मेरी पत्नी मिन्नी और डॉली भाभी

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मैंने उसकी चुदाई जारी रखी। दो मिनट भी नहीं गुजरे थे कि डॉली भाभी ने कहा, “मिन्नी अब तुम इसका लंड अपने दूसरे छेद में ले लो।”

वो बोली, “फिर से दर्द होगा।”

डॉली भाभी ने कहा, “अब ज्यादा दर्द नहीं होगा क्योंकी तुम इसका लंड पहले ही अंदर ले चुकी हो।”

वो बोली, “फिर इनसे कह दो की धीरे-धीरे करेंगे।”

डॉली भाभी ने कहा, “ये धीरे-धीरे ही करेगा। मैं हूँ न यहाँ पर। अगर ये बदमाशी करेगा तो मैं इसे बहुत मारूँगी।”

वो बोली, “ठीक है।”

मैंने अपना लंड मिन्नी की चूत से बाहर निकाला और उसकी गाँड में घुसाने लगा। मेरे लंड पर मिन्नी की चूत का ढेर सारा पानी लगा हुआ था। धीरे-धीरे मेरा लंड सात इंच तक उसकी गाँड में घुस गया। उसके बाद जब मैंने और ज्यादा घुसाने की कोशिश की तो उसे फिर से दर्द होने लगा और वो चींखने लगी लेकिन इस बार उसने मुझे रोका नहीं। वो बोली, “अब रहने दो, दर्द हो रहा है।”

डॉली भाभी ने कहा, “बस थोड़ा सा ही तो बाकी है। उसे भी अंदर ले लो।” मिन्नी कुछ नहीं बोली।

डॉली भाभी ने मुझे आँख मारी तो मैंने जोर का धक्का लगा दिया। मेरा बाकी का लंड भी उसकी गाँड में समा गया। वो जोर से चींखी तो डॉली भाभी ने कहा, “बस हो गया।” उसके बाद मैंने उसकी गाँड मारनी शुरू कर दी। थोड़ी देर चींखने के बाद वो शाँत हो गयी। अब उसे गाँड मरवाने में भी मज़ा आने लगा था। लगभग पाँच मिनट तक मैंने उसकी गाँड मारी तो डॉली भाभी ने कहा, “अब रहने दो।”

मैंने कहा, “अभी तो मेरे लंड का पानी ही नहीं निकला है।”

वो बोली, “मैं मना थोड़े ही कर रही हूँ। अब तुम इसकी चूत में अपना लंड डाल कर इसे चोदो।”

मैंने अपना लंड मिन्नी की गाँड से निकाल कर उसकी चूत में डाल दिया। उसके बाद मैंने पूरी ताकत के साथ जोर-जोर से उसकी चुदाई शुरू कर दी। पाँच मिनट में ही मिन्नी फिर से झड़ गयी। मैं इसके पहले दो बार मिन्नी की गाँड मार चुका था और दो बार डॉली भाभी को चोद चुका था। इसलिये मेरे लंड का पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं जोर-जोर के धक्के लगाते हुए मिन्नी को चोद रहा था। वो भी अपने चूतड़ उठाने लगी थी। थोड़ी देर बाद वो बोली, “दीदी, अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। इनसे कह दो की थोड़ा और जोर-जोर से धक्का लगायें।”

डॉली भाभी ने मुझसे कहा, “तुमने सुना ये क्या कह रही है?”

मैंने कहा, “हाँ!”

वो बोली, “तो फिर तुम इसका कहा मानो और अपनी ताकत दिखा दो इसे।”

मैंने पूरी ताकत लगाते हुए बहुत ही जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिये। डॉली भाभी ने मिन्नी से पूछा, “अब ठीक है?”

