घरेलू चुदाई समारोह

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“तो मुझे बताओ, आजकल तुम क्या कर रहे हो?” शाहीन ने अपने व्हिस्की मिले पेप्सी का घूँट लेते हुए पूछा।

“कुछ ज्यादा नहीं...” सजल ने कंधे उचकाकर कहा। उसका लंड खड़ा हो रहा था और वह उसे छिपाने का रास्ता ढूँढ रहा था, “वही कॉलेज की कहानी।”

“तुम अगले साल कहाँ पढ़ने जा रहे हो?” शाहीन ने बात बढ़ाने के लिये पूछा।

“अगले साल से तो मैं यही रहकर पढ़ुँगा... मम्मी को मेरा वह कॉलेज पसंद नहीं है।”

“मुझे खुशी है कि तुम अपने घर में रहोगे... इससे हमें एक दूसरे को बेहतर जानने का मौका मिलेगा” शाहीन ने अपने हाथ से सजल की जांघ को सहलाते हुए कहा।

शाहीन इस नौजवान को जल्द से जल्द राह पर लाने का तरीका सोच रही थी। उसे इसका कोई अभ्यास नहीं था। उसे तो चट-पटाओ, बिस्तर पर जाओ, चोदो और निकल जाओ का तरीका ही आता था। उसने कुछ देर और ऐसी ही बेमानी बातों का सिलसिला ज़ारी रखा। पर कुछ ही देर में उसका धैर्य जवाब दे गया, और उसने अपनी चाल चलने का फैसला किया। उसने बातें करते-करते सजल के होठों का एक लंबा चुम्बन ले डाला। उसकी जीभ सजल के मुँह में घुस गयी। जब सजल ने कोई प्रतिरोध नहीं किया तो शाहीन ने अपनी बाहें उसके गिर्द करीं और उसे लेकर वह सोफे पर ढह गयी।

“तुम बड़े हसीन लड़के हो , सजल!” उसने अपने जिस्म को सजल के जिस्म से रगड़ते हुए कहा। “मेरे चूतड़ों को पकड़ो और दबाओ।”

सजल को अपनी मम्मी की चुदाई करने से यह तो पता चल गया था कि इस उम्र की औरतें क्या चाहती हैं। उसने फ़ौरन शाहीन की इच्छा पूरी की।

“मुझे तुम्हारी ज़रूरत है, सजल! मुझे तुम्हारे साथ ऐसा करते हुए लग रहा है जैसे मैं फिर से जवान हो गयी हूँ... मुझे चोदोगे? मैं तुम्हारे मोटे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती हूँ।”

सजल ने अपने पुट्ठों को उठाया और शाहीन ने उसकी पैंट और फिर चड्डी उतार फेंकी। उसकी शर्ट उसने अपने आप ही निकाल दी। शाहीन ने तो खुद नंगी होने में रिकार्ड बना दिया। जब सजल अपनी शर्ट उतार रहा था उतने में शाहीन ने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे वस्त्र उतार फैंके थे।
“वाह, सजल!” शाहीन ने उसका मूसल जैसा लौड़ा देखकर तारीफ की। “यह तो बहुत बड़ा और मोटा है... करीब-करीब...” उसके मुँह से सुनील का नाम निकलते निकलते रह गया, “और ये मेरे हाथ में कितना सख्त लग रहा है...” कहते हुए शाहीन ने खुदा की उस खूबसूरत रचना को अपने मुँह में ले लिया।
“आआआआह शाहीन आँटी!” सजल ने सिंहनाद की। शाहीन ने मुँह में लेते ही लंड की जबरदस्त चुसाई शुरू कर दी थी। सजल इसके लिये बिलकुल तैयार नहीं था।

“उम्म्म,” शाहीन ने चुसाई ज़ारी रखते हुए जवाब दिया। वह मन ही मन में सजल के लंड की तुलना उसके बाप के लंड से कर रही थी। यह बताना मुश्किल था कि उसे किसका स्वाद अधिक स्वादिष्ट लगा था। इसके लिये रस पीना ज़रूरी था।

“मुझे अपने झरने का थोड़ा रस पिलाओ न सजल!” शाहीन ने चुसाई करते हुए सजल के लंड की मुट्ठी मारनी चालू कर दी। “मुझे बताना जब तुम रस छोडने वाले हो... मैं तुम्हारा रस पीना चाहती हूँ... क्या तुम मेरा ऐसा करना पसंद करोगे?”

