मेरी पत्नी मिन्नी और डॉली भाभी

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मैंने कहा, “अच्छा।”

थोड़ी देर तक डॉली भाभी मेरा लंड सहलाती रही और शराब पीती रही। उसके बाद उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिये और एक दम नंगी हो गयी। डॉली भाभी भी बहुत ही खूबसूरत थी। वो अपने सैंडल उतारने लगी तो मैंने उन्हें रोका। वो मुस्कुराते हुए बोली, “तो तू भी अपने भैया की तरह औरतों के ऊँची ऐड़ी के सैंडल देख कर उत्तेजित होता है...?” मैं थोड़ा सा शरमाया तो वो बोली, “शर्माता क्यों है... ज्यादातर मर्दों को ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहनी औरतें उत्तेजक लगती हैं... इसी लिये तो मैं हरदम ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने रहती हूँ।” उसके बाद वो सैंडल पहने हुए ही बेड पर लेट गयी और बोली, “अब थोड़ा सा तेल अपने लंड पर लगा लो और आ जाओ।”

मैंने कहा, “क्या भाभी, आपने तो भैया से बहुत बार चुदवाया है, आप मुझसे तेल लगाने को कह रही हैं? बिना तेल के ज्यादा मज़ा आयेगा!”

वो बोली, “फिर देर किस बात की... आ जाओ।”

मैं डॉली भाभी के पैरों के बीच आ गया।

डॉली भाभी ने कहा, “आराम से घुसाना, जल्दी मत करना। जब मैं रोकूँगी तो रुक जाना।”

मैंने कहा, “ठीक है।”

वो बोली, “चलो अब धीरे-धीरे अंदर घुसाओ।”

मैंने अपने लंड का सुपाड़ा डॉली भाभी की चूत के मुँह पर रख दिया और धीरे-धीरे अपना लंड डॉली भाभी की चूत में घुसाने लगा। जैसे ही मेरे लंड का सुपाड़ा डॉली भाभी की चूत में घुसा तो उनके मुँह से आह निकल गयी। उनकी चूत मुझे ज्यादा टाइट लग रही थी। मेरा लंड आसानी से घुस नहीं पा रहा था। मैं जोर लगा कर धीरे-धीरे अपना लंड डॉली भाभी की चूत में घुसाने लगा। डॉली भाभी आहें भरती रही। जब मेरा लंड पाँच इंच तक घुस गया तो दर्द के मारे उनका बुरा हाल होने लगा लेकिन उन्होंने मुझे रोका नहीं। उन्होंने अपने होंठों को जोर से जकड़ लिया था। मैं जोर लगाता रहा। जब मेरा लंड डॉली भाभी की चूत में छः इंच तक घुस गया तो वो बोली, “अब रुक जाओ!” मैं रुक गया तो वो बोली, “बहुत दर्द हो रहा है। अब बर्दाश्त करना मुश्किल है। कितना बाकी है अभी?”

मैंने कहा, “तीन इंच।”

वो बोली, “अब और ज्यादा अंदर मत घुसाना। धीरे-धीरे चुदाई करना शुरू कर दो।”

मैंने धीरे-धीरे डॉली भाभी की चुदाई शुरू कर दी। उनकी चूत ने मेरे लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। वो आहें भरती रही। मुझे भी खूब मज़ा आ रहा था। आज मैं किसी औरत को पहली बार चोद रहा था। पाँच मिनट की चुदाई के बाद डॉली भाभी झड़ गयी। उन्होंने बहुत दिनों से चुदवाया नहीं था इसलिये उनकी चूत से ढेर सारा जूस निकला। उनकी चूत और मेरा लंड एक दम गीले हो गये तो उन्होंने कहा, “अब धीरे-धीरे बाकी का भी घुसा दो।”

मैंने इस बार थोड़ा ज्यादा ही जोर लगा दिया तो वो अपने आप को रोक नहीं पायी। उनके मुँह से चींख निकल ही गयी लेकिन उन्होंने तुरंत ही खुद को संभाल लिया। मैंने इस बार एक धक्का लगा दिया तो वो दर्द के मारे तड़पने लगी और बोली, “अब कितना बाकी है?”