वो बोली, “हाँ! अब मुझे ज्यादा मज़ा आ रहा है।” मिन्नी अब चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी। मेरा लंड उसकी चूत में पूरा का पूरा सटासट अंदर बाहर हो रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद मिन्नी फिर से झड़ गयी। मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया तो उसने मेरे लंड को तुरंत पकड़ लिया और कहने लगी, “बाहर क्यों निकाल रहे हो। अभी मुझे और मज़ा लेना है।”

मैंने कहा, “मैं तुम्हें अभी और मज़ा दूँगा। अब तुम घोड़ी की तरह हो जाओ।”

वो डॉगी स्टाइल में हो गयी तो मैं उसके पीछे आ गया। मैंने अपना लंड उसकी गाँड में घुसा दिया और उसकी गाँड मारने लगा। वो जोश के मारे सिसकारियाँ भरने लगी। पाँच मिनट तक उसकी गाँड मारने के बाद मैं अपना लंड उसकी गाँड से निकाल कर उसकी चूत में डाल दिया और उसकी चुदाई करने लगा। मैं उसकी कमर को पकड़ कर उसे बहुत ही बुरी तरह से चोद रहा था। वो भी अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए मेरा साथ देने लगी थी। दस मिनट उसकी चुदाई करने के बाद मैं झड़ गया। मेरे साथ ही साथ मिन्नी भी फिर से झड़ गयी।

मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो डॉली भाभी ने मिन्नी से कहा, “अब तुम इसके लंड को चाट लो।”

वो बोली, “मैं इनके लंड को नहीं चाटूँगी। इनका लंड गंदा है।”

डॉली भाभी ने कहा, “गंदा कहाँ है? इसके लंड पर तुम्हारी चूत का और इसके लंड का पानी ही तो लगा है। इसे चाटने से प्यार बढ़ता है। चाट लो इसे।”

वो बोली, “मैं नहीं चाटूँगी। मुझे घिन्न आती है।”

डॉली भाभी ने कहा, “मैं ही चाट लेती हूँ। फिर आगे से तुझे ही चाटना पड़ेगा।”

वो बोली, “ठीक है! पहले तुम चाट कर दिखाओ, बाद में मैं चाट लूँगी।“

डॉली भाभी मेरे लंड को चाटने लगी। मिन्नी देख रही थी। मेरे लंड पर लगा हुआ थोड़ा सा पानी डॉली भाभी ने चाट लिया फिर मिन्नी से बोली, “अब बाकी का तुम चाट लो।”

मिन्नी ने शर्माते हुए मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया। उसने मेरे लंड पर लगे हुए बाकी के पानी को चाट-चाट कर साफ़ कर दिया। डॉली भाभी ने मिन्नी से कहा, “अब तुम्हें जब ये फिर से चोदेगा तो चिल्लाओगी तो नहीं?”

वो बोली, “अब क्यों चिल्लाऊँगी? अब तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा है।”

डॉली भाभी ने कहा, “फिर ठीक है, तुम आराम कर लो। जब तुम्हारा मन करेगा तो इसे बुला लेना। मैं इसके साथ अपने कमरे में जा रही हूँ। मुझे इस से कुछ बात करनी है।”

वो बोली, “ठीक है, बुला लूँगी।”

डॉली भाभी बोली, “मैं भी इसके साथ आऊँगी तुम्हारे पास और अपने सामने ही तुम्हारी चुदाई करा दूँगी।”

डॉली भाभी नंगी ही अपनी सैंडल फर्श पर खट-खट करती हुई बाहर चली गयी तो मैं भी उनके पीछे-पीछे नंगा ही बाहर चला आया। मैंने डॉली भाभी से कहा, “तुमने मुझसे मिन्नी एक सामने ही चुदवा लिया। वो क्या सोचेगी।”

डॉली भाभी ने कहा, “उसे कुछ भी नहीं मालूम है। अगर उसे कुछ मालूम होता तो भला वो मुझे चुदवाने को क्यों कहती। चलो अच्छा ही हुआ की अब मुझे और मिन्नी को एक दूसरे के सामने तुमसे चुदवाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। हमारा रास्ता पूरी तरह से साफ़ हो गया। मैं मिन्नी से भी इस बारे में बात कर लूँगी।”

मैंने भाभी से पूछा, “गाँड कब मरवाओगी?”