सजल के मुँह से बड़ी मुश्किल से आवाज़ निकली “हाँ आँटी, ज़रूर... निकाल लो रस मेरे लंड से... चूस लो!” कुछ ही देर में वो फिर बोला, “मेरे ख्याल से निकलने ही वाला है... क्या आप तैयार हैं?”

शाहीन ने अपने मुँह की जकड़ उस पाइप पर तेज़ कर दी। कितनी लालची थी वो कि एक बूँद भी बेकार करने को राज़ी नहीं थी। सजल के गाढ़े वीर्य का पहला स्वाद उसे मुँह लगाते ही मिल गया। उसके बाद जो सजल ने रस की बरसात की तो शाहीन से पीना मुश्किल पड़ गया। आज तक उसने इतने जवान मर्द का पानी पिया नहीं था, न उसे पता था कि सजल के लौड़े में रस का झरना नहीं समंदर था। पर उसने हार नहीं मानी और किसी तरह पूरा पानी पी ही डाला।

“क्या तुम मेरे मम्मे, चूत और गाँड को छूना चाहोगे?” शाहीन ने जैसे इनाम की घोषणा की।

हालांकि सजल अभी-अभी झड़ा था पर उसे अपने अनुभव से पता था कि वो चुटकी में ही फिर तैयार हो जायेगा। ऐसे में इस तरह का प्रस्ताव ठुकराने का कोई मतलब ही नहीं था।

“ज़रूर, शाहीन आँटी, यह भी कोई पूछने की बात है?”

शाहीन ने अपनी गाँड सजल की ओर करते हुए कहा, “छूकर देखो इसे...” उसकी कांपती आवाज़ ने इस बात की गवाही दी कि उसका अपनी भावनाओं पर काबू खत्म होता जा रहा था। उसे चुदाई की भीषण आवश्यकता महसूस हो रही थी।

जब शाहीन सामने की ओर मुड़ी तो उसकी खिली हुई चूत देखकर सजल से रहा नहीं गया। उसने उस उजली चूत में अपनी दो उंगलियाँ पेल दीं। शाहीन की आँखें इस अप्रत्याशित आक्रमण से पलट गईं और वह बिना कुछ सोचे हुए बोल पड़ी, “चोदो इसे! चोद मेरी चूत को, आंटी-चोद!”

पर सजल पहले उस कुँए की गहराई नापना चाहता था और अपनी उंगलियों को बाहर निकालकर राज़ी नहीं था।

“बहुत हो गया यह सब सजल!” शाहीन ने डाँट लगाई, “पहले मेरे मम्मों को चूसो और फिर मुझे चोदना चालू करो!” शाहीन ने अपना ध्यान सजल के लंड को सख्त करने में लगाते हुए हिदायत दी। “मेरे निप्पलों को काटना ज़रूर... चबा जाओ उन्हें... हाँ ऐसे ही... अरे बड़ा सीखा हुआ लगता है रे तू तो...! किसने सिखाया तुझे ये सब?”

जब शाहीन ने देखा कि सजल का लंड चुदाई के लिये बिल्कुल रेडी है तो उसने अपने मम्मों को सजल के मुँह से बाहर निकाल लिया। उसने सजल के खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर उसके ऊपर अपनी चूत को रख दिया और फिर एक झटके के साथ उसपर बैठकर उसे अपनी चूत में भर लिया।

“भर दे, भर दे, ऐ अज़ीम लौड़े मेरी चूत को भर दे!” शाहीन ने गुहार की। “मेरी गाँड को सहारा दो, सजल...” कहकर शाहीन ने अपनी चूचियों को सजल के मुँह में भर दिया। आगे झुकने से लंड उसकी चूत में और टाइट हो गया और शाहीन को ज़न्नत के नज़ारे धरती पर ही होने लगे।