मैंने कहा, “एक इंच।”

वो बोली, “अब चोदो मुझे, बाकी का चुदाई करते समय घुसा देना।”

मैंने डॉली भाभी की चुदाई शुरू कर दी। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। डॉली भाभी दर्द के मारे आहें भर रही थी। जैसे-जैसे समय गुजरता गया वो शाँत होती गयी। अब उन्हें भी मज़ा आने लगा था। तभी मैंने एक धक्का लगा कर बाकी का लंड भी उनकी चूत में घुसा दिया। वो चींख उठी और बोली, “पूरा घुस गया?”

मैंने कहा, “हाँ।”

वो बोली, “अब जोर-जोर से चोदो। तुम तो गाँव में कुश्ती लड़ा करते थे ना?”

मैंने कहा, “हाँ।”

वो बोली, “अब तुम मेरी चूत के साथ कुश्ती लड़ो। मेरी चूत को अपने लंड का दुश्मन समझ लो और मेरी चूत पर अपने लंड से खूब जोर-जोर से वार करो। फाड़ देना आज इसको।”

मैंने कहा, “अगर फाड़ दूँगा तो बाद में मज़ा कैसे आयेगा?”

वो बोली, “तुम इसका मतलब नहीं समझे। मैं सचमुच फाड़ने को थोड़े ही कह रही हूँ।”

मैंने बहुत ही जोर-जोर के धक्के लगाते हुए डॉली भाभी को चोदना शुरू कर दिया। डॉली भाभी तो बहुत ही सैक्सी निकलीं। वो हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर मुझसे चुदवा रही थी। पूरा बेड जोर-जोर से हिल रहा था। कमरे में धप-धप की आवाज़ हो रही थी। उनकी चूत से भी चप-चप की आवाज़ निकल रही थी। मैं भी पूरे जोश में था और वो भी। पाँच मिनट की चुदाई के बाद वो फिर से झड़ गयी लेकिन मैं रुका नहीं। मैं खूब जोर-जोर के धक्के लगाते हुए उनकी चुदाई कर रहा था। वो पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और अपनी चूचियों को अपने हाथों से मसल रही थी। थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गया। डॉली भाभी भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गयी। मैंने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाला तो मेरे लंड पर खून भी लगा हुआ था।

डॉली भाभी ने कहा, “देख लिया तुमने अपने लंड की करतूत। इसने मुझ जैसी चुदी चुदाई औरत की चूत से भी खून निकाल दिया।”

उन्होंने मेरे लंड को कपड़े से साफ़ कर दिया। उसके बाद मैं उनके बगल में लेट गया। वो मेरे होंठों को चूमने लगी और बोली, “देवर जी, आज तो तुमने मुझे ऐसा मज़ा दिया है की मैं क्या बताऊँ। ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक कभी नहीं मिला।”

मैंने कहा, “भाभी... आप इतने नशे में हो... इसलिये इतनी तारीफ कर रही हो।”

भाभी बोलीं, “अरे मेरे बेवकूफ देवर जी, नशे में जरूर हूँ पर गलत नहीं कह रही... बल्कि नशे में तो मज़ा दोगुना हो गया।”

मैंने फिर कहा, “मैं मिन्नी का क्या करूँ?”

वो बोली, “मैंने तुम्हारे भैया से इतने सालों तक चुदवाया था... फिर भी मुझे तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर लेने में बहुत तकलीफ़ हुई। मिन्नी अभी बहुत छोटी है। जरा सोचो की उसे कितनी तकलीफ होती होगी।”

मैंने कहा, “तब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ। क्या मैं मिन्नी को छोड़ कर केवल तुमहारी चुदाई करूँ?”

