घरेलू चुदाई समारोह

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एक उच्चवर्गीय परिवार की चुदाई की दास्तान|
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घरेलू चुदाई समारोह
लेखक: ले-वर्न और सिंसैक्स ©
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अध्याय - १
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“मैं सजल को शुभ रात्रि कह कर आती हूँ”, कोमल ने एक बेहद ही झीना सा गाउन पहनते हुए अपने पति से कहा। उस कपड़े में उसके विशाल, गठीले मम्मे छुप नहीं पा रहे थे। उसकी चूत को आराम से देखा जा सकता था।

सुनील बिस्तर पर टेक लगाकर लेट गया। वो अपनी सुंदर बीवी को चोदने को बेचैन था। उसका अलमस्त लंड उसकी खूबसूरत बीवी की चुदाई के लिये ऊपर की ओर तैनात था। “वो कोई बच्चा नहीं है, कोमल, वो बांका जवान है और अभी कॉलेज से एक साल की पढ़ाई करके आया है। उसे इस तरह के दुलार की ज़रूरत नहीं है।”

कोमल बिना कुछ बोले दरवाज़ा खोलकर सैंडल खटखटाती बाहर चली गयी। वो बहस करने के मूड में नहीं थी।

उसने सजल के कमरे का दरवाज़ा धीरे से खोलकर पूछा, “क्या तुम अभी तक जाग रहे हो?”

कपड़ों की आवाज़ के बाद उसके लड़के ने बोला, “हाँ मम्मी, आओ अंदर।”

“क्या तुमने ठीक से खाना खाया?” कोमल ने सजल के बिस्तर पर बैठते हुए पूछा। सजल ने लिहाफ से अपना निचला हिस्सा ढका हुआ था पर उसका ऊपरी हिस्सा नंगा था।

“तुम तो जानती हो मम्मी, तुम्हारे हाथ का खाना मुझे कितना पसंद है।” उस सुंदर गठीले जवान ने उत्तर दिया। उसकी आँखें बरबस ही कोमल के गाउन पर ठहर गयीं जिसमें से कि उसकी गोलाइयों को देखा तो नहीं पर महसूस ज़रूर किया जा सकता था।

कोमल ने उसके चौड़े सीने पर हाथ सहलाते हुए कहा, “क्या मसल्स हैं, लगता है कि खूब व्यायाम करते हो।”

“हाँ मम्मी, पर इतना कुछ करने के बाद जब मैं बिस्तर पर लेटता हूँ तो बस सीधे सो जाता हूँ।”

“यह भी तुम्हारे लिये बड़ा लंबा दिन था, अब तुम सो ही जाओ। मैं चाहती हूँ कि तुम सुबह मेरे लिये तरो-ताज़ा उठो, तुम सिर्फ़ दो ही दिन के लिये तो आये हो।”

“पर अभी मैं गर्मी की दो महीनों की छुट्टी में फ़िर आऊँगा।” सजल ने अपनी साँस रोकते हुए कहा, उसे अपनी मम्मी के गर्म उरोज अपनी छाती पर महसूस हो रहे थे। उस झीने गाउन से कुछ भी रुक नहीं रहा था।

“मैं तुम्हें घर में आया हुआ देखकर बहुत खुश हूँ”, कोमल ने अपने लड़के को और जोर से भींचकर कहा। इससे उसके अपने शरीर में भी एक गर्मी सी दौड़ गयी। यह उस गर्मी से फ़र्क थी जो उसे पहले महसूस होती थी। इसमें मात्रत्व नहीं था। उसके मम्मे सख्त हो गए और उसकी चूत में एक खुदबुदी सी हुई। वह जब सजल से अलग हुई तो थोड़ी पस्त सी थी।

“मैं तुम्हें सुबह मिलुँगी।” उसने कांपते हुए स्वर में कहा और बिस्तर से उठ खड़ी हुई। उसने सजल का खड़ा हुआ लंड उसके लिहाफ़ में तम्बू बनाते हुए देखा। उसने फ़ौरन समझ लिया कि जब वह आई थी तब सजल मुट्ठ मार रहा था।

“शुभरात्रि मम्मी,” सजल ने प्यार से कहा। कोमल को ऐसा महसूस हुआ जैसे वो कुछ ज्यादा ही मुस्कराया था। उसे कभी कभी यह लगता था कि उसका लड़का उतना सीधा नहीं था जितना कि वो उसे समझती थी। सजल उससे हमेशा अपनी बात मनवा लिया करता था।