सजल ने अब रुके बिना शाहीन की प्यासी चूत में अपना हलब्बी लौड़ा पेलना शुरू कर दिया। शाहीन ने भी धक्कों में हाथ बंटाया और उसके लंड पर तेजी से सरकने लगी। कभी सजल नीचे से धक्का देता तो कभी शाहीन ऊपर से अपनी चूत को उसके लंड पर बैठाती। सजल की तो जैसे चाँदी थी। घर पर चुदासी मम्मी थी और पड़ोस में चुदक्कड़ आँटी। एक के न होने पर दूसरी चूत मिलने की अब गारंटी थी। यही सोचकर उसके समंदर का रस तेज़ी के साथ अपनी आँटी के कुँए की ओर अग्रसर हुआ।

“आआआआह, ऊँह ऊँह!” उसने अपने लंड की पिचकारी शाहीन की चूत में छोड़ते हुए आवाज़ निकाली। उसके शरीर की सारी माँस-पेशियाँ तनाव में आ गईं और उसे रात और दिन एक ही समय में दिखने लगे।

उधर शाहीन का भी ऐसा ही कुछ हाल था। सजल के लंड की पिचकारी को अपनी चूत में रस भरते हुए महसूस करते ही उसकी चूत ने भी अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया। वो इतनी तेजी से झड़ी कि उसे हर चीज़ की ओर से अनभिज्ञता हो गयी। अगर कोई उससे इस समय उसका नाम भी पूछता तो शायद वो बता नहीं पाती।

“और सजल, और, भर दो मेरी चूत को... चोद मुझे हरामखोर, मादरचोद, फाड़ दे मेरी चूत रंडी की औलाद!” शाहीन को पता ही नहीं था कि वो क्या बके जा रही थी।

शाहीन तब तक सजल के मूसल जैसे लौड़े पर कथक्कली करती रही जब तक कि वो सिकुड़ नहीं गया। उसके बाद वो वहीं सजल के पास ढह गयी। उसके चेहरे पर असीम सन्तुष्टि की झलक थी, और आँखों में एक वहशियाना चमक। वो सोच रही थी, उस छिनाल कोमल से मेरा बदला अब पूरा हो गया। मैनें उसके पूरे खानदान को अपनी चूत में समा लिया है। अगर मैं अब चाहूँ तो दोनों बाप-बेटे मेरे सैडल के तलुवे भी खुशी-खुशी चाटने को तैयार हो जायेंगे।

सजल उस चुदी हुई औरत की ओर देखकर सोच रहा था कि मेरी अपनी उम्र से बड़ी औरतों पर यह दूसरी विजय थी। पर उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि शाहीन ने उसे मादरचोद क्यों बुलाया था? क्या वो जानती थी कि...............

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अध्याय - ८
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जब कोमल ने अपनी गाड़ी घर के सामने खड़ी की तो उसे यह देखकर अचरज हुआ कि सजल शाहीन के घर से निकल रहा था।

“सजल! तुम उस औरत के घर में क्या कर रहे थे?” कोमल ने गुस्से से पूछा।

“उनसे एक बोतल नहीं खुल रही थी इसीलिये मुझे बुलाया था।” सजल ने हकलाते हुए जवाब दिया।

एक बार तो कोमल ने इस जवाब को स्वीकार कर लिया। “आगे से मैं तुम्हे उस कुत्तिया के पास नहीं देखना चाहुँगी... उसे अपने लिये ऐसा मर्द ढूँढ लेना चाहिये जो उसकी बोतल को खोल सके... यह हमारी गलती नहीं है कि उसका पति उसे छोड़कर भाग गया है।”

“अरे मम्मी, वो कोई बुरी औरत नहीं है” सजल ने अपने द्वारा चुदी औरत का पक्ष लेते हुए कहा।

इससे तो कोमल का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। “अब मुझसे यह मत कहना कि तुम उस कुत्तिया को पसंद करने लगे हो... तुम उसके हाथों बेवकूफ मत बनना... मुझे उस पर रत्ती भर का विश्वास नहीं है और मैं हम में से किसी को भी उसके नज़दीक नहीं जाने दुँगी।”

घर के अंदर जाते हुए सजल अपना पूरा बचाव कर रहा था। “आखिर तुम्हें शाहीन आँटी में क्या बुराई नज़र आती है? मुझे तो वो एक ठीक औरत लगी।”

इसका जवाब देने के लिये कोमल बगलें झाँकने लगी। उसके जवाब से सजल को इतना तो समझ आ गया कि यह नारी-सुलभ-ईर्ष्या का ही नतीज़ा है।

सजल के मुँह से निकल गया, “तुम सिर्फ़ जलती हो, मम्मी!”

