कैसे करें अपनी बीबी को तैयार

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इसे सुनकर अनिल ने रिसियायी आवाज में कहा, "भाभीजी, आपने अपने पति की हालत तो देखी पर मेरे हाल नहीं देखे। यह देखिये मेरा क्या हाल है?"

ऐसा कहते ही नीना को कोई मौका ना देते हुए अनिल ने नीना का हाथ पकड़ कर अपने दोनों पांव के बीच अपने लण्ड पर रख दिया और ऊपर से नीना के हाथ को जोरों से अपने लण्ड ऊपर दबाने लगा। मेरे पीछे से धक्का देने के कारण नीना के बहुत कोशिश करने पर भी वह वहां से हाथ जब हटा नहीं पायी तब नीना ने अनिल के लण्ड को अपने हाथों में पकड़ा। अनिल का पाजामा उस जगह पर चिकनाहट से भरा हुआ गिला हो चुका था। यह देख कर मैं ख़ुशी से पागल हो रहा था। अब मुझे मेरा सपना पूरा होनेका पर भरोसा हो गया।

मैंने तब नीना को पीछे से धक्का मारना बंद किया और मैं पीछे हट गया। अब नीना चाहती तो अपना हाथ वहां से हटा सकती थी। परंतु मुझे यह दीख रहा था की नीना ने अपना हाथ वहां ही रखा। वह शायद अनिल के लण्ड की लंबाई और मोटाई भाँप ने की कोशीश कर रही थी। अनिल के पाजामे के ऊपर से भी उसे अनिल के लंबे और मोटे लण्ड की पैमायश का अंदाज तो हो ही गया था।

मेरी प्यारी बीवी जब अनिल के लण्ड की पैमाइश कर रही थी तब अचानक ही उसके गाउन की ज़िप का लीवर मेरे हाथों लगा। मैंने कुछ न सोचते हुए उसे नीचे सरकाया और उसको नीना की कमर तक ले गया।

उसके गाउन के दोनों पट खुल गए। नीना ने अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था। जैसे ही गाउन के पट खुले और ज़िप कमर तक पहुँच गयी तो उसके दो बड़े बड़े अनार मेरे हाथों में आ गये। जैसे ही अनिल ने नीना के नंगे स्तनों को देखा तो वह पागल सा हो गया। इन स्तनों को ब्लाउज के निचे दबे हुए वह कई बार चोरी चोरी देखता था। उस समय उसने सपने में भी यह सोचा नहीं होगा की एक समय वह उन मम्मों को कोई भी आवरण के बिना देख पायेगा।

अनिल को और कुछ नहीं चाहिए था। वह तो नीना के दूध को पीने के लिए अधीरा था। परंतु मुझे तब बड़ा आश्चर्य यह हुआ की उसके सामने नीना के बड़े बड़े और सख्त मम्मे गुरुत्वाकर्षण के नियम को न मानते हुए उद्दंड से ऐसे खड़े थे जैसे अनिल को चुनौती दे रहे हों। फिर भी अनिल ने उन्हें हाथों में न पकड़ ते हुए नीना के कानों में कुछ कहा। यह सुनकर नीना मुस्कायी और उसने अपना सर हामी दर्शाते हुए हिलाया। मुझसे अपनी जिज्ञासा रोकी नहीं गयी। मैंने अनिल से पूछा, "तुमने नीना से क्या कहा?

अनिल ने इसका कोई जवाब न देते हुए मेरी पत्त्नी के दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में भरते हुए कहा, "मैंने नीना से इसके लिए इजाजत मांगी थी।"

मैं अनिल की इस हरकत से हैरान रह गया। कमीना, उसने अपना काम भी करवा लिया और ऊपर से शराफत का नाटक भी कर के नीना की आँखों में शरीफ बन गया।

उसने नीना के दोनों मम्मो को अपने दोनों हाथों में बड़ी मुश्किल समाते हुए रखा और बोला, नीना तुम्हारे स्तनों का कोई मुकाबला नहीं। मैंने कभी किसी भी औरत के इतने सुन्दर मम्मे नहीं देखे। इसमें अनीता भी शामिल है।"