कोमल जब अपने कमरे में पहुँची तब भी अपने मन से वह उन भावनाओं को नहीं दूर कर पायी। इससे उसे डर और रोमाँच दोनों हुए। उसे पहले भी कभी-कभी सजल के लिये ऐसी भावनायें आयीं थीं पर आज जितनी तेज़ नहीं। उसे ग्लानि होने लगी, पर कुछ-कुछ रोमाँच भी।

“अपने बच्चे को अच्छे से सुला दिया?”, सुनील ने व्यंग्य भरे शब्दों में पूछा। उसने अपना तना हुआ लंड अपने हाथ में लिया हुआ था और उसे धीरे-धीरे सहलाते हुए व्हिस्की पी रहा था।

“ज्यादा मत बोलो!” कोमल ने कुछ ज्यादा ही गुस्से से जवाब दिया। उसने सुनील का बड़ा लंड देखा तो उसके मन में चुदाई की तीव्र इच्छा हुई, पहले से कहीं ज्यादा ही तीव्र। पर वह अपनी कामुकता को दिखाना नहीं चाहती थी। कोमल ने भी एक ग्लास में तगड़ा डबल पैग बनाया और नीट ही पीने लगी। उसे नशे में चुदाई का ज़्यादा आनंद आता था।

“ठीक है, लड़ो मत,” सुनील बोला। “मेरे ख्याल से आज मैं तुम्हे सेवा का मौका देता हूँ। क्या तुम मेरे लंड को चूसने से शुरूआत करना पसंद करोगी?”

“बड़े होशियार बन रहे हो।” कोमल भुनभुनाई। पर वो भी मन ही मन उस कड़कड़ाते हुए लंड का रसास्वादन करना चाह रही थी। उसका गाउन एक ही झटके में ज़मीन पर जा गिरा और केवल ऊँची हील के सैंडल पहने वो धीमे से बिस्तर की ओर कदम बढ़ाने लगी। इससे उसके पति को उसकी सुनहरी नंगी काया का पूरा नज़ारा हो रहा था। सुनील का पूर्व-प्रतिष्ठित लंड कोमल की जघन्य काया को देखकर और टन्ना गया। उसकी मनोरम काया पर उसके काले निप्पल जबर्दस्त एफ़ेक्ट पैदा कर रहे थे। सुनील की नज़र फ़िर अपनी पत्नी के निचले भाग पर जा टिकी, जहाँ चिकना और सुनहरी स्वर्ग का द्वार चमचमा रहा था।

“तुम चालीस साल की होने के बावज़ूद भी बहुत हसीन हो।” सुनील ने मज़ाक किया। कोमल की जांघें परफ़ेक्ट थीं, न पतली न मोटी।

“तारीफ़ के लिये शुक्रिया।” कोमल थोड़े गुस्से से बोली। उसने एक गोल चक्कर घूमा जिससे सुनील को उसके पृष्ठ भाग का भी नज़ारा हो गया। उसका यही हिस्सा सुनील को सर्वाधिक प्रिय था, उसे देखते ही वो पागल हो जाता था।

“इधर आओ जानेमन।” वो लड़खड़ाती हुई आवाज़ में बोला। जब कोमल बिस्तर पर पहुँची तो सुनील ने उसे अपने ऊपर खींच लिया। वह काफ़ी उत्तेजित था। कोमल को भी यही पसंद था।

“हाँ, आज रात मुझे कुचल दो, जानेजाँ।” वो अपने जिस्म को सुनील के शरीर से दबवाते हुए बोली और जब सुनील ने उसके निप्पल काटे तो वो सनसना गयी। उसे सुनील से एक ही शिकायत थी, वो बहुत प्यार से पेश आता था, जबकी कोमल को जोर ज्यादा भाता था। उसे घनघोर चुदाई पसंद थी।

“और जोर से काटो,” वो बोली। जब सुनील ने उसके चूतड़ पकड़ कर दबाए तो वो बोली, “मेरी चूचियों को और जोर से चूसो।”

कोमल आनंद से पागल हो गयी थी पर उसके पति ने उसे वहशी तरीके से प्यार करना बंद किया और उसका सर अपने लंड को चूसने के लिये नीचे किया।

“मेरा लंड चूसो।” वो बोला।

“अभी नहीं सुनील, मेरे मम्मों को थोड़ा और चूसो। उन्हे और काटो। तुम जब ऐसा करते हो तो मुझे बहुत मज़ा आता है।”

