कैसे करें अपनी बीबी को तैयार

PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here
iloveall
iloveall
414 Followers

उसके बाद नीना ने बोलना बंद किया। बोल कैसे पाती? मेरा लण्ड बड़े प्यारसे उसने अपने मुंह में ले जो लिया था। वह उसे ऐसे चूसने लगी जैसे बच्चे बर्फ के गोले में से रस चूसते है। पहले उसे लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगता था। परन्तु उस दिन वह मुझे बहुत खुश करना चाहती थी।

उस रात को मैं भूल नहीं पाउँगा। उस ने खूब चुदवाया। वह तिन बार झड़ गयी और मैं दो बार। मुझे लगा जैसे मेरे दोस्त अनिल का तीर निशाने पर लग रहा था।

मैं सुबह उठ कर तैयार होकर जब ऑफिस जा रहा था तब मैंने जाते जाते नीना को एक लम्बी सी किस होठों पर की। फिर बाई बाई करते हुए कहा, “तुम्हे याद तो है ना? एक बार अनिल को थोड़ा उकसा कर उसका टेस्ट करके तो देखो की तुम सच्ची हो या मैं। बोलो करोगी ना?”

मेरी पत्नी नीना ने मुझे धक्का देते हुए कहा, "ठीक है बाबा, याद है। मैं सोचूंगी। अब ऑफिस भी जाओगे या यही बातें करते रहोगे?

मैं नीना के साथ बात करते करते आँगन में आगया; फिर पलटा और उसको बाँहों में जकड कर बोला, "सोचना नहीं, करना है। बोलो करोगी ना? वादा करो।“

मुझे बाहर आँगन में मस्ती करते हुए देख कर नीना हड़बड़ा गयी और बोली, "कैसे पागल हो। क्याकर रहे हो? आसपास सब लोग खड़े देख रहे हैं। ठीक है बाबा मैं करुँगी। वादा करती हूँ। अब तुम जाओ भी।"

मैं हँसते हुए चल पड़ा।

उस दिन दोपहर को मैंने अनिल से फ़ोन पर पूछा, "नीना ने मुझे मैगी के दो पैकेट लाने के लिए कहा था, पर मुझे अभी काम है। मैं जा नहीं पाउँगा। क्या तुम मैगी के दो पैकेट नीना को घर दे आओगे? मैं तुम्हारा एहसानमंद रहूँगा।"

मैं जानता था की अनिल को तो मेरे घर जाने का बहाना चाहिए था। उसे इससे बढ़िया बहाना और क्या मिल सकता था? उसने तुरंत कहा की वह मेरे घर के पास ही कहीं जा रहा था। वह जरूर मैगी के पैकेट पहुंचा देगा। मैंने तुरंत नीना को फ़ोन किया और बोला, "नीना डार्लिंग, अनिल थोड़ी देर में हमारे घर आएगा। क्या उसका स्वागत करने के लिए तैयार रहोगी?"

नीना ने झुंझलाते हुए कहा, "तुम क्या अभी तक उस बात को भूले नहीं हो? तुम अनिल की परीक्षा कर रहे हो या मेरी? आखिर तुम चाहते क्या हो?”

मैंने कहा,"तुम मुझे यह बताओ, तुम करोगी या नहीं?"

तब नीना ने असहायता दिखाते हुए कहा, "मैं क्या करूँ? ठीक है बाबा, मैं चेंज करती हूँ। लगता है तुम मुझसे कुछ न कुछ उल्टापुल्टा करवाके ही रहोगे पर अगर कुछ गड़बड़ हो गई, तो मुझे दोष मत देना।"

मैंने कहा, "तुम मेरी डार्लिंग हो मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और करता रहूंगा। यह करने के लिए मैं तुम्हे जान बुझ कर कह रहा हूँ। कुछ होगा तो वह मेरी गलती है, ना की तुम्हारी। मैं तुम्हें कभी भी दोष नहीं दूंगा। "

