घरेलू चुदाई समारोह

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LayVerne
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उस चुदासी नंगी माँ ने अपने नंगे जवान बेटे का हाथ पकड़ा और सीधे बिस्तर की ओर बढ़ चली। उसने अपने शरीर को सुखाने के बारे में सोचा तक नहीं। बिस्तर पर जाकर पीठ के बल जा लेटी और अपनी टांगें चौड़ी कर बाहें फैलाकर बोली, “आ मेरे बच्चे, अब मुझे चोद।”

“तुमने मुझे चूसा था मम्मी, क्या मैं भी...?” सजल ने कोमल की गुलाबी चूत को देखते हुए पूछा। उसने कभी चूत नहीं चाटी थी और वो भी अपनी मम्मी को अपने प्यार की गहराई दिखाना चाहता था।

“हाँ, मेरे प्यारे! तेरा लाख-लाख शुक्र यह सोचने के लिये।” कोमल हाँफ़ती हुई बोली और अपनी चूत की पंखुड़ियों को फ़ैलाने लगी। अंदर का हसीन नज़ारा दिखाते हुए बोली, “अपनी जीभ को यहाँ डाल मेरे लाड़ले।”

जब सजल ने अपना मुँह उसके नज़दीक किया तो चूत की तीखी गंध उसके नथुनों में आ समाई। कोमल ने अपनी चूत की मम्मीस-पेशियों की फैलाया-सिकोड़ा जिससे कि गंध और बढ़ी पर सजल रुका नहीं। उसने अपने यार-दोस्तों से सुना था कि चूत चाटना बेहद ही वाहियात काम है पर उसके मन में अपनी मम्मी की फुदकती हुई चुत के लिये ऐसी कोई भावना नहीं थी। जब सजल की जीभ ने चूत की पंखुड़ियों को छुआ तो कोमल की तो जान ही निकल गयी। उसने अपना सिर उठाया जिससे कि वह अपनी चुसाई देख सके।

“मेरे प्यारे बच्चे,” वो कुलबुलाई, “अपनी जीभ मेरी चूत में जहाँ तक डाल सकते हो डाल दो... हाँ तुम बहुत अच्छा कर रहे हो।” अगर वो इस रास्ते पर चल ही पड़े थे तो पूरा ही आनंद लिया जाये, उसने सोचा।

उस भूखे लड़के को चूत की महक से नशा सा हो चला था। उसे आश्चर्य था कि वह चूत उसकी जीभ पर इतनी तंग क्यों लग रही थी। उसने अपने लंड को एक हाथ से पकड़कर रगड़ना शुरू कर दिया।

“चूसो जोर से!” जब सजल ने कोमल की चूत की क्लिट को चबाया तो वह बिल्कुल बेकाबू हो उठी। सजल को अनुभव तो कम था पर इच्छा तीव्र थी। इसलिये वो एक बेहतरीन काम को अंजाम दे रहा था। उसने तो बस यूँ ही चबाया था, क्या पता था कि उसकी मम्मी को इतना अच्छा लगेगा।

कोमल को अपनी चूत से हल्का सा बहाव महसूस हुआ पर कुछ ही क्षण में वो एक ज्वालामुखी की तरह फ़ट पड़ी। ऐसा पानी छूटा कि बस, “अरे बेटा, मैं झड़ी... झड़ी रे माँआआआँ मेरी... चूस ले मुझे पी जा मेरा पानी... मॉय डियर... मेरे हरामी बेटे... आआआआआहहहहहह हाआआआआआआआआआ”

सजल का चेहरा तो जैसे ज्वालामुखी में समाया हुआ था। कोमल ने अपनी जांघों में उसे ऐसे कसा हुआ था कि उसकी साँस रुकी जा रही थी पर वो कुछ नहीं कर सकता था। हाँ वो उस स्वादिष्ट पेय को जी भर कर पी सकता था, सो वही कर रहा था।

“तेरे मुँह में तो स्वर्ग है बेटा।” जब कोमल झड़ कर निपटी तो बोली। सजल ने भी चैन की साँस ली जब कोमल की जांघों ने अपनी पकड ढीली की। कोमल कुछ देर के लिये तो संतुष्ट हो गयी थी पर कितनी देर के लिये?