वो बोली, “मैं ऐसा थोड़े ही कह रही हूँ। अब की बार जब तुम मिन्नी की चुदाई करना तो उसके ऊपर जरा सा भी रहम मत करना। वो चाहे कितनी भी चींखे या चिल्लाये... अपना पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा देना। उसकी चींख मुझे सुनायी पड़ेगी... तुम इसकी परवाह मत करना।”

मैंने कहा, “ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा।”

वो बोली, “थोड़ी देर आराम कर लो। उसके बाद मिन्नी के पास जाओ। अबकी बार हार नहीं मनना। पूरा का पूरा घुसा देना भले ही वो कितना भी चींखे या चिल्लाये। हो सके तो उसे भी थोड़ी सी शराब पिला दो... उसे तकलीफ कुछ कम होगी और बाद में मज़ा भी ज्यादा आयेगा।”

मैंने कहा, “मैं ऐसा ही करूँगा।”

सुबह के पाँच बजने वाले थे। थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं मिन्नी के पास चला गया। मिन्नी सो रही थी। मैंने उसे जगाया तो वो उठ गयी। मैंने उससे कहा, “जा कर तेल की शीशी उठा लाओ और मेरे लंड पर ढेर सारा तेल लगा दो।”

वो बोली, “मुझे शरम आती है।”

मैंने कहा, “अगर तुम मेरे लंड पर तेल नहीं लगाओगी तो मैं ऐसे ही अपना लंड तुम्हारे छेद में घुसा दूँगा।”

वो बोली, “ना बाबा ना, ऐसा मत करना। जब तेल लगाने के बाद भी इतना दर्द होता है तो बिना तेल लगाये जब तुम अपना औज़ार अंदर घुसाओगे तो मैं तो मर ही जाऊँगी। मैं तुम्हारे औज़ार पर तेल लगा देती हूँ।”

इतना कह कर वो उठी। उसने तेल की शीशी से तेल निकाल कर मेरे लंड पर लगा दिया। उसके तेल लगाने से मेरा लंड एक दम टाइट हो गया। उसके बाद मैंने एक ग्लास में थोड़ी सी शराब डाल कर उसके होंठों से ग्लास लगा दिया। उसने थोड़ी आनाकनी की पर फिर मेरे समझाने पर वो बुरा सा मुँह बना कर एक ही साँस में पुरा गटक गयी।

“ऊँ.. मेरा सिर घूम रहा है...” वो बोली और वो मेरे कुछ कहे बिना ही पेट के बल लेट गयी और बोली, “धीरे-धीरे घुसाना।”

मैं उसके ऊपर आ गया। मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड के छेद पर रख दिया और फिर उसकी कमर के नीचे से हाथ डाल कर उसकी कमर को जोर से पकड़ लिया। मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो उसके मुँह से आह निकल गयी।

मैंने थोड़ा जोर और लगाया तो उसके मुँह हल्की सी चींख निकल गयी। मेरा लंड उसकी गाँड में तीन इंच तक घुस चुका था। मैंने थोड़ा सा जोर और लगाया तो वो फिर से चिल्लाने लगी और मेरा लंड चार इंच तक घुस गया। मैंने उसकी चींख पर जरा सा भी ध्यान नहीं दिया। मैंने जोर का धक्का मारा तो वो तड़पने लगी और जोर जोर से चींखने लगी, “दीदी, बचा लो मुझे, मर जाऊँगी मैं।”

अगले धक्के के साथ मेरा लंड पाँच इंच तक घुस गया। मैंने फिर से बहुत ही जोर का एक धक्का और मारा तो वो अपने हाथों को जोर-जोर से बेड पर पटकने लगी। उसने अपने सिर के बाल नोचने शुरू कर दिये और बहुत ही जोर-जोर से चिल्लाने लगी। अब तक मेरा लंड मिन्नी की गाँड में छः इंच तक घुस चुका था। मैंने पूरी ताकत के साथ फिर से जोर का धक्का मारा तो वो बहुत जोर-जोर से रोने लगी। लग रहा था कि जैसे वो मर जायेगी। मैं रुक गया और फिर अगले धक्के के साथ मेरा लंड उसकी गाँड में सात इंच घुस चुका था। मैंने अपना लंड एक झटके से बाहर खींच लिया। पक की आवाज़ के साथ मेरा लंड बाहर आ गया। मैंने देखा की उसकी गाँड का मुँह खुला हुआ था और ढेर सारा खून मेरे लंड पर और उसकी गाँड पर लगा हुआ था। मैंने तेल की शीशी उठायी और उसकी गाँड के छेद में ढेर सारा तेल डाल दिया। उसके बाद मैंने फिर से अपना लंड धीरे धीरे उसकी गाँड में घुसा दिया। जब मेरा लंड उसकी गाँड में सात इंच तक घुस गया तो मैंने पूरी ताकत के साथ दो बहुत ही जोरदार धक्के लगा दिये।