हमारी बात चित के आधे घंटे में ही अनिल घर पहुंचा और उसने बेल बजाई पर किसीने दरवाजा नहीं खोला। तब अनिल ने दरवाजे को धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया। जब वह अंदर आया तो घर में कोई नहीं था। उसने बाथरूम में नहाने की आवाज सुनी। अनिल समझ गया की नीना बाथरूम में नहा रही थी। अनिल ड्राइंग रूम में बैठ कर इंतेजार करने लगा। तभी बाथरूम के अंदर से आवाज आयी, "सुचित्रा, मैं आती हूँ। तू रसोई में जा कर बर्तन साफ़ कर।" सुचित्रा हमारे घर में सफाई, बर्तन, पोछा इत्यादि करती थी। अनिल समझ गया की नीना को लगा की सुचित्रा आयी थी।

थोड़ी ही देर में नीना बाथरूम से बाहर आयी। वह तौलिये में लिपटी हुई थी। जब उसने देखा की रसोई में कोई नहीं था तो वह ड्राइंग रूम में आयी। तब उसने अनिल को देखा। अनिल ने नीना को तौलिये में लिपटे हुए देखा तो उसकी तो सिटी पट्टी गुम हो गयी। नीना का आधे से ज्यादा बदन खुला हुआ था। उसके उन्नत स्तनोँ का मस्त उभार दिख रहा था। तौलिया नीना की जांघों तक ही था। नीना की सुडौल जांघे अनिल को पागल बना रही थी। नीना के भीगे हुए बाल उसके मुंह और पुरे बदन पर बिखरे हुए थे। भीगी हुयी नीना उसे सेक्स की मूर्ति लग रही थी।

जब नीना ने अनिल को देखा तो वह एकदम चिल्लाने लगी। फिर यह सोच कर एकदम चुप हो गयी की कहीं पड़ौसी उसकी चीख सुनकर भागते हुए आ न जाएँ। वह थोडी सहम कर बोली, "अरे अनिल, तुम? यहाँ, इस वक्त?"

अनिल की जबान पर तो जैसे ताला लग गया था। बड़ी मुश्किल से बोला, "नीना मुझे माफ़ कर दो। मुझे पता नहीं था की तुम नहा रही हो। मैंने घंटी तो बजायी पर दरवाजे पर कोई न आया। राज ने फ़ोन किया था की तुम्हे मैगी के दो पैकेट चाहिए। वह देर से आयेगा इस लिए उसने यह पैकेट मुझे लाकर तुम्हे देने के लिए बोला।"

ऐसा कहते हुए अनिल ने नीना को मैगी के दो पैकेट हाथ में थमाये। पर उसकी नजर तो नीना के मम्मो पर अटकी हुयी थी। जब नीना मैगी लेने करीब आयी तो अनिल से तौलिये में झांके बगैर रहा नहीं गया। हालाँकि नीना ने तौलिया एकदम ताकत से पकड़ रखा था, नीना के स्तन तौलिये में समा नहीं रहे थे और बाहर से ही दिखायी दे रहे थे। नीना की जांघे घुटने से ऊपर तक नंगी थीं। उस समय अनिल का मन किया की वह नीना को अपने आहोश में कर के वहीँ उस पर चढ़ जाय और चोद डाले।

अनिल नीना के अधनंगे बदन को देख कर अपना नियंत्रण रख नहीं पाया। उसने आगे बढ़ कर नीना को अपनी बाँहों में ले लिया। नीना ने शायद अनिल के मन के भाव भाँप लिए थे। उसने आपना तौलिया और ताकत से पकड़ा। नीना की अपनी समस्या थी। वह एक हाथ में तौलिया पकडे थी और दूसरे हाथ में मैगी। वह अनिल का विरोध करने में असमर्थ थी। उसने अपने बदन को हिला हिला कर अनिल के बाहुपाश से छूटने की बड़ी कोशिश की, पर अनिल की ताकत के सामने उसकी एक न चली।

अनिल ने उसे अपनी बाहोँ में लपेट कर अपने होठ नीना के होठ पर रखना चाहा। तब नीना ने एक हाथ में पकड़ा मैगी का पैकेट फेंक दिया और उस हाथ से अनिल को धक्का देकर दूर हटाया और भागती हुयी बैडरूम में चली गयी। अचानक उसे ध्यान आया की उसने अपने पीछे बैडरूम का दरवाजा तो बंद नहीं किया था। वह डर के मारे कांप रही थी की कहीं अनिल पीछे पीछे बैडरूम में न आ जाए। पर जब नीना ने पीछे मुड़कर देखा तो अनिल भौंचक्का सा ड्राइंग रूम में बुत की तरह खड़ा उसे देख रहा था।

