घरेलू चुदाई समारोह

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अध्याय - ६
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“सजल यह लो कार की चाभी और जाकर थोड़ी ठंडी बियर ले आओ। प्रमोद को भी अपने साथ ले जाओ।” कोमल ने सजल से कहा।

उसने उन दोनों दोस्तों को कार में जाते हुए देखा। उसकी नज़र जब प्रमोद के कसे हुए जिस्म पर पड़ी तो उसकी चूत में एक खुजली सी हुई। वो वापस घर के अंदर जाते हुए यही सोच रही थी कि क्या वो प्रमोद से अपनी प्यास मिटाने में कामयाब हो पायेगी? वो सजल के साथ तीन दिन से आया हुआ था और कोमल की उसे चोदने की इच्छा हर रोज़ तीव्र होती जा रही थी। वैसे भी वो बहुत चुदासी थी। इस पूरे हफ़्ते में वह सजल को सिर्फ़ एक ही बार चोद पायी थी। पता नहीं क्यों सुनील भी पिछले कुछ दिनों से चोदने के मूड में नहीं था। वह हर बार थकने का कारण बताकर उसे नहीं चोद रहा था। उसके दिमाग में एक बार तो यह ख्याल आया कि कहीं वह इधर-उधर मुँह तो नहीं मार रहा था, पर फिर उसने इस विचार को दरकिनार कर दिया। अभी तो उसका ध्यान इस बात पर ज्यादा था कि प्रमोद को कैसे अपने काबू में किया जाये।

उसने सजल से पहले पूछा था कि क्या उसने प्रमोद को बताया है कि वो अपनी मम्मी को चोदता है?

सजल ने जवाब दिया था, “अगर मैं कहुँगा तो वो मुझे पागल समझेगा।”

“क्या तुम्हें अपनी मम्मी को चोदने में शर्म आती है?” उसने कुछ दुख से पूछा।

“नहीं, मुझे शर्म नहीं आती पर अधिकतर लोग हमारी बात को नहीं समझेंगे...” सजल ने कहा।

“क्या तुम समझते हो कि प्रमोद मुझे चोदना चाहेगा?”

“क्या तुम प्रमोद को चोदना चाहती हो?”

“तुम्हें ईर्ष्या तो नहीं होगी न?”

“पता नहीं, मैनें कभी इस बारे में सोचा ही नहीं कि मुझे और पापा के अलावा भी कोई तुम्हारे साथ सम्पर्क रखे। पर मेरी जान-पहचान के लड़के के साथ - ये कुछ ज्यादा है... लगता है तुम्हे जवान लड़कों का शौक है।”

“यह तो मैं नहीं कह पाऊँगी, पर हाँ मुझे चुदवाने का बेहद शौक है, यह बात पक्की है।”

“अगर प्रमोद तुम्हे न चोदना चाहेगा तो?”

“पहले यह बात पता तो लगे... मैं यह जानना चाहती हूँ, पर मैं तुम्हारी भावनायें समझना चाहती थी।”

“क्या तुम हम दोनों को एक साथ चोदना चाहोगी?” सजल के प्रश्न ने कोमल को भौंचक्का कर दिया।

“मुझे डर था कि तुम शायद इसके लिये तैयार न हो...” कोमल के जिस्म में यह सोचकर कर सनसनी फैल गयी कि अगर ऐसा हुआ तो कैसा लगेगा।

सजल ने कंधे उचका कर कहा, “अगर कोई अपनी मम्मी को चोद सकता है तो वो कुछ भी कर सकता है।”

“तो फिर देखते हैं कि यह प्रोग्राम चलता है या नहीं... मुझे खुशी है कि तुम मेरे साथ हो... अब मैं प्रमोद से सही समय पर बात करुँगी।”