“पेल दे अब यह लौड़ा मेरे अंदर, मॉय डियर...” कोमल फुसफुसाकर सजल से बोली।

सजल को तो कुछ करना ही नहीं पड़ा क्योंकि कोमल ने उसे अपने ऊपर खींचा और अपने हाथ से उसका लंड अपनी चूत के अंदर डालना शुरू कर दिया।

“मम्मी, यह अंदर जा रहा है” सजल ने अपने मोटे लंड के सुपाड़े को कोमल की गीली चूत में विलीन होते देखकर कहा।

“क्या मेरी चूत तंग है?” कोमल ने पूछा, “क्या तुम्हारे लौड़े के लिये मेरी चूत टाइट है?”

“इतनी टाइट कि दर्द हो रहा है।” सजल ने अपनी मम्मी की चूत में अपने लंड को और गहराई तक उतारते हुए कहा। यह उसका लंड चूत में जा रहा था या किसी भट्टी में?

“शायद इसलिये कि तुम्हारा लंड ही इतना बड़ा है। मेरी तो चूत जैसे फ़टी जा रही है।”

“क्या मैं रुक जाऊँ” सजल ने चिंता से पूछा।

“ऐसा कभी न करना... मेरे साथ कभी सदव्यव्हार मत करना चोदते समय... मुझे यह मोटा लौड़ा अपनी चूत की पूरी गहराई में चाहिये... पूरा जड़ तक! तुझे मैं सिखाऊँगी कि मुझे कैसी चुदाई पसंद है... मुझे जोरदार और निर्मम चुदाई पसंद है... कोई दया नहीं... वहशी चुदाई... अब रुको मत और एक ही बार में बाकी का लंड घुसेड़ दो मेरी चूत में।”

यह सुनकर सजल ने एक जोरदार शॉट मारा और पूरा का पूरा मूसल अपनी मम्मी की चूत में पेलं-पेल कर दिया पर कोमल के लिये यह भी पूरा न पड़ा। “और अंदर” वो चीखी।

फिर तो उस जवान लड़के ने आव देखा न ताव और अपने लंड से जबरदस्त पिलाई शुरू कर दी। गहरे, लम्बे धक्कों की ऐसी झड़ी लगाई कि कोमल के मुँह से चूँ तक न निकल पायी। कोमल जब झड़ी तो उसे लगा कि वो शायद मर चुकी है। उसका अपने शरीर पर कोई जोर नहीं है। उसकी चमड़ी जैसे जल रही है। उसकी चूचियों में जैसे पिन घुसी हुई हों। उसकी चूत की तो हालत ही खस्ता थी। सजल के मोटे लौड़े की भीषण पिलाई ने जैसे उसे चीर दिया था। उसके बाद भी वो मादरचोद लड़का पिला हुआ था उसकी चूत की असीमतम गहराइयों को चूमने के लिये।

उसने अपने होश सम्भालते हुए गुहार की, “दे मुझे यह लौड़ा, पेल दे, पेल दे, पेल दे... भर दे मेरी चूत, भर दे। भर दे इसे अपने लौड़े के पानी से।”

सजल अब और न ठहर सका और भरभरा कर अपनी मम्मी की चूत में झड़ गया। कोमल अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ती जा रही थी।

जब दोनों शाँत हुए तो कोमल उसे चूमते हुए बोली, “मेरे शानदार चुदक्कड़ बेटे, काश हम लोग भाग सकते होते तो हम कहीं ऐसी जगह चले जाते जहाँ हम जितनी चाहते, चुदाई कर सकते।”

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अध्याय - ४
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“तुमने अपना पर्स और सैल फोन रख लिये हैं न?” घर से बाहर निकलते हुए सजल से कोमल ने पूछा।

सजल गर्मी की छुट्टियों में घर आया हुआ था। अभी वो अपने दोस्त से मिलने बाहर जा रहा था।

“चिंता मत करो मम्मी! मैं बच्चा थोड़ा ही हूँ...” सजल ने जवाब दिया।

“मेरा ख्याल है मैं तुम्हारा कुछ ज्यादा ही दुलार करती हूँ!” कोमल ने सजल को गले लगाते हुए कहा। मुझे खुशी है कि तुम छुट्टियों में घर आ गये। मुझे तो लगा जैसे पिछले दो हफ्ते कटेंगे ही नहीं। मुझे यह भी खुशी है कि तुम अब यहीं रह कर इसी शहर में पढ़ोगे। कोमल ने अपना शरीर सजल के शरीर से कस के सटा दिया। सजल के बड़े लंड का उभार कोमल की चूत पे ढकेलने लगा।