वो मुस्कुराते हुए बोली, “क्या मेरी गाँड भी फाड़नी है?”

मैंने कहा, “हाँ!”

वो बोली, “कल फाड़ लेना।”

मैंने कहा, “थोड़ा सा आज अंदर ले लो बाकी का कल अंदर ले लेना।”

वो बोली, “जो तेरा जी कहे कर ले। अब तो मैं तेरी बीवी बन गयी हूँ।”

मैं डॉली भाभी के बगल में लेटा हुआ उनसे बातें करता रहा और उनकी चूत को सहलाता रहा। वो मुझे तरह-तरह के स्टाइल में चोदना सिखा रही थी और मेरे लंड को सहला रही थी। लगभग एक घंटे के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा।

मैंने डॉली भाभी से कहा, “मिन्नी ने अभी तक मुझे बुलाया ही नहीं। मैं अब तुम्हारी गाँड में ही लंड घुसाने की कोशिश करता हूँ।”

डॉली भाभी और हम दोनों अभी तक नंगे ही थे। मैंने डॉली भाभी से घोड़ी बन जाने को कहा तो वो घोड़ी बन गयी। मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उनकी गाँड के छेद पर रखा तो वो बोली, “तेल तो लगा ले।”

मैंने कहा, “नहीं... ऐसे ही।”

वो बोली, “फिर तो बहुत दर्द होगा।”

मैंने कहा, “होने दो। तुम कोई सत्रह-अट्ठारह साल की थोड़े ही हो।”

वो बोली, “ठीक है, जैसी तेरी मरज़ी।”

मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया और उनकी चुदाई शुरू कर दी। पाँच मिनट में ही डॉली भाभी झड़ गयी तो मेरा लंड गीला हो गया। अब तेल लगने की जरूरत नहीं थी। मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उनकी गाँड के छेद पर रखा और थोड़ा सा जोर लगाया। डॉली भाभी के मुँह से जोर की आह निकली और मेरे लंड का सुपाड़ा उनकी गाँड में घुस गया। मैंने थोड़ा जोर और लगाया तो वो तड़प उठी और बोली, “जरा धीरे से।” मैंने फिर से जोर लगाया तो उनके मुँह से चींख निकल गयी। मेरा लंड डॉली भाभी की गाँड में अब तक चार इंच घुस चुका था। मैंने और ज्यादा अंदर घुसाने की कोशिश नहीं की। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये।

दो मिनट में ही डॉली भाभी का दर्द जाता रहा तो वो बोली, “थोड़ा और अंदर कर दे।”

मैंने फिर से थोड़ा जोर लगाया तो वो फिर से चींखी और मेरा लंड उनकी गाँड में पाँच इंच तक घुस गया। तभी मिन्नी आ गयी। उसने कपड़े नहीं पहने थे। वो पहले जैसी ही सिर्फ अपनी हाई-हील की सैंडल पहने हुए एक दम नंगी थी। उसने हम दोनों को देखा तो बोली, “दीदी, तुम भी मज़ा ले रही हो?”

डॉली भाभी ने कहा, “ये तेरा बड़ी देर से इंतज़ार कर रहा था लेकिन तूने इसे बुलाया ही नहीं। इसे जोश आ गया और इसने मेरी गाँड में अपना लंड घुसाना शुरू कर दिया। मैं इसे मना नहीं कर पायी।”

वो बोली, “मुझे भी फिर से चुदवाना है।”

डॉली भाभी ने कहा, “तो आ जा।”

मिन्नी ने कहा, “लेकिन ये तो आपको चोदने जा रहे हैं?”