“मैं और इंतज़ार नहीं कर सकता। मैं बहुत उत्तेजित हूँ, मेरा लंड चूसो।” सुनील ने सिर्फ़ अपने आनंद का ख्याल करते हुए कहा।

“नहीं!” कोमल चींखी, “हम हमेशा ऐसा ही करते हैं। तुम इस मामले में बहुत खराब हो। तुम जानते हो कि मुझे क्या भाता है, फ़िर भी तुम सिर्फ़ वही करते हो जिसमें तुम्हे खुशी मिलती है। मुझे अपनी खुशी के लिये तुम्हारी मिन्नतें करनी पड़ती हैं।”

“देखो जानेमन, हम इस बारे में कई बार बहस कर चुके हैं। मुझे जबर्दस्ती अच्छी नहीं लगती, कभी-कभी जैसे कि आज, मैं बहुत उत्तेजित हो गया था और मैने तुम्हे पकड़ लिया। अब क्या तुम बेवकूफ़ी बंद करोगी और बचपना छोड़ मेरा लंड चूसोगी?”

“नहीं, मैं मूड में नहीं हूँ।” कोमल गुस्से से बोली और बिस्तर की चौखट पर बैठ गयी।

“तुम किसे मूर्ख बना रही हो प्रिय? मैं जानता हूँ तुम हमेशा चुदाई के लिये तैयार रहती हो... और तुम भी ये जानती हो।” सुनील ने उसे वापस खींचते हुए कहा।

“तुम बहुत बद्तमीज़ हो।”

सुनील ने उसे वापस अपने लंड पर जोर देकर झुका दिया। इस जबर्दस्ती से कोमल फ़िर से रोमाँचित हो उठी। सुनील गुरार्या, “बकवास बंद करो और मेरा लंड चूसो।”

“ओह” कोमल की चूत में एक गर्मी सी फ़ैल गयी। उसने लंड चूसने से मना कर दिया। वो सुनील से और जोर की चाह रखती थी।

“हरामज़ादी, मैने कहा मेरा लंड चूस!” सुनील चिल्लाया और वो कोमल के मुँह में अपना लंड भरने की कोशिश करने लगा।
कोमल के दिमाग में एक बात आई। इस समय उसका पति वासना से पागल था, उसने सुनील से उसका लंड चूसने से पहले एक वादा लेने की ठानी।

“ठीक है, पर अगर तुम वादा करो कि सजल को अगले साल यहीं रखकर पढ़ाओगे।”

“क्या? इस समय इस बात का क्या मतलब है?”

“क्योंकि तुम सिर्फ़ इसी समय मेरी सुनते हो। मुझे उसका वह कॉलेज बिलकुल पसंद नहीं है। उसे हमारे साथ यहीं रहना चाहिये।”

“हम यह सब बातें पहले भी कर चुके हैं। उस कॉलेज में उसकी ज़िन्दगी बन जायेगी।” सुनील गुस्से और उन्माद से बोला। “उसे वहीं पढ़ने दो।”

“नहीं, उसे यहीं रखो।” कोमल ने सुनील के दमदार लंड के सुपाड़े का एक चुम्मा लेते हुए कहा। “ठीक है?”

“ऊँह, ठीक है। आह”, सुनील के मुँह से चीख सी निकली जब कोमल ने उसका मोटा लंड एक ही बार में अपने गर्म मुँह मे ले लिया।

अब जब बहस की कोई गुंजाइश नहीं रही, कोमल अपने मनपसंद काम ’लंड चुसाई’ में तन मन से व्यस्त हो गयी।

“अपनी जीभ भी चलाओ, जान।”

“मेरे मुँह को चोदो सुनील।” उसे लौड़े का अंदर बाहर का घर्षण बहुत प्रिय था। उसके मनपसंद आसन में सुनील उसके मुँह को चोदता था जब वह उसके आगे झुकी रहती थी।

“वाह मेरी लौड़ाचूस, और जोर से चूस।” सुनील अपने मोटे लंड को अपनी बीवी के सुंदर मुँह में भरा हुआ देखकर ज्यादा देर तक ठहरने वाला नहीं था। वह उसके हसीन मुँह में ही झड़ना चाहता था।

कोमल ने अपना मुँह सुनील के लंड से हटा लिया। “तुमने ऐसा क्यों किया?” सुनील कंपकंपाते हुए बोला। उसने कोमल का सर फ़िर से अपने लंड पर लगाना चाहा।