कोमल के सनसनाते हुए चांटे ने सजल के होश गंवा दिये। पर कोमल को अपनी गलती का तुरंत ही एहसास हो गया। कोमल ने सजल को अपनी बाहों में लेकर प्यार करना चाहा पर सजल ने उसे अलग कर दिया। न केवल सजल अपनी मम्मी से इस झापड़ के लिये नाराज़ था बल्कि वह इस बात से भी अनभिज्ञ नहीं था कि उसके जिस्म से शाहीन की चुदाई की खुशबू आ रही थी।

“छोड़ो मम्मी, मैं नहाने जा रहा हूँ।”

“सजल!” कोमल ने आवाज़ दी पर सजल उसे पीछे छोड़कर निकल गया।

पर कोमल को इस बात से भी तकलीफ थी कि उसका परिवार जो शाहीन से अभी तक दूरी रखे था अचानक क्यों उसका खैरगार हो गया था। जब इसका संभावित उत्तर कोमल के ज़हन में आया तो उसे पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ। क्या वह शाहीन को भी चोद रहा था, जबकि उसे घर पर ही चूत उपलब्ध थी?

“वो कुतिया!” कोमल ने फुँफकार मारी। उसे विश्वास हो गया कि सजल ने शाहीन को चोद दिया था। अपनी मम्मी को चोदने से उसे अपने से बड़ी औरत का चस्का लग गया था। शाहीन ने इसी का फायदा उठाया होगा।

“सजल!” कोमल की आवाज़ से घर गूँज उठी। वो बिना सोचे अपने लड़के के स्नानघर में घुस गयी। सजल नहा कर बाहर निकल रहा था। उसके मस्त लंड पर एक हसरत भरी नज़र डालते हुए कोमल ने कहा, “कुछ कपड़े पहन लो, तुम मेरे साथ उस औरत के घर चल रहे हो... मैं जान गयी हूँ कि तुम वहाँ पर क्या कर रहे थे और मैं उससे इस बारे में बात करना चाहती हूँ।”

“पर मम्मी, मैंने तुम्हे बताया न कि मैं वहाँ सिर्फ एक बोतल खोलने गया था।”

“बकवास! तुम्हारे चेहरे पर अभी तक चुदाई की चमक है!” कोमल गुस्से से कांप रही थी। उस कुत्तिया के साथ वह अपने बेटे के लौड़े को बाँटने के लिये हरगिज़ तैयार नहीं थी। “मैं तुम्हें दोषी नहीं ठहरा रही हूँ, पर उस रंडी को तो मैं छोड़ुँगी नहीं... जल्दी तैयार हो जाओ।”

सजल जब कपड़े पहन कर अपनी माँ के पास नीचे आया तो उसने बात संभालने की फिर कोशिश की। पर कोमल ने उसकी एक न सुनी।

“कुछ बोलने की कोशिश मत करो... मैं सीधे उसके घर जा रही हूँ... और अगर तुम चाहते हो कि मैं उसकी गर्दन न मरोड़ूँ तो बेहतर होगा कि तुम मेरे साथ ही चलो।”

कोमल ने जाकर शाहीन का दरवाज़ा जोर-जोर से पीटना शुरू कर दिया। जब शाहीन ने दरवाज़ा खोला तो यह ज़ाहिर था कि उसने जल्दी में ऐसे ही नहाने का गाऊन पहन लिया था। इससे कोमल को लगा जैसे वो अभी नहा कर निकली है।

“अच्छा, शाहीन, क्या तुम्हें इस वक्त नहाने की ज़रूरत इसीलिये पड़ गयी क्योंकि तुम मेरे बेटे सजल को चोदकर गर्मी और पसीने से नहा गयी थी? सजल अंदर आओ और दरवाज़ा बंद कर दो।”

शाहीन को बहुत जोर का झटका लगा। उसने कहा, “तुम अपने आप को क्या समझती हो जो मेरे घर में इस तरह से घुसी आ रही हो?”