डॉली भाभी ने कहा, “मेरा क्या है, मैं तो कभी भी चुदवा लूँगी। पहले तू चुदवा ले। तेरा चुदवाना ज्यादा जरूरी है। मैं तो बहुत मज़ा ले चुकी हूँ।”

मिन्नी डॉली भाभी के बगल में ही घोड़ी की तरह बन गयी। मैंने अपना लंड डॉली भाभी की गाँड से बाहर निकाल कर मिन्नी की गाँड में घुसाना शुरू कर दिया। वो दर्द के मारे आहें भरने लगी। धीरे-धीरे मेरा पूरा का पूरा लंड मिन्नी की गाँड में घुस गया तो मैंने उसकी गाँड मारनी शुरू कर दी।

वो बोली, “आगे के छेद में घुसा कर चोदो। मुझे उसमें ज्यादा मज़ा आता है।”

मैंने कहा, “थोड़ी देर पीछे के छेद की चुदाई कर लूँ फिर आगे के छेद में भी चोदूँगा।”

वो बोली, “ठीक है, जैसी तुम्हारी मरज़ी।”

मैं मिन्नी की गाँड मारता रहा। डॉली भाभी मिन्नी से कहने लगी, “तू तो जानती है की ऋषी के भैया का स्वर्गवास हुए बहुत दिन हो चुके हैं। मैंने बहुत दिनों से चुदवाया नहीं था और मेरी इच्छा भी मर चुकी थी। लेकिन आज मैंने तेरी खुशी के लिये तेरे कहने पर इससे चुदवा लिया। इससे चुदवाने के बाद मेरी चूत और गाँड की आग फिर से भड़क गयी है। मैं जानती हूँ की ये बहुत ही गलत बात है लेकिन मैं अब इससे चुदवाये बिना नहीं रह सकती। अगर किसी को ये पता चल गया तो मेरी बड़ी बदनामी होगी। अब तू ही बता की मैं क्या करूँ? मैं तो अब मर जाना चाहती हूँ।”

मिन्नी बोली, “दीदी, तुम ऐसा क्यों कह रही हो? तुम इनसे जी भर कर चुदवाओ और खूब मज़ा लो। मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है। अगर मैं तुम्हें कभी मना करूँ तो तुम मुझे ही मार डालना। ये बात किसी को नहीं पता चलेगी।”

डॉली भाभी ने कहा, “फिर तू मेरी कसम खा कर कह दे की तू कभी भी किसी से नहीं कहेगी।”

मिन्नी ने अपना हाथ पीछे कर के मेरा लंड पकड़ लिया और बोली, “मैं तुम्हारी कसम क्यों खाऊँ? मैं अपने पति का लंड पकड़ कर कसम खाती हूँ की मैं कभी भी किसी से कुछ भी नहीं कहूँगी। अब तो आप को मेरी बात पर विश्वास हो गया।”

डॉली भाभी ने कहा, “मुझे तुझ पर पूरा विश्वास है।”

वो बोली, “अब इनसे कह दो कि मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चुदाई करें। मुझे गाँड मरवाने में ज्यादा मज़ा नहीं आता है।”

डॉली भाभी ने मुझसे कहा, “सुन रहा है ना तू की मिन्नी क्या कह रही है। अब इसकी इच्छा पूरी कर।”

मैंने अपना लंड मिन्नी की चूत में घुसा दिया और उसकी चुदाई करने लगा। दो मिनट में ही वो एक दम मस्त हो गयी। उसने पूरी मस्ती के साथ मुझसे चुदवाना शुरू कर दिया। वो तेजी के साथ अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए मेरा साथ दे रही थी। मैं भी पूरे जोश और ताकत के साथ उसे चोदता रहा। मिन्नी की चुदाई करते हुए मुझे लगभग तीस मिनट गुजर चुके थे। वो अब तक तीन बार झड़ चुकी थी लेकिन मैं झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।

मिन्नी बोली, “दीदी, मैं थक गयी हूँ।”

डॉली भाभी ने कहा, “क्यों, मज़ा नहीं आ रहा है क्या?”

