो समझ में आया कि वो सुहैल है। मैं उस से लिपट गयी और हम दोनों फ्रेंच किस करने लगे। हम एक दूसरे की ज़ुबान को चूस रहे थे। उसका एक हाथ मेरी चूत पे आ गया और वो मेरी चूत का मसाज मेरी सलवार के ऊपर से ही करने लगा। मुझे चूत में गर्मी महसूस होने लगी और गीली भी होने लगी। मैंने हाथ बढ़ा के उसके लंड को पकड़ा तो पता चला कि वो तो पूरा का पूरा नंगा लेटा है। मैं उसका नंगापन महसूस करके मुस्कुरा दी और उसके लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ के दबाने लगी। हम दोनों चित्त लेटे थे। उसका हाथ अब मेरी सलवार के अंदर घुस चुका था उसने सलवार का स्ट्रिंग खोल दिया था और चूत को मसाज कर रहा था। मेरी चिकनी चूत पे उसका हाथ बहुत अच्छा लग रहा था।

वो अपनी जगह से उठा और मेरी कमीज़ को मेरा हाथ ऊपर कर के निकाल दिया और मेरी टाँगों को खोल के टाँगों के बीच में आ के बैठ गया और मेरी सलवार को नीचे खींच के उतारने लगा तो मैंने अपनी चूतड़ उठा दिये और सलवार निकालाने में मदद की। अब हम दोनों नंगे थे और कमरे में अंधेरा था। घर के सारे लोग सो चुके थे। मैंने पूछा कि “क्या टाईम हुआ है” तो उसने बताया कि “रात का एक बज रहा है और सर्दी के मारे मेरे मम्मी डैडी ब्लैंकेट तान के अपने कमरे में कब के सो चुके हैं।“

सुहैल मेरे ऊपर ऐसे ही लेट गया। उसका अकड़ा हुआ लंड जिस में से प्री-कम निकल रहा था, मेरी चूत के ऊपर था। हम दोनों के जिस्म के बीच में उसका लंड और मेरी चूचियाँ दोनों सैंडविच बन गयी थी। हम दोनों किसिंग में बिज़ी हो गये। मेरी चूत के ऊपर उसका लंड लगने से चूत में खुजली शुरू हो चुकी थी और गीली भी हो चुकी थी। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था और किसिंग कर रहा था। उसका लंड मेरी चूत के लिप्स के बीच में "हॉट डॉग" के सैंडविच की तरह से फँसा हुआ था। लंड के डंडे का निचला हिस्सा मेरी चूत को खोल के लिप्स के बीच में था। लंड के डंडे का निचला हिस्सा क्लीटोरिस से टच कर रहा था तो और मज़ा आ रहा था। अब उसने मेरी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया जिससे मेरे जिस्म में बिजली दौड़नी शुरू हो गयी और मुझे लग रहा था कि सारे जिस्म से बिजली दौड़ती हुई चूत में आ रही है ऐसे जैसे कि मेरी चूत बिजली का न्यूकलियस हो या सैंट्रल पोइंट हो।

सुहैल अपने लंड के डंडे को चूत के लिप्स के बीच में ही ऊपर नीचे करने लगा। उसके लंड में से प्री-कम भी निकल रहा था जिससे उसके लंड का निचला हिस्सा जो मेरी चूत के लबों के बीच में था, स्लिपरी हो गया था और फिसल रहा था। मेरी टाँगें उसके चूतड़ पे क्रॉस रखी थी और मैं उसको अपनी तरफ़ खींच रही थी। मेरी चूत बे-इंतहा गीली हो चुकी थी। वो भी मस्ती में था। ऐसे ही लंड को चूत के अंदर ऊपर नीचे करते-करते उसका लंड मेरी चूत के सुराख में फंस गया और एक ही झटके में मेरी गीली चूत के अंदर आधा घुस गया तो मेरे मुँह से “आआआहहहहह” और “ईईईईईई” की सिसकरी निकल गयी और मेरी आँखें फटी रह गयी। उसने अब अपना लंड आधा ही अंदर बाहर करना शुरू कर दिया तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा। मैं अपनी गाँड उठा-उठा के उसका लंड अपनी चूत के अंदर लेने की कोशिश करने लगी। सुहैल ने अब अपना पूरा लंड सुपाड़े तक चूत से बाहर निकाल के एक ज़ोरदार झटका मारा तो मेरे मुँह से “आआआआईईईईईईईई” की आवाज़ निकली और मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी। मेरा अंदर का दम अंदर और बाहर का बाहर रह गया। चूत पूरी स्ट्रैच हो चुकी थी मेरी चूत में एक दफ़ा फिर से जलन होने लगी।