“अभी मत झड़ना सुनील। तुम बहुत जल्दी झड़ जाते हो। मैं प्यासी ही रह जाती हूँ। इस बार तुम मुझे झड़ाये बिना नहीं झड़ोगे” कोमल बोली। “तुम मेरी चूत चूसो, मैं तुम्हारा लंड चूसती हूँ।”

सुनील ने कोमल के चूतड़ अपनी ओर खींचे, और जोरदार तरीके से कोमल की चुसाई करने लगा। जब उसने अपने दाँतों से चूत के दाने को काटा तो कोमल आनंद से चिहुंक पड़ी।

“तुम हर बार ऐसा क्यों नहीं करते? जब तुम काटते हो तो कितना मज़ा आता है। हाँ मेरी चूत को ऐसे ही चूसो”

“तुम मेरा लंड अच्छे से चूसो और मैं वही करूंगा जो तुम चाहोगी।” सुनील के चेहरे पर कोमल की चूत का रस चिपका हुआ था। उसे जबरन थोड़ा रस पीना पड़ा। उसे इस रस का स्वाद अच्छा भी लगा।

“हाँ, मेरी जान! आज हम रात भर एक दूसरे का रस पियेंगे।” कोमल खुशी से चीखी। उसने अपने पति के टट्टों पर अपनी ज़ुबान फ़ेरी। उसने पक्का किया हुआ था कि सुनील से चूत चुसवा कर ही रहेगी। उसके बाद वो उसे चोदने देगी जब तक कि दोनों थक न जायें पर कोमल ने चूसना शुरू नहीं किया। वो सोच रही थी की सजल का लंड कैसा दिखता होगा। क्या उसका लंड भी सुनील जितना बड़ा होगा? सुनील का लंड नौ इंच लंबा था और बहुत मोटा। उसने अपने हाथ में मौजूद हथियार को देखा और सोचा काश यह सजल का होता।

जब सुनील ने उसकी चूत को जोर से चूसना शुरू किया तो उसे महसूस हुआ जैसे वो फ़ट जायेगी। अपने बेटे के ख्याल ने यह निश्चित कर दिया कि इस बार वो लंबी झड़ेगी। “ओह सुनील, मैं झड़ रही हूँ, मुझे खूब चोदा करो, मुझे इसकी सख्त ज़रूरत रहती है। मुझे तुम्हारे मुँह और लंड की हमेशा प्यास रहती है। इतनी जितना तुम मुझे नहीं देते।”

सुनील जानता था कि कोमल उसे तब तक नहीं चूसेगी जब तक वो उसकी इच्छा पूरी नहीं कर देता। उसकी उंगलियों ने कोमल की गाँड को फ़ैलाया और उंगली हल्के से उस बादामी छेद पर छुआई।

“एक बार और!” कोमल ने मिन्नत की। उसने सुनील का लंड इतनी जोर से दबाया कि उसकी चीख निकल गयी। वो तो उसी समय उस स्वादिष्ट माँसपिंड को खा जाती अगर उसे उसकी ज़रूरत अपने किसी दूसरे छेद में नहीं होती। वो शानदार ऊँचाई पर पहुँच कर झड़ गयी।

“अब तुम्हे मुझे इंतज़ार कराने का फ़ल भुगतना होगा।” सुनील बोला जब वो शाँत हुई। उसने कोमल को उठाकर चौपाया बनाया और अपना पूरा लंड एक ही बार में उसकी लपलपाती हुई चूत में पेल दिया।

“हाय!”, कोमल के मुँह से आनंद भरी सीतकार निकल गयी और वो उस धक्के से आगे जा गिरी।

“हे भगवान तुम बहुत गर्म हो।” सुनील हाँफ़ते हुए बोला। कोमल की भट्टी उसके लंड को एक धौंकनी की तरह भस्म किये दे रही थी। “ले मेरा लौड़ा और बता कैसा लगता है, चुदास औरत!”

“मुझे पूरा चाहिये, पूरा!” कोमल ने ज़वाब दिया। अगर उसका पति यह समझता था कि वो जीत जायेगा तो वो गलत था। वो जितना भी दे सकता था कोमल उससे ज्यादा लेने के औकात रखती थी। वो जितना जोर लगाता कोमल को उतना ही ज्यादा मज़ा आता। वो उससे जितनी बुरी तरह से बोलता, उतनी ही उसकी वासना में वृद्धि होती। उसने अपनी प्यासी चूत से सुनील का मोटा लंड जकड़ लिया और उम्मीद करने लगी की वह इसी वहशियाने तरीके से उसे चोदता रहेगा। सुनील को भी अपनी पत्नी को इस तरह से चोदने में मज़ा आ रहा था, इसलिये उसने अपना स्खलन रोक रखा था। उसने कोमल की चमकती कमर का नंगा नाच देखा और उसके पुट्ठे जोर से भींच डाले।