वो जोर जोर से चिल्लाने लगी, “दीदी, तुमने मुझे कहाँ फँसा दिया। मैं मरी जा रही हूँ और तुम सुन ही नहीं रही हो, बचा लो मुझे, नहीं तो ये मुझे मर डालेंगे।”

मैंने कहा, “अब चुप हो जाओ। मेरा पूरा लंड अब घुस चुका है।”

वो कुछ नहीं बोली, केवल सिसक-सिसक कर रोती रही। मैं अपना लंड उसकी गाँड में ही डाले हुए थोड़ी देर तक रुका रहा। धीरे-धीरे वो कुछ हद तक शाँत हो गयी। तभी कमरे के बाहर से ही डॉली भाभी ने पूछा, “काम हो गया?”

मैंने कहा, “अभी तो मैंने केवल अपना औज़ार ही पूरा अंदर घुसाया है।”

वो बोली, “ठीक है, अब जल्दी से अपना पानी भी निकाल दो और बाहर आ जाओ।”

मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये तो मिन्नी फिर से चींखने लगी। वक्त गुजरता गया और वो धीरे-धीरे शाँत होती गयी। दस मिनट में वो एक दम शाँत हो गयी तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी। अब उसके मुँह से केवल हल्की-हल्की सी आह ही निकल रही थी। मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी।

तेल लगा होने की वजह से मेरा लंड उसकी गाँड में सटासट अंदर बाहर हो रहा था। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। मिन्नी को भी अब कुछ-कुछ मज़ा आने लगा था। मैं भी पूरे जोश में आ चुका था और तेजी के साथ उसकी गाँड मार रहा था। दस मिनट तक मैंने उसकी गाँड मारी और फिर झड़ गया। लंड का सारा पानी उसकी गाँड में निकाल देने के बाद भी मैंने उसकी गाँड में ही अपना लंड डाले रखा और उसके ऊपर लेट गया।

मैंने मिन्नी से पूछा, “कुछ मज़ा आया?”

वो बोली, “बहुत दर्द हो रहा है और तुम पूछ रहे हो की मज़ा आया!”

मैंने कहा, “मेरी कसम है तुम्हें, सच-सच बताओ... क्या तुम्हें जरा सा भी मज़ा नहीं आया?”

उसने शरमाते हुए कहा, “पहले तो बहुत दर्द हो रहा था लेकिन बाद में मुझे थोड़ा-थोड़ा सा मज़ा आने लगा था कि तुम रुक गये।”

मैंने कहा, “अभी थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो जायेगा। उसके बाद मैं फिर से तुम्हारी गाँड मारूँगा।”

वो बोली, “नहीं, अभी रहने दो।”

तभी डॉली भाभी ने पूछा, “क्यों ऋषी, काम हो गया?”

मैंने कहा, “हाँ, मैंने अपना पानी इसके छेद में निकाल दिया है। अभी थोड़ी ही देर में मैं फिर से अपना पानी निकालने वाला हूँ।”

डॉली भाभी ने कहा, “ठीक है, जब दोबारा पानी निकाल देना तो बाहर आ जाना।”

मैंने कहा, “ठीक है।”

मैंने अपना लंड मिन्नी की गाँड में ही रखा और उसकी चूचियों को मसलता रहा। पंद्रह मिनट में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैंने उसकी गाँड मारनी शुरू कर दी। अब उसके मुँह से केवल हल्की-हल्की सी आह ही निकल रही थी। थोड़ी ही देर में उसे मज़ा आने लगा तो वो सिसकारियाँ लेने लगी।

मैंने पूछा, “अब कैसा लग रहा है?”