सुहैल थोड़ी देर तक तो ऐसे ही लंड को चूत के अंदर घुसाये हुए लेटा रहा और मुझे फ्रेंच किस करने लगा। दोनों एक दूसरे की ज़ुबान चूस रहे थे। थोड़ी ही देर में चूत के अंदर की जलन खतम हो गयी और मुझे उसका लोहे जैसा सख्त लंड अपनी चूत के अंदर बेहद अच्छा लगने लगा। सुहैल ने चुदाई शुरू कर दी। वो पूरा लंड बाहर तक निकाल-निकाल के चोद रहा था। उसके पैर पीछे को थे और बेड की लकड़ी की पट्टी से टिके हुए थे और मेरी टाँगें उसके चूतड़ पे कैंची की तरह से जकड़ी हुई थी। वो लकड़ी की बैक का सहारा लेकर अपने लंड को पूरा चूत में से बाहर निकाल-निकाल के ज़ोर-ज़ोर से चुदाई कर रहा था। जैसे ही उसका लंड चूत से बाहर निकलता तो मुझे लगाता जैसे मेरी चूत एक दम से खाली हो गयी हो और फिर जब लंड चूत के अंदर घुस जाता तो लगाता जैसे चूत पूरी तरह से भर गयी है और वो मुझे चोदता ही चला गया। वो ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था और उसकी दोनों कोहनियाँ मेरे जिस्म के दोनों तरफ़ थीं। उसके पैर पीछे और मेरे पैर उसकी गाँड पे क्रॉस थे। मुझे अब बहुत ही मज़ा आने लगा था उसकी चुदाई से।

उसके हर धक्के से मेरी चूचियाँ आगे पीछे होने लगी तो उसने अपने मुँह से उनको चूसना शुरू कर दिया। मस्ती से मैं पागल हो गयी थी। मेरी छोटी सी टाइट चूत के अंदर उसका इतना बड़ा लोहे का डंडा बहुत मज़ा दे रहा था। चुदाई में बहुत ही मज़ा आ रहा था। मेरी चूत में से जूस लगातार निकल रहा था और फच-फच की आवाज़ें कमरे में गूँजने लगी। मुझे ये चुदाई का म्युज़िक बहुत मस्त लग रहा था। मैं अपनी गाँड उठा-उठा के उस से चुदवा रही थी जैसे म्युज़िक की ताल से ताल मिला रही होऊँ।

सुहैल के धक्के तेज़ हो चुके थे और मुझे भी लग रहा था कि मेरी चूत के अंदर कोई तूफान उठ रहा हो। मैं उससे लिपट गयी। सुहैल इतनी ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था कि मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसका लंबा मोटा लोहे जैसा सख्त लंड मेरी चूत को फाड़ के मेरे पेट तक घुस चुका है। वो दीवानों की तरह से चोद रहा था। मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी और दोनों की साँसें तेज़ी से चल रही थी। मुझे लगा कि मेरी चूत में जो तूफान मचा हुआ था वो अब बाहर निकलने को मचल रहा हो और ठीक उसी वक्त सुहैल के लंड में से मलाई के फुव्वारे छूटने लगे - एक दो तीन चार पाँच - उफफफफ मुझे तो मस्ती में पता ही नहीं चला के कितनी मलाई निकल रही है जबकि उसकी पहली मलाई के फुव्वारे ही से मेरी चूत में से तूफानी लावा निकलने लगा। मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी थी। उसके धक्के अब धीमे होने लगे और वो अपना लंड मेरी चूत के अंदर ही छोड़ के मेरे ऊपर गिर गया। मेरी चुदी हुई चूत हम दोनों की मलाई से भर चुकी थी पर अभी तक बाहर नहीं निकली थी क्योंकि चूत के सुराख पे उसके लंड का टाइट ढक्कन लगा हुआ था। दोनों ऐसे हे गहरी-गहरी साँसें लेते रहे और मेरी ग्रिप भी अब लूज़ हो गयी थी। उसका लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था। ऐसे लग रहा था जैसे चूत के अंदर ही फूल के और मोटा हो रहा हो। अंधेरे कमरे में हमारी तेज़ी से चलती हुई साँसें सुनायी दे रही थी। मेरी आँखें बंद थी और सारे जिस्म में एक अजीब सी सनसनाहट हो रही थी। मेरे दिल और दिमाग का टोटल ब्लैक-आऊट हो गया था। शायद एक दो या तीन मिनट के लिये मैं सो गयी थी या पता नहीं मस्ती में बेहोश हो गयी थी।