मैंने मेरी पत्नी की और देखा तो वह शर्म से लाल हो रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था की वह क्या करे। तब मेरी बीबी ने अनिल को अपनी और खींचा और उसके मुंह को अपने स्तनों में घुसा दिया। अनिल का मुंह बारी बारी कभी एक मम्मे को तो कभी दूसरे को जोर से चूसने लगा। जब वह मेरी बीबी के एक स्तन को चूसता था तो दूसरे को जोर से दबाता और खींचता था और अपनी उँगलियों में नीना की निप्पलों को जैसे चूंटी भर रहा हो ऐसे दबाता था। कई बार तो वह इतना जोर से दबा देता की नीना के मुंह से टीस सी निकल जाती। तब वह अनिल को धीरे दबाने का इशारा करती।

बस और क्या था? अब तो मुझे और अनिल को जैसे लाइसेंस मिल गया था। मैंने भी नीना के रस से भरे मम्मों को चूसना शुरू किया। अब अनिल कहाँ रुकने वाला था? वह नीना के दूसरे मम्मे को अपने मुंह में रख कर उसकी निप्पल को काट ने लगा। नीना के हाल का क्या कहना? उसकी जिंदगी में पहली बार उसके स्तनों को दो मर्द एक साथ चूस रहे थे। नीना इतनी गरम और उत्तेजित हो गयी थी की वह अपने आप को सम्हाल नहीं पा रही थी। अब तक जो मर्यादा का बांध उसके अपने मन में था अब वह टूटने लगा था। अपने स्तनों पर अनिल के मुंह के स्पर्श से ही अब वह पागल सी हो रही थी।

मैंने झुक कर प्यार से मेरी प्यारी पत्नी के रसीले होठों पर चुम्बन किया और उसके कानों में फुसफुसा कर बोला, "मेरी जान, आज तूमने मुझे वह गिफ्ट दिया है जिसके लिए में तुम्हारा ऋणी हूँ। तुमने मेरे कहने पर अपनी लज्जा का बलिदान किया है इसका ऋण मैं चूका नहीं सकता। नीना मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और अब तो मैं तुमसे और भी प्यार करने लगा हूँ। मैं चाहता हूँ की आज तुम लज्जा को एक तरफ रख कर हम दोनों से सेक्स का पूरा आनंद लो और हमें सेक्स का पूरा आनंद दो। आज तुम हम दोनों के साथ यह समझ कर सेक्स करो जैसे हम दोनों ही आज रात के लिए तुम्हारे पति हैं।“

नीना आँखे बंद कर मेरी बात ध्यान से सुन रही थी। जब वह कुछ न बोली तो मैंने उसे कहा, "डार्लिंग, अब आँखे खोलो और मुझे जवाब दो।"

तब मेरी शर्मीली खूबसूरत पत्नी ने अपनी आँखे खोली और और मेरी आँखों में आँखे डाल कर मुस्काई। उसने मेरा सर अपने दोनों हाथों में लेकर मेरे होंठ अपने होंठो पर दबा दिए और मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल दी। ऐसे थोड़ी देर चुम्बन करने के बाद मेरे कान में फुसफुसाई, "चलो भी। अब जो होना था वह हुआ। अब बातें कम और काम ज्यादा।"

अनिल ने जब हमारा आपस में प्रेमआलाप देखा तो वह भी मुस्काया और समझ गया की अब नीना भी हमारे साथ है। अनिल ने और मैंने तब प्यार से नीना को पलंग पर लिटा दिया। हम दोनों उसके दोनों और बैठ गए और उसकी चूचियों को चूसने लगे। नीना ने हम दोनों को बड़े प्यार भरी नजर से देखा और फिर अपनी आँखें बंद करली। अब वह हमारे प्यार का आनंद ले रही थी। उसे ऐसा अनुभव कभी नहीं हुआ था। आज तक उसने सिर्फ मेरे प्यार का ही अनुभव किया था। अब उसे दो प्रेमियों के प्यार का आनंद मिल रहा था। आगे चलकर यह अनुभव क्या रंग लाएगा उसकी कल्पना मात्र से ही वह उत्तेजित हो रही थी और मैंने वह उसके शरीर में हो रहे कम्पन से महसूस किया।