अब जबकि कोमल उन दोनों लड़कों की वापसी की राह देख रही थी, उसे विश्वास हो चला था कि प्रमोद को अपने दिल की बात कहने का समय आ गया था। उसने अपने कमरे में जाकर भड़काऊ कपड़े पहने जिससे कि उसका जिस्म छिप कम और दिख अधिक रहा था। आवश्यक्ता के अनुरूप उसने न चड्डी पहनी थी न ही ब्रा। साथ ही उसने अपने गोरे पैरों में चमचमाती तनियों वाली ऊँची ऐड़ी के सैंडल भी पहन लिये क्योंकि एक तो उसकी चाल सैक्सी हो जाती थी और दूसरे उसका अनुभव था कि ज्यादातर मर्द ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहनी औरत के तरफ जल्दी आकर्षित होते हैं। इस रूप में उसे देखकर, अगर प्रमोद उसे चोदेगा नहीं तो कम से कम वो पागल तो ज़रूर हो जायेगा। इतने में ही उसने गाड़ी के वापस आने की आवाज़ सुनी और वो रसोई में सामान रखने के लिये चली गयी।

“तुम लोग इतना क्या खरीद लाये?” कोमल ने सामान देखकर पूछा।

“खूब सारी बीयर। प्रमोद को बहुत पसंद है।”

“तुम्हारी मम्मी तुम्हें पीने देती है?”

“मेरी मम्मी बहुत फारवर्ड है। वो मुझे मेरे दोस्तों के साथ ऐसा बहुत कुछ करने देती है जो कि दूसरे माँ-बाप सोचने के लिये भी मना करते हैं।”

“उदाहरण के लिये...?” कोमल ने टेबल पर आगे झुकते हुए पूछा जिससे कि उसके मम्मों कि झलक प्रमोद को मिले। उसने देखा कि प्रमोद को अपनी आँखें हटाने में मुश्किल हुई थी।

“बहुत सारी... मैं जितनी देर चाहूँ बाहर रह सकता हूँ... मैं जितनी चाहे उतनी लड़कियों के साथ घुम-फिर सकता हूँ और...”

“यह तो बहुत अच्छी बात है... एक लड़के को लड़कियों के साथ सम्पर्क का ज्ञान होना बहुत जरूरी है, खास तौर पर शादी के पहले... है न सजल?” कोमल ने जब सजल से पूछा तो वो समझ गया कि उसकी मम्मी बात को किस तरफ ले जा रही थी।

“बिल्कुल ठीक मम्मी...” उसने हाँ में हाँ मिलायी।

कोमल एक ग्लास लेने के लिये उठी और रसोई में वाशबेसिन पर कुछ इस तरह झुकी कि उसकी मिनी-स्कर्ट ऊपर उठ गयी। उसने ग्लास निकालने में जरूरत से ज्यादा समय लिया। उसके बाद कुर्सी पर बैठने की बजाय वह प्रमोद के ठीक सामने टेबल के किनारे ही बैठ गयी। प्रमोद ने दूसरी ओर देखते हुए बीयर पीने का बहाना किया। वह किसी औरत के इतना पास होने से थोडा नर्वस हो रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या चाहती थी।

“तुम जानते हो प्रमोद, मैं तुम्हारी मम्मी से भी ज्यादा उन्मुक्त स्वभाव की हूँ... मेरी तरफ से सजल को पूरी छूट है कि वो जिस लड़की के साथ चाहे घूमे और उसके साथ जो मर्जी हो वो करे... तुम समझ रहे हो न मैं क्या कह रही हूँ।”

वो लड़का थोड़ी झिझक के साथ बोला, “जी शायद समझ रहा हूँ।” यह कहते हुए उसकी नज़र अपने सामने परोसी हुई मखमली जांघों और गोरी सुडौल टाँगों और ऊँची ऐड़ी के चमचमाते सैंडलों में कसे सैक्सी पैरों पर टिकी हुई थीं।

“हो सकता है कि तुम्हें मेरी बात ठीक से समझ नहीं आई हो... मेरा मतलब है लड़कियों के साथ सम्भोग करने का।” यह कहकर कोमल प्रमोद पर अपनी बात का प्रभाव देखने के लिये रुकी।

प्रमोद को तो जैसे बिजली का झटका लगा हो। वो उस औरत का मुँह ताकता रह गया। सजल की मम्मी सजल के सामने उससे ऐसी बात कैसे कह सकती थी।

“मेरे ख्याल से प्रमोद भी किसी भी औरत के साथ सम्भोग करने के लिये मुक्त है... तुम्हारी मम्मी क्या कहेगी अगर तुम अपनी उम्र से बड़ी किसी औरत से संबंध बनाओगे?” यह कहते हुए कोमल अपने ऊँची ऐड़ी के सैंडलों से धीरे-धीरे प्रमोद के पांव को सहला रही थी। वो प्रमोद के शरीर का कम्पन महसूस कर सकती थी।