थोड़ी देर मैं नीना कपडे चेंज कर नाईट गाउन पहन कर आयी। अनिल ड्राइंग रूम में ही था। नीना ने अपने केश बाँधे नहीं थे। खुले बालों में वो फिर भी उतनी ही सेक्सी लग रही थी। अनिल ने देखा की गाउन के नीचे शायद नीना ने कुछ और पहना नहीं था। क्योंकि उसके बदन के सारे उभार उसके गाउन में से साफ़ नजर आ रहे थे। उस वक्त अनिल की शक्ल रोनी सी हो गयी।

अनिल ने नीचे झुक कर नींना से कहा, “भाभी मुझे माफ़ कर दीजिये। आप को उस हालत में देख कर मैं अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पाया। मैंने बड़ी भारी गलती कर दी। जब तक आप मुझे माफ़ नहीं करेंगे तब तक मैं यहां से नहीं जाऊँगा। और राज को इस बारेमें मत बताइयेगा। कहीं वह मुझसे बोलना बंद न कर दे।“

नींना तो जानती थी की उस ने ही अनिल को उकसाया था। उसे तो पता था की अगर अनिल ने उसे ऐसी हालत में देखा तो क्या होगा। वह शुक्र मना रही थी की अनिल उसके पीछे बैडरूम में नहीं आया। अगर वह आया होता तो नीना उसे रोक नहीं पाती।

नीना तब हंस पड़ी और बोली, "अनिल तुम कोई चिंता मत करो। जो हुआ इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। मुझे भी उस हालात में ड्राइंग रूम में नहीं आना चाहिए था। तुम्हारी जगह कोई और भी तो हो सकता था। तब तो और भी मुसीबत हो जाती। मैं राज को कुछ नहीं बताऊंगी। मैं चिल्लाने के लिए शर्मिंदा हूँ। तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ।“ यह कह कर नीना रसोई में से चाय बना कर ले आयी।
अनिल को चाय देते हुए नीना ने अनिल से कहा, “माफ़ी तो मुझे भी तुमसे मांगनी है। मैंने तुम्हारी गिफ्ट को नकार दिया था उसके लिए प्लीज मुझे माफ़ कर देना। मैं तुम्हें गलत समझ रही थी। राज ने मुझे बताया की तुम वह गिफ्ट उसे पूछ कर ही मुझे दे रहे थे।“
फिर नीना ने उसे शरारत भरे लहजे में कहा, "पर इससे तो तुम्हे बहुत नुक्सान होगा, क्योंकि अब मुझे न सिर्फ वह गिफ्ट चाहिए, मुझे और भी गिफ्ट चाहिए। अगर मेरी मांगे बढ़ती गयी तो मना मत करना।“
तब अनिल ने भी हंसकर कहा, "भाभीजी आपके लिए तो जान हाजिर है। "
नीना ने पलट कर जवाब दिया, "उसे तो अनीता को ही देना। मुझे तो सिर्फ गिफ्ट चाहिए "

उसके बाद तो जैसे अनिल की चांदी हो गयी। इसके बाद नीना अनिल से कोई औपचारिकता नहीं रखती थी। जब भी अनिल आता तो नीना ख़ास उसे बात करने ड्राइंग रूम में उसके पास आती और उसके साथ भी बैठ जाती थी। कई बार नीना अनिल को रसोई में भी बुला लेती और दोनों इधर उधर की बातें करते। मेरे सामने भी नीना अब अनिल से शर्माती नहीं थी। कई बार मैंने देखा तो वह अनिल के कोई जोक पर अनिल का हाथ पकड़ कर हंसती थी। परंतु उन के बिच कोई जातीयता वाली बात नहीं दिख रही थी। अब जब वह घर आता तो उसकी आव भगत होने लगी। वह मुन्नू के साथ खेलता और उसको कभी चॉकलेट तो कभी आइसक्रीम ला कर उसने मुन्नू का मन जीत लीया। नीना के साथ भी उसने काफी दोस्ती बनाली थी।