वो बोली, “अब अच्छा लग रहा है।”

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो थोड़ी ही देर में वो जोर की सिसकारियाँ भरने लगी। मुझे भी उसकी गाँड मारने में खूब मज़ा आ रहा था। बीस मिनट तक मैंने उसकी गाँड मारी और फिर झड़ गया। मैंने अपना लंड उसकी गाँड से बाहर निकाला और उसके बगल में लेट गया। मैंने उसके होंठों को चूम्ते हुए पूछा, “कैसा लगा?”

वो बोली, “इस बार कुछ ज्यादा ही मज़ा आया... अच्छा हुआ तुमने मुझे शराब पिला दी... कड़वी तो थी पर अब काफी अच्छा लग रहा है।”

मैंने कहा, “धीरे-धीरे तुम्हें ज्यादा मज़ा आने लगेगा... चाहो तो जब भी मैं तुम्हारे छेद में अपना औज़ार डालूँ, तुम थोड़ी शराब पी लिया करना... तुम्हें ज्यादा मज़ा आयेगा।”

मैं मिन्नी के पास से उठ कर बाहर चला आया। डॉली भाभी बाहर बैठी थी। नशे और पूरी रात ना सोने के कारण उनकी आँखें लाल और बुझी हुई सी थीं। उन्होंने मुझसे पूछा, “काम हो गया?”

मैंने कहा, “हाँ!”

वो बोली, “मैं गरम पानी से उसकी चूत की सिकायी कर देती हूँ। इससे उसका दर्द कम हो जायेगा।”

मैं चुप रह गया क्योंकि मैंने तो मिन्नी की चूत को अभी तक छुआ ही नहीं था। मैंने तो उसकी गाँड मारी थी। मैं मिन्नी के पास चला गया। डॉली भाभी पानी गरम कर के ले आयीं। वो बोली, “मैं पानी गरम कर के लायी हूँ, अंदर आ जाऊँ।”

मैंने कहा, “आ जाओ।”

मिन्नी बोली, “मैं एक दम नंगी हूँ और तुम दीदी को यहाँ बुला रहे हो... क्या सोचेंगी वो... मैं नंगी और बिस्तर पे सैंडल पहने हुए...।”

मैंने कहा, “तो क्या हुआ?”

वो कुछ नहीं बोली। डॉली भाभी अंदर आ गयी। उन्होंने मिन्नी से कहा, “लाओ मैं तुम्हारे छेद की सिकायी कर दूँ। इससे तुम्हारा दर्द कम हो जायेगा।”

मिन्नी ने करवट बदल ली तो डॉली भाभी ने कहा, “तुमने करवट क्यों बदल ली। अब मैं कैसे तुम्हारे छेद की सिकायी करूँगी? ”

उसने अपनी गाँड के छेद की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, “इसी में तो इन्होंने अपना औज़ार घुसाया था।”

डॉली भाभी के मुँह से निकला, “क्या???”

डॉली भाभी की नज़र मिन्नी की गाँड पर पड़ी। उसकी गाँड खून से लथपथ थी। मैंने अभी तक अपना लंड साफ़ नहीं किया था। मेरा लंड भी खून से भीगा हुआ था। डॉली भाभी आँखें फाड़े कभी मेरे लंड को और कभी मिन्नी की गाँड को और कभी मेरे चेहरे को देखने लगी। डॉली भाभी ने गरम पानी से मिन्नी के गाँड की सिकायी की। उसके बाद उन्होंने मुस्कुराते हुए मिन्नी से कहा, “मिन्नी तुमने एक मैदन तो मार लिया है। अब दूसरा मैदन मारना और बाकी है।”

वो बोली, “दीदी, मैं समझी नहीं।”

डॉली भाभी ने मिन्नी की चूत पर हाथ लगाते हुए कहा, “अभी तो तुम्हें इस छेद में भी इसका औज़ार अंदर लेना है।”

मिन्नी को बहुत दर्द हो रहा था। डॉली भाभी की बात सुनकर वो गुस्से में आ गयी। उसने अपनी चूत की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, “एक छेद के अंदर इनका औज़ार लेने में ही मेरा इतना बुरा हाल हो गया और आप कह रही हो की अभी इस छेद में भी अंदर लेना है। मैं अब किसी छेद में इनका औज़ार अंदर नहीं लूँगी। मुझे बहुत दर्द होता है। आप खुद ही इनका औज़ार अपने छेद में ले लो।”