वो बोली, “मज़ा तो बहुत आ रहा है लेकिन अभी मेरी चुदवाने की आदत नहीं है ना।”

डॉली भाभी बोली, “फिर मैं क्या करूँ। जब ऋषी झड़ जायेगा तब ही तो तुमहारी चुदाई बंद करेगा।”

वो बोली, “मुझे थोड़ा सा आराम कर लेने दो। मैं बाद में चुदवा लूँगी।”

डॉली भाभी ने कहा, “जब लंड खड़ा हो तो चुदाई नहीं बंद की जाती... इससे आदमी के सेहत पर बुरा असर पड़ता है।”

मिन्नी बोली, “इनसे कह दो की अब रहने दें। बाद में चोद लेंगे। तब तक तुम ही इनसे चुदवा लो।”

डॉली भाभी ने कहा, “अच्छा बाबा! मैं ही चुदवा लेती हूँ।”

मैंने अपना लंड मिन्नी की चूत से निकाल कर डॉली भाभी की गाँड में घुसाना शुरू कर दिया। मेरा लंड मिन्नी की चूत के पानी से पहले से ही भीगा हुआ था। धीरे-धीरे मेरा लंड डॉली भाभी की गाँड में पाँच इंच तक घुस गया। मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिये। थोड़ी देर बाद जब मैंने देखा की डॉली भाभी मस्ती में आ गयी हैं तो मैंने जोर का धक्का लगा दिया। इस धक्के के साथ ही मेरा लंड भाभी की गाँड को चीरता हुआ सात इंच तक अंदर घुसा गया। डॉली भाभी के मुँह से जोर की चींख निकली तो मिन्नी ने कहा, “दीदी, तुम क्यों चींख रही हो। तुम तो चुदवाने की आदी हो।”

डॉली भाभी ने कहा, “मैंने आज तक अपनी गाँड नहीं मरवायी थी। तुम तो जानती ही हो की इसका लंड बहुत लंबा और मोटा है... इसलिये मुझे भी दर्द हो रहा है और मैं चींख रही हूँ। बस अभी थोड़ी ही देर में मेरा दर्द कम हो जायेगा... फिर मुझे भी तेरी तरह खूब मज़ा आने लगेगा।”

धीरे-धीरे डॉली भाभी फिर से मस्ती में आ गयी। मैंने पूरी ताकत के साथ फिर से जोर का धक्का मारा। वो फिर से चींखी और मेरा लंड आठ इंच तक घुस गया। मैंने फिर एक धक्का मारा तो वो बुरी तरह से चींखने लगी और मेरा पूरा का पूरा लंड डॉली भाभी की गाँड में समा गया। मैंने तेजी के साथ धक्के लगाने शुरू कर दिये। थोड़ी ही देर में डॉली भाभी शाँत हो गयी और उन्हें मज़ा आने लगा।

तभी मिन्नी बोली, “दीदी, अब मैं तैयार हूँ। इनसे कह दो की अब मुझे चोद दें।”

डॉली भाभी ने कहा, “बार-बार मुझसे क्यों कहती है। तू खुद ही इससे कह दे। अब मैं इससे कुछ नहीं कहूँगी।”

मिन्नी ने मेरा लंड पकड़ लिया और बोली, “अब तुम मुझे चोद दो।”

मैं खुश हो गया। मैंने अपना लंड डॉली भाभी की गाँड से निकाल कर मिन्नी की चूत में डाल दिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी। उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया। पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया। मिन्नी भी मेरे साथ ही साथ झड़ गयी। जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला तो उसने मेरा लंड चाटना शुरू कर दिया। मैं बहुत खुश हो गया।

डॉली भाभी ने मिन्नी से कहा, “अब घिन्न नहीं आ रही है?”