मैंने धीरे से मेरा हाथ उसके गाउन के अंदर डाला। उसकी नाभि और उसके पतले पेट का जो उभार था उसको मैं प्यार से सहलाने लगा। मेरी पत्नी मेरे स्पर्श से काँप उठी। मैंने मेरे हाथ नीना की पीठ के नीचे डाल दिए और उसे धीरे से बैठाया। उसे बिठाते ही उसका खुला गाउन नीचेकी और सरक गया और वह आगे और पीछे से ऊपर से नंगी हो गयी। अनिल जिसकी मात्र कल्पना ही तब तक करता था वह नीना के कमसिन जिस्म को ऊपर से पूरा नंगा देख कर उसे तो कुबेर का खजाना ही जैसे मिल गया।

अनिल ने नीना के दोनों स्तनों को ऐसे ताकत से पकड़ रखा था की जैसे वह उन्हें छोड़ना ही नहीं चाहता था। कभी वह उन्हें मसाज करता था तो कभी निप्पलों को अपनी उँगलियों में दबाता तो कभी झुक कर एक को चूसता और दूसरे को जोरों से दबाता।

नीना अब हम दोनों प्रेमियों का उसके मम्मों को चूसना और मलने की प्रक्रिया से इतनी कामोत्तेजित हो चुकी थी के उस से अपने जिस्म को नियत्रण में रखना मुश्किल हो रहा था। मैं देख रहा था की वह हम दोनों के उसके स्तन मंडल के साथ प्यार करने से अब वह अपने कामोन्माद से एकदम असहाय सी लग रही थी। नीना तब अपनी कमर और अपनी नीचे के बदन को उछालते हुए बोलने लगी, "राज, अनिल जल्दी करो, और चुसो जल्दी। ...... आह्ह्ह्ह्ह...... ओह्ह्ह्ह.... मेरी चूंचियां और दबाव ओओफ़फ़फ़। तब मुझे लगा की वह अपनी चरम सीमा पर पहुँच रही थी। मैंने अनिल को इशारा किया और हम दोनों उसके मम्मों को और फुर्ती से दबाने और चूसने लगे।

जल्द ही मेरी प्रियतमा एक दबी हुयी टीस और आह के साथ उस रात पहली बार झड़ गयी। उसकी साँसे तेज चल रहीं थी। थोड़ी देर के बाद उसने अपनी आँखें खोली और हम दोनों की और देखा।

मैंने नीना से कहा, "डार्लिंग, अब हम लोगों से क्या परदा? अब हमें अपना लुभावना सुन्दर जिस्म के दर्शन कराओ। अब मत शर्माओ। नीना ने मेरी और देखा पर कुछ न बोली। मैंने अनिल को इशारा किया की अब वह काम हम ही कर लेते हैं। अनिल थोड़ा हिचकिचाता आगे बढ़ा और नीना के बदन से गाउन निकालने लगा। नीना ने भी अपने चूतड़ उठा कर हमें गाउन को निकाल ने में सहयोग दिया। मैंने जब नीना को खड़ा होने को कहा तो वह शर्मा कर बोली, "आप पहले लाइटें बुझा दीजिये।"

अनिल ने उठकर कमरे की सारी लाइटें बुझा दी बस एक डिम लाइट चालू रक्खी। फिर नीना जब उठ खड़ी हुयी तब उसका गाउन अपने आप ही नीचे सरक गया और मेरी शर्मीली रूढ़ि वादी पत्नी हम दोनों के सामने पूर्णतः निर्वस्त्र हो गयी। यह उसका पहला अनुभव था जब वह अपने पति के अलावा किसी और व्यक्ति के सामने नग्न खड़ी थी।

अनिल और मैं दोनों नीना के कमसिन जिस्म को देखते ही रह गए। हालाँकि मैंने कई बार मेरी पत्नीको निर्वस्त्र देखा था, परंतु उस रात वह जैसे मत्स्यांगना की तरह अद्भुत सुन्दर लग रही थी। अनिल ने नीना को बड़ी तेज नजर से ऊपर से नीचे तक, आगे, पीछे सब तरफ से घूर कर देखने लगा। मेरी पत्नी शर्म से पानी पानी हुयी जा रही थी। एक तरफ वह अब अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तैयार हो रही थी तो दूसरी और स्त्री सहज लज्जा उसे मार रही थी। वह अपनी नजर फर्श पर गाड़े हुए ऐसे खड़ी थी जैसे कोई अद्भुत शिल्पकार ने एकसुन्दर नग्न स्त्री की मूर्ति बना कर वहां रक्खी हो।