मुझे थोड़ा सा होश आया तो महसूस हुआ कि सुहैल मेरे ऊपर पलट के आ चुका है और उसके लंड में से टपकती हुई हम दोनों की मिक्स मलाई के ड्रॉप्स मेरे लिप्स पे गिर रहे हैं। शायद वो अपना लंड चूत में से बाहर निकालते ही पलट के सिक्स्टी-नाईन पोज़िशन में आ गया था। मेरी टाँगें मुड़ी हुई थी और सुहैल मेरी चूत को चाटना शुरू कर चुका था। मेरे बंद लिप्स पे जब मलाई गिरी तो खुद-ब-खुद मेरी ज़ुबान बाहर निकली और मैंने मलाई को टेस्ट किया और फिर जैसे खुद-ब-खुद ही मेरा मुँह खुल गया और मैं सुहैल के आधे अकड़े हुए लंड को चूसने लगी। दोनों की मिक्स मलाई उसके लंड पे लगी हुई थी और मैं चाट रही थी और वो मलाई को मेरी चूत में से चाट रहा था। इस तरह से मैंने उसके लंड को साफ़ किया और उसने मेरी चूत को साफ़ किया।

अब फिर से सुहैल मेरे बगल में आ के लेट गया। वो मेरी पीठ के पीछे था और मेरी पीठ से उसका सीना लग रहा था। मैं ऐसे करवट से लेटी थी और वो मेरे पीछे मुझसे लिपटा हुआ करवट से लेटा था। मेरे चूतड़ पे उसका लंड महसूस हो रहा था। पर अभी तक मेरा दिमाग ठिकाने नहीं आया था और अभी तक कमरा मेरे आँखों के सामने घूम रहा था और मैं पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी।

उसका लंड मेरे चूतड़ से लग रहा था और उसने मेरे बगल से हाथ डाल के मेरी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। मेरे निप्पल बहुत सेंसटिव हो चुके थे और उसका हाथ लगने से कड़क हो गये थे। मैं अपनी टाँगों को मोड़ कर के ऐसे लेटी थी कि मेरे घुटने मेरी चूचियों के करीब थे और सुहैल मेरे पीछे से लंड को चूत पे टच कर रहा था और आहिस्ता-आहिस्ता से धक्के मार मार के पीछे से ही लेटे लेटे लंड के सिर को चूत के सुराख में घुसाने की कोशिश कर रहा था।

उसके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के सुराख में लगते ही चूत में जैसे फिर से जान आने लगी और वो गीली होना शुरू हो गयी। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था और धक्के मार मार के लंड के सुपाड़े को पीछे से ही चूत के अंदर घुसा रहा था। थोड़ी ही कोशिश के बाद मेरी चूत में उसका लंड आधा और फिर पूरा अंदर घुसने लगा। उसका लंड पूरी तरह से अकड़ गया था और फिर से एक दम से लोहे जैसा सख्त हो गया था।