जब उसके दिमाग में सजल का ख्याल आया तो कोमल ने कुछ और सोचने की कोशिश की पर वो अपने बेटे को अपने दिमाग से निकालने में सफ़ल नहीं हुई। सजल की नंगी छाती की चमक उसके दिमाग में रह-रह कर कौंधने लगी। हालांकि उसने सजल का लंड सालों से नहीं देखा था पर अब उसे वह अपनी आँखों के आगे देख रही थी।

“हाँ, और अंदर!” उसने आह भरी। फ़िर उसने महसूस किया कि ये उसने सुनील नहीं बल्कि सजल से कहा था! उसने सोचा था कि यह सजल का मोटा लंड था जो उसे चोद रहा था। उसकी कल्पना में सजल का लंड दस इंच लंबा और बहुत मोटा था।

सुनील के स्वाभिमान को कोमल की कही हुई कुछ बातों से बहुत चोट पहुँची थी। “तो मैं हमेशा तुम्हे झाड़े बिना ही झड़ जाता हूँ?” वो तमतमा कर बोला। “तुम्हे यह दिखाने के लिये कि तुम कितनी गलत मैं तुम्हे एक बार से ज्यादा बार खुश करके ही झड़ुँगा।”

“हाँ, ये हुई न बात!” कोमल बोली, “तुम्हारे हाथ मेरे मम्मों को किस तरह निचोड़ रहे हैं... हाँ सुनील मुझे जोर से चोदो।”

कोमल झड़ गयी। “चोदो मेरी चूत को!” वो चिल्लाई। उसे पता था कि अगर सजल जागता होगा तो वो सुन लेगा। इससे उसे और अधिक गर्मी आई और उसकी चूत के स्पंदन और तेज़ हो गए। “और!” वो चीखी। उसे सुनील के हाथ अपनी छाती पर आग की तरह महसूस हो रहे थे। “और, मैं फ़िर झड़ रही हूँ मुझमें यह पूरा लंड पेल दो जानेमन!”

आज सुनील को अपने अभी तक न झड़ने पर यकीन नहीं हो रहा था। कोमल की बेहद गर्म और टाइट चूत उसके लौड़े को कसकर जकड़े हुए थी पर वह अभी तक झड़ा नहीं था!

“अब!” वो बोला जब उसकी पत्नी ने झड़ना बंद किया। वो कोमल की सुलगती चूत से अपना लंड निकलना तो नहीं चाहता था पर वो एक दूसरे तरीके से झड़ना चाह रहा था। वो झड़ते समय कोमल का चेहरा देखना चाहता था और उसके हसीन चेहरे पर ही अपने प्यार का प्रसाद चढ़ाना चाहता था।

“अब तुम मुझे ऊपर आकर चोदो।” कोमल बोली तो उसके पति ने उसे कमर के बल बिस्तर पर पलट दिया। हालांकि वो अभी अभी ही स्खलित हुई थी पर यह भी जानती थी की दो चार धक्के और पड़ने पर वो एक बार फ़िर नदी पार कर लेगी। पर सुनील उसके पेट पर आ बैठा। “अब मैं तुम्हें और नहीं चोद रहा, मैं तुम्हारे मुँह में आना चाहता हूँ” और वह अपने लंड का मैथुन करने लगा।

“नहीं सुनील, ऐसा मत करो... मुझे थोड़ा और चोदो।” उसे यह बिलकुल पसंद नहीं आ रहा था कि सुनील अकेले ही झड़ना चाह रहा था।

“अपनी चूत से खेल लो अगर तुम्हें और आना है।” सुनील उसकी भावनाओं को नज़र-अंदाज़ करते हुए बोला। हालांकि उसकी चूत अभी और प्यासी थी पर समय की ज़रूरत समझते हुए कोमल ने इसका ही आनंद उठाने का निश्चय किया। “ऊह”, उसने गहरी साँस लेते हुए अपनी चूत में अपनी दो उंगलियाँ घुसेड़ दीं।