अनिल उसे देखता ही रह गया। नीना की कमर ऐसे लग रही थी जैसे दो पर्वतों के बिच में घाटी हो। उसके उरोज से उसकी कमर का उतार और फिर उसकी कमर से कूल्हों का उभार इतना रोमांचक और अद्भुत था की देखते ही बनता था। उसके सर को छोड़ कहीं बाल का एक तिनका भी नहीं था। उसके दो पांव के बिच में उसकी चूत का उभार कोई भी शरीफ आदमी का ईमान खराब कर देने वाला था। उसकी योनि के होठ एकदम साफ़ और सुन्दर गुलाब की पंखुड़ियों की तरह थे। उसकी योनि में से रस चू रहा था। वह नीना के हालात को बयाँ रहा था।

अनिल ने आगे बढ़कर नीना को अपनी बाहों में लिया। उस रात मेरी शर्मीली पत्नी ने यह मन बना लिया था की आज वह मेरी ख्वाहिश पूरी करेगी। वह अनिल की बाँहों में समां गयी और शर्म से अपनी आँखें झुका ली। अनिल को तो जैसे स्वर्ग मिल गया। वह अपने हाथोँ से नीना के नंगे बदन को सहला रहा था। उसके दोनोँ हाथ नीना के पीछे, उसकी रीढ़ की खाई में ऊपर नीचे हो रहे थे। कभी वह अपना हाथ नीना के चूतड़ों के ऊपर रखता और नीना की गाँड़ के गालों को दबाता, तो कभी अपनी उंगली को उस गांड के होठों के बिच की दरार में डालता था। उसने मेरी पत्नीको इस हालात में देखने की कल्पना मात्र की थी। उसे यह मानना बड़ा अजीब लग रहा था की तब नीना का वह बदन उसका होने वाला था।

अनिल उसे देखता ही रह गया। नीना की कमर ऐसे लग रही थी जैसे दो पर्वतों के बिच में घाटी हो। उसके उरोज से उसकी कमर का उतार और फिर उसकी कमर से कूल्हों का उभार इतना रोमांचक और अद्भुत था की देखते ही बनता था। उसके सर को छोड़ कहीं बाल का एक तिनका भी नहीं था। उसके दो पांव के बिच में उसकी चूत का उभार कोई भी शरीफ आदमी का ईमान खराब कर देने वाला था। उसकी योनि के होठ एकदम साफ़ और सुन्दर गुलाब की पंखुड़ियों की तरह थे। उसकी योनि में से रस चू रहा था। वह नीना के हालात को बयाँ रहा था।

अनिल ने आगे बढ़कर नीना को अपनी बाहों में लिया। उस रात मेरी शर्मीली पत्नी ने यह मन बना लिया था की आज वह मेरी ख्वाहिश पूरी करेगी। वह अनिल की बाँहों में समां गयी और शर्म से अपनी आँखें झुका ली। अनिल को तो जैसे स्वर्ग मिल गया। वह अपने हाथोँ से नीना के नंगे बदन को सहला रहा था। उसके दोनोँ हाथ नीना के पीछे, उसकी रीढ़ की खाई में ऊपर नीचे हो रहे थे। कभी वह अपना हाथ नीना के चूतड़ों के ऊपर रखता और नीना की गाँड़ के गालों को दबाता, तो कभी अपनी उंगली को उस गांड के होठों के बिच की दरार में डालता था। उसने मेरी पत्नीको इस हालात में देखने की कल्पना मात्र की थी। उसे यह मानना बड़ा अजीब लग रहा था की तब नीना का वह बदन उसका होने वाला था।

अनिल नीचे झुक कर नीना के पीछे गया। वह अपना सर ऊपर कर मेरी और देखते हुए बोला, "क्या मैं नीना के कूल्हों को महसूस कर सकता हूँ? मैं कई महीनों से, जबसे मैंने नीना भाभी को पेहली बार देखा था तबसे इन कूल्हों को सहलाने के लिए तड़प रहा हूँ।"