मुझे फिर से मज़ा आने लगा था वो जोश में लंड को फिर से सुपाड़े तक निकाल-निकाल के पीछे से ही मुझे चोद रहा था। मेरा पूरा जिस्म रिलैक्स हो गया था। चूत में से जूस भी निकलने लगा था और चूत अंदर से स्लिपरी हो गयी थी। उसका लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था और मैं फिर से मज़े लेने लगी थी। अचानक जब उसने अपना लंड पूरा बाहर खींच के अंदर घुसाने की कोशिश की तो वो चूत में से बाहर निकल के गाँड के सुराख में घुस गया मेरे मुँह से फिर से एक “ओ‍ओ‍ओ‍ओ‍ओ‍ओ‍.... ऊऊऊऊईईईईईईईई” चींख निकल गयी पर गाँड के मसल तो रिलैक्स थे। किसे पता था कि लंड गाँड में घुस जायेगा। बस लंड मेरी चूत के जूस से गीला हो गया था और एक ही झटके में अचानक ही मेरी गाँड को फाड़ता हुआ अंदर घुस चुका था। मैं उछल के आगे हो रही थी कि उसी वक्त सुहैल ने मुझे टाइट पकड़ लिया और मैं उसके लोहे जैसे लंड को अपनी छोटी सी गाँड के सुराख से बाहर नहीं निकाल पायी। अब वो मेरी गाँड मार रहा था। मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी। इतना मोटा लंबा लंड मेरी छोटी सी गाँड में घुस चुका था और मुझे लग रहा था कि मेरी गाँड फट गयी है।

अपने लंड को गाँड के अंदर रखे-रखे ही उसने मुझे पलट दिया। मैं उलटी लेट गयी और वो मेरे ऊपर आकर मेरी गाँड मारने लगा। मुझे बहुत ही तकलीफ हो रही थी। मेरी आँख से आँसू निकल रहे थे पर वो मेरी एक नहीं सुन रहा था और गाँड मारने में बिज़ी था। मेरे पेट के नीचे उसने एक तकिया जैसा कुशन रख दिया था जिससे मेरी गाँड थोड़ी ऊपर उठ गयी थी और वो गाँड में अपना लंड पेल रहा था। वो अपने लंड को पूरा निकाल-निकाल के मेरी छोटी सी गाँड में घुसेड़ रहा था और फिर उसकी स्पीड बढ़ गयी। जैसे-जैसे उसके झटके तेज़ हो रहे थे, तकलीफ के मारे मेरी जान ही निकली जा रही थी और फिर अचानक मुझे उसकी मलाई अपनी गाँड में गिरती महसूस हुई और थोड़ी ही देर में अपने लंड की मलाई मेरी गाँड में गिरा के वो शाँत पड़ गया और मेरे बगल में आकर लेट गया। पर मेरी गाँड तो दर्द के मारे फटी जा रही थी। जितना मज़ा चुदाई में आया था अब उतनी तकलीफ हो रही थी। मैं सुहैल से बोली कि “आगे से कभी मेरी गाँड नहीं मारना, मुझे बहुत ही दर्द हो रहा है।“

वो हंसा और कहा कि “वो तो मेरा लंड गलती से तुम्हारी गाँड में घुस गया तो मुझे मज़ा आया और मैंने गाँड मार दी, नहीं तो मेरा इरादा तो तुम्हारी गाँड मारने का नहीं था। ठीक है अगर तुम्हें पसंद नहीं तो अगली बार नहीं मारूँगा।“ फिर थोड़ी देर के बाद एक और टाईम उसने मुझे चोदा जिससे मेरी गाँड में तकलीफ खतम हो गयी और चूत में फिर से मज़ा आ गया और पता नहीं ऐसी चुदाई के बाद मैं कब सो गयी।

सुबह उठी तो देर हो चुकी थी। आज कॉलेज नहीं जाना था। नाश्ता कर के थोड़ी देर नीचे ही हम सब बातें करते रहे और बस ऐसे ही सारा दिन गुज़र गया। मैं और सुहैल अगले एक हफते तक खूब चुदाई करते रहे रोज़ रात को वो मम्मी डैडी के सो जाने के बाद ऊपर आ जाता और हम जम कर चुदाई करते। एक हफते के बाद वो चला गया और जाने से पहले मैं उससे लिपट के खूब रोयी। मुझे लगा जैसे कोई मेरा लवर मुझे छोड़ के जा रहा है। वो मेरे सारे जिस्म पे हाथ फेरता रहा और प्यार करता रहा और कहा, “सुनो किरन, अगर तुम्हारे पीरियड्स में कोई गडबड़ हो जाये तो मुझे फ़ौरन फोन कर देना, मैं कुछ इंतज़ाम कर दुँगा!” पर अगले ही महीने में मेरे पीरियड्स टाईम से कुछ पहले ही शुरू हो गये तो मैंने इतमिनान की साँस ली और सुहैल को फोन कर के बता दिया। फिर जब कभी सुहैल आता तो हम खूब चुदाई करते।