“पता नहीं आँटी,” उसने सजल की ओर सहायता के लिये देखा, “मैंने इस बारे में कभी सोचा ही नहीं।”

कोमल धीरे से हँसी, “तुम क्या समझते हो मैं तुम्हारी इस बात पर यकीन कर लुँगी? हर जवान लड़का अपने से उम्रदराज़ औरत को चोदना चाहता है... मैं जानती हूँ कि सजल इस बारे में क्या सोचता था।” उसने अपनी इस बात से ज़ाहिर कर दिया कि उसकी मंशा क्या थी।

प्रमोद ने सजल की ओर देखा। सजल ने हामी में अपना सिर हिलाया कि वह सही समझ रहा था।

“तुम सही सोच रहे हो प्रमोद... मैं सजल को चोदने की ट्रेनिंग दे रही हूँ... क्या तुम नहीं चाहोगे कि मैं तुम्हें भी यह शिक्षा दूँ... मैं जानती हूँ कि तुम मुझे चोदना चाहते हो क्योंकि तुम जिस तरह से मेरे शरीर को देख रहे थे उसका कोई और मतलब हो ही नहीं सकता।”

कोमल ने बीयर की बोतल प्रमोद के हाथों से ली और उसका ठंडा हाथ अपने नंगे पेट पर रख दिया। फिर आहिस्ता से उन्हें अपनी चूचियों पर लगा लिया।

“देखो ये कितने बड़े और गर्म हैं... हाय, तुम्हारे हाथ कितने ठंडे हैं... पर चिंता मत करो थोड़ी ही देर में ये भी गर्मा जायेंगे।” कोमल ने अपने उसके हाथों से दबाते हुए कहा।

प्रमोद तो जैसे सपना देख रहा था। किसी औरत के मम्मों को वो सचमुच में दबा रहा था यह उसे अभी तक विश्वास नहीं था। उसे परसों की रात याद आई जब उसने कोमल के नंगे शरीर के बारे में सोचते हुए मुठ मारी थी। उसने कितने अच्छे से बाथरूम साफ़ किया था उसके बाद - यह सोचकर कि कहीं उसके वीर्य के अवशेष कोमल को न मिल जायें। और अब वह उसी औरत की छातियों में अपना हाथ डाले हुए बैठा था।

“अपने हाथ मत हटाना,” उसने प्रमोद से कहा। “सजल, मेरा टॉप तो उतार ज़रा। प्रमोद को भी तो अपने मम्मों की छटा दिखाऊँ!”

सजल ने अपनी मम्मी की आज्ञा मानी और कोमल के दोनों स्तन अपनी पूरी बहार में खिल उठे।

“अब तुम दोनों एक-एक बाँट लो। सजल एक तुम दबाओ और प्रमोद एक तुम।” कोमल ने एक अच्छे शिक्षक की तरह समझाया। “दबाओ मेरे बच्चों... आहा”

जब दोनों लड़के उसके मम्मों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे, कोमल ने प्रमोद की शर्ट उतार डाली। “तुम्हारी छाती तो बड़ी चिकनी है...” फ़िर उसके हाथ प्रमोद की पैंट की ओर बढ़े। उसने धीरे से उसकी बेल्ट खोली और फ़िर पैंट।

“देखूँ तुम मुझसे क्या छिपा रहे थे...” कहकर उसने प्रमोद की पैंट उतार दी और दूसरे ही क्षण इससे पहले कि प्रमोद कुछ समझ पाता उसकी चड्डी भी जमीन चाट गयी।

“अच्छा है, प्यारा और सख्त...” कोमल ने खुशी का इज़हार किया। वह सजल की तरह बड़ा नहीं था पर फिर भी काफी सख्त और मज़बूत था। उसे अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाते हुए कोमल बोली, “और गर्म भी।”

“ऊँहह” कहते हुए प्रमोद ने अपनी पकड़ कोमल की चूची पर और तेज़ कर दी। उसने एक नज़र अपने हाथ में मौज़ूद चूची पर डाली और तय कर लिया कि उसे आगे क्या करना है।

“तुम इसे चूस सकते हो, प्रमोद... चूसो और इसका स्वाद लो... तुम भी सजल।”