“मेरा ख्याल है कि मुझे अभी अपने दोस्त से मिलने नहीं जाना चाहिये”, सजल बोला जब उसे अपना लंड सख्त होता महसूस हुआ। कोमल के ब्लाऊज़ के ऊपर के बटन खुले हुए थे और उसकी की चूचियों का नज़ारा सजल के टट्टों में खलबली मचाने लगा था।

“हुम्म्म... अब मुझे उक्साओ नहीं... फिर तुमने अपने दोस्त से मिलने का वादा भी तो किया है... चुदाई के लिये तो अब सारी गर्मियाँ हैं और अब तो तुम यहीं रह कर पढ़ोगे!” कोमल ने पीछे हट कर सजल को समझाया। “और इस से पहले कि मैं तुम्हें बिस्तर पे खींच लूँ... तुम चले जाओ” कोमल ने हँसते हुए कामुक अदा से कहा।

सजल के जाने के बाद कोमल ने पिछले दो हफ़्तों पर ध्यान दिया। इन दिनों में इतना कुछ हुआ था। उसने प्रेम, एक अजनबी से पहली बार अपनी गाँड मरवाई थी। और जिस दिन उसने सजल के साथ अपने नए रिश्ते की शुरूआत की थी, उस रात की बेरोक घनघोर चुदाई आज भी उसे याद थी। उसने सुनील को अब सजल को यहाँ लाने के लिये मना लिया था। इसके लिये जो परिश्रम उसने किया था उससे उसकी चूत में अब दर्द सा होने लगा था। यही सब सोचते हुए वो नहाने के लिये चली गयी।

नहाने के बाद कोमल बाथरूम से बाहर आयी और खुद भी बाहर जाने के लिये तैयार होने लगी। हालांकि नहाने के बाद उसके बदन को ठंडक मिलनी चाहिये थी पर कम से कम उसके बदन के अंदर इसका उल्टा ही असर हुआ। उसके निप्पल और क्लिट पानी कि फुहार से उत्तेजित हो गये थे और उसकी चूत भी अंदर से जलने लगी थी। कोमल को उत्तेजना अच्छी लग रही थी और उसने गर्मी में बाहर जाने का प्रोग्राम रद्द किया और अपनी साड़ी उतार फेंकी और फ्रिज में से एक ठंडी बीयर निकाल कर सोफ़े पर बैठ गयी।

कोमल ने अपने सैंडल युक्त पैर सामने रखी मेज पर फैला दिये और बीयर पीते हुए एक हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी। कोमल बहुत उत्तेजित हो गयी थी और जल्दी ही सिसकते हुए अपनी तीन अँगुलियाँ चूत के अंदर-बाहर करने लगी। वोह झड़ने ही वाली थी कि उसे लगा शायद डोर-बेल बजी है। “ओह नहीं... अभी नहीं!...” कोमल कराही। वो घंटी की तरफ ध्यान न देती अगर वोह घंटी फिर से दो-तीन बार न बजती।

दरवाजे पर जो भी था, उसे कोसती हुई कोमल उठी और जल्दी से अपने नंगे बदन पर रेशमी हाऊज़ कोट पहन कर गुस्से में अपनी ऊँची ऐड़ी की सैंडल खटखटाती हुई दरवाज़े की ओर बढ़ी। अगर ये कोई सेल्समैन हुआ तो आज उसकी खैर नहीं।

“कर्नल मान?” कोमल अचम्भित होकर बोली जब उसने दरवाज़ा खोला और सजल के कॉलेज के प्रिंसिपल को सामने खड़े पाया।

कुछ बोलने से पहले कर्नल मान की आँखों ने कोमल के हुलिये का निरक्षण किया और उसे कोमल के मुँह से बीयर की गंध भी आ गयी। “मैं क्षमा चाहता हूँ कोमल जी! मैंने अचानक आकर आपको परेशान किया... मुझे आने के पहले फोन कर लेना चाहिये था पर मैं एक मिटींग के सिलसिले में इस शहर में आया हुआ था और यहाँ पास से ही गुज़र रहा था तो... मैं... मैंने सोचा...!”

कोमल इस आदमी को अपने घर आया देखकर विस्मित थी। “पर हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि हम सजल को आपके कॉलेज से निकालकर इसी शहर में दाखिला दिला रहे हैं, कर्नल मान! फिर आपको हमसे क्या काम हो सकता है?”