नीना ने डरते और हीच किचाते हुए मेरी और देखा। मैंने अपनी पलकें हिलाके अनिल को अपनी अनुमति दे दी। अनिल ने तुरंत ही मेरी बीबी की सुडौल गांड के दोनों गालों को चूमा और चूमता ही गया। नीना की गांड का घुमाव और उसकी वक्रता में अनिल अपनी जीभ घुसा कर उन्हें चूमने और अपने हाथों से सहलाने लगा। जब उसने नीना की गांड के छिद्र में अपनी जीभ घुसाई तो नीना के बदन में कम्पन होने लगा।

मैं उन दोनो की और आगे बढ़ा। मैंने धीरे से अनिल को खड़ा किया और नीना का हाथ अनिल की टांगों के बिच में रखा और उसके लंड को हिलाने के लिए उसे प्रोत्साहित किया। नीना जैसे मेरा इशारा समझ गयी और अनिल के लंड को उसके पाजामे के उपरसे सहलाने लगी। मैं धीरे से अनिल के पीछे गया और अनिल के पाजामे का नाड़ा मैंने खोल दिया। अनिल तो पागल हुआ जा रहा था। जैसे ही उसका पाजामा फर्श पर गिरा तो उसका लंबा और मोटा लण्ड हवा में लहराने लगा। तब वह एकदम कड़क हो चूका था। वह बिलकुल बिना झुके अपना सर उठा के खड़ा हुआ था। ऐसे लग रहा था जैसे वह नीना की चूत की और जाने को मचल रहा था। अनिल के नंगे होते ही नीना की आँखें अनिल के लण्ड पर टिक सी गयी।

अनिल का लण्ड मेरे लण्ड से थोड़ा लंबा और मोटा भी था। जैसे ही अनिल का पाजामा नीचे गिरा नीना का हाथ अनायास ही अनिल के लण्ड को छू गया। अबतक मेरी प्यारी बीबी ने कोई पराये मर्द का लण्ड देखा नहीं था। उसके लिए तो यह एक अजूबा सा था। इतना मोटा और लंबा लण्ड देख नीना के चेहरे की भाव भंगिमा देखते ही बनती थी। वह क्या सोच रही थी, मैं उसकी कल्पना ही कर सकता था। शायद वह यह सोच रही होगी की कभी न कभी तो उस लण्ड को उसकी चूत में घुसना ही था। उस समय उसका क्या हाल होगा उसे कैसा महसूस होगा शायद वह यही सोच रही होगी। यह सोच कर थोड़ी देर के लिए नीना जैसे ठिठक सी गयी। फिर नीना ने से धीरे से अनिल का लण्ड अपने हाथ में लिया। वह अपनी मुठी में उसे पूरी तरह से ले न पायी, पर फिर भी उसने अपनी आधी मुठी से ही अनिल के लण्ड को सहलाना शुरू किया।

अनिल का लण्ड थीड़ी सी रोशनी में भी चमक रहा था। अनिल की तरह उसका लण्ड भी गोरा था। उसकी पूरी गोलाई पर उसका पूर्व रस फैला हुआ था। चारों और से चिकनी मलाई फ़ैल जाने के कारण वह स्निग्ध दिख रहा था। सबसे खूबसूरत उसकी पूरी लंबाई पर बिछी हुयी रगें थीं। उसकी गोरी चमड़ी पर थोड़ी सी श्यामल रंग की नसोँ का जाल बिछा हुआ था। जिस वक्त नीना ने अनिल का लण्ड अपने हाथ में लिया उसके लण्ड की चमड़ी के तले बिछी हुयी नसोँ में जैसे गरम खून का सैलाब फर्राटे मारता हुआ दौड़ने लगा। उसकी नसें फूल रही थीं। अनिल का लण्ड पूरी तरह अपनी चरम ताकत से खड़ा था।

अनिल के तने हुए लण्ड को देख नीना के गाल एकदम लाल हो गए। उसे महसूस हुआ की वह अपने पति के मित्र के सामने नंग धड़ंग खड़ी थी और उसके पति का मित्र भी नंगा उसके सामने खड़ा था और अपने लंबे, मोटे लण्ड का प्रदर्शन कर रहा था। ऐसा वास्तव में हो सकेगा यह कभी उसने सोचा भी नहीं था। हाँ उसने कभी अपने सपने में ऐसा होने की उम्मीद जरूर की होगी। नीना के मुंह के भाव को अनिल समझ गया और उसने मेरी पत्नी को अपने आहोश में लेकर थोड़ा झुक कर पहले उसके गालोँ पर और फिर उसके होठों पर होने होँठ रख दिए और वह नीना को बेतहाशा चूमने लगा। नीना को होठों पर चूमते चूमते थोड़ा और झुक कर अनिल नीना के स्तनों को भी चूमने और चाटने लगा। नीना से जैसे उसका जी नहीं भर रहा था।