मैं जब नहीं रहता था तब भी अनिल आता जाता रहता था। जब भी अनिल मेरी अनुपस्थिति में आता तब मुझे अनिल और नीना दोनों बता देते थे। नीना अनिल को छोटे मोटे काम भी बताने लग गयी थी। अनिल कभी मेरी अनुपस्थिति में सब्जी लाता तो कभी ग्रोसरी। मैंने महसूस किया की धीरे धीरे अनिल और मेरी पत्नी नीना के बिच कुछ कुछ बात बन रही थी। अगर बात बन नहीं रही थी तो उनके बिच कोई बात में वैमनस्य भी नहीं रहां था। नीना के मनमें अनिल के प्रति अब पहले जितना शक और डर नहीं रहा था।

मैं जब नहीं रहता था तब भी अनिल आता जाता रहता था। जब भी अनिल मेरी अनुपस्थिति में आता तब मुझे अनिल और नीना दोनों बता देते थे। नीना अनिल को छोटे मोटे काम भी बताने लग गयी। अनिल कभी मेरी अनुपस्थिति में सब्जी लाता तो कभी ग्रोसरी। मैंने महसूस किया की धीरे धीरे अनिल और मेरी पत्नी नीना के बिच कुछ कुछ बात बन रही थी। नीना के मनमें अनिल के प्रति अब पहले जितना शक और डर नहीं रहा था।

इसका फायदा मुझे भी तो होना ही था। अब अनिल मुझ पर और भी मेहरबान होने लगा। एकदिन अचानक ही वह घर आया। नीना रसोई में व्यस्त थी। मैंने उसे हालचाल पूछा। हम दोनों खड़े थे की अचानक उसके हाथमे से एक लिफाफा निचे गिरकर मेरे पांव पर पड़ा। मुझे ऐसा लगा जैसे अनिलने लिफाफा जान बुझ कर गिराया था। मैंने झुक कर जैसे उसे उठाया तो उसमे से एक तस्वीर फिसल कर बहार निकल पड़ी। वह तस्वीर उसकी पत्नी अनीता की थी।

वह समंदर के किनारे बिकिनी पहने खड़ी थी। उसकी नशीली आँखें जैसे सामने से खुली चुनौती दे रही थी। उसके मद मस्त उरोज जैसे उस बिकिनी में समा नहीं रहे थे। छोटी सी लंगोटी की तरह की एक पट्टी उसकी भरी हुई चूत को मुश्किल से छुपा पा रही थी। उसके गठीले कूल्हे जैसे चुदवाने का आवाहन कर रहे थे। उसे देख कर मैं थोड़े समय तो बोल ही नहीं पाया। मैं एकदम हक्का बक्का सा रह गया।

अचानक मुझे ध्यान आया की अनिल मुझे घूर कर देख रहा है। मैं खिसिया गया और हड़बड़ा कर बोला, "यार, सॉरी। मुझे यह देखना नहीं चाइये था।"

अनिल एकदम हंस पड़ा और बोला, "तुम क्यों नहीं देख सकते? उस दिन उस बीच पर पता नहीं कितने लोगों ने अनीता को इस बिकिनी में आधा नंगा देखा था। तुम तो फिर भी अपने हो। क्या यदि तुम्हारे पास नीना की कोई ऐसी तस्वीर हो तो तुम मुझे नहीं दिखाओगे?"

उसके इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने अपनी मुंडी हिलाते हुए कहा, "बात तो ठीक है। मैं भी तो तुम्हे जरूर दिखाऊंगा ही।"

अनिल ने हँसते हुए पूरा लिफाफा मेरे हाथ में थमा दिया और बोला, "इस लिफाफे में हमारे हनीमून की सारी तस्वीरें हैं। इसमें अनीता के, मेरे और हमारे बड़े सेक्सी पोज़ हैं। तुम इन्हें जी भर के देख सकते हो। मैं तुमसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहता। तुम चाहो तो इसे नीना के साथ भी शेयर कर सकते हो। आखिर में, मैं तुम दोनों में और हम दोनों में कोई फर्क नहीं समझता।"

अनिल ने जैसे बात बात में अपने मन की बात कह डाली। उसकी बात पहले तो मेरी समझ में नहीं आई, पर उसके चले जाने के बाद जब में उसकी बात पर विचार कर रहा था तब मैं धीरे धीरे उसका इशारा समझने लगा। उसकी बात के मायने बड़े गहरे थे। मुझे ऐसा लगा जैसे वह यह संकेत दे रहा था की उसकी बीबी और मेरी बीबी में कोई अंतर नहीं है। उसका मतलब यह था की मेरी बीबी उसकी बीबी और उसकी बीबी मेरी बीबी भी हो सकती है। साफ़ शब्दों में कहें तो वह बीबियों की अदलाबदली की तरफ इशारा कर रहा था।