कोमल को कर्नल मान आज हमेशा की तरह निडर और दिलेर नहीं लगा। कर्नल बेचैनी से अपनी टोपी को टटोलता हुआ बोला, “मैं दो मिनट के लिये अंदर आ सकता हूँ? कोमल जी!”

“ज़रूर कर्नल... मैं क्षमा चाहती हूँ... बस आप को अचानक देख कर अचंभित हो गयी थी... प्लीज़ आइये ना... बैठिये...।” कोमल एक तरफ हटकर सोफ़े की तरफ इशारा करते हुए कहा।

कोमल ने जब कर्नल मान को सोफे की तरफ जाते हुए और बैठते हुए देखा तो वो सोचने लगी कि अपनी वर्दी के बगैर कर्नल का बदन कैसा लगेगा। कोमल का विश्वास था कि वर्दी के नीचे कर्नल का बदन संतुलित और गठीला होने के साथ-साथ किसी भी औरत को भरपूर आनंद देने में सक्षम था। कोमल उसके लौड़े के आकार के बारे में सोचती हुई बोली, “मैं बीयर पी रही थी... आप लेंगे?”

“वैसे मैं व्हिस्की या रम ज्यादा पसंद करता हूँ पर बीयर भी चलेगी...” कर्नल झिझकते हुए बोला।

“आप चिंता न करें कर्नल... आपके लिये व्हिस्की हाज़िर है! ये कहकर कोमल ने दो ग्लास में बर्फ और व्हिस्की डाली और आकर कर्नल के साथ वाले सोफ़े पर बैठ गयी। अब कहिए... क्या बात है?”

कर्नल मान ने व्हिस्की का सिप लेते हुए कहा, “कोमल जी! मैं आमतौर से कभी भी पेरेंट्स को मेरे कॉलेज से अपने लड़कों को ना निकालने के लिये इतना ज़ोर नहीं देता हूँ... पर सजल की बात अलग है... सजल में एक अच्छे आर्मी ऑफिसर बनने के सब गुण हैं... मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे कॉलेज से ट्रेनिंग लेकर सजल आर्मी जॉयन कर के बहुत कामयाब......।”

कोमल उसकी बात बीच में ही काटती हुई बोली, “तो इस बात के लिये आप मुझसे मिलने आये थे... कर्नल मान? आप की बेचैनी देखकर मुझे लगा जैसे आप मुझ पे फिदा होकर आये हैं...।” कोमल अपनी बात पर हल्की सी हँसी और एक टाँग आगे कर के अपने सैंडल से कर्नल कि जाँघ को छुआ।

कर्नल मान का चेहरा शर्म से लाल हो गया। वोह अपना ड्रिंक पीते हुए बोला, “मैं... उम्म... आप काफी खूबसूरत हैं... कोमल जी और निस्संदेह आप पर कई लोग फिदा होंगे... पर मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि... मेरा यहाँ... आने का कारण महज... कॉलेज और सजल से संबंधित था।”

“कर्नल!” कोमल अपना ड्रिंक एक ही झटके में पीने के बाद मुस्कुराती हुई बोली, “मैं आप से दो बातें कहना चाहती हूँ... पहली तो ये कि सजल की वापस उस कॉलेज में जाने की कोई संभावना नहीं है। मुझे खुशी है कि आप सजल के लिये यहाँ तक आये और गर्व भी है कि आप सजल की योग्यता से प्रभावित हैं... लेकिन आप को इस बारे में निराश ही लौटना होगा।”

सजल के बारे में स्थिति स्पष्ट करने के बाद कोमल ने दूसरा पैग अपने ग्लास में डाला और फिर कर्नल के पास खिसक कर आगे की और झुकी। कोमल का हाऊज़ कोट पहले से ही कुछ ढीला बंधा था और झुकने की वजह से उसके भारी मम्मे और भी ज्यादा बाहर को उभरने लगे। “दूसरी बात कर्नल यह है कि मेरे ख्याल से सिर्फ सजल ही आपके यहाँ आने का कारण नहीं है... मुझे पता है कि आप मुझे किस तरह से देखते हैं और यह भी पता है कि आपकी इस बाहरी औपचारिक्ता के पीछे वो आदमी छुपा है जो औरों की तरह ही मेरे लिये बेकरार है...।”

यह सुनकर कर्नल की हालत और भी खराब हो गयी। “मैं विश्वास दिलाता हूँ कोमल जी! जैसा मैंने बताया, उसके अलावा मेरा कोई उद्देश्य नहीं था... मेरे दिमाग में कभी... ये बात नहीं आयी... कि... उम्म...!”