प्रमोद के होंठ खुले और कोमल की चूची के काले निप्पल पर सध गये। उसने धीरे से चूसना चालू किया। फिर थोड़ा जोर से और जब देखा कि कोमल को इससे आनंद मिल रहा है तो और तेज़ी दिखाई। उधर सजल ने भी यही कार्यक्रम शुरू किया हुआ था। कोमल तो जैसे स्वर्ग की ओर जा रही थी। कोमल दो- ढाई बोतल बीयर पी चुकी थी और उस पर सुरूर छाया हुआ था।

“मम्म्म... प्रमोद... मुझे खुशी है कि तुम सजल के साथ आये” कोमल ने नीचे हाथ बढ़ाकर प्रमोद का तैयार लंड अपने हाथ में ले लिया। वो कुछ बेसब्र सी हो रही थी और जल्द ही दोनों जवान छोकरों के लौड़ों को अपने मुँह और चूत में एक साथ महसूस करना चाहती थी।

“उठो जवानों, और मेरे पीछे आओ...” कहकर वह अपने सैंडल खड़खड़ाती शयनकक्ष की ओर बढ़ गयी।

उसके दोनों खिलाड़ी बिना कुछ कहे उसके पीछे हो लिये। बिस्तर के पास पहुँचकर उसने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतारे और बिस्तर पर घुटनों और हाथों के बल झुक गयी। जब प्रमोद ने कमरे में कदम रखा तो वह पूरा नंगा था पर सामने का दृश्य देखकर उसके होश उड़ गये। सामने चौड़े फैले हुए चूतड़ देखकर वो हक्का बक्का रह गया।

“प्रमोद, यहाँ मेरे सामने आकर बैठो।”

सजल भी अपने कपड़े उतार रहा था। वह अपनी मम्मी के पीछे जाकर खड़ा हो गया। वो जानता था कि उसकी मम्मी उसके लौड़े को कहाँ प्रयोग में लाना चाहती थी। जैसे ही वह नंगा हुआ उसने कोमल के पुट्ठों पर हाथ रख कर आगे झुका।

“ठोक दे अंदर अपना लौड़ा, सजल” कोमल ने कंपकंपाती आवाज़ में निर्देश दिया। साथ ही उसने प्रमोद के लंड के साथ अठखेलियां शुरू कर दीं। फिर अपना सिर झुकाते हुए एक ही बार में प्रमोद का पूरा लौड़ा अपने मुँह में भर लिया और तेज़ी से चूसना शुरू कर दिया। “हुम्म्म्म ..”

प्रमोद की तो इस अचानक आक्रमण से साँस ही रुक गयी। वो अपने हाथों के बल पीछे झुक गया और अपने तने लंड को कोमल आँटी के मुँह में अंदर-बाहर होते देखने लगा। सजल ने भी अपने आगे के नज़ारे को देखा। हालांकि उसका लौड़ा कोमल की चूत में जाने को बेकरार था पर वो इस सीन को भी छोड़ना नहीं चाहता था।

“अब तुम किसका इंतज़ार कर रहे हो, सजल?” कोमल गुस्से से चीखी, “डाल दे अपना लौडा मेरी चूत में और चोद मुझे... चल जल्दी कर!”

सजल का मोटा, लंबा लंड अपनी मम्मी की चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। वह तब तक अपना लंड उसकी चूत में ठुंसता गया जब तक कि उसके टट्टे कोमल की गाँड से नहीं जा टकराये। उसके इस जोरदार धक्के ने कोमल को आगे धकेल दिया जिससे कि उसके मुँह में प्रमोद का लंड पूरा भर गया। उस चुदासी औरत ने अपने शरीर को पीछे धकेला जिससे कि सजल का लंड और अंदर जाये। इसके साथ ही वो आपने आप को पेंडुलम की तरह आगे-पीछे करने लगी। कभी उसके मुँह में लंड होता तो कभी उसकी चूत में। वह अपने इस आनंद का भरपूर सुख लेना चाहती थी क्योंकि वो जानती थी कि वो दोनों लड़के जल्दी ही झड़ जायेंगे। वह इस घटना के पहले कम से कम एक बार स्खलित होना चाहती थी।