वो बोली, “बिल्कुल नहीं, अब तो मुझे भी खूब मज़ा आने लगा है।”

हम सब नंगे ही सो गये। रात के ७ बजे मिन्नी मेरा लंड सहलाने लगी। मैं जग गया तो वो बोली, “एक बार फिर से चोद दो।”

मैंने कहा, “क्यों श्रीमती जी, अब चुदवाने में मज़ा आने लगा है?”

वो बोली, “हाँ! अब तो मैं चाहती हूँ की तुम मुझे सारा दिन चोदते रहो।”

उसने और कुछ कहे बिना ही मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। तभी डॉली भाभी भी उठ गयी। डॉली भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मिन्नी! तू इसका लंड क्यों चूस रही है?”

वो बोली, “मुझे चुदवाना है।”

डॉली भाभी ने मिन्नी से मज़ाक किया, “पहले तो बहुत चिल्ला रही थी अब क्या हुआ?”

वो बोली, “पहले मुझे मलूम नहीं था की इसमें इतना मज़ा आता है।”

थोड़ी ही देर में मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने मिन्नी की चुदाई शुरू कर दी। उसने पूरी मस्ती के साथ चुदवाया। मैंने भी उसे पूरे जोश के साथ लगभग पैंतालिस मिनट तक चोदा। वो इस बार की चुदाई के दौरान चार बार झड़ चुकी थी। उसके बाद डॉली भाभी और मिन्नी खाना बनाने चले गयी।

मैं टीवी देखने लगा। लगभग डेढ़ घंटे गुजर गये तो मिन्नी किचन से बाहर आयी। उसने मुझसे कुछ कहे बिना ही मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।

मैंने पूछा, “अब क्या हुआ?”

वो बोली, “चुदवाना है।”

मैंने कहा, “पहले मुझे खाना खा कर थोड़ा आराम कर लेने दो। बहुत थक गया हूँ।”

वो बोली, “बाद में खा लेना, पहले तुम मुझे एक बार और चोद दो। मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।”

तभी डॉली भाभी आ गयी। उन्होंने मिन्नी से कहा, “सुबह से ही ये हम दोनों को कईं बार चोद चुका है। इसे खाना खा कर थोड़ा आराम कर लेने दे, फिर सारी रात खूब जम कर चुदवाना।”

वो बोली, “दीदी! मुझसे रहा नहीं जा रहा है। मेरा मन अजीब सा हो रहा है।”

डॉली भाभी ने मज़ाक करते हुए कहा, “अगर तू इतना ही तड़प रही है तो चल मेरे साथ किचन में... मैं तेरी चूत में बेलन घुसेड़ देती हूँ।”

मिन्नी बोली, “फिर घुसेड़ दो ना। मैं आप को कुछ भी नहीं कहूँगी। शादी के पहले मैं अच्छी भली थी। शादी के बाद इन्होंने मेरी चुदाई करके मेरी चूत और गाँड में आग सी भर दी है। अब आप ही बताओ की मैं क्या करूँ?”

डॉली भाभी ने कहा, “थोड़ा सब्र करना सीख... आखिर ये भी तो आदमी है... थक गया है बेचारा।”

वो बोली, “एक बार ये मुझे और चोद दें। फिर मैं कभी भी इनसे चुदवाने की ज़िद्द नहीं करूँगी। जब भी मुझे जोश आयेगा मैं इनका लंड मुँह में लेकर चूसूँगी। उसके बाद ये मुझे चोदना चाहेंगे तो चोदेंगे।”

मैंने कहा, “ठीक है... आ जाओ मेरे पास।”

मैं सोफ़े पर बैठा था। मिन्नी के चूसने से मेरा लंड खड़ा हो ही चुका था। मैंने उससे कहा, “अब तुम खुद ही मेरे लंड को अपनी चूत में घुसेड़ लो और धक्के लगाओ।”