कर्नल के विरोध पर कोमल ने अपनी हँसी रोकने की कोशिश की। कोमल पर बीयर और व्हिस्की के साथ-साथ चुदाई का नशा हावी था। कोमल ने आगे बढ़ कर कर्नल के कंधे पर अपना हाथ रखा और अपने घुटने उसके घुटनों पे दबा दिये। “कर्नल! मुझे इस बात से बहुत चोट पहुँचेगी कि तुम्हें कभी भी मुझे चोदने का ख्याल नहीं आया। अब तुम इस तरह मेरी भावनाओं को ठेस पहुँचा कर तो नहीं जा सकते... है न? कम से कम इतना तो कबूल करो कि तुम्हारे लिये मैं सिर्फ तुम्हारे स्टूडेंट की माँ नहीं हूँ... बल्कि इससे कुछ ज्यादा हूँ।”

“मेरा मतलब आपको नाराज़ करने से नहीं था... कोमल जी।” कोमल के मुँह से चुदाई शब्द सुनकर कर्नल ज़ाहिर रूप से हैरान था।

इस बार कोमल की हँसी छूट गयी। “तुम कितनी औपचारिक्ता से बोलते हो कर्नल! कभी तुम्हारा मन नहीं करता कुछ खुल कर बोलने का... कुछ अशिष्ट बोलने का... जैसे..’चुदाई’? मैं दावे से कह सकती हूँ कि तुमने कभी इन्हें ’चूचियाँ’ नहीं बोला होगा।” कोमल ने कर्नल का हाथ अपने कोट के ऊपर से अपने मम्मों पर दबा दिया।

“कोमल जी... मैं...” कर्नल हकलाया। वो इस दबंग और बेशरम औरत का सामना नहीं कर पा रहा था।

कोमल ने उसका बड़ा सा हाथ अपने हाथ में लिया। “मैं तुम्हारे ऊपर तुम्हारे जीवन का सबसे बड़ा एहसान करने जा रही हूँ, कर्नल! मैं वो करने जा रही हूँ जो शायद किसी औरत को बरसों पहले कर देना चाहिये था। क्या तुम्हारी बीवी है... कर्नल?”

“नहीं! फौज की नौकरी में मुझे कभी शादी करने का समय नहीं मिला।” कर्नल ने बेचैनी से उत्तर दिया। वो कोमल के हाथ में अपने हाथ को देखने लगा।

“तो मेरा विचार है कि तुम्हें चुदाई का भी ज्यादा मौका नहीं मिला होगा और मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि इस बारे में कुछ किया जाये, कर्नल!” कोमल ने कहा और उस आदमी का हाथ अपनी एक बड़ी चूंची पर दबा दिया। “अपनी अँगुलियों को मेरी चूचियों पर दबाओ और महसूस करो कि तुमने आज तक क्या खोया है।”

कर्नल मान का हाथ कोमल की गर्म चूंची पर काँपा पर वो अपनी अँगुलियों को कोमल की भारी चूंची पर कस नहीं पाया। कोमल ने अपने हाऊज़ कोट का लूप खोल दिया और कर्नल का हाथ अपनी नंगी चूंची पर रख दिया। “अब तुम देख सकते हो कि मेरे पास क्या है...कर्नल! मुझे पता है तुमने कई बार अनुमान लगाया होगा कि मेरी चूचियाँ कैसी दिखती हैं... तो, अब ये तुम्हारे सामने हैं... कसी लगीं?”

जब उसने कोई जवाब नहीं दिया तो कोमल ने कर्नल का दूसरा हाथ अपनी दूसरी चूंची पर रख दिया। फिर जब कोमल ने अपने हाथ नीचे किये तो वो यह जान कर मुस्कुराई कि कर्नल ने अपने हाथ चूचियों से हटाये नहीं थे। “ये तुम्हारे लिये ही हैं कर्नल... तुम्हारे हाथ मेरी चूचियों पर हैं... मैं खुद को तुम्हें सौंप रही हूँ... कुछ घंटों के लिये सब नियम भुल जाओ... मेरे पति और सजल बहुत समय तक वापिस आने वाले नहीं हैं... हम दोनों घर में अकेले हैं... थोड़ी ज़िंदगी जीयो कर्नल... मज़ा करो...”