“ये ले!” सुनील चिल्लाया और अपना गर्मागर्म रस की पिचकारी कोमल के चेहरे पर मारने लगा। कोमल ने उस फ़ुहार को अपनी तरफ़ आते हुए देखा। पहले उसके माथे, फ़िर नाक पर और अंत में वो स्वादिष्ट रस उसके मुँह में आ गिरा। “थोड़ा और” उसने चटखारे लेते हुए कहा। जब बाकी का रस उसकी छातियों पर गिरा तो उसने एक हाथ से उसे उठाकर चाटा और वहीं अपनी छातियों पर मल दिया और दूसरे से अपनी चूत से खिलवाड़ जारी रखा। वह एक बार फ़िर सुख की कगार पर थी।

“मुझे अपने रस से सरोबार कर दो, मेरे मुँह मे आओ, मेरे मम्मों पर आओ। आओ! मैं आ रही हूँ, अपने टट्टों को मेरे ऊपर खाली कर दो। मेरे पूरे शरीर को नहला दो!” जितना वो चाट सकी उसने चाट लिया बाकी उसने अपने जिस्म पर मल लिया।

कोमल इसी हालत में और घंटों रह सकती थी। उसे अपने पति का भारी शरीर अपने ऊपर बहुत अच्छा लगता था पर सुनील उसके ऊपर से हटते हुए बोला “तुम उठ कर क्यों नहीं नहा कर अपने को साफ़ कर लेतीं?”

“नहीं, बस तुम मुझे लिहाफ़ उढ़ा कर ऐसे ही छोड दो। मुझमें अब कुछ भी करने की ताकत नहीं है।” उसने बहाना बनाया। वो इसी तरह रहना चाहती थी। उसने अपने चमकते स्तनों को देखा और सोचा कि उसे कैसा लगता अगर यह वीर्य-रस सजल का होता?

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अध्याय - २
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“मुझे नहीं लगता कि तुम्हारा अकेले गाड़ी लेकर घर जाना ठीक है।” सुनील अपना सामान बाँधते हुए बोला।

कोमल उसे कुछ शट्‌र्स देती हुई बोली, “अगर तुम काम के लिये पूरे देश में हवाई-सफ़र कर सकते हो तो मैं क्या सजल को स्कूल छोड़ने दो सौ किलोमीटर गाड़ी नहीं चला सकती?”

“अगर मैं आज फ़ोन न उठाता तो मुझे जाना न पड़ता। बॉस कुछ सुनने को राज़ी ही नहीं था कि मुझे सजल को उसके स्कूल छोड़ने जाना है।”

“तुम चिन्ता मत करो, सुनील। मेरे साथ सजल होगा और उसे छोड़ कर मैं बिना रुके सीधे घर ही आऊँगी। मैं किसी अजनबी से बात नहीं करुँगी और न ही उनसे कोई मिठाई ही लुँगी” कोमल हँसते हुए बोली।

सुनील ने अपना सूटकेस बंद किया और अपना ब्रीफ़केस उठाया। “नहीं तो मैं सजल को अपने साथ एअरपोर्ट ले जाता हूँ, वहीं से मैं उसे स्कूल के लिये बस में बिठा दुँगा।”

“बेकार की बात मत करो। न सिर्फ़ यह मंहगा पड़ेगा बल्कि सजल को भी इससे दिक्कत ही होगी। मेरा उसे छोड़ने जाना ही सबसे अच्छा उपाय है” कोमल ने कहा।

“नहीं तो तुम सजल को छोड़ कर किसी होटल में रात के लिये रुक जाना और सुबह वापस आ जाना।” सुनील जानता था कि रात के डिनर के बाद कोमल शराब के एक-दो पैग पीये बिना नहीं रह सकती और वो नहीं चाहता था कि ड्रिंक कर के कोमल हाईवे पर कार चलाये। पहले भी कोमल कई बार सुनील की चेतावनी के बावजूद नशे की हालत में कार ड्राइव किये बिना नहीं मानती थी और एक-दो बार हल्का एक्सीडेंट भी कर चुकी थी। इस समय अगर सुनील ये मुद्दा उठाता तो उसे पता था कोमल कलेश करेगी। इसलिए उसने कोमल को अप्रत्यक्ष रूप से होटल में ठहरने की सलाह दी।

कोमल को यह बात ठीक लगी। “ठीक है, मैं भी रात के लिये कुछ सामान ले लेती हूँ। तुम्हारी टैक्सी आ गयी है। तुम निकलो।”

“ध्यान रखना कोमल। मैं तुमसे गुरुवार को मिलुँगा।”

कोमल बाहर जाने के ख्याल से बेहद खुश थी, चाहे एक रात के ही लिये सही और उसे सजल के साथ भी कुछ समय ज्यादा मिलेगा। इस बार वो उससे ठीक से मिल ही न पायी थी।