वो तुरंत ही मेरी जाँघों पर बैठ गयी और मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर घुसेड़ लिया। उसके बाद उसने धक्के लगाने शुरू कर दिये। पाँच मिनट में ही वो हाँफने लगी और बोली, “मुझे इस तरह मज़ा नहीं आ रहा है। जब तुम खूब जोर-जोर के धक्के लगाते हुए मुझे चोदते हो... तब ही मुझे मज़ा आता है। चोद दो ना मुझे।”

मैंने कहा, “अच्छा बाबा, अब तुम मेरे सामने घोड़ी बन जाओ।”

वो तुरंत ही मेरे सामने घोड़ी बन गयी। उसकी चूत मेरी तरफ़ थी। मैं थोड़ा गुस्से में था। मैंने अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया और उसकी कमर को जोर से पकड़ लिया। उसके बाद मैंने बड़ी बेरहमी के साथ उसकी चुदाई शुरू कर दी।

डॉली भाभी कभी मुझे और कभी मिन्नी को देख रही थी। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था की मैं मिन्नी को इतनी बुरी तरह से भी चोद सकता हूँ। मिन्नी भी बहुत सैक्सी निकली। मैं उसे बहुत ही बुरी तरह से चोद रहा था लेकिन उसे तो इस चुदाई में और ज्यादा मज़ा आ रहा था। वो अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए पूरी मस्ती के साथ चुदवा रही थी। मैंने उसे लगभग पैंतालीस मिनट तक खूब जम कर चोदा। इस बार की चुदाई के दौरान मिन्नी पाँच बार झड़ गयी थी। डॉली भाभी और मैं उसे देख कर दंग रह गये। मिन्नी ने मेरे लंड को चाट कर साफ़ किया और फिर बाथरूम चली गयी।

डॉली भाभी ने मुझसे कहा, “तुमने उसे उसे इतनी बुरी तरह से चोदा... फिर भी उसे मज़ा आ रहा था। वो तो मुझसे भी ज्यादा सैक्सी है।”

मैंने कहा, “अभी वो नयी है इसलिये और उसे ज्यादा जोश आ रहा है। अभी तो उसने ज्यादा बार चुदवाया ही कहाँ है। केवल कुछ दिन आप मुझसे मत चुदवाओ। मुझे केवल मिन्नी की चुदाई करने दो। मैं उसे इतनी ज्यादा बार और इतनी बुरी तरह से चोदूँगा की उसकी चूत और गाँड की आग ठंडी हो जायेगी। वो मुझसे रो-रो कर कहेगी की मुझे अब मत चोदो।”

डॉली भाभी ने कहा, “ठीक है।”

तभी मिन्नी बथरूम से वापस आ गयी और बोली, “देवर-भाभी क्या बातें कर रहे हो?”

डॉली भाभी ने मिन्नी से कहा, “मैं इसे समझा रही थी कि ये कुछ दिनों तक मेरी चुदाई ना केरे। केवल खूब जम कर तुमहारी चुदाई ही करे।”

मिन्नी बोली, “आप ने तो मेरे मुँह की बात छीन ली। मैं भी यही चाहती थी।”

डॉली भाभी ने कहा, “मैं समझ सकती हूँ क्योंकि अभी तुम नयी-नयी हो और तुम्हारे अंदर जोश का ज्वालामुखी फूट रहा है। ये तुम्हारे चूत के ज्वालामुखी को अपने लंड के पानी से बुझा देगा... उसके बाद मैं भी चुदवाना शुरू कर दूँगी।”

मिन्नी बोली, “दीदी, तुम एक दम ठीक कह रही हो।”

अगले चार दिनों तक भाभी तड़पती रही। उनका चेहरा एक दम उदास हो गया था। मैं केवल मिन्नी की ही चुदाई करता रहा। मिन्नी को चुदवाने में ही ज्यादा मज़ा आता था। मैंने मिन्नी की खूब जम कर चुदाई की। उसने भी पूरी मस्ती के साथ मेरा साथ दिया और खूब जम कर चुदवाया। मैंने इन चार दिनों में उसे लगभग तीस बार बहुत ही बुरी तरह से चोदा था। उसकी चूत का मुँह एक दम चौड़ा हो चुका था। अब उसका जोश कुछ ठंडा पड़ चुका था। अब तो वो कभी-कभी चुदवाने से इनकार भी करने लगी थी। मिन्नी की बिदायी भी होने वाली थी। उसे एक महीने के लिये मायके जाना था।

पाँच दिन गुजर जाने के बाद वो मायके चली गयी। मायके जाते वक्त वो मुझसे लिपट कर बहुत रोयी। मैंने पूछा, “क्या हुआ?”