“ये हुई न बात...!” कोमल धीरे से कराही जब आखिर में कर्नल की मज़बूत अँगुलियों ने उसकी चूचियों को भींचा। कोमल उस आदमी को रिझाने में इतनी मशगूल हो गयी थी कि उसे अपनी गर्मी का पूरा एहसास ही नहीं था। कर्नल के स्पर्श से उसकी चूचियाँ कठोर हो गयी थीं और उसकी चूत से भी रस चूने लगा था।

“मुझे इसमें से आज़ाद होना है...” कोमल फुसफुसायी और फटाफट अपना हाऊज़-कोट उतार फेंका। सिर्फ काले रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने कोमल अब बिल्कुल नंगी खड़ी थी। “क्यों कर्नल...?” कोमल मुस्कुरायी जब कर्नल उसकी नंगी चिकनी चूत को आँखें फाड़े देखने लगा। “ठीक से देख लो कर्नल... कि तुम्हें क्या मिल रहा है... ज़रा सोचो कैसा लगेगा जब मेरी गीली चूत तुम्हारे विशाल लौड़े को निचोड़ेगी... तुम्हारा लौड़ा बड़ा है... है ना कर्नल?”

“मैं... नहीं जानता कि आप के विचार में बड़ा क्या है... कोमल जी!” कर्नल ने अपना थूक निगलते हुए कहा। उसके हाथ कोमल के मम्मों पर उर भी जकड़ गये और उसकी आँखें अभी भी कोमल की चिकनी चूत पर टिकी थीं।

“देखने दो मुझे... फिर बताती हूँ कि मेरे विचार में बड़ा क्या है!” कोमल मुस्कुराती हुई बोली। कर्नल के हाथ कोमल की गर्म चूचियों को भींच रहे थे और कोमल अपने ऊपर काबू रखना कठिन हो रहा था।

“हाय रे!” कोमल ने लंबी आह भरी जब उसके हाथों ने कर्नल का विशाल लंड नंगा किया। वो उसके लंड को पूरा बाहर नहीं निकाल पायी थी क्योंकि उसके लिये कोमल को कर्नल की पैंट नीचे खिसकानी पड़ती, लेकिन जितना भी उसे दिख रहा था उससे कोमल को विश्वास हो गया था कि कर्नल का लंड किसी घोड़े के लंड से कम नहीं था। “तुम कहते हो कि मैं ये मान लूँ कि तुम्हें अँदाज़ा नहीं है कि तुम्हारा लंड इतना विशाल और भारी है... कर्नल?”

कोमल ललचायी नज़रों से उस आदमी के लंड के फूले हुए सुपाड़े को घूरने लगी। वो मोटा सुपाड़ा अग्रिम वीर्य-स्राव से चमक रहा था। इसमें कोई संदेह नहीं था कि कर्नल उत्तेजित था। एक बार कोमल ने सड़क के किनारे एक घोड़े की टाँगों के बीच उसका उत्तेजित लंड देखा था। इस समय कोमल के जहन में वही भीमकाय भुरा-लाल लौड़ा घुम रहा था। कोमल ने कई बार अपनी चूत में उस घोड़े के लंड की कल्पना की थी। कोमल का मुँह अचानक सूखने लगा और कर्नल के लंड के चिपचिपे सुपाड़े को अपने होठों में लेने की इच्छा तीव्र हो गयी।

“मेरी मदद करो कर्नल!” कोमल उत्तेजना में फुसफुसायी और उसने कर्नल को थोड़ा सा उठने के मजबूर किया तकि वो कर्नल कि पैंट उसकी टाँगों तक नीचे खींच सके। “मैं अब तुम्हारा पूरा लंड देखे बगैर नहीं रह सकती... तुम्हारे टट्टे भी ज़रूर विशाल होंगे।”

“गाँडू... साले!” अचंभे में कोमल के मुँह से गाली निकली जब उसने कर्नल का संपूर्ण भीमकाय लंड और उसके बालदर विशाल टट्टे देखे। “किस हक से तुम इसे दुनिया की औरतों से अब तक छुपाते आये हो? तुम्हारे जैसे सौभग्यशाली मर्द का तो फर्ज़ बनता है कि जितनी हो सके उतनी औरतों को इसका आनंद प्रदान करो... क्या तुम्हें खबर है कि तुम्हारा लंड कितना निराला है?”