“सजल!”, उसने अपने बेटे को आवाज़ दी। “अब नहाना बंद करो और तैयार हो जा...। और ध्यान रहे कि तुम अपनी सारी ज़रूरत की चीज़ें लेना मत भूलना।”

जब वो सजल का इंतज़ार कर रही थी तब उसने अपना बैग भी तैयार कर लिया। पहले उसने एक ही रात के लिये सामान लिया था फ़िर मन बदल कर कुछ और चीज़ें भी रख लीं। वो कुछ दिन घर से दूर रहना चाहती थी। वो उस होटल में एक की जगह दो दिन रुक जायेगी। वहाँ एक तरणताल था और वो दो-तीन सैक्सी उपन्यास पढ़ने के लिये ले लेगी। उसने अपनी बिकिनी भी ले ली। जब तक उसका सामान पैक हुआ उसने एक अतिरिक्त दिन रुकने का मन बना लिया था।

“मम्मी, क्या मैं आपका हैयर ड्रायर इस्तेमाल कर सकता हूँ?” सजल ने पूछा।

कोमल ने जब पलट कर देखा तो सजल सिर्फ़ तौलिया पहने हुए खड़ा था। उसने सोचा अगर सजल का तौलिया खुल गया तो क्या होगा?

“वो ड्रैसर में है।” उसने कांपती हुई आवाज़ में कहा। उसने सजल को ड्रायर लेकर कमरे से जाते हुए देखा। उसकी आँखें उसके बलिष्ठ शरीर का आंकलन कर रही थीं।

“तुम्हें इस तरह सोचना बंद करना होगा, कोमल।” उसने स्वयं से कहा। वो अपने पुत्र की चाह से ग्रसित थी। उसने अपने होटल में रुकने के असली कारणों के बारे में सोचा। क्या वो सजल के साथ अकेली रहना चाहती थी? उसने सजल का इंतज़ार करते हुए सोचा कि वह सजल को कहेगी कि वो भी सीधे स्कूल जाने की बजाय रात को उसके साथ ही होटल में रुक जाये। फ़िर क्या होगा?

* * * *

कोमल को सजल के साथ कार चलाने में बहुत आनंद आया। उन्होंने काफी बातें कीं जो शायद बहुत दिनों से नहीं की थीं। उसने सजल से उसके दोस्तों के बारे में जाना कि वो सब कॉलेज में क्या करते थे। वह उसके साथ बहुत हँसी और अपने आपको उसके और करीब होता हुआ पाया।

जब कॉलेज पास आने लगा तो उसने सजल से पूछा, “अगर तुम चाहो तो मेरे साथ होटल में रुक कर सुबह जा सकते हो। मैं तुम्हें पहली क्लास के पहले पहुँचा दुँगी।”

“शायद आप यह भूल रही हैं कि मुझे आज रात आठ बजे के पहले होस्टल में हाज़िरी देनी है” सजल बोला।

“हाँ, यह तो मैं भूल ही गयी थी। क्या बेकार का कानून है। मैं तुम्हारे इतने पास रहकर भी होटल में रहुँगी।”

“हाँ, पर मुझे उनका पालन करना होता है” सजल ने जवाब दिया।

“मैं उम्मीद कर रही हूँ कि तुम्हें मैं अगले साल अपने ही शहर के कॉलेज में दाखिला दिलवा पाऊँगी” कोमल ने सजल की जांघों पर हाथ रखते हुए कहा।

“पापा कभी नहीं मानेंगे... मैं घर पर ही रह कर पढ़ना चाहता हूँ पर उन्होंने जिद पकड़ी हुई है...। शायद तुम जो कह रही हो, हो न पायेगा।”

“वो तुम मुझ पर छोड़ दो” उसने सजल की जांघ को दबाते हुए कहा। “कुछ दूर पर ही उसका लंड भी है”, उसने सोचा।

“कोमल जी!” जैसे ही वो कॉलेज में दाखिल हुई कर्नल मान ने उसे पुकारा। वो उस ऊँचे लम्बे आदमी के मुखातिब हुई। “मुझे खुशी है कि आप सजल को समय रहते ले आईं। उसका व्यवहार बहुत ही अच्छा है। वो बहुत अच्छा मिलिटरी अफ़सर बनेगा।”

कोमल ने मुस्करा कर मान को देखा। वो उसे बहुत पसंद नहीं करती थी। वह उसके हिसाब से कुछ ज्यादा ही कड़क था। अगर वो इस अकड़ को छोड़ सके और जीवन का आनंद लेने को तैयार हो तो वो जरूर एक शक्तिशाली चुदक्कड़ बन सकता था।