उसने कहा, “एक महीने तक मैं बिना चुदवाये कैसे रहूँगी?”

मैंने कहा, “तुम्हें इतना सब्र तो करना ही पड़ेगा। सभी औरतों को शादी के बाद मायके तो जाना ही पड़ता है।”

वो मायके चली गयी। उसके जाने के बाद डॉली भाभी मुझसे लिपट गयी और फूट-फूट कर रोने लगी। मैंने पूछा, “क्या हुआ?” तो वो बोली, “तुम्हारे भैया का स्वर्गवास हो जाने के बाद मेरा जोश एक दम ठंडा हो गया था। मैं तुम्हारे साथ अकेली ही रहने लगी थी लेकिन मैंने कभी भी तुम्हें बुरी नज़र से नहीं देखा। मैं आराम से रहने लगी थी। तुम्हारा लंड देखने के बाद मुझे जोश आ गया और मैंने तुमसे चुदवा लिया। मिन्नी को गाँड मरवाते हुये देख कर मैंने तुमसे गाँड भी मरवा ली। उसमें भी मुझे बहुत मज़ा आया। तुमने मेरी चुदाई करके और मेरी गाँड मार कर मेरे सारे बदन में आग लगा दी है। पाँच दिनों से तुमने मुझे चोदा नहीं और ना ही मेरी गाँड मारी। मैंने ये पाँच दिन कैसे गुजारे हैं... मैं ही जानती हूँ। मिन्नी तो अब एक महीने के लिये मायके चली गयी है। अब तुम मेरी चुत और गाँड की आग को पूरी तरह से बुझा दो।”

मैंने कहा, “भाभी, मैंने तो इनकार नहीं किया है।”

वो बोली, “तुमने ऑफिस से शादी के लिये सात दिनों की छुट्टी ली थी... तुम सात दिनों की छुट्टी और ले लो... मैं भी अपने ऑफिस से छुट्टी ले लेती हूँ... फिर मुझे सात दिनों तक खूब जम कर चोदो... मुझे उसी तरह से चोदना जैसे कि उस दिन तुमने गुस्से में मिन्नी को चोदा था।”

मैंने कहा, “तुम जैसा कहोगी... मैं तुम्हें वैसे ही चोदूँगा। मैं तुम्हें पूरी तरह से संतुष्ट कर दूँगा।”

डॉली भाभी ने सारे कपड़े उतार दिये और एक दम नंगी हो गयी। उन्होंने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिय। दो मिनट में ही मेर लंड खड़ा हो गया तो मैंने ठीक उसी तरह से डॉली भाभी को चोदना शुरू किया जैसे मैंने मिन्नी को गुस्से में चोदा था। उस तरह की चुदाई से डॉली भाभी एक दम मस्त हो गयी। सात दिनों तक हम दोनों ऑफिस नहीं गये। मैंने इन सात दिनों में सारा दिन और सारी रात डॉली भाभी की खूब जम कर चुदाई की। उसके बाद मिन्नी के आने तक मैंने उन्हें खूब चोदा। डॉली भाभी की चूत की आग भी कुछ हद तक बुझ चुकी थी। मिन्नी के वापस आ जने के बाद मैं उन दोनों की चुदाई करने लगा। अब वो दोनो ही मुझसे चुदवा कर पूरी तरह से खुश हैं और मैं भी।

॥।समाप्त॥।

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