जैसे जैसे मैं सोचता गया मुझे उसका सारा प्लान समझ में आने लगा। मैं भी तो वही चाहता था जो वह चाहता था। फिर ज्यादा सोचना कैसा। फिर मेरे मनमे एक कुशंका आई। कहीं मैं अपनी प्रिय पत्नी को खो तो नहीं दूंगा? कहीं वह अनिल की आशिक तो नहीं बन जायेगी? पर यह तो हो ही नहीं सकता था क्यूंकि अनिल भी तो उसकी बीबी को बहुत चाहता था। उसकी एक बच्ची भी तो थी। हमारा भी तो मुन्नू था। शंका का तो तुरंत समाधान हो गया। हाँ एक बात जरूर थी। एक बार शर्म का पर्दा हट जानेसे, यह हो सकता है की अनिल नीना को बार बार चोदना चाहे, या नीना बार बार अनिल से चुदवाना चाहे। तब मैंने यह सोचकर मन को मनाया की आखिर अनिल और नीना समझदार हैं। वह अगर चोदना चाहे भी तो मुझसे बिना पूछे कुछ नहीं करेंगे। यदि मेरी मर्जी से ही यह होता है तो भला, मुझे अनिल और नीना की चुदाई में कोई आपत्ति नहीं लगी।

दूसरे नीना समझदार थी। वह मुझे पूछे बिना कुछ भी ऐसा नहीं करेगी जिससे हमारा घर संसार आहत हो। यदि मान लिया जाये की अनिल बहक जाता है, तो नीना फिर अनिल को कंट्रोल कर सकती है। मैं जानता था की नीना एक शेरनी की तरह है। वह यदि चाहे तो अनिल को घरमें घुसने भी न दे। उसने पहले कई बार अनिल को हड़का दिया था। अनिल अपनी बीबी से भी तो डरता था। किसी एक को बहकने से रोकने के लिए तीन लोग खड़े थे, बच्चों को इस गिनती में शामिल न किया जाय तो। मेरी इस शंका का भी भलीभांति समाधान हो गया। सबसे बड़ी बात यह थी की नीना मुझे बहुत चाहती थी और मैं जानता था की सेक्स और प्रेम का अंतर वह जानती थी। शंका का तो तुरंत समाधान हो गया।

मैंने सोचा की शंका कुशंका करते रहेंगे तो आगे बढ़ नहीं सकते। आखिर कुछ पाने के किये कुछ समझौता तो करना पड़ता ही है। और फिर हम सब कहाँ एकसाथ सारी ज़िन्दगी रहने वाले थे। अब बात थी पत्नियों को पटाने की। यह एक बड़ी चुनौती थी।

फिर मेरे मनमें एक बात आई। दो औरतों को एकसाथ चुदवाने के लिए राज़ी करना मुझे कठिन लगा। वैसे ही औरतें बड़ी ईर्षालु होती है। वह अपने पति को दुसरी औरत को चोदते हुए देख सके यह मुझे मुश्किल सा लग रहा था। ऐसा करने की बात करने से पहले मैंने सोचा क्यों न पहले हम दो मर्द एक बीबी को तैयार करते हैं। एक बीबी को अगर हमने फ़ांस लिया तो दूसरी आराम से फँस जायेगी। और अगर एक फँस गयी तो फिर वह दुसरी को जरूर चुदवाने के लिए तैयार करेगी। साथ साथ मैं पहले नीना को चुदवाने का मजा लेना चाहता था। मेरे मनमे एक तरह का पागलपन सवार हो गया था।