कोमल उसकी बात को नज़रंदाज़ करते हुए उसके ड्राइंग रूम में प्रवेश कर गयी। उसने अपनी कमर पर हाथ रखकर तैश में अपनी पडोसन से कहा, “तुम भली-भांति जानती हो कि मैं यहाँ क्यों आई हूँ... तुमने मेरे भोले-भाले बेटे को यहाँ बुलाया और उसे बहलाकर अपनी वासना का शिकार बनाया... क्या तुम इससे इंकार करती हो?”

कोमल को उम्मीद थी कि शाहीन इससे मुकरने की कोशिश करेगी। पर उसने शाहीन की बेशर्मी को कम आँका था।

“इसमे क्या गलत है कि तुम्हारे बेटे को मेरे साथ सही तरह का तजुर्बा हो गया? अगर वो किसी ऐसी अन्जान लड़की के साथ कार की पिछली सीट पर यह सब करता जिसे इतनी भी समझ नहीं होती कि ऐसे शानदार लौड़े के साथ क्या करना है, तो क्या तुम्हें खुशी होती?”

इस जवाब से कोमल निरुत्तर हो गयी। उसने कहा, “इससे तुम्हारे कुकर्म को सही नहीं ठहराया जा सकता। तुमने उसका फायदा उठाया है, और तुम यह बात जानती हो। इसके लिये तो कोई कानून होना चाहिये जिससे कि बड़ी उम्र की औरतें छोटे लड़कों को बहका न सकें।”

सजल अपनी मम्मी के इस ढोंग से अब काफी क्रोधित हो चला था। उससे रहा नहीं गया और वह बोल पड़ा, “तुम यह सब बातें शाहीन आँटी को कैसे कह सकती हो मम्मी... जबकि तुम भी मुझसे चुदवाती हो?” कहने को तो वह कह गया पर उसे उसी वक्त यह समझ आ गया कि उससे एक भीषण गलती हो गयी है।

“सजल!” कोमल सकते में आ गयी। पर वह जान गयी थी कि अब गोली बहुत दूर जा चुकी है। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि वह सजल का हाथ पकड़े और भाग जाये।

कुछ सन्नाटे के बाद शाहीन बेहताशा हँसने लगी। “तो ये बात है... तुम जल रही हो... तुम्हारी इतनी हिम्मत कि यहाँ आकर मुझे नसीहत दो जबकि तुम खुद अपने बेटे को चोद रही हो? लोगों को क्या ज्यादा बुरा लगेगा? मेरा सजल को चोदना या तुम्हारा?”

“हम घर जा रहे हैं...” कोमल बोली।

“नहीं, तुम कहीं नहीं जा रही हो... जब तुम यहाँ आई हो तो मेरी भी सुनती जाओ... तुमने सालों से मुझे कचरे की तरह समझा है, जबसे मेरा शौहर मुझे छोड़कर चला गया... तुम्हें हमेशा यह डर रहा कि मैं तुम्हारे शौहर को न चोदूँ... मैं तुम्हें एक अच्छी खबर देना चाहती हूँ... न सिर्फ मैंने सजल को चोदा है बल्कि मैं सुनील को भी चोद चुकी हूँ... क्या तुम्हें इस बारे में कुछ कहना है?”

“हरामजादी!” कोमल ने गुस्से से हाथ घुमाया, पर सजल ने अपनी फुर्ती दिखाई और उसे बीच में ही पकड़ लिया।

“अब इतनी भोली न बनो, कोमल...” शाहीन ने व्यंग्य किया, “तुम जो सजल को चोदती हो, और उस दिन तुम्हारे घर से सजल के कॉलेज का प्रिन्सिपल जो जा रहा था?”

“वो तो सजल से मिलने आया था, हमारे बीच में कुछ नहीं हुआ।”

पर सजल की शक भरी निगाहें उसे भेद रही थीं। “तुमने मुझे बताया नहीं कि कर्नल मान आये थे?” सजल ने पूछा।

“इसीलिये नहीं बताया क्योंकि इसने उसे चोदा था, सजल...” शाहीन ने मुस्कराते हुए कहा, “मुझे पता है क्योंकि उस दिन ये परदे डालना भूल गयी थी और मैने पूरी चुदाई इन आँखों से देखी थी।”