डॉली भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरे अंदर लेने से क्या होगा। आखिर तुम्हें भी तो इसका औज़ार अपने इस छेद में अंदर लेना ही पड़ेगा। जैसे एक बार तुमने दर्द को बर्दाश्त कर लिया है उसी तरह से एक बार और दर्द को बर्दाश्त कर लेना।”

मिन्नी ने डॉली भाभी की चूत की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, “पहले तुम इनका औज़ार अपने इस छेद में अंदर ले कर दिखाओ। उसके बाद ही मैं इनका औज़ार अपने इस छेद में अंदर लूँगी।” डॉली भाभी मुझे देखने लगी और मैं उनको। मिन्नी बोली, “क्यों अब क्या हुआ? आप मुझे फँसा रही थी लेकिन मैंने आप को ही फँसा दिया। दिखाओ इनका औज़ार अपने छेद के अंदर लेकर।”

डॉली भाभी ने कहा, “अच्छा बाबा, अभी दिखा देती हूँ लेकिन उसके बाद तो तुम मना नहीं करोगी?”

वो बोली, “पहले आप दिखाओ... उसके बाद मैं इनका औज़ार अंदर ले लूँगी भले ही मुझे कितनी भी तकलीफ क्यों ना हो।”

डॉली भाभी ने मुझसे कहा, “देवर जी! मिन्नी ऐसे नहीं मानेगी। अब तुम अपना औज़ार मेरे अंदर डाल ही दो।”

मैंने कहा, “मिन्नी के सामने?”

डॉली भाभी बोली, “तो क्या हुआ? जब ये मुझे तुम्हारा औज़ार अंदर लेते हुए देखेगी तब ही तो ये तुम्हारा औज़ार अंदर लेगी।”

डॉली भाभी ने सैंडल छोड़ कर अपने सारे कपड़े उतार दिये और मिन्नी के बगल में लेट गयी। मैं डॉली भाभी के पैरों के बीच आ गया तो डॉली भाभी ने मिन्नी से कहा, “अब तुम बैठ जाओ और देखो की कैसे मैं इसका औज़ार पूरा का पूरा अंदर लेती हूँ।”

मिन्नी डॉली भाभी के बगल में बैठ गयी। मैंने डॉली भाभी की चूत में अपना लंड घुसाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मेरा पूरा का पूरा लंड डॉली भाभी की चूत में समा गया। मिन्नी आँखें फाड़े देखती रही। उसके बाद मैंने डॉली भाभी की चुदाई शुरू कर दी। मिन्नी मेरे लंड को डॉली भाभी की चूत में सटासट अंदर-बाहर होते हुए देखती रही। पाँच मिनट की चुदाई एक बाद डॉली भाभी झड़ गयी तो मिन्नी ने कहा, “दीदी, तुम्हारे छेद में से क्या निकल रहा है?”

डॉली भाभी ने कहा, “ये मेरी चूत का पानी है। अभी ये कईं बार निकलेगा। जब ये तुम्हारी चूत में भी अपना लंड घुसा कर तेजी से अंदर बाहर करेगा तब तुम्हारी चूत में से भी ऐसा ही पानी निकलेगा। चूत से पानी निकलने पर बहुत मज़ा आता है। तुम खुद ही देख लो की मुझे कितना मज़ा आ रहा है।”

मैंने डॉली भाभी को लगभग पच्चीस मिनट तक खूब जम कर चोदा। मिन्नी आँखें फाड़े देखती रही। लंड का सारा पानी डॉली भाभी की चूत में निकाल देने के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया तो मिन्नी बोली, “तुम्हारे लंड पर तो जरा सा भी खून नहीं लगा है?”

मैंने कहा, “खून तो केवल पहली-पहली बार घुसाने में ही निकलता है।”

वो कुछ नहीं बोली। डॉली भाभी ने मिन्नी से कहा, “अब तो तैयार हो इसका लंड अपनी चूत में लेने के लिये?”

वो बोली, “हाँ, लेकिन दीदी, बहुत दर्द होगा।”

डॉली भाभी ने कहा, “पगली, केवल एक ही बार तो दर्द होगा। उसके बाद तो तू खुद ही इससे बार-बार कहेगी की अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।”

वो बोली, “भला मैं ऐसा क्यों कहूँगी?”