वैसे मेरे मन में भी तो यह इच्छा थी की मेरी बीबी भी एक बार गैर मर्द का टेस्ट करे। मैं देखना चाहता था की मेरे सामने दूसरा मर्द कैसे मेरी बीबी को चोदता है, मेरी बीबी कैसे उससे चुदवाती है और मैं भी दूसरे मर्द के साथ मिलकर कैसे मेरी बीबी को चोदता हूँ। कई बार मैंने देखा था की मैं तो झड़ गया था पर मेरी बीबी नहीं झड़ पाई और अपना मन मसोस कर रह गयी। अगर नीना को दो मर्द चोदते हैं तो साफ़ बात है की वह भी ओर्गाज़म का ज्यादा से ज्यादा मजा ले सकती है। उसको बार बार झड़ने से वह बहुत एन्जॉय करेगी। यही बात को सोच कर मैं जोश में आ गया। अनिल और नीना की केमिस्ट्री देख कर में पागल सा हो रहा था। मैं नीना को अनिल से चुदवाने के बारें में गम्भीरता से सोचने लगा।

अनिल का मेरी पत्नी की और आकर्षण (आकर्षण से ज्यादा उपयुक्त शब्द था पागलपन) को मैं भली भांति जानता था। अनिल को नीना की और से थोड़ा सा भी सकारात्मक रवैया दिखाई दिया तब तो अनिल नीना का पीछा नहीं छोड़ेगा। और यदि एकबार उस ने नीना का नंगा जिस्म देख लिया तो फिर तो मुझे पता था की वह उसे बार बार चोदना चाहेगा। तब वह आसानी से अनीता को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार कर पाएगा इस बातका मुझे पूरा यकीन था। दूसरे, तब नीना भी अनीता को राजी कर लेगी। मैं जानता था की यदि नीना चाहेगी तो अनीता को जरूर तैयार कर सकती है। पर इसके लिए पहले नीना के अवरोध का बाँध तोड़ना जरुरी था।

नीना को गरम करने के लिए मैं अनायास ही अनिल की बात छेड़ देता था। बातों बातों में मैं कुछ न कुछ ऐसे विषय ला देता था की नीना गरम हो जाए। मैंने एक रात जब नीना थकी हुयी थी और सोने जा रही थी, तब उसको गर्म करने के इरादे से अनिल के बारेमें बात छेड़ी। मैंने वह लीफाफा निकाला जिसमें अनीता और अनिल के सेक्सी पोसेस वाली तस्वीरें थी। नीना एक के बाद एक तस्वीरें देखने लगी। मैंने टेढ़ी नजर से देखा की नीना अनीता में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रही थी, पर अनिल की छोटे से जांघिये में उस के उठे हुए लण्ड वाली और जांघिये को छोड़ कर बाकी पूरी नंगी तस्वीरों को वह थोड़े ज्यादा ही ध्यान से देख रही थी।

मैंने जैसे इसको देखा ही नहीं, ऐसे जताते हुए बोला, "जब अनिल ने मुझे अनीता की ऐसी आधी नंगी तस्वीरें देखते हुए पकड़ लिया तो मुझे बड़ी शर्मिंदगी हुयी। मैंने अनिल से माफ़ी मांगी। तब अनिल ने क्या कहा मालुम है?"

अनीता ने मेरी तरफ सवालिया नजर से देखते हुए अपनी उत्सुकता को दबाने का प्रयास करते हुए पूछा "क्या कहा अनिल ने?"

मैंने फ़ौरन कहा, "अनिल ने कहा, अनिता की ऐसी आधी नंगी तस्वीर यदि मैंने देख ली तो क्या हुआ? उसे तो उस समय बीच पर सैकड़ों लोगो ने आधी नंगी बिकिनी में देखा था। उसने कहा हम दोनों कपल में क्या अंतर है? अनीता और नीना या राज और अनिल सब एक ही तो हैं? हम को हमारे बिच ऐसा कोई अंतर नहीं रखना चाहिए। " मैंने फिर नीना से पूछा, "कुछ समझी?"

नीना बोली, "हाँ, सही तो है। हम दोनों कपल अब इतने करीब हैं की हम में एक तरहकी आत्मीयता है। उसने ठीक ही कहा। उसमें सोचने की क्या बात है?"

तब मैंने नीना के गाल पर चूंटी भरते हुए कहा, "हाय मेरी बुद्धू बीबी। तू इसका मतलब नहीं समझी। अनिल का कहने का मतलब शायद ये था की चाहे अनिल हो या मैं, तुम्हारे लिए दोनों बराबर होने चाहिए। और चाहे अनिल हो या मैं, अनीता के लिए भी दोनों बराबर होने चाहिए। इसका मतलब समझी?"