“आँटी, आँटी, मेरा लंड........” प्रमोद सिर्फ इतना ही बोल पाया। उसके सिर ने एक झटका खाया और उसने अपना गाढ़ा ताज़ा वीर्य कोमल के प्यासे मुँह में छोड़ दिया।

कोमल ने भी किसी पाइप की तरह उस लंड के रस को पूरी तरह पी लिया। सजल ने अपनी अँगुली से उसकी चूत की क्लिट को दबाना शुरू कर दिया था जिससे कि उसके पूरे शरीर में सनसनाहट फैल गयी थी और वह भी जबरदस्त तरीके से झड़ने लगी थी। उसने अपनी चूत की पेशियों को सजल के लंड पर कस दिया जिससे कि वह भी उन दोनों के ही साथ झड़ जाये।

“तू भी, सजल... झड़... झड़ तेरी मम्मी को तेरा पानी चाहिये... भर दे उससे मेरी चूत... मैं झड़ रही हूँ... प्रमोद भी... तू भी आ....”

सजल का लंड फूल गया। उसके टट्टों में तो जैसे आग भर गयी। उसके लौड़े से वीर्य की एक तेज़ धार निकली और उसकी मम्मी की चूत में जा समाई।

“ये लो मम्मी” वो आनंद की अधिकता से चीख पड़ा, “ये लो, ताज़ा और गर्मागर्म!”

कोमल भी इस समय फिर से झड़ रही थी। उसने प्रमोद का लंड अपने मुँह से तभी निकाला जब वह पूरी तरह झड़ गयी।

“तुमने कभी चूत चाटी है, प्रमोद?” कोमल ने पूछा।

“नहीं तो...” प्रमोद ने कोमल की ताज़ी चुदी चूत में से बहते सजल के पानी पर नज़र डालते हुए जवाब दिया।

कोमल अपनी पीठ के बल आराम से लेटती हुई सजल से बोली, “बेटा इसे सिखा तो ज़रा कि मैनें तुझे चूत चाटना कैसे सिखाया था।” कोमल ने अपनी टाँगें फैला लीं जिससे सजल को आसानी हो और प्रमोद को भी पूरी प्रक्रिया साफ़-साफ़ दिखाई पड़े।

सजल को अपने दोस्त के सामने अपनी काबिलियत दिखाने का जो मौका मिला था वह उसे छोड़ना नहीं चाहता था। उसने अपना चेहरा गंतव्य स्थान पर लगाया और अपनी अँगुलियों से चूत की कलियों को अलग करते हुए अपनी जीभ अंदर डाल दी और चटाई शुरू कर दी। प्रमोद को वो इस तरह दिखा रहा था जैसे वो चूत-रस नहीं बल्कि रसमलाई खा रहा हो।

“चाट बेटा चाट!” कोमल ने सिसकी ली और एक नज़र प्रमोद के चेहरे पर डाली।

प्रमोद वाकय इस रस्म में लीन था और उसने अपना चेहरा और पास किया जिससे कि उसे पूरा प्रोग्राम अच्छे से दिखे। उसे आँटी की चूत की भीनी-भीनी खुशबू भी आने लगी थी।

“मेरे मम्मों के साथ खेलो और सजल को मेरी चूत खाते हुए देखो।”

प्रमोद ने आँटी की चूचियाँ मसलते हुए पूछा, “क्या मैं भी इसमें हिस्सा ले सकता हूँ, आँटी?”

चुदासी क्या चाहे? चुदक्कड़! “वैसे ही करना जैसे सजल कर रहा था... अपनी जीभ से वैसे ही चाटना... ठीक है? जा अब लग जा काम पर।”

“अरे मेरा प्यारा बच्चा... चाट, चाट, चाट... अपनी जीभ डाल अंदर।”

प्रमोद ने थोड़ा जोर लगाकर अपनी जीभ को अंदर धकेल दिया।

“चोद मुझे अपनी जीभ से, प्रमोद... क्या तुम जानते हो कि मेरी क्लिट कहाँ है?”