मैंने अपनी ग्रेजुयेशन पूरी कर ली और एक दिन मुझे पता चला के मेरा निकाह किसी अशफाक नाम के आदमी से फिक्स हो गया है। उसके घर वाले हमारे घर आये थे और मुझे पसंद भी कर गये और फिर निकाह की डेट फिक्स कर के मेरा निकाह कर दिया गया।

मैं अभी निकाह की डीटेल्स में नहीं जाना चाहती और डायरेक्ट अपनी सुहाग रात के बारे में बता देती हूँ। निकाह हो गया और मैं अपने ससुराल आ गयी। सारा घर अच्छी तरह से सजा हुआ था। घर बहुत बड़ा भी नहीं और बिल्कुल छोटा भी नहीं था, बस ठीक ठाक ही था। उसके घर को पहुँचते-पहुँचते रात हो चुकी थी। डिनर तो कर ही चुके थे मैरिज हॉल में। अशफाक का कमरा भी ठीक ठाक ही था। बेड पे चमेली के फूल बिखरे पड़े थे। पिंक कलर का नरम बेड बहुत अच्छा लग रहा था। सारे कमरे में चमेली के फूलों कि भीनी भीनी खुशबू आ रही थी। बेहद अच्छा लग रहा था। एक दम से ऐसे ही रोमैंटिक था जिसकी हर लड़की ख्वाहिश करती है।

अशफाक कि छोटी बहन, रुखसाना ने मुझे बेड पे बिठा के मुस्कुराते हुए कहा कि “भाई जान अभी आ जायेंगे, आप थोड़ा रेस्ट ले लें” और कमरे से चली गयी। मुझे अपनी सहेलियों के किस्से याद आने लगे जिनकी शादी हो चुकी थी। किसी ने कहा कि मेरी तो रात भर चुदाई हुई और सुबह मुझसे चला भी नहीं जा रहा था। किसी ने कहा था कि बस ऐसे ही रहा, कोई खास मज़ा नहीं आया था। किसी ने कहा कि अपने लौड़े को चूत के अंदर डालने से पहले ही चूत के ऊपर अपनी मलाई निकाल के सो गया था। मैं काफी एक्साईटेड थी कि पता नहीं मेरा क्या हशर होगा क्योंकि सुहैल से चुदवाये हुए भी तकरीबन एक साल से ज़्यादा ही हो चुका था। चूत के मसल फिर से टाइट हो गये थे। थोड़ी ही देर में वो कमरे में आ गया। अशफाक बहुत स्मार्ट लग रहा था। गोरा रंग, मीडियम हाईट और मीडियम बिल्ट। सब मिलाकर एक अच्छा स्मार्ट आदमी लग रहा था। मुझे अपनी फ्रैंड्स की बातें याद आ रही थी जिनकी शादी हो चुकी थी, जैसे कि सुहाग रात को क्या होता है और कैसे हसबैंड अपनी वाइफ को अपनी बातों से पता के चोद डालता है और लड़की को कितना मज़ा आता है। और साथ में ही मुझे सुहैल भी याद आ गया और सुहैल के साथ हुई मेरी पहली चुदाई भी मुझे याद आ गयी तो मस्ती से मेरा जिस्म टूटने लगा और एक लंबे मोटे लंड का सपना लिये बैठी रही, जो मेरी चूत में घुस के मुझे चोदेगा, मेरी प्यासी चूत की प्यास को बुझायेगा और मज़ा देगा।