कोमल को यह पता नहीं था कि शाहीन ने कुछ देखा नहीं था, पर अंधेरे में तीर मार रही थी। पर शाहीन ने बात कुछ इस अंदाज़ में कही थी जैसे कि वह सच ही बोल रही हो। शाहीन ने अब अपने वार को और तीखा करने की ठानी। उसने अपने नहाने वाले गाऊन का नाड़ा खोल उसे उतार फैंका और अब वो सिर्फ सैंडल पहने उसी अवस्था में आ गयी जिस अवस्था में थोड़ी देर पहले सजल ने उसे चोदा था। उसका नंगा तन चमकने लगा।

“मुझे हैरत है कि सजल मुझे चोदने के लिये क्यों आया?। क्या वो तुम्हें चोदने से ऊब गया है?” उसने अपने शरीर को सजल के जिस्म से रगड़ते हुए कहा।

वो दोनों मम्मी-बेटे कुछ कहने की हालत में नहीं थे।

शाहीन ने कोमल को और छेड़ते हुए इठलाते हुए कहा, “अब तुम समझ सकती हो कि सजल और सुनील दोनों को मेरे पास आने की ज़रूरत क्यों पड़ी... मेरे पास वो सब कुछ है जिसकी उन्हे ख्वाहिश है... बड़े मम्मे और एक तंग गाँड.... अब जब तुम यहीं हो सजल तो क्यों न हम उस काम को अंजाम दें जो हमने शुरू कर दिया है? मेरे ख्याल से तुम्हारी मम्मी यह जानने को बेकरार होगी कि मैं कैसे चुदवाती हूँ।”

सजल अपनी मम्मी से नाराज़ अवश्य था पर वह उसके अपमान में शाहीन का साथ देने को तैयार नहीं था। उसने शाहीन को दूर धकेलने की कोशिश की पर इतने में ही उसकी मम्मी की एक हरकत पर वह ठगा सा रह गया।

“तुम अपने आप को बड़ा गर्म और सैक्सी समझती हो न शाहीन? मैंने तुम्हें अपने शरीर की नुमाइश करते हुए कई बार देखा है... पर अब मैं तुम्हे बताती हूँ कि सजल और सुनील क्यों हमेशा मेरे पास ही वापस आयेंगे।”

शाहीन को भी गहरा आश्चर्य हुआ जब उसकी पडोसन ने अपने कपड़े उतारने आरंभ किये। उसने भी यह माना कि कोमल के पास अत्यंत ही लुभावना और आकर्षक जिस्म था। कोमल ने नंगे होने में अधिक देर नहीं लगायी। वो सिर्फ अपनी बात सिद्ध करना चाहती, किसी पर विजय नहीं।

“किसका शरीर ज्यादा सुंदर है, सजल?” उसने शाहीन की तारीफ भरी नज़रों में नज़रें डालकर सजल से पूछा।

सजल को अपनी यह स्थिति पसंद नहीं आ रही थी। अपनी कम उम्र के बावजूद वह समझ गया था कि इन दोनों औरतों की लड़ाई बंद करानी होगी।

“आप दोनों रुकिये... आप पर जो पागलपन सवार हो रहा है उसे रोकिये... आप लोग इतने सालों से पडोसी हैं पर एक दूसरे के बारे में आपके खयालात कितने गलत हैं।”

वो दोनों सजल की बात सुन रही थीं। उन्हे इस बात से थोड़ी संतुष्टि हुई कि सजल ने स्थिति पर काबू कर लिया था।

सजल ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “मैं इस बात का कोई वोट नहीं डालुँगा कि आप दोनों में से किसका जिस्म ज्यादा सुंदर है... जहाँ तक मेरा ताल्लुक है, मुझे इससे कोई सरोकार नहीं है... आप दोनों बेहद सैक्सी औरतें हैं... बस!” यह कहते-कहते सजल ने अपने लंड को खड़ा होते महसूस किया। उसकी दोनों विजय-पताकाओं के बीच में रहने से उसका झंडा बिना खड़े हुए न रह सका। सजल ने अपनी बाँह अपनी मम्मी की कमर में डाली, उसने शाहीन के साथ भी ऐसा ही किया।

“मैं हमेशा सोचा करता था कि दो औरतों को एक साथ चोदने में कैसा लगेगा... क्या आप