कर्नल ने अपने लंड पर नज़र डाली पर कुछ बोला नहीं। वो कोमल की भारी चूचियों को अपने हाथों में थामे कोमल की अगली हरकत का इंतज़ार कर रहा था। उसने स्वयं को कोमल के हवाले कर दिया था ताकि कोमल जैसे भी जो चाहे उसके साथ कर सके।

कोमल ने प्यार से उसके विशाल लंड के निचले हिस्से को स्पर्श किया।

“ओहहहह कोमल जी”, कर्नल सिसका जब कोमल की पतली अँगुलियों ने उसके लंड के साथ छेड़छाड़ की। उसके हाथ कोमल की चूचियों पर ज़ोर से जकड़ गये।

“हाँ... ऐसे ही जोर से भींचो मेरे मम्मे... डर्लिंग”, कोमल ने फुफकार भरी जब कर्नक की मज़बूत अँगुलियों ने उसकी चूचियों को बेरहमी से मसला। “मैं तुम्हारे लंड को चूसना चाहती हूँ कर्नल! लेकिन पहले मैं इसे निहारना चाहती हूँ... देखो मेरे हाथ में कैसे फड़क रहा है... रगों से भरपूर है ये... मैंने कभी किसी आदमी का इतना बड़ा सुपाड़ा नहीं देखा... पता नहीं मैं इसे अपने मुँह में कैसे ले पाऊँगी!”

कोमल ऐसा कह तो रही थी पर वो जानती थी कि किसी ना किसी तरह वो कर्नल का विशाल सुपाड़ा अपने मुँह में घुसेड़ ही लेगी। इस निराले लौड़े को तो उसे चूसना ही था। उसने अंदाज़ लगाने कि कोशिश की कि ये लौड़ा कितना लंबा था और उसके अनुमान लगाया कि वो लगभग ग्यारह इंच का होगा। विश्वास से कहना मुश्किल था क्योंकि लंड मोटा भी काफी था।

“अपने सब कपड़े उतार दो कर्नल... ताकि मैं तुम्हें पूरा मज़ा दे सकूँ।” कोमल फुसफुसायी और कर्नल को वर्दी उतारने में मदद की।

“मम्म्म... मुझे मर्दों की छातियों पर घने बाल बहुत पसंद हैं।” कोमल मुस्कुरायी जब उसने कर्नल की छाती को काले-घने बालों से ढके हुए पाया। कोमल के तीखे नाखुन कर्नल की छाती को प्यार से खरोंचते हुए लंड तक पहुँचे। कोमल के हाथों की छेड़छाड़ से कर्नल कराहने और थरथराने लगा।

कोमल ने झुक कर उसके लंड के सुफाड़े पर अपनी गर्म साँस छोड़ी और इसके जवाब में कोमल ने देख कि वो विशाल लौड़ा और भी फैल गया। कर्नल के लंड के सुपाड़े पर उसका अग्रिम वीर्य-स्राव चमक रहा था और कोमल को आकर्षित कर रहा था। उसका स्वाद लेने के लिये कोमल ने अपनी जीभ की नोक से लंड के सुपाड़े को स्पर्श किया। “ऊम्म्म कर्नल... आज सारा दिन हम चुसाई और चुदाई का मज़ा लेंगे।”

“कोमल जी! आप की जीभ तो...” कर्नल मान हाँफते हुए बोला। उसने कोमल की चूचियाँ छोड़ दीं और सोफे पर पीछे टेक लगा ली ताकि ये सैक्सी गाँड वाली चुदास औरत जो भी चाहती है वो उसके भारी भरकम लंड के साथ कर सके।

“ये तुम्हारा कॉलेज नहीं है कर्नल!” उसके सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराती हुई कोमल बोली। लंड को चूसते हुए कोमल के लाल नेल-पॉलिश लगे नाखुन कर्नल के टट्टों के नीचे प्यार से खरोंच रहे थे। “इसका कायदे-कानून से कुछ लेना-देना नहीं है... आज तुम खुद को मेरे हाथों में सौंप दो और मैं तुम्हें दिखाती हूँ कि सारे संकोच छोड़कर मज़ा किस तरह लिया जाता है... आज मेरा अंग-अंग तुम्हारे भोगने के लिये है... मैं पूरी तुम्हारी हूँ... मेरी चूत... मेरा मुँह... मेरे मम्मे... मेरा रोम-रोम तुम्हारा है।”