“मेरे ख्याल से जानता हूँ...” और उसने अपनी जीभ उस स्थान पर लगाई जिसे वह क्लिट समझता था।

“सही! हाँ! तुम जानते हो... तुम जानते हो... अब तुम वापस अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दो।”

जब प्रमोद कोमल की चूत का रस ले रहा था, सजल अपनी मम्मी के मम्मों पर पिला पड़ा था। वो अपनी मम्मी को अपने दोस्त के साथ बाँटकर काफी खुश था, हालांकि उसने इसकी उम्मीद नहीं की थी। उसका लंड एक बार फिर से तन्नाने लगा था।

“ये सब बंद करो और मेरी क्लिट को जोर से काटो।”

प्रमोद के ऐसा करते ही कोमल ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया।

“बहुत अच्छा प्रमोद... मज़ा आ गया।”

कोमल अब झड़ते-झड़ते थक चुकी थी। उन दोनों जवानों ने उसकी भूख मिटा दी थी। उसने पहले प्रमोद और फिर सजल का एक गहरा चुम्बन लिया, और टेक लगाकर लेट गयी।

“मुझे उम्मीद है कि तुम्हारी मम्मी अगली छुट्टियों में भी तुम्हें यहाँ आने की इज़ाज़त देगी... है न प्रमोद?” कोमल ने पूछा।

“क्यों नहीं, और मैं अगली बार ज्यादा दिनों के लिये आऊँगा।”

“मैं तुम्हारे आनंद के लिये पूरा इंतज़ाम रखुँगी...” कोमल ने कहा और उसी हालत में नंगी, सिर्फ सैंडल पहने हुए रसोई की ओर सबके लिये नाश्ता बनाने के लिये बढ़ गयी।

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अध्याय - ७
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“जल्दी करो और अपनी पैंट उतारो, सुनील...” शाहीन ने अपने पड़ोसी से कहा, “मैं तो समझी थी कि शायद कोमल घर से जाने वाली ही नहीं है।”

सुनील ने जल्दी करने की कोशिश की पर उसकी नज़रें शाहीन पर ही टिकी थीं जो अपने मम्मों को अपने हाथों में थामे चुदवाने के लिये पूरी तरह से तैयार खड़ी थी।

“वो थोड़ी ही देर के लिये गयी है... पैंतालीस मिनट में वापस आ जयेगी... मुझे उससे पहले घर पहुँचना होगा... वैसे भी मुझे गोल्फ खेलने जाना है”

“क्या कहा तुमने? तुम्हारे लिये गोल्फ खेलना मुझे चोदने से ज्यादा ज़रूरी है?”

“मैं विवश हूँ... वो मेरी कम्पनी का एक बहुत बड़ा ग्राहक है... जाना ही होगा...”

“हाय अल्लाह, मैं यह तो समझ सकती हूँ कि कोमल एक जल्दबाजी की चुदाई के लिये तैयार हो सकती है क्योंकि वो तुम्हारी बीवी है। पर मेरी चूत की प्यास मिटाने के लिये तो तुम्हें ज्यादा वक्त निकालना ही होगा... पैंतालीस मिनट में मेरा कुछ नहीं बनेगा...” शाहीन ने सुनील के मोटे तगड़े लौड़े पर एक नज़र डालते हुए कहा।

“आज के लिये तो इतना ही हो पायेगा, शाहीन!” सुनील शाहीन को बिस्तर की ओर लेकर जाते हुए बोला।

“अगर ऐसा है तो मेरी खातिरदारी शुरू करो... पहले मेरे मम्मों को चूसो...” शाहीन ने हथियार डालते हुए कहा।

सुनील ने अपने कम समय देने का मुआवज़ा देने का फैसला किया। उसने एक हाथ से शाहीन की चूचियाँ मसलनी शुरू की और दूसरे हाथ से उसकी चूत की सेवा शुरू कर दी। उसने दो अँगुलियाँ शाहीन की चूत में घुसेड़ दीं। अपने दाँतों से उसने शाहीन की दूसरी चूची का निप्पल काटना शुरु कर दिया।

“कचोट लो उन्हें डियर! और एक अँगुली और डालो मेरी चूत में!” शाहीन ने विनती की। उसने सुनील का लंड हाथ में लिया और उसे सहलाना शुरू कर दिया। वो सुबह से चुदवाने को बेचैन थी और उसका पूरा जिस्म वासना की आग में झुलस रहा था। उसने सुनील की मुठ मारनी शुरू कर दी।