मेरी निष्ठावान पत्नी भी अनिल से लिपट गयी और उसके होठों को चूसने और चूमने लगी। मुझे ऐसा लगा जैसे उसे अपनी कितने सालों की प्यास बुझाने का मौका मिल गया था। मेरी पत्नी और मेरा ख़ास दोस्त अब मेरे ही सामने एक दूसरे से ऐसे लिपटे हुए एक दूसरे को चुम्बन कर रहे थे जैसे वास्तव में वह पति पत्नी या घनिष्ठ प्रेमी हों।

मैं उन दोनों को देखता ही रहा। उस वक्त कुछ क्षणों के लिए मेरे मनमे जरा सी ईर्ष्या का भाव आया। इस तरह का उन्मत्त चुम्बन करने के बाद, जब मेरी पत्नी ने मेरी और थोड़ा सा घबराते हुए देखा तो वह मेरे मन के भावों को शायद ताड़ गयी। वह तुरंत अनिल की बाँहों में से निकल कर मेरे पास आयी और मुझे अपनी बाँहों में लेनेके लिए मेरी और देखने लगी।

मैंने तुरंत ही उसे अपनी बाहों में लिया, तब उसने मेरे कान में कहा, "आप मेरे सर्वस्व हैं। मैं आप के बिना अधूरी हूँ और आपके बिना रहने का सोच भी नहीं सकती। आप दुनिया के सर्वोत्तम पति हो यह मैं निसंकोच कह सकती हूँ। आज मैं यह मानती हूँ की मेरे मन में अनिल के प्रति आकर्षण था। आपने शायद इसे भाँप लिया था। आज आपने मेरे और अनिल के शारीरिक सम्भोग की व्यवस्था करके उस को भी पूरा करने की कोशिश की, इसके लिए मैं वास्तव में आपकी ऋणी हूँ। यदि आप मुझे इसके लिये बाध्य न करते तो मैं कभी अनिल को अपने बदन को छूने भी नहीं देती। मैं आपकी थी, आपकी हूँ और हमेशा आपकी रहूंगी। इसको कोई भी व्यक्ति बदल नहीं सकता।"

तब अनिल मेरे पीछे आया और एक झटके में ही मेरे पाजामे का नाड़ा खोल कर उसे नीचे गिरा दिया। मैंने भी मेरा कुरता निकाल फेंका और मैं भी नीना और अनिल जैसे ही नंगा हो गया। मेरे नंगे होते ही मेरा लण्ड अपने बंधन में से बाहर कूद पड़ा। वह अकड़ कर खड़ा था और मेरी पत्नी की चूत को चूमने के लिए उतावला हो ऐसे उसकी दिशा में इंगित कर रहा था। नीना ने अपने नित्य चुदसखा को अपने हाथ में लिया और उसे बड़े प्यार से सहलाने लगी।

तब मैंने नीना को अनिल की और धकेला और जब दोनों एक साथ हुए तो उनको एक और धक्का मार कर पलंग के ऊपर गिराया। गिरते हुए अनिल ने मेरी बाँह पकड़ी और मुझे भी अपने साथ खिंच लीया। हम तीनों धड़ाम से पलंग पर गिरे। मैं अपनी निष्ठावान और शर्मीली पत्नी को मेरे ही घनिष्ठ मित्र की बाहों मेरी मर्जी ही नहीं, मेरे आग्रह से नंगा लिपट ते हुए देख उन्मादित हो गया।

अनिल की दोनों टाँगे मेरी बीवी के ऊपर लिपटी हुयी थीं। मेरी पत्नी उसमे जैसे समा गयी थी। अनिल का लण्ड नीना की चूत पर रगड़ रहा था। ऐसे कड़क लण्ड को सम्हालना अनिल के लिए वास्तव में मुश्किल हो रहा होगा। नीना और अनिल एक दुसरेकी आहोश में चुम्बन कर रहे थे। नीना ने एक हाथ में उसका लण्ड पकड़ रखा था। उसका दुसरा हाथ मेरी और बढ़ा और मेर लण्ड को पकड़ा।