“धन्यवाद, कर्नल मान। मैं और मेरे पति सजल पर गर्व करते हैं।”

“अपना ध्यान रखना प्रिय, मैं कल जाने के पहले तुम्हें फ़ोन करुँगी या मैं एक और रात रुक जाऊँगी । अगर मैं रुकी तो मैं तुम्हे कल दोपहर लेने आऊँगी। हम कोई पिक्चर देखेंगे और रात का भोजन साथ करेंगे” कोमल ने प्यार से कहा।

“मैं आपसे जल्दी ही मिलने की उम्मीद रखता हूँ” कर्नल ने कहा।

“धन्यवाद, कर्नल।” वो मन ही मन मुस्करायी क्योंकि उसने कर्नल की आँखों में वासना की भूख महसूस की।

कोमल के होटल का कमरा काफी बड़ा और आरामदेह था। उसने सामान खोला और थोड़ी देर लेट गयी। उसने पेपर देखा और एक अच्छा रेस्तरां ढूँढ निकाला। खाना खाकर वो होटल वापस आ गयी पर कमरे में जाने की बजाय वो तरणताल की ओर बढ़ गयी। कुछ अतिथि तैरने का आनंद उठा रहे थे। उसने वहीं बैठकर लोगों को तैरते हुए देखने का निश्चय किया।

“हेलो” उसकी ही उम्र के एक बेहद आकर्षक आदमी ने ताल के अंदर से उसे संबोधित किया। “क्या आप तैरेंगी नहीं?”

“नहीं, धन्यवाद, मैं कल तक इंतज़ार करुँगी, अभी बहुत ठंडक है।”

वह अजनबी ताल के किनारे निकल कर आ बैठा। कोमल को वह पसंद आ गया। वो काफी कद्दावर था और सीने पर घने बाल थे। उसका लंड भी उसके कच्छे से उदीप्त हो रहा था।

“क्या आप होटल में ही रुकी हैं?” उसने पूछा।

“हाँ, और आप?” कोमल आगे की संभावनाओं पर विचार कर रही थी। उसने कभी सुनील के साथ धोखा नहीं किया था। पर अब वो घर से दूर अकेली थी, वो किसी के साथ भी चुदाई का सुख ले सकती थी, किसी को पता नहीं लगने वाला था।

“मैं कल तक यहीं हूँ, मेरा नाम प्रेम है। माफ़ करिये मेरा हाथ गीला है।” उसने कोमल की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा।

“मैं कोमल हूँ। क्या आप शहर में व्यवसाय हेतु आये हैं?” उसे अपनी आवाज़ में एक कम्पन महसूस हुआ। उसने रेस्तरां में शराब पी थी उसके कारण वो काफी चुदासी हो उठी थी।

प्रेम ने उसे बताया कि वो एक सेल्समैन था और अपने कार्य के लिये यहाँ आया था। उन्होंने कुछ देर बातें कीं और एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए। कोमल ने प्रेम को अपने मन की आँखों से उसे निर्वस्त्र करता हुआ महसूस किया। कुछ ही देर में उसकी प्यासी चूत दनादन पानी छोड़ने लगी। प्रेम ने कहा कि उसके कमरे में शराब की एक बोतल रखी है जो वह उसके साथ बाँटना चाहता है। कोमल ने हामी भरी और वो अंदर चले गये। जितनी शराब उसने पी थी उसके बाद उसे और शराब की ज़रूरत नहीं थी। पहले से ही हल्के नशे के कारण वो ऊँची हील के सैंडलों में थोड़ी सी लड़खड़ा रही थी, पर वो यह जानती थी कि प्रेम का यह सुझाव उसे अपने कमरे में बुलाने का एक बहाना था। उसने अभी यह निश्चित नहीं किया था कि वो प्रेम से चुदवायेगी या नहीं पर वो उसका साथ खोना नहीं चाहती थी। जब प्रेम ने उसके गिलास में वोडका डाली और पास आकर बिस्तर पर बैठा तो उसकी नज़र प्रेम के कच्छे से झाँकते लंड पर पड़ गयी। प्रेम भी उसके वस्त्रों के अगले भाग से झाँक रहा था। उसके कपड़ों का निचला हिस्सा घुटनों तक चढ़ गया था। प्रेम समझ नहीं पा रहा था कि वो आँखों से किस अंग का सेवन करे - विशाल मम्मों का या चिकनी जांघों का।

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