अशफाक कमरे के अंदर आ गया और बेड पे बैठ गया। पहले तो मेरी खूबसूरती को निहारता रहा, मेरे गालों पे हाथ फेरता रहा और फिर गाल पे किस किया तो मेरे जिस्म में बिजली दौड़ने लगी और जिस्म जलने लगा। थोड़ी देर में वो उठा और अपने कपड़े चेंज कर के बेड पे आ गया और बहुत धीमी रोशनी वाला लाइट पिंक कलर का नाइट लैंप जला दिया। मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। सारे जिस्म से पसीना छूटने लगा और मुँह से गरम-गरम साँसें निकलने लगी। अब अशफाक चेंज कर के आ गया और हम दोनों लेट गये। पहले तो मेरी खूबसुरती को निहारता रहा और धीरे-धीरे उसके हाथ मेरी चूचियों पे आ गये और वो उनको दबाने लगा तो जिस्म में सनसनी सी फैल गयी। ऐसे ही बातें करते-करते वो मेरे कपड़े उतारता चला गया। सारे कपड़े निकाल के मुझे नंगा कर दिया। मेरे मुँह से एक बात भी नहीं निकल रही थी। नये घर में नये लोगों के साथ रहने से एक नयापन ही लग रहा था। सुहैल तो फिर भी कज़न था, उतना नयापन नहीं महसूस हुआ था लेकिन यहाँ तो हर कोई अजनबी था। शरम भी आ रही थी और एक्साइटमेंट भी थी। मैं बेड पे नंगी लेटी रही। शरम से बुरा हाल था पर क्या करती, ज़माने के रिवाज यही थे कि पहली रात को हसबैंड अपनी वाइफ को चोद देता है और सारी उम्र के लिये वो सिर्फ़ अपने हसबैंड की ही होके रह जाती है। वो थोड़ी देर तक मेरे नंगे जिस्म को देखता रहा और अपने हाथ मेरे सारे जिस्म पे फेरता रहा। मेरे सारे जिस्म में जैसे चिंटियाँ घूमने लगी हों। चूत में भी अब खुजली शुरू हो गयी थी।

वो मेरे नंगे जिस्म पे हाथ फेर रहा था। वो मेरी चूचियों को दबा रहा था और कभी-कभी चूचियों को चूस लेता। धीरे-धीरे उसका हाथ मेरी चूत पे आ गया और वो मेरी उसी दिन की शेव की हुई मक्खन जैसी चिकनी चूत पे आ गया और वो चूत का मसाज करने लगा। मेरे जिस्म में बिजली दौड़ रही थी और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने दिल में सोचा कि ये तो खिलाड़ी लग रहा है, शायद चुदाई का एक्सपीरियंस होगा और उसका हाथ मेरी चूत पे लगते ही जैसे मेरी चूत में फ्लड आ गया और वो बे-इंतहा गीली हो गयी और रस से भर के अब रसीली चूत हो गयी।

अशफाक ने अपने कपड़े भी निकाल दिये और नंगा हो गया। मैंने एक तिरछी नज़र उसके लंड पे डाली तो दिल धक से रह गया। उसका लंड बस ऐसे ही था, कोई खास नहीं था, टोटल इरेक्ट होने के बाद शायद चार इंच या पाँच इंच का ही होगा। मैंने सोचा कि शायद थोड़ी देर के बाद वो और अकड़ के बड़ा हो जायेगा। खैर अब वो मेरी चूचियों को चूस रहा था और हाथ से मेरी चूत का मसाज कर रहा था। कभी-कभी चूत के अंदर अपनी उंगली डाल देता तो मैं “ससससीसीसी ईईईईई” कर के सिसकरी ले लेटी।

अब उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर अपने लंड पे रख दिया। मैं कुछ देर तक ऐसे ही अपना हाथ उसके लंड पे रखी रही तो उसने मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ के दबाया तो मैं समझ गयी कि शायद वो चाहता है कि मैं उसका लंड अपनी मुट्ठी में लेकर दबाऊँ। मैंने उसके लंड को एक या दो बार ही दबाया था कि उसने मेरा हाथ हटा दिया और सीधा मेरे ऊपर चढ़ आया और मेरी टाँगों को फैला के मेरे ऊपर लेट गया। लंड को मेरी चूत के लिप्स के अंदर सुराख पे सटाया और झुक के मुझे किस करने लगा और एक ही झटके में उसका लंड मेरी समंदर जैसे गीली चूत के अंदर घुस चुका था और वो अचानक ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा और बस चार या पाँच ही धक्के लगाया था कि उसके मुँह से “ऊऊऊऊहहहह” की आवाज़ निकली और उसकी मलाई मेरी चूत में गिर गयी। मुझे तो उसका लंड अपनी चूत के अंदर सही तरीके से महसूस भी नहीं हुआ और उसकी चुदाई पूरी हो चुकी थी। मेरी कुछ फ्रैंड्स ने बताया था कि कभी-कभी एक्साइटमेंट की वजह से और कभी चूत की गरमी से लंड से मलाई जल्दी ही निकल जाती है पर कुछ दिनों में जब चुदाई डेली करते रहते हैं तो फिर ठीक हो जाता है और अच्छी तरह से चोदने लगाता है और ये कि ऐसा अगर कभी हो तो कोई फिक्र की बात नहीं है। यही सोच के मैं खामोश हो गयी कि हो सकता है कि एक्साइटमेंट या चूत की गर्मी से वो जल्दी ही झड़ गया हो पर बाद में अच्छी तरह से चोद डालेगा।