डॉली भाभी ने कहा, “क्योंकि तुझे इसमें मज़ा जो आयेगा।”

मैं डॉली भाभी के बगल में लेट गया। मिन्नी मेरे लंड को देखती रही। थोड़ी देर बाद वो बोली, “इनका लंड अब खड़ा क्यों नहीं हो रहा है।”

डॉली भाभी ने कहा, “अभी इसने मुझे चोद है ना... इसलिये। तू इसके लंड को सहलाना शुरू कर दे। थोड़ी ही देर में ये फिर से खड़ा हो जायेगा।”

डॉली भाभी की चुदाई देख कर मिन्नी को भी थोड़ा जोश आ गया था। उसने अपना हाथ धीरे से मेरे लंड पर रख दिया। थोड़ी देर तक वो मेरे लंड को देखती रही। उसके बाद उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया। पंद्रह-बीस मिनट के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने देखा की उसकी आँखें कुछ गुलाबी सी होने लगी थीं। लंड खड़ा होते देख मिन्नी जोश में आ गयी और डॉली भाभी से बोली, “दीदी, अब तो इनका लंड खड़ा हो गया।”

डॉली भाभी बोली, “अब तू लेट जा।”

इतना कह कर डॉली भाभी उठ कर बैठ गयी और मिन्नी लेट गयी। डॉली भाभी ने मुझसे कहा, “तू मेरे साथ जरा बाहर आ।” डॉली भाभी वैसे ही नंगी ऊँची ऐड़ी के सैंडल में चूतड़ मटकाती कमरे से बाहर जाने लगीं तो मैं डॉली भाभी के साथ बाहर आ गया। डॉली भाभी ने कहा, “इस बार मिन्नी के ऊपर जरा-सा भी रहम मत करना। पूरी ताकत के साथ धक्का लगाते हुए पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा देना। ज्यादा देर भी मत करना। उसके बाद उसकी किसी दुश्मन की तरह खूब जम कर चुदाई करना। समझ गये?”

मैंने कहा, “ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा।”

डॉली भाभी ने कहा, “मैं कभी तेरे भैया से गाँड नहीं मरवाती थी... मेरी गाँड कब मारेगा?”

मैंने कहा, “जब तुम कहो।”

वो बोली, “ठीक है, मैं तुझे बता दूँगी। अब चल मेरे साथ कमरे में।”

मैं डॉली भाभी के साथ कमरे में आ गया। मिन्नी बेड पर लेटी हुई थी। डॉली भाभी ने मुझसे कहा, “अब तू अपने लंड पर तेल लगा ले और मिन्नी की चुदाई शुरू कर। मैं इसके पास ही बैठ जाती हूँ।”

डॉली भाभी मिन्नी के बगल में बैठ गयी। मैंने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा लिया और मिन्नी के पैरों के बीच आ गया। जैसे ही मैंने अपना लंड मिन्नी की चूत पर रखा तो डॉली भाभी ने कहा, “ऐसे नहीं... मैं बताती हूँ।”

मैंने कहा, “बताओ।”

डॉली भाभी ने कहा, “तू अपना हाथ इसकी टाँगों के नीचे से डाल कर इसके कंधे को जोर से पकड़ ले। उसके बाद अंदर घुसा।” मैंने मिन्नी की टाँगों के नीचे से हाथ डाल कर मिन्नी के कंधों को जोर से पकड़ लिया। डॉली भाभी ने कहा, “अब जैसा मैंने तुझे समझाया था... ठीक उसी तरह अंदर घुसा दे।”

मैंने मिन्नी के चूत के मुँह पर अपने लंड का सुपाड़ा रख दिया। जैसे ही मैंने धक्का लगाया तो डॉली भाभी ने मिन्नी के मुँह को जोर से दबा कर पकड़ लिया। मिन्नी के मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़ ही निकल पायी। डॉली भाभी मुझसे बोली, “घुसा दे जल्दी से पूरा का पूरा।”