मेरी शर्मीली और रूढ़िवादी पत्नी तब एक हाथ में मेरा और दूसरे हाथ में मेरे नजदीकी मित्र अनिल का लण्ड अपने हाथ में पकड़ कर बड़े प्रेम से सहला रही थी। हम तीनों पूण रूप से नग्न हालात में थे और एक दूसरे को लिपटे हुए थे। नीना बिच बिच में अनिल के अंडकोष को अपने हाथों से इतमे प्यार से सहलाती थी की मैं जानता था की उस समय अनिल का हाल कैसा हो रहा होगा। नीना के हाथ में एक जादू था। वह मेरे एंडकोष को ऐसे सहलाती थी की मैं उस आनंद का कोई वर्णन कही कर सकता।

उधर अनिल और मेरी पत्नी ऐसे चिपके थे जैसे अलग ही नहीं होंगे। नीना भी अनिल की बाँहों मैं ऐसे समा गयी थी के पता ही नहीं चलता था के वह गयी कहाँ। अनिल के हाथ नीना के नंगे पिछवाड़े को सहला रहे थे। अनिल का हाथ बार बार नीना के कूल्हों को दबाता रहता था और उसकी उँगलियाँ कूल्हों के बिच वाली दरार में बार बार घुस कर नीना की गांड के छिद्र में घुसेड़ता रहता था। इस से नीना और उत्तेजित हो कर गहरी साँसे लेकर, "अनिल यह क्या कर रहे हो? प्लीज मैं बहुत गरम हो रही हूँ। आहहह....... बोलती रहती थी। नीना की उत्तेजना उसकी धीमी सी कराहटों में मेहसूस हो रही थीं।

अब नीना इतनी गरम और उत्तेजित हो चुकी थी की वह कामोत्तेजना में कराह रही थी। उसने अनिल से अपने आप को अलग कर उसे अपनी टांगो के पास जाने का इशारा किया और उसका मुंह अपनी नाभि पर रखा। अनिल को और क्या चाहिए था। उसे अपनी कामाङ्गना (सेक्स पार्टनर) का आदेश जो मिला था। उसने नीना की पतली कमर पर अपना मुंह रख कर वह मेरी बीबी की नाभि को चाटने एवं चूमने लगा। उसकी जीभ से लार नीना के पेट पर गिर रही थी, वह उसे चाटकर नीना के पेट पर अपना मुंह दबाकर उसे इतने प्यार से चुम्बन कर रहा था की मेरी बीबी की कामुक कराहटें रुकने का नाम ही नहीं ले रही थीं। अपना मुंह नीना के पेट, नाभि और नीचे वाले उभार पर इतने प्यार से चूमने से मेरी बीबी की कामाग्नि की आग और तेज़ी से भड़क रही था। मैं मान गया की आज तक मैंने इतने सालों मे अपनी पत्नी के बदन को इस तरह नहीं चूमा था।

उसका हाथ अनायास ही मेरी बीबी की चूत पर रुक गया। नीना की चूत का उभार कितना सेक्सी है वह तो मैं जानता ही था। मुझे यह भी पता था की वहाँ हाथ रखने मात्र से मेरी अर्धांगिनी कैसे फुदकती है। अनिल के वहां छूते ही नीना अपने कूल्हों को गद्दे पर रगड़ ने लगी। अनिल अचानक रुक गया।

उसने थोड़ा ऊपर उठकर नीना से पूछा की क्या वह अपनी उंगली नीना की चूत मैं डाल सकता है?
मेरी प्यारी पतिव्रता पत्नी ने मेरी और देखा। वह शायद मेरी अनुमति चाह रही थी। तब मैंने कहा। "डार्लिंग, हमारा पति पत्नी का रिश्ता अटूट और पवित्र है। जब तक हम एक दूसरे के साथ विश्वासघात नहीं करेंगे तब तक इसे आंच नहीं आ सकती। मैं तुम्हारा पति आज तुम्हें अनिल के साथ पूरा सम्भोग करनेकी न सिर्फ इजाजत देता हूँ, मैं तुम्हे आग्रह करता हूँ के आज की रात तुम उसे अपने पति की तरह मानकर उसे सब शारीरिक सुख दो जो तुम दे सकती हो और उससे सारे शारीरिक सुख लो जो वह तुम्हे देना चाहता है।“