मैंने भी सोचा कि शायद एक्साइटमेंट में उसकी क्रीम जल्दी निकल गयी होगी और ये कोई नयी बात नहीं होगी। वो गहरी-गहरी साँसें लेता हुआ मेरे जिस्म पे पड़ा रहा और मेरी चूत में पहले से ज़्यादा तूफ़ान उठ रहा था और मेरा मन कर रहा था कि किसी तरह से सुहैल आ जाये और मुझे इतना चोदे कि मेरी चूत फट जाये पर ऐसा हो नहीं सकता था ना। मैं कुछ नहीं कर सकती थी। इंतज़ार किया कि शायद अशफाक के लंड में फिर से जान पड़ेगी और वो कुछ सही ढंग से चुदाई करेगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और वो मेरे बगल में लेट के गहरी नींद सो गया और एक ही मिनट में उसके खर्राटे गूँजने लगे।

सुबह हुई तो उसकी बहन रुखसाना कमरे में आयी और मुस्कुराते हुए एक आँख बंद कर के पूछा, “क्यों भाभी जान! रात सोयी या भाई जान ने सारी रात जगाया?” मैं उस पगली को क्या बताती कि उसका भाई मेरी चूत में आग लगा के सो गया और मैं सारी रात जागती रही और इंतज़ार करती रही कि हो सकता है कि उसका लंड फिर से जाग जाये पर ऐसा कुछ हुआ नहीं और रुखसाना से कैसे बताती कि उसके भाई को आग लगाना तो आता है पर उस आग को बुझाना नहीं आता। मैंने बनावटी शर्म से नज़र नीचे कर ली और मुस्कुरा दी और दिल में सोचा कि पता नहीं इसे कैसा शौहर मिलेगा, पहली रात को चोद-चोद के चूत का भोंसड़ा बना देगा या मेरी तरह चूत में आग लगा के सो जायेगा। तब मैं पूछूँगी उससे कि रात कैसी गुजरी, रात भर चुदाई होती रही या खुद मलाई निकाल के सो गया और तुम्हारी चूत में आग लगा के तुम्हें सोने नहीं दिया। लेकिन अभी इस सवाल को पूछने के लिये तो टाईम है।

इसी तरह से एक हफ्ता हो गया और मुझे कोई खास मज़ा नहीं आया। बस वो अपने हिसाब से चोदता रहा और हर बार चोद के मुझसे पूछता कि "मज़ा आया किरन?" तो मैं मुँह नीचे कर के चुप हो जाती और वो समझता कि शायद मैं उसकी चुदाई को इंजॉय कर रही हूँ। पता नहीं क्या प्रॉबलम था उसको कि चुदाई से पहले उसका लंड अकड़ता तो था लेकिन चूत की गर्मी से उसकी मलाई दूध बन के निकल जाती थी। ऐसा लगाता था कि लंड चूत के अंदर सिर्फ़ मलाई छोड़ने के लिये ही जाता है। मुश्किल से दो या तीन ही धक्कों में उसका काम तमाम हो जाता था। शुरू-शुरू में तो मैं समझी कि शायद एक्साइटमेंट की वजह से होगा और वक्त के साथ ठीक हो जायेगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। शादी के बाद पूरे दो हफ्ता उसके घर रह कर हम शहर में चले आये जहाँ उसका बिज़नेस था।