कैसे करें अपनी बीबी को तैयार

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अनिल को मेरी बीबी को चोदते हुए देख मेरी महीनों की या यूँ कहें की सालों की छुपी इच्छा उसदिन फलीभूत हुयी थी। इस वजह से मैं कामुकता के वह स्टेज पर पहुँच गया था की अब मेरी बीबी को चोदने में अनोखा नशा मिल रहा था।

मेरी बीबी को अनिल से चुदवाने के बाद जब मैं मेरी बीबी पर चढ़ा तो वह तो मुझपर इतनी मेहरबान हो गयी की मैं हैरान रह गया। उसने मेरा सर अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसे अपने सर के साथ लगाया। मेरे होठ अपने होठ पर चिपका कर वह मुझे जोरों से चुम्बन करने लगी। जैसे उसने अनिल से अपना मुंह चुदवाया था, वैसे ही वह मुझसे भी अपना मुंह चुदवाना चाहती थी।

मैं मेरी बीबी का मुंह चोदने में जब मस्त था, तब उसने मुझे थोड़े से ऊँचे आवाज में कहा जिसे अनिल भी सुन सके। उसने कहा, "मैं वास्तव में दुनिया की सबसे भाग्यशाली बीबी हूँ के मुझे आप जैसे पति मिले। मैं जान गयी थी की आप मुझे अनिल के साथ मिलकर चोदना चाहते हो। खैर यह तो आपने ही मुझे बताया था। तब मैं आपका विरोध करती रही। एक कारण तो यह था की मुझे भरोसा न था, की आप वास्तव में अगर अनिल ने मुझे चोदा तो तउसको देख पाओगे और उसको सह पाओगे। पर अब मैं देख रही हूँ की आप भी मेरे साथ बहुत एंजॉय कर रहे हो। आप को अनिल से कोई ईर्ष्या नहीं है। और आप मुझसे अब भी उतना ही प्यार कर रहे हो। ऐसा पति कोई कोई पत्नी को भाग्य से ही मिलता है।“

“जैसे की पहले आप ने मुझसे कहा था, चलो हम तीनों साथ मिल कर इस होली के त्यौहार का आनंद उठाएं। मैं आज आप दोनों से खूब चुदना चाहती हूँ। आज तुम दोनों मिलकर मुझे ऐसे चोदो की मैं ये कभी न भूल पाऊँ। मैं भी आप दोनों से इतना चुदवाऊँगी और इतना आनंद देना चाहती हूँ की आप उसे जिंदगी भर याद रखें और यह रात हमारी जिंदगी की सबसे यादगार रात बने।"

बस और क्या था। मैं उस वक्त यह भूल गया की मैं नीना का पति था और वह मेरी पत्नी थी। मेरे जहन में तो बस यही था की मैं अपनी प्रेमिका को, किसी और की पत्नी को चोरी छुपी से चोद रहा हूँ। मैं उस समय ऐसा उत्तेजित था, जैसे शादी तय होने के बाद शादी से सात दिन पहले मैंने नीना को बड़ी मुश्किल से पटा कर पहली बार चोदा था। मैं नर्वस था पर बहोत जोश में था। मैं जोश में चोदने लगा। नीना भी मुझे उछाल उछाल कर सामने से धक्के मार कर मेरा पूरा साथ दे रही थी।

अनिल का मुंह मेरी पत्नी की चूँचियों पर जैसे चिपका हुआ था। वह नीना के मम्मों को मुंहसे निकाल ही नहीं रहा था। उसकी जीभ नीना की निप्पलों को चूस रही थी। कभी कभी वह उन निप्पलों को अपने होठों के बिच जोरसे दबा कर चूसता हुआ खींचता था। नीना के हाथमें अनिल का तना हुआ लण्ड था, जिसे वह बड़े प्यार से सहला और हिला रही थी। कभी कभी वह अनिल के बड़े गोटों (अंडकोषों) को इतनी नजाकत और प्यार से सहला रही थी और दुलार कर रही थी तो कभी वह अनिल के लण्ड को थोड़ी सख्ती से दबा देती थी। अनिल की बंद आँखें भी अनिल के मन की उनमत्तता को प्रदर्शित कर रही थी। बिच बिच में वह अपनी आँखे खोल कर मुझे नीना को चोदते हुए देख लेता था और उसके मुंह पर मुस्कान छा जाती थी।

मैं उस रात दुबारा झड़ने की तैयारी में था। मैं अपनी उन्मत्तता के चरम शिखर पर पहुंचा हुआ था। अपनी उत्तेजना को नियंत्रण में न रख पाने के कारण मैंने हलके हलके गुर्राना शुरू किया। मेरी बीबी को यह इशारा थी की मैं तब मेरा फव्वारा छोड़ ने वाला था। पर नीना थी की धीरे पड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। तब ऐसे लग रहा था जैसे मैं उसे नहीं, वह मुझे चोद रही थी। उसकी गति तो पहले से और तेज हो गयी। उसने अपनी चूत के बिच मेरा लण्ड सख्ती से जकड़ा था और वह अपनी पीठ को उछाल उछाल कर निचे से ही मुझे चोद रही थी। मैंने बड़े जोर से हुंकार करते हुए एकदम अपना फव्वारा छोड़ा और मेरी बीवी की चूत को मेरे वीर्य से भर दिया।

तब मेरे लण्ड पर मेरी बीवी की चूत की पकड़ कुछ ढीली पड़ी। मेरा माल पूरा निकल जाने पर मेरा लण्ड भी ढीला पड़ गया, जिसे मैंने धीरे से चूत में से निकालना चाहा। तब मैंने देखा की मेरी बीबी पर तो जैसे भूत सवार था। वह मेरा लण्ड छोड़ने को तैयार ही नहीं थी। मैंने जैसे तैसे मेरा लण्ड निकाला, और मैं नीना पर पूरा लेट गया। मैंने अपने होंठ नीना के होंठ से मिलाये और मैं अपनी पत्नी के होठों को चूमने लगा। तब मेरी बीबी ने मुझे मेरे कान में धीरेसे कहा , "जानूँ, मैं अब भी बहुत चुदाई करवाना चाहती हूँ। मुझे चोदो।“

जब नीना ने देखा की मैं थोड़ा थका हुआ था और मेरे लण्ड को खड़ा होने में समय लगेगा, तब नीना ने अनिल को अपनी और खींचा। जब अनिल ने नीना के स्तनों से अपना मुंह हटाया तब मैंने देखा की मेरी बीबी के गोरे गोरे मम्मे लाल हो चुके थे। अनिल के दाँतों के निशान भी कहीं कहीं दिखते थे। नीना की निप्पालें कड़क तनी हुयी थी। जैसे ही मैंने नीना के इर्दगिर्द से मेरी टाँगें हटायीं और उसके दोनों पॉंव मेरे कंधे से उतारे, तो मेरी बीबी ने मेरे मित्र को अपने ऊपर चढ़ने का आह्वान दिया। अनिल का लण्ड तो जैसे इस का बेसब्री से इन्तेजार कर रहा था की कब मैं उतरूँ और कब वह अपनी पोजीशन दोबारा सम्हाले।

अनिल का घोडे के लण्ड के सामान लंबा और मोटा लण्ड तब मेरी बीबी की चूत पर रगड़ने लगा। तब भी वह अपने पूर्व रस झरने से गिला और स्निग्ध था। मेरी पत्नी की चूत भी मेरी मलाई से भरी हुई थी। शायद अनिल के मनमें यह बात आयी होगी की उसे अब वह आनंद नहीं मिलेगा जो पहली बार नीना को चोदने में मिला था, क्योंकि नीना की चूत मेरी मलाई से भरी हुयी थी। पर उसकी यह शंका उसके नीना की चूत में अपने लण्ड का एक धक्का देने से ही दूर हो गयी होगी, क्योंकि जैसे ही अनिल ने अपना लण्ड मेरी बीबी की चूत में धकेला की मेरा सारा वीर्य नीना की चूत से उफान मरता हुआ बाहर निकल पड़ा। नीना के मुंह से तब एक हलकी सी सिसकारी निकल पड़ी। वह आनंद की सिसकारी थी या दर्द की यह कहना मुश्किल था।

धीरे धीरे अनिल ने मेरी पत्नी को बड़े प्यार से दोबारा चोदना शुरू किया। नीना को तो जैसे कोई चैन ही नहीं था। अनिल के शुरू होते ही नीना ने अपने चूतड़ों को उछालना शुरू किया। वह अनिल की चुदाई का पूरा आनंद लेना चाहती थी। अनिल की चोदने रफ़्तार जैसे बढती गयी वैसे ही नीना की अपने कूल्हों को उछाल ने की रफ़्तार भी बढ़ गयी। अनिल के हाथ तब भी मेरी बीबी के मम्मों को छोड़ने का नाम नहीं ले रहे थे। नीना ने अनिल का सर अपने हाथों में लिया और चुदाई करवाते हुए नीना ने अनिल को अपने स्तनों को चूसने को इशारा किया। मुझे ऐसा लगा की अनिल के नीना के मम्मों को चूसना नीना को ज्यादा ही उत्तेजित कर रहा था।

उनकी चुदाई देख कर मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा था। मैं तब समझा की अनिल और नीना कई हफ़्तों या महीनों से एकदुसरेको चोदने और चुदवाने के सपने देख रहे होंगे। ऐसा लग रहा था की दोनों में से कोई भी दूसरे को छोड़ने को राजी नहीं था। मुझे इन दोनों की चुदाई से इतनी उत्तेजना हो रही थी की मुझसे रहा नहीं गया और मैंने नीना की चूत पर हाथ रखा और मेरे अंगूठे और तर्जनी (अंगूठे के पास वाली उंगली) से अनिल के पिस्टन जैसे लण्ड को दबाया। अनिल अपने लण्ड को नीना की चूत के अंदर घुसेड़ रहा था और निकाल रहा था। उसकी फुर्ती काफी तेज थी। जब मैंने अंगूठे और तर्जनी से उसके लण्ड को मुठ में दबाने की कोशिश की तो शायद अनिल को दो दो चूतो को चोदने जैसा अनुभव हुआ होगा। नीना ने भी मेरा हाथ पकड़ा और वह मेरी इस चेष्टा से वह बड़ी खुश नजर आ रही थी।

तब अचानक अनिल थम गया। नीना अनिल को देखने लगी की क्या बात है। अनिल ने नीना की चूत में से अपना लण्ड निकाल दिया और मेरी बीबी की कमर को पकड़ कर उसे पलंग से नीचे उतरने का इशारा किया। नीना पहले तो समझ न पायी की क्या बात है। पर जब अनिल ने उसे पलंग से सहारा लेकर झुक कर खड़ा होने को कहा वह समझ गयी की अनिल उसे डोगी स्टाइल में (जैसे कुत्ता कुतीया को चोदता है) उसे चोदना चाहता है। नीना उस ख़याल से थोड़ा डर गयी होगी की कहीं अनिल उसकी गांड में अपना लण्ड घुसेड़ न दे, क्योंकि उसने मेरी और भयभरी आँखों से देखा। उसके डर का कारण मैं समझ गया था। मैंने उसे शांत रहने को और धीरज रखने का इशारा किया।

शायद मेरा इशारा समझ कर वह चुपचाप पलंग पर अपने हाथ टीका कर आगे की और झुक कर फर्श पर खड़ी हो गयी। अनिल मेरी बीबी की खूबसूरत गांड को अपने हाथों में मसलने लगा। आगे की और झुकी हुई और अपनी गांड और चूत अनिल को समर्पण करती हुई मेरी पत्नी कमाल लग रही थी। ऐसे लग रहा था की कोई कुतिया अपने प्यारे कुत्तेसे चुदवाने के लिए उतावली हो रही थी। नीना पूरी गर्मी में थी। उस पर अनिल से चुदवाने का जनून सवार था। उस समय यदि अनिल मेरी बीबी की गांड में अपना लण्ड पेल भी देता तो वह दर्द से कराहती और शोर भी जरूर मचाती पर शायद अनिल को छोड़ती नहीं और उस से अपनी गांड भी मरवा लेती।

अनिल नीना के पीछे आ गया और उसने थोड़ा झूक कर अपना लण्ड नीना की गांड पर और फिर उसकी चूत पर रगड़ा। फिर अनिल ने और झूक कर नीना के मम्मों को दोनों हाथों में पकड़ा और उन्हें दबाने, मसलने और खींचने लगा। उसने अपने दोनों अंगूठे नीना के स्तनों पर दबा रखे थे। फिर उसने अपना लण्ड बड़े प्यार से मेरी बीबी की गरमा गरम चूत में धीरेसे डाला। अनिल का स्निग्ध चिकनाहट भरा लण्ड मेरी बीबी की चूत में घुस तो गया, पर जैसे ही अनिल ने एक धक्का देकर उसे थोड़ा और अंदर धकेला तो नीना दर्द से चीख उठी। उसने अनिल को पीछे हटाने की कोशिश की। अनिल ने अपना अंदर घुसा हुआ लण्ड थोडा सा वापस खिंच लिया। मेरी सुन्दर पत्नी ने एक चैन की साँस ली। पर अनिल ने फिर एक धक्का मारा और अपना लण्ड फिर अंदर घुसेड़ा। नीना के मुंह से फिर चीख निकल गयी। फिर अनिल ने थोड़ा वापस लिया और फिर एक धक्का मार कर और अंदर घुसेड़ा।

तब मैंने देखा की मेरी पत्नी अपनी आँखे जोर से बंद करके, अपने होठ भींच कर चुप रही। उसने कोई चीख नहीं निकाली, हालांकि उसे दर्द महसूस हो रहा होगा। नीना के कपोल पर पसीने की बूंदें झलक रही थी। आज तक मेरा लण्ड कभी भी मेरी पत्नी की चूत की उस गहरायी तक नहीं पहुँच पाया था, जहाँ तक अनिल का लण्ड उस रात पहुँच गया था।

अनिल और मेरी सुन्दर एक रात की छिनाल पत्नी अब एक दूसरे से आनंद पानेकी कोशिश कर रहे थे। धीरे धीरे नीना का दर्द कम होने लगा होगा। क्योंकि अब वह दर्द भरे भाव उसके चेहरे पर नजर नहीं आ रहे थे। उसकी जगह वह अब अनिल के धक्कों के मजे ले रही थी। अनिल ने धीरे से अपनी चोदने की रफ़्तार बढ़ाई। साथ ही साथ वह मेरी बीबी के मम्मों को भी अपनी हथेली और अंगूठों में भींच रहा था। नीना मेरे मित्र के इस दोहरे आक्रमण से पागल सी हो रही थी। तब मेरी बीबी को शायद थोड़ा दर्द, थोड़ा मजा महसूस हो रहा होगा। अनिल की बढ़ी हुयी रफ़्तार को मेरी बीबी एन्जॉय करने लगी थी।

अनिल के अंडकोष मेरी पत्नी की गांड पर फटकार मार रहे थे। उनके चोदने की फच्च फच्च आवाज कमरे में चारो और गूंज रही थी। नीना ने तब कामातुरता भरी धीमी कराहट मारना शुरू किया। वह अनिल के चोदने की प्रक्रिया का पूरा आनंद लेना चाहती थी। शायद कहीं न कहीं उसके मन में यह डर था की क्या पता, कहीं उसे अनिल से दुबारा चुदवा ने का मौका न मिले।

नीना ने उंह्कार मारना शुरू किया तो अनिल को और भी जोश चढ़ा। अब वह मेरी बीबी की चूत में इतनी फुर्ती से अपना मोटा और लंबा लण्ड पेल रहा था की नीना अपना आपा खो रही थी। उधर जैसे ही अपना लण्ड एक के बाद एक तगड़े धक्के देकर अनिल मेरी बीबी की चूत में पेलता था, तब अनायास ही के उसके मुंह से भी "ओह... हूँ.... " की आवाजें निकलती जा रही थी। मेरी पत्नी और मेरा मित्र दोनों वासना के पाशमें एक दूसरे के संग में सारी दुनिया को भूल कर काम आनन्दातिरेक का अनुभव कर रहे थे। पुरे कमरे में जैसे चोदने की आवाजें और हम तीनों के रस और वीर्य की कामुकता भरी खुशबु फैली हुई थी।

नीना की उंह्कार तेज होने लगी। अब वह दर्द के मारे नहीं पर उत्तेजना और कामाग्नि के मारे हर एक धक्के पर कराह रही थी। जैसे जैसे वह अपने चरम शिखर पर पहुँच रही थी वैसे वैसे नीना ने जोर से कराहना शुरू किया और फिर अनिल को और जोरसे चोदने के लिए कहने लगी। 'अनिल, मुझे और चोदो। और जोरसे। मेरी चूत का आज भोसड़ा बना डालो। रुकना मत। मैं अब झड़ने वाली हूँ। चोदो मुझे। हाय..... आह.... बापरे..... ऑफ़..... " ऐसे कराहते हुए मेरी बीबी उस रात पता नहीं शायद चौथी या पांचवी बार झड़ी।

नीना के झड़ने से अनिल जैसे ही थम रहा था वैसे ही मेरी बीबी ने उसे लताड़ दिया। "अरे तुम रुक क्यों गए? मैं झड़ी हूँ पर अभी भी खड़ी हूँ। खैर, पीछे हटो। चलो अब मैं तुम्हें चोद्ती हूँ।" ऐसा कह कर मेरी बीबी ने अनिल का हाथ पकड़ कर उसे पलंग पर लेटाया। खुद वह अनिल के ऊपर चढ़ गयी और उसकी दोनों टाँगों को फैला कर अपनी दोनों टांगों को अनिल की फैली हुयी टांगो के बिच रख कर अपनी टांगों को टेढा कर अपने घुटनों पर बैठ गयी। धीरे से नीना ने अनिल का तना और मोटा लण्ड अपनी चूत के अंदर डाला और उसे अपने शरीर को नीचे की और दबा कर अंदर घुसेड़ा।

धीरे धीरे जैसे नीना अपने चूतड़ों को ऊपर निचे उठाने लगी, वैसे ही अनिल भी निचे से अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर नीना की चूत में अपने लण्ड को घुसेड़ रहा था। पर नीना को कोई दर्द नहीं बल्कि उसके चेहरे पर एक अद्भुत आनंद की लहर दौड़ रही थी। वह उस रात हमारी सेक्स की स्वामिनी बनी हुई थी। अनिल और मैं हम दोनों जैसे नीना के सेक्स गुलाम थे, और वह हमारी मलिका।

मैं हैरान इस बात पर था की कोई भी आसन में या पोजीशन में अनिल नीना के मम्मों को छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं था। उसने मेरी बीबी के स्तनों पर जैसे अपना एक मात्र अधिकार जमा रखा था। मैं अनिल का नीना के मम्मों के प्रति पागलपन को समझ सकता था। जब एक इंसान इतने महीनों से जिस के सपने देखता हो। जो इतने महीनो से जिसको पाने के लिए जीता हो और वह उसे मिल जाए तो भला उसे आसानी से कैसे छोड़ेगा?

मेरी पत्नी पर तो जैसे चुदने का बुखार चढ़ा था। वह उछल उछल कर अनिल को चोद रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी रात अनिल को नहीं छोड़ेगी। उनकी रफ़्तार इतनी तेज हो गयी थी की मैं डर रहा था की कहीं उसके शरीर पर उसका विपरीत असर न हो जाय। जैसे नीना उछलती तो उसके मम्मे भी उछलते थे। और साथ में अनिल के हाथ जिसमें अनिल ने उन मम्मों को दबा के पकड़ रखा था। सारा दृश्य देखने लायक था। मैंने पहेली बार मेरी पत्नी को इतने जोश में चोदते देखा था।

जब नीना मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोद्ती थी, तब उसे भी और मुझे भी चुदाई में अनोखा आनंद मिलता था। नीना भी बहुत उत्तेजित हो जाती थी, और मैं भी। हम दोनों जल्दी ही झड़ जाते थे। नीना इन दिनों थक जाने का बहाना करके मेरे ऊपर चढ़ कर चोदने से बचना चाहती थी। पर उस रात की बात कुछ और ही थी। पता नहीं शराब का असर था या शबाब का। उस रात मेरी पत्नी के चेहरे पर थकान का नामो निशान नहीं था।

वह जैसे ही एक धक्का मार कर अनिल के लण्ड को अपनी चूत की गहराईयों में घुसेड़ ती तो उसके साथ एक कामुकता भरी आवाज में "ऊम्फ...." की आवाज निकालती। जैसे महिला खिलाडी टेनिस के मैच में जब गेंद को रैकेट से मारकर कराहते हैं, बिलकुल वैसे ही। मेरी प्यारी और सेक्सी बीबी नीना बहुत जल्द झड़ने वाली थी। उसके चेहरे का उन्माद बढ़ने लगा था। उसका पूरा ध्यान उसकी जननेन्द्रिय पर हो रहे सम्भोग के आनंदातिरेक पर था। वह अनिल को शारीरिक सम्भोग का पूरा आनंद देना चाहती थी और अनिल से पूरा शारीरिक सम्भोग का आनंद लेना चाहती थी।

हाँ मैं यह जानता था की अब वह तुरंत अपना फव्वारा खोलने वाली थी। उसके कपोल पर तनी लकीरों से और चेहरे के भाव से यह स्पष्ट था की वह अब अपनी सीमा पर पहुँच ने वाली है। नीना ने अनिल के निप्पलों को अपनी उँगलियों में जोर से भींचा और कामुकता भरी दबी आवाज में बोल पड़ी, "हाय...... अनिल.... राज.... ऑफ़..... ओह... मैं अब अपना रस छोड़ने वाली हूँ।" ऐसे कहते हुए नीना ने अपनी रफ़्तार बढ़ाई।

मैंने महसूस किया की अनिल भी तब अपनी कामुकता की चोटी पर पहुँच रहा था। वह मेरी बीबी के मम्मों को कस कर अपनी हथेलियों में भींचते हुए बोल पड़ा, "नीना, मैं भी छोड़ने वाला हूँ। क्या मैं इसे बाहर निकाल लूँ?"

नीना ने उसकी छाती पर एक सख्त चूँटी भरते हुए कहा, "नहीं अनिल, आज मैं सुरक्षित हूँ। तुम अपना सारा वीर्य मेरी चूत में भर दो। मैं आज तुम दोनों के वीर्य को अपनी चूत में सारी रात भर के रखना चाहती हूँ। तुम खुल कर मेरी चूत भर दो।"

अचानक मैंने देखा की अनिल और मेरी बीबी एक दूसरे से चिपक गए। दोनों ने एक दूसरे को अपनी आहोश में इतना कस कर भींच लिया जैसे वह एक ही हो जाना चाहते हों। उनके मुंह एक दूसरे ऐसे चिपके थे की उन दोनों के मुंह में क्या हो रहा था वह सोचा ही जा सकता था। अनिल शायद उस समय मेरी पत्नी को न मात्र अपने लण्ड से बल्कि वह नीना को अपनी जीभ से भी चोद रहा था। जैसे ही दोनों ने एक साथ अपना रस छोड़ा तो दोनों की कामुक कराहट से सारा कमरा गूंज उठा। मैंने इस से पहले ऐसा दृश्य ब्लू फिल्मों में भी नहीं देखा था।

मैंने अनिल के स्निग्ध लण्ड, जो तब भी मेरी बीबी की चूत में था और अपना घना और घाड़ा वीर्य नीना की चूत में उँडेल रहा था; अपनी मुठी मैं लेकर दबाया और मेरी एक उंगली मेरी बीबी की चूत में डाली। मेरी उंगली अनिल के वीर्य से लथपथ थी। तब नीना ने मुझे भी अनिल के साथ साथ अपनी बाँहों में जकड लिया।

अब नीना शर्म का पर्दा पूरी तरह से फाड् चुकी थी। उसने अनिल का और मेरा हाथ अपने हाथों में लिया और बोली, "तुम दोनों बहुत चालु हो। तुम दोनों ने मिलकर यह मुझे चोदने का प्लान बनाया। हाय मां मैं भी कितनी गधी निकली की मुझे यह समझ में नहीं आया। डार्लिंग, आज मैं प्रेममय सेक्स (लोविंग सेक्स) का सच्चा मतलब समझ रही हूँ। तुम दोनों ने आज मुझे वह दिया जो शायद मैं कभी पा ने की उम्मीद भी कर नहीं सकती थी। राज आप न सिर्फ मेरे प्राणनाथ पति हो। आप एक सच्चे मित्र और जीवन साथी हो। मैं आज यह मानती हूँ की मेरे जहन में कहीं न कहींअनिल से चुदने की कामना थी। पर शर्म और मर्यादा के आगे मैंने अपनी यह कामना दबा रखी थी। शायद राज यह भांप गया था। अनिल तो मेरे पीछे पहले से ही पड़ा था। यह तो बिलकुल साफ़ था की वह मुझे चोदना चाहता था।

मैं मेरी बीबी की बात सुन कर हैरान था। मेरी शर्मीली बीबी आज खुल कर बोल रही थी। मैं नीना को बड़े ध्यान से सुन रहा था। वह बोली, “पर डार्लिंग, यह मत समझना की मैं आज आखरी बार अनिल से सेक्स कर रही हूँ। तुम्हारा दोस्त सेक्स करने में उस्ताद है। वह भली भाँती जानता है की अपनी प्रियतमा को कैसे वह उन ऊंचाइयों पर ले जाए जहां वह पहले कभी नहीं गयी। मैं उससे बार बार चुदना चाहती हूँ। इसके लिए मैं तुम्हारी सहमति चाहती हूँ। जब तुम मुझे अनिल से चुदवानेका प्लान बना रहे थे तब मैंने तुम्हें इसके बारे में आगाह किया था। और हाँ, मैं यह भी जानती हूँ की तुम अनीता को चोदना चाहते हो। शायद इसिलए तुम दोनों ने मिलकर यह धूर्त प्लान बनाया। तुम ने सोचा होगा की नीना को पहले फांसेंगे तो अनिता बेचारी को तो हम तीनों मिलकर फांस ही लेंगे। यदि तुमने यह सोचा था तो सही सोचा था। अब मैं तुम्हारे साथ हूँ। जब मैं तुम दोनों से चुद गयी तो अनीता कैसे बचेगी? आज मैं भी तुम्हारी धूर्त मंडली में शामिल हो गयी।"

नीना ने तब मुझे और अनिल को अपने बाहु पाश में ले लिया। उस रात और उस के बाद कई रातों में हम दोनों ने मिलकर एकदूसरे की बीबी को खूब चोदा और चोदते रहे। हमारी बीबियाँ भी हम से जोश से चुदवाती रहीं। उसके बाद हम चारों, चार बदन जरूर थे, पर हम सेक्स से एक ही बंधन में बंधे थे।

मैं मेरे इस अनुभव को छोटी सी सीमा में बाँधना नहीं चाहता। था पर शायद यह कहानी कुछ ज्यादा ही लंबी हो गयी है। मैं उम्मीद रखता हूँ की आप भी इसे पढ़कर उतना ही आनंद पाएंगे जितना मुझे लिखने में लगा।

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AnonymousAnonymous7 months ago

wah

AnonymousAnonymous8 months ago

मेरे अंदर भी cuckold feelings थी और शादी के करीब 6 साल बाद ये बड़ी ज़ोर मारने लगी। बीवी से धीरे धीरे बात बात आगे बढ़ाई तो पता चला की बीवी का शादी से पहले एक लड़के से छोटा मोटा affair चला था और मामला किस तक ही पहुंचा था, मेरा ये सुनके लाँड़ खड़ा हो गया और मै अपनी बीवी के मिन्नते करने लगा की वो कुछ करे। काफी मान मुन्नवल के बाद वो बोली के देखते है तो मेरे को तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गयी। उस लड़के की भी शादी हो गयी और वो बीवी के ननिहाल वाले गाँव मे ही रहता था।

कुछ दिनो बाद गाँव जाने का प्रोग्राम बन गया, बीवी मुझे समझाई के वो उसके साथ थोड़ा बहुत फ्लर्ट करेगी बस और कुछ नहीं, मै इसमे भी खुश था चलो शुरुवात तो हो। गाँव मे मै मौका दिया की वो उसके साथ अकेले मिल सके, फिर दोपहर को गाँव खेत घुमाने के बहाने हम तीनों खेतो की तरफ चल पड़े, खेतो के बीच एक ट्यूबवेल था जब हम वहाँ पहुंचे तो मै बोला की मै अपना मोबाइल भूल आया और उन दोनों को अकेला छोड़ के घर की तरफ चल दिया। थोड़ी दूर जाने के बाद मै गन्ने के खेत की आड़ मे छिप गया और दोनों को दूर से देखने लगा। वो दोनों वहीं पर खड़े बाते करते रहे फिर दोनों पास ही के गन्ने के खेतो के घुस गए तो मेरा लाँड़ सातवे आसमान पे पहुँच गया।

थोड़ी देर मै छुपा रहा पर फिर उत्सुकता मुझपे इतनी हावी हो गयी की मै भी खेतो मे घुस गया और अंदाजे से जिधर वो गए थे उधर बढ्ने लगा। मुझे दबे पाँव धीरे धीरे उन्हे ढूंढने मे थोड़ा समय लगा पर जब मै वहाँ पहुंचा तो मेरी ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी। मेरी बीवी पूरी नंगी चित पड़ी थी जमीन पे और वो भी पूरा नंगा उसके ऊपर चढ़ा हुआ था। कमीना पूरे जोश मे साथ उसे रगड़ रहा था और वो भी पूरी वासना मे डूबी हुई थी। उसकी तनी हुई छातियो को वो एसे मसल रहा था जैसे मौसमी से जूस निकाल रहा हो और मेरी बीवी उत्तेजना मे कराहती हुई उससे लिपटी जा रही थी। मै चुपचाप आड़ मे खड़ा सब देखता रहा, जैसे जैसे वो उत्तेजना मे चिल्लाती वैसे वैसे मेरा दिल बैठता जा रहा था। जब वो उसकी दोनों टाँगे ऊपर उठा के फैला दिया तो मुझे लगा की मेरी साँसे रुक गयी और फिर उसका काला मोटा लाँड़ देख के मै हीन भावना डूब गया, उसका लाँड़ मेरे से कम से कम डेढ़ गुना बड़ा तो होगा। मै देखता रहा कैसे वो मेरी बीवी को अपने भारी भरकम हथियार से पेल दिया, वो भी उससे चिपक चिपक के चुदवाने लगी।

जब वो दोनों शांत हुए तो मै दबे पाँव वापस चला गया, शाम को जब बीवी से अकेले मे मिलने का मौका मिला तो मैने पूछा की क्या क्या हुआ तो वो मुझे डांटते हुए बोली की मेरा कितना गंदा दिमाग है, फिर बोली की सिर्फ मेरी वजह से वो उसे थोड़ा लिफ्ट दी और खेत के अंदर उसे किस करने दिया। मै सोचा की शायद आगे बताए पर वो उल्टे मेरे ऊपर नाराज हो गयी की मेरा दिमाग गंदा है जो सोच रहा है की वो कुछ और करने देगी। मै चूतिये की तरह उसे देखता रह गया तो मेरे सामने पतिव्रता नारी बन के खड़ी थी।

AnonymousAnonymous8 months ago

Mairport bhi apni wife ko chudwana chahta hu apne dost se .but mera dost age badhta hi nahi wife ke kariya Jane ka mauka bahut diya par abhi kuch nahi hua.wife bhi andar se chahti hai but khulkar nahi bolti

AnonymousAnonymous9 months ago

बहुत से चूतिये इन हरकतों मे लिप्त है और अपनी बीवियो को दूसरे मर्दो के हवाले कर देते है। मै जब 22 साल का था और नई नई नौकरी पे लगा था तो हमारे यहाँ एक विपिन कुमार नाम का ऑफिसर था वो हुआ तो मेरा सीनियर पर उससे दारू पीने वाली दोस्ती हो गयी। वो अक्सर मुझे घर बुलाने लगा खाने पे, उसकी बीवी बहुत तीखी हसीना, दो बच्चो के बाद भी कातिल। उसकी अदाओ से मुझे लगने लगा की शायद वो मुझमे interested है।

एक दिन दारू पीने मे बहुत देर हो गयी तो वो मुझे अपने घर ले गया की रात मे मै वही सो जाऊ। जब घर पहुंचे उसकी बीवी ने डांटा की इतनी देर तक क्यो दारू पीते रहे, मुझे भी डांटा। घर मे दो ही कमरे थे, एक मे बच्चे सो रहे थे और दूसरे मे हम। हम दोनों बिस्तर पर लेटे तो वो हम दोनों के बीच लेट गयी। मैने सोचा था की वो बच्चो के पास जाएगी। मेरे को हड्बडाते देख वो हंसी और मज़ाक करने लगी की बच्चा शर्मा रहा है। फिर वो अपने पति से लिपट के गुड नाइट किस करने लगी। मै हैरत से उसे होंटो पर किस करते देखता रह। फिर वो अपने पति से बोली, तेरे दोस्त को भी गुड नाइट करना है क्या।

मेरे काटो तो खून नहीं, वो मेरी तरफ मुड़ी और जैसे मखमल का गोला मेरी बांहों के आ गया। मै उस समय शादी शुदा नहीं था और लड़कियो से सेक्स बस कुछ बार ही हुआ था। उसके स्पर्श मात्र से मेरा लंड टनटनाने लगा। मैंने विपिन की तरफ देखा वो उल्लुओ की तरह देख रहा था। चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। अपने आप ही मेरे हाथ उसके बदन को कस कर अपने मे समेटने लगे। मैंने महसूस किया की पतले से नाइट गाऊन के अंदर वो कुछ नहीं पहने है। उसके शर्बती होंट मेरे होंटो पे चिपक गए। हम दोनों एक दूसरे के होंटो को चूमने चूसने लगे।

मैंने देखा की विपिन पास सरक आया था, वो उसका गाउन झांघो पे ऊपर की तरफ खीचने लगा और कुछ ही पलो मे गाउन कमर से ऊपर था और उसकी मंसाल गांड मेरे हाथो से मसली जाने लगी। मैंने देखा की विपिन अपने पाजामे का नाड़ा खोल रहा था, मुझे पता नहीं क्या हुआ मै एकदम से उसे हड़का दिया, चुपचाप लेटा रह। विपिन भौचक से वही अटक गया और उसकी बीवी भी अचरज से मुझे देखने लगी। मै उसके चेहरे को सीधा किया और होंटो को चूमने चूसने लगा। एक पल को उसको समझ नहीं आया की क्या करना चाहिए पर फिर वो भी मेरे को चूमने लगी और मेरे खड़े लंड को पकड़ ली।

विपिन चुपचाप पड़ा रहा और मै उसकी बीवी का मर्दन करने लगा। किसी के सामने उसकी बीवी को चोदने का अपना अलग मज़ा है, मै पूरे जोश मे उसपर पिल पड़ा। वो भी मेरा पूरा साथ देते हुए मेरे एक एक इंच लंड को अपने मुह मे और फिर अपनी चूत मे ले ली।

उस रात के बाद मै अक्सर उसके घर रुकने लगा और कुछ रातो बाद विपिन बिस्तर से भी आउट हो गया और वो कुर्सी पर बैठ के देखता।

AnonymousAnonymousabout 1 year ago

Hamne bhi kai baar bb adla badli karke sex kiya he.....

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