इन शब्दों के साथ कोमल ने अपना मुँह खोलकर जितना हो सके अपने होंठ फैलाये ताकि वोह कर्नल का भीमकाय लंड अंदर ले सके। “ऊम्म्म्म्हहह” कर्नल के सुपाड़े पर अपने होंठ सरकाती हुई वोह गुर्रायी। “अंदर घुस गया”, अपने मुँह मे उस सुपाड़े को सोखते हुए कोमल ने बोलने की कोशिश की। फिर कोमल अपने होंठों को उस विशाल लंड की छड़ पर और नीचे खिसकाने में लग गयी।

कर्नल ने सिसकते हुए कोमल के लंबे काले बाल उसके चेहरे से हटाये ताकि वो देख सके कि कोमल उसके लंड के साथ क्या कर रही है। कर्नल मान को विश्वास नहीं हो रहा था कि कोमल ने अपने छोटे से मुँह में इतना बड़ा लंड ले रखा था। जब कोमल ने उसके टट्टों को पकड़ा तो कर्नल ने उत्तेजना में अपने चूत्तड़ उठा कर अपना लंड कोमल के मुँह में ऊपर को पेल दिया।

कर्नल के लंड को और अंदर लेने के लिये कोमल अपने घुटनों पे बैठ गयी और उसने कर्नल की जांघें फैला दीं। कोमल ने उसका लंड सीधा कर के पकड़ा और उसकी गोलियों को चूसने लगी। “अमृत-रस से भरी हुई हैं न मेरे लिये... कर्नल?” कोमल ने कर्नल को शामिल करने की कोशिश करते हुए कहा। कोमल उसके औपचारिक मुखौटे को उतार फेंकना चाहती थी। कोमल उससे कबूल करवाना चाहती थी कि किसी औरत को चोदने की इच्छा के मामले में वो दूसरे मर्दों से अलग नहीं था।

“कैसा लग रहा है तुम्हें कर्नल?” कोमल ने उसके लंड को ऊपर सुपाड़े तक चाटा और फिर वापिस अपनी जीभ लौड़े से नीचे टट्टों तक फिरायी। कोमल ने अपनी मुट्ठी में उसके टट्टों को भींच दिया जिससे कर्नल एक मीठे से दर्द से कराह उठा।

“मुझे... उम्म्म बहुत अच्छा लग रहा है... कोमल जी।” कर्नल ने अपने दाँत भींचते हुए कहा।

“तुम कभी ये औपचारिक्ता और संकोच छोड़ते नहीं हो क्या... कर्नल! अच्छा होगा अगर तुम मुझे सिर्फ कोमल पुकारो और मुझे और भी खुशी होगी अगर तुम मुझे राँड, छिनाल या कुछ और गाली से पुकारो... खुल कर बताओ कि तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है... क्या तुम्हारा लंड मेरे मुँह में फिर से जाने के लिये नहीं तड़प रहा? क्या तुम्हारे टट्टों में वीर्य उबाल नहीं खा रहा? कहो मुझसे अपने दिल की बात। मुझे एक रंडी समझो जिसे तुमने एक दिन के लिये खरीदा है...!”

कोमल ने अपनी बात कहकर कर्नल का लौड़ा अपने मुँह मे भर लिया। उसने अपना मुँह तब तक नीचे ढकेलना ज़ारी रखा जब तक कि कर्नल का लौड़ा उसके गले में नहीं टकराने लगा। कर्नल के पीड़ित टट्टे अभी भी कोमल मुट्ठी में बँद थे।

कोमल ने कर्नल की नाज़ुक रग दबा दी थी। उसे लोगों पर अपनी हुकुमत चलाना पसंद था, खासकर के औरतों को अपने काबू में रखना क्योंकि औरतों के सामने वो थोड़ी घबड़ाहट महसूस करता था। उसे औरतों की मौजूदगी में बेचैनी महसूस होती थी, इसलिए जब भी हो सके वो उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करता था। “चूस मेरा लौड़ा.... साली कुत्तिया!” वो दहाड़ा और उसने अपने लंड पे कोमल के ऊपर-नीचे होते सिर को अपने लौड़े पे कस के नीचे दबा दिया। “खा जा मेरा लंड... चुदक्कड़ रांड!”

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