“पहले मुझे ज़रा नाश्ता तो कराओ...” कहते हुए उसने लेटते हुए सुनील का लंड अपने मुँह में ले लिया।

शाहीन ने पूरे जोर-शोर से अपनी भूख मिटानी शुरू कर दी। वो तो उसे कभी न छोड़ती अगर सुनील जल्दी में न होता। उसने बेमन से सुनील का लंड अपने मुँह से निकाला।

“अब तुम मुझे चोदो राजा... वही पुराने तरीके से... तेज़ और गहरे... पेल दो ये मूसल मेरी चूत में।” शाहीन ने सुनील के लंड को अपनी चूत के मुँह पर रखकर कांपते हुए स्वर में सुनील से मिन्नत की।

“अरे मादरचोद!” जैसे ही वह हलब्बी लौड़ा अंदर गया शाहीन के मुँह से चीख निकली। सुनील ने एक ही धक्के में अपना पूरा लंड अंदर जो पेल दिया था। “दे दो मुझे ये पूरा लंड़ पर जल्दी झड़ना नहीं... मुझे कई दफा झाड़े बिना मत झड़ना... मुझे कई दफा झड़ना है... कई दफा...”

सुनील के लिये ये कोई आसान काम नहीं था। वो जितनी ताकत और तेज़ी से शाहीन को चोद रहा था उसमे अपने आप को काबू में रखना मुश्किल था। उसने अपना ध्यान दूसरी ओर करने की कोशिश की जिससे वह जल्दी न झड़े। उसने गोल्फ, अपनी नौकरी और अपने दोस्तों के बारे में सोचने की कोशिश की।

जब पहला झटका आया तो शाहीन फिर चीखी, “वाह रे मेरे ठोकू! चोद मुझे... मैं जली जा रही हूँ... मेरी चूत में आग लगी हुई है... झड़ना नहीं, मेरा इंतज़ार करना, सुनील।”

सुनील खुद आश्चर्यचकित था कि इस घनघोर चुदाई के बावज़ूद वो अभी तक टिका हुआ था। उसका हौसला बढ़ा और उसने पूरी चेष्टा की कि शाहीन झड़-झड़ कर बेहाल हो जाये।

“तुम नीचे आओ...” शाहीन बोली।

“पर हमारे पास ज्यादा समय नहीं है।”

पर शाहीन नहीं मानी और सुनील को पीठ के बल लिटाकर उसके लंड को अपनी बुर में ठूंस कर कलाबाजियाँ खाने लगी।

“मैं फिर से झड़ रही हूँ!” पर वो रुकी नहीं। दो ही मिनट में वो फिर बोली, “फिर से झड़ी, वाह क्या ज़िंदगी है!”

सुनील शाहीन के पुट्ठे पकड़ कर उसे अपने लंड पर कलाबाजी खाने में मदद कर रहा था। वो उस चुदासी औरत की उछलती छातियों को देखने में इतना मस्त था कि उसे अपनी संतुष्टि का ख्याल ही नहीं आया। शाहीन के जिस्म ने एक झटका लिया और वो सुनील के ऊपर ढह गयी। उसने सुनील का एक दीर्घ चुम्बन लिया और वह बिस्तर पर कुतिया वाले आसन में आ गयी। उसका लाल चेहरा तकिया में छुप गया।

“एक बार मुझे इस आसन में और चोदो फिर मैं तुम्हें छोड़ दुँगी।”

सुनील ले अपने सामने फैली हुई गाँड को देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया। उसने अपने हाथों से अपने भारी लंड को संभाला और शाहीन के पीछे जाकर अपना लंड उसकी गीली चूत में जड़ तक समा दिया। इस बार उसने इस बात का ध्यान नहीं दिया कि शाहीन झड़ेगी या नहीं। आखिर यह उसका भी आज का अंतिम पराक्रम था।

“इतना गहरे तो पहले तुम कभी नहीं गये, सुनील...” शाहीन बोली, “चोदो इस चूत को और तुम भी झड़ो और मुझे भी तारे दिखा दो।”

सुनील को हमेशा इस बात से और उन्माद आता था जब उससे चुदा रही औरत इस तरह की अश्लील भाषा का प्रयोग करती थी। उसने अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी। उसके लंड से निकली वीर्य की धार शाहीन की धार के साथ ही छूटी। दोनों जैसे स्वर्ग में थे।

“हाय मेरे अल्लाह! इतना मज़ा! यही ज़न्नत है! और तुम फरिश्ते हो, सुनील!”