मैं तो ताकतवर था ही। मैंने अपनी सारी ताकत लगाते हुए फिर से एक धक्का मारा। मिन्नी की चूत से खून की धार निकलने लगी। मेरा लंड खून से नहा गया। वो अपने हाथों को जोर-जोर से बेड पर पटकने लगी। उसकी सारी की सारी चूड़ियाँ टूट गयीं और उसका हाथ लहू लुहान हो गया। मुँह दबा होने की वजह से उसके मुँह से केवल गूँ-गूँ की आवाज़ ही निकल पा रही थी। मैंने फिर से एक धक्का लगाया। इस धक्के के साथ ही मेरा लंड मिन्नी की चूत में सात इंच तक घुस गया। मिन्नी तड़प रही थी। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। बेड की चादर पर भी ढेर सारा खून लग गया था।

भाभी बोली, “जल्दी कर।”

मैंने एक धक्का और मारा तो मेरा लंड आठ इंच घुस गया। मैंने गहरी साँस लेते हुए फिर से जोर का धक्का लगाया। इस धक्के के साथ ही मेरा पूरा का पूरा लंड मिन्नी की चूत में समा गया। डॉली भाभी बोली, “अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर एक ही झटके में फिर से अंदर कर दे।” मैंने वैसा ही किया। डॉली भाभी ने कहा, “शाबाश... ठीक इसी तरह से चार-पाँच बार और कर।” मैंने चार-पाँच बार फिर से वैसा ही किया। मिन्नी तड़प रही थी। उसका सारा बदन पसीने से नहा गया था। उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी और सारा बदन थर थर काँप रहा था।

मैंने मिन्नी की चुदाई शुरू कर दी। डॉली भाभी अभी भी उसका मुँह दबाये हुए थी। उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़ निकल रही थी। उसकी चूत ने मेरे लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। मेरा लंड आसानी से उसकी चूत में अंदर बाहर नहीं हो पा रहा था। पूरी ताकत के साथ मैं लगभग दस मिनट तक उसकी चुदाई करता रहा। मिन्नी अब कुछ हद तक शाँत हो चुकी थी। डॉली भाभी ने अपना हाथ उसके मुँह पर से हटा लिया तो मिन्नी सिसक-सिसक कर रोते हुए कहने लगी, “दीदी, आप दोनों ने मिलकर मुझे मार ही डाला। बहुत दर्द हो रहा है।”

डॉली भाभी ने कहा, “अब तो पहले जैसा दर्द नहीं है न?”
वो बोली, “नहीं, अब पहले से बहुत कम है।”

डॉली भाभी ने कहा, “थोड़ा सब्र कर, अभी बाकी का दर्द भी चला जायेगा।”

मैं तेजी के साथ उसकी चुदाई कर रहा था। अब वो चींख नहीं रही थी, केवल आहें भर रही थी। मैंने उसे पाँच मिनट तक और चोदा तो मिन्नी झड़ गयी। उसकी चूत और मेरा लंड एक दम गीला हो गया। अब मेरा लंड थोड़ा आसानी से उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगा था। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मिन्नी ने धीरे-धीरे सिसकारियाँ भरनी शुरू कर दी।

डॉली भाभी ने पूछा, “अब कैसा लग रहा है?”

वो बोली, “अब कुछ-कुछ मज़ा आ रहा है लेकिन दर्द अभी भी है।”

डॉली भाभी ने कहा, “अब इस दर्द को जाने में समय लगेगा। उसके बाद बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा।”

मिन्नी बोली, “समय क्यों लगेगा?”

डॉली भाभी ने कहा, “जब ये तुम्हें तीन-चार बार चोद देगा, तब तम्हारी चूत इसके लंड के साइज़ की हो जायेगी। उसके बाद ये दर्द अपने आप चला जायेगा।”

मैंने और ज्यादा जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिये थे और उसे तेजी के साथ चोद रहा था। मिन्नी ने भी अब धीरे-धीरे अपने चूतड़ उठाने शुरू कर दिये थे। वो भी अब मस्ती में आ रही थी। पाँच मिनट में ही वो फिर से झड़ गयी। उसने मेरे होंठों को चूम लिया और कहा, “अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।”