नीना फिर भी भोलेपन से मुझे ताकती रही तब मैंने कहा, "हे भगवान्, मेरी बीबी कितनी बुद्धू है। अरे अनिल यह इशारा कर रहा था की चाहे तुम हो चाहे अनीता हो अनिल के लिए दोनों पत्नीयां ही हैं। वैसे ही अनीता के लिए भी हम दोनों उसके पति ही हैं। इसका मतलब है हम एक दूसरे की पत्नियों की अदलाबदली कर सकते हैं। मतलब हम एक दूसरे की पत्नियों को चोद सकते हैं।"

यह सुनकर नीना एकदम अकड़ गयी और बोली, "यह क्या बात हुई। भाई एक दूसरे की बीबियों के साथ थोड़ा मिलना जुलना, थोड़ी शरारत अथवा थोड़ी सी छेड़ खानी ठीक है, पर अदलाबदली की बात कहाँ से आई? बड़ी गलत बात कही अनिल ने अगर उसका यह मतलब समझता है वह तो। पर मुझे लगता है शायद उसका कहनेका वह मतलब नहीं था। यह सब बातें तुमने ही बनायी लगाती है। वह तो शालीन और सीधासादा है।" मैं अपने ही मन में मेरी सरल पत्नी की यह बात सुन कर हंस रहा था। अनिल और सीधा सादा?"

मैंने तीर निशाने पर लगाने के लिए कहा, "अनिल ने और क्या कहा सुनोगी?" नीना ने अपनी मुंडी हिला कर हाँ कहा।

मैंने कहा, 'तब अनिल ने मुझसे पूछा, अगर तुम्हारी ऐसी आधी नंगी तस्वीरें हों तो मैं उनको अनिल के साथ शेयर नहीं करूँगा क्या? मैं क्या बोलता? मैंने कहा हाँ जरूर करूँगा।"

नीना यह सुनते ही एकदम सहम गई। वह मुझ से नजर भी मिला नहीं पा रही थी। शर्म से उसका मुंह लाल होगया था। नीना सोचमें पड़ गयी और बोली, "यदि मेरी ऐसी तस्वीर तुम्हारे पास होती तो क्या तुम अनिल को दिखाते? यह बात तो ठीक नहीं। पर खैर मेरी ऐसी तस्वीरें कहाँ है, जो तुम अनिल को दिखाओगे? हम तो हनीमून पर कहीं गए ही नहीं।" उसके चेहरे पर निराशा सी छा गयी।

मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा, " अब तो तुम्हें और मुझे ऐसे तस्वीरें खिंचवानी पड़ेंगी।"

नीना से पट से बोली, 'ताकि तुम उसे अनिल को दिखा सको?"

मैंने सीधे ही पूछा, "हाँ, वो तो मुझे दिखानी ही पड़ेंगी। मैंने वचन जो दे दिया है अनिल को। पर तब क्या तुमे ऐतराज़ होगा? अरे हाँ याद आया, अनिल ने तुमको आधा नंगा तो उस दिन देख ही लिया था न, जिस दिन तुम तौलिया लपेट कर उससे मिलने आयी थी?"

नीना ने कोई जवाब नहीं दिया। वह मेरेसे एकदम सट रही थी और गरम हो गई थी। उस रात भी हमने खूब जोर शोर से सेक्स किया। अब तो मुझे नीना को गरम करने की चाभी सी जैसे मिल गयी थी। जब भी नीना थकान का बहाना करके सोने के लिए जाती और अगर मेरा मूड उसे चोदने का होता तो मैं अनिल की कोई न कोई रसीली बात छेड़ देता। कई बार तो मुझे बाते बनानी पड़ती थी। परन्तु मेरी बुद्धू बीबी यह समझ नहीं पाती थी की मैं उसे चोदने के लिए तैयार करने के लिए यह सब सुना रहा था। अब मुझे इसी बात को आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर होना था।