सुनील ने अपना सिकुड़ा हुआ लंड एक पॉंप की अवाज़ के साथ बाहर निकाला। उसने घड़ी देखी तो जल्दी से कपड़े पहनने लगा। उसका ग्राहक आने ही वाला था।

“मैं चलता हूँ...” उसने जल्दी से विदा माँगी।

“तुम बड़े रूखे इंसान हो।”

“मैं तुम्हे बाद में मिलुँगा... अभी मुझे वाकय जल्दी है।”

शाहीन भी उठकर नहाने चली गयी। हालांकि उनकी चुदाई तेज़ और तीखी रही थी पर उसे याद नहीं पड़ता था कि वह इतनी बार कभी झड़ी हो। उसने दो जबरदस्त पैग बनाकर पीये और एक लंबा स्नान लिया। फिर वोह बाहर जाने के लिये तैयार हुई और हमेशा की तरह भड़कीले कपड़े पहने। अभी उसने अपने ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने ही थे कि इतने में ही उसके दरवाज़े पर दस्तक हुई। यह सोचकर कि शायद सुनील का गोल्फ का साथी नहीं आया, उसने तत्काल ही दरवाज़ा खोला। पर उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि सजल आया था।

सजल बोला, “शाहीन आँटी, मैं अपने पापा को ढूँढ रहा था, कुछ देर पहले मैंने उन्हें यहीं देखा था... मैने सोचा शायद वो अभी यहीं हैं।”

“हाँ वो यहाँ थे तो सही... मेरी वाशिंग मशीन को ठीक कर रहे थे... पर वो कुछ मिनट पहले ही निकले हैं... किसी के साथ गोल्फ खेलने जाना था उन्हें... क्या तुमने उन्हें नहीं देखा?”

“फिर तो मै उन्हें बाद में ही देख पाऊँगा... माफ करना आँटी मैनें आपको बेवजह परेशान किया... धन्यवाद!”

जब सजल वापस जाने के लिये मुड़ा तो शाहीन के दिमाग में एक शैतानी ख्याल आया।

“रुको, सजल... तुम अंदर आकर क्यों नहीं मेरे साथ एक पेप्सी लेते?” कहकर उसने सजल को उसकी बाँह से पकड़कर अंदर खींचा। उसके मन में आया कि कोमल से इससे अच्छा बदला क्या होगा कि उसका पति और बेटा दोनों उसकी गिरफ्त में हों?

सजल ने अपनी पडोसन की मधुरिम काया पर एक भरपूर नज़र दौड़ाते हुए पूछा, “क्या आप सही कह रही हैं?”

“और नहीं तो क्या... आओ अंदर...” शाहीन ने सजल को अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया।

“तुम काफी बड़े हो गये हो, सजल! देखो तो क्या मसल निकल आई हैं... अब तुम वो छोटे बच्चे नहीं रहे जो मेरे घर के सामने साइकल चलाया करते थे।”

सजल के चेहरे पर लाली छा गयी। “हाँ अब मैं छोटा बच्चा नहीं रहा आँटी।”

शाहीन ने खिलखिलाते हुए फ़्रिज से दो पेप्सी निकालीं और एक ग्लास में डाल कर सजल को दी और अपने लिये दूसरे ग्लास में ले कर उसमें थोड़ी व्हिस्की मिला ली। “एक दो साल में तुम अपने पापा के जितने हो जाओगे... तुम उनके जैसे हैंडसम तो हो ही गए हो”

सजल फिर से शर्मा गया। उसकी आँखें शाहीन के जिस्म पर से अब हट नहीं रही थीं। अपनी मम्मी को चोदने के बाद उसे बड़ी उम्र की औरत की सुंदरता का अहसास हो गया था और उसकी ये आँटी सुंदरता में उसकी मम्मी से कहीं भी उन्नीस नहीं थी।

“आओ सोफे पर आराम से बैठते हैं... तुम्हें कहीं जाना तो नहीं है न?”

जब सजल उसके पास आकर बैठ गया तो शाहीन ने उसे वहीं उसी कमरे में चोदने का निश्चय कर लिया।