मेंरी बात सुन कर नीना और अनिल दोनोँ में अब जैसे नयी स्फूर्ति आ गयी। मर्यादा के बचे खुचे बंधन तब चकना चूर हो गए। अब अनिल ने नीना की चूत पर अपना दायां हाथ रखा और वह चूत के होठों को बड़े प्यार से सहलाने लगा। मैं यह दृश्य देख कर अपने हर्षोन्माद पर नियंत्रण नहीं रख पा रहा था। नीना के लिए तो वह पहला मौका था जब एक पर पुरुष ने उस जगह पर उसे छुआ था। और जब अनिल ने उसके छोटे छिद्र में अपनी उंगली डाली तो नीना एकदम उछल पड़ी। वह अनिल की उँगलियों को अपने छोटे से प्रेम छिद्र से खेलते अनुभव कर पगला सी गयी थी।

अनिल ने जब नीना की चूत के दोनों होठों को चौड़ा कर के देखा तो कुछ सोच में पड़ गया। शायद अनिल की बीबी अनीता का प्रेम छिद्र और योनि मार्ग खुला हुआ होगा, क्योंकि नीना का इतना छोटा सा छिद्र देख अनिल अनायास ही बोल उठा, "नीना तुम्हारा छिद्र तो एकदम छोटा सा है।

मैं तो जानता था की मेरी पत्नी को सेक्स के लिए तैयार करने का इससे बेहतर कोई रास्ता नहीं था। जब नीना को चुदवाने सेक्स के लिए तैयार करना होता था, तब मैं उसकी चूत में प्यार से अपनी एक उंगली डाल कर उसकी चूत के होठ को अंदर से धीरे धीरे रगड़ कर उसे चुदवाने के लिए मजबूर कर देता था। अनिल के उंगली डालने से जब नीना छटपटाई तो अनिल भी यह तरकीब समझ गया। वह बड़े प्यार से मेरी बीबी की चूत में अपनी उंगली को वह जगह रगड़ रहा था जहाँ पर रगड़ने से नीना एकदम पागल सी होकर चुदवाने के लिए बेबस हो जाती थी।

नीना की बेबसी अब देखते ही बनती थी। अनिल के लगातार क्लाइटोरिस पर उंगली रगड़ते रहने से नीना कामुकता भरी आवाज में कराहने लगी। जैसे जैसे नीना की छटपटाहट और कामातुर आवाजें बढती गयी, अनिल अपनी उंगली उतनी ही ज्यादा फुर्ती से और रगड़ने लगा। मेरी कामातुर पत्नी तब अनिल से चुदवाने के लिए अनिल का हाथ पकड़ कर कहने लगी, "अनिल, यार यह मत करो। मैं पागल हुयी जा रही हूँ। मैं अपने आप को रोक नहीं पा रही। आओ तुम जल्दी मुझ पर चढ़ जाओ और प्लीज मेरी चुदाई करो।"

पर अनिल तो रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उस रात जैसे उसने ठान ली थी की अब तो वह नीना को अपनी कामाङ्गिनी बना कर ही छोड़ेगा। वह नीना को इतना उत्तेजित करेगा की नीना आगे भी महीनों या सालों तक अनिल से चुदवाने के लिए तड़पती रहे। अनिल के उंगली चोदन से नीना अपने आपको सम्हाल नहीं पा रही थी। नीना की साँसे जैसे फुफकार मार रही थी। बेड पर वह अपने कूल्हों को उछाल के फिर पटक रही थी। उसके दिल की धड़कन की रफ़्तार तेज हो गयी। मैं जान गया के अब मेरी बीबी झड़ने वाली है। वह कामुकता के चरम पर पहुँच रही थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने स्तनोँ को चूसने और मलने के लिए इशारा करने लगी। अनिल ने जब यह देखा तो उसने एक हाथ से नीना के दूध दबाने शुरूकर दिए। मैं भी उसके दूसरे स्तन पर चिपक गया और उसे चूसने और जोर से दबाने लगा। उस समय न सिर्फ मेरी बीबी, किन्तु हम तीनों कामुकता की ज्वाला में जल रहे थे। नीना तब झड़ने वाली थी।

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