पर मुझे कुछ ज्यादा करने की जरुरत नहीं पड़ी। बात अपने आप ही बनने लग रही थी। एक दिन अनिल घूमते घूमते मुझे मिलने आया। मैं उस दिन टीवी पर मेरा मन पसंद एक खास मैच देख रहा था। तब नीना ने रसोई में से मुझे आवाज़ दी। वह मुझे एक डिब्बा उतारने के लिए कह रही थी। मैंने उसे कहा अनिल को कहो। वह उतार देगा। यह सुनकर अनिल एकदम रसोई में पहुंचा तो देखा की नीना को ऊपर के शेल्फ से एक डिब्बा उतारना था। अनिल ने नीना से कहा की वह प्लेटफार्म पर चढ़ कर डिब्बा उतार लेगा। पर नीना नहीं मानी।

उसके बुलाने पर भी मैं रसोई में नहीं गया उस बात से वह चिढ़ी हुयी थी। उसके सर पर एक तरह का जूनून सवार था की वह डिब्बा स्वयं ही उतारेगी। किसीकी मदद नहीं लेगी। वह खुद रसोई के प्लेटफार्म के ऊपर चढने की कोशिश कर रही थी। प्लेटफार्म की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण वह ऊपर चढ़ नहीं पा रही थी। उसने अपना एक पॉंव ऊपर उठाया और प्लेटफार्म पर रखा तो उसकी साड़ी सरक कर कमर पर आ गयी और उसकी जांघें अनिल के सामने ही नंगी हो गईं।

अनिल की शक्ल उस समय देखने वाली थी। वह नीना की खूबसूरत जाँघें देख भौंचक्का सा रह गया। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी। जब नीना ने अनिल के चेहरे के भाव देखे तो वह कुछ सकपका कर खड़ी हो गयी। उसने अपनी साडी ठीक की। अनिल ने अपने आप को सम्हाला और दुबारा कहा की वह लम्बा है और वह आसानी से डिब्बा उतार लेगा। पर नीना फिर भी न मानी।

नीना ने अनिल से कहा की वह खुद ही ऊपर चढ़ेगी। तब अनिल ने नीना को आगे बढ़ाया और खुद नीना के पीछे हो गया। नीना को सहारा देने के लिए अनिल ने थोड़ा झुक नीना की दोनों बगल में पीछे से अपने हाथ डाल दिए और बड़ी ताकत लगाकर उसे ऊपर उठाया। बाप रे, मुझे जब बाद में पता लगा तो मेरे लण्ड से जैसे पानी झरने लगा। नीना के बगलों में हाथ डालके उसे ऊपर उठाने से अनिल का क्या हाल हुआ होगा यह समझना मुश्किल नहीं था। जरूर उसने कुछ तो शरारत की होगी।

मैं आज भी उस दृश्य की कल्पना करता हूँ। मेरी बीबी के पीछे उससे सटकर कैसे अनिल खड़ा होगा और उस समय उसका लण्ड कितना सख्त होगा और मेरी बीबी की खूबसूरत गाँड़ में पिछेसे कैसे धक्का दे रहा होगा यह तो मेरे लिए बड़ा उत्तेजना भरा सोचने का विषय था। वैसे भी इस बहाने उसने नीना के स्तनों को तो जरूर दबाया होगा। अनिल नीना के स्तनों पर फ़िदा था और जब भी उसे देखो तो उसकी नजर वहीं टिकी रहती थी।

नीना प्लेटफार्म पर तो चढ़ गयी पर लड़खड़ाने लगी। अनिल ने कस कर नीना के पाँव पकडे और कहा, “नीना भाभी संभल कर। गिरना मत।"

परन्तु नीना डिब्बा निचे उतारते लड़खड़ाई और सीधी अनिल पर जा गिरी। अनिल और नीना दोनों धड़ाम से निचे गिरे। निचे अनिल और उसके ऊपर नीना। जब मैंने धमाके की आवाज़ सुनी तो भागता हुआ रसोई में गया और देखा की बड़ा रोमांटिक सीन चल रहा था। नीना अनिल के उपर लेटी हुयी थी और अनिल नीना को अपनी बाहों में लिए हुए नीना के निचे दबा था। दोनों के होठ एक दूसरे को जैसे चुम्बन करने वाले थे। अनिल का एक हाथ नीना के एक स्तन पर था। मैं ठीकसे देख तो नहीं पाया पर अनिल और नीना के हावभाव से ऐसे लग रहा था जैसे शायद वह उस स्तन को जोर से दबा रहा था।

iloveall
iloveall
414 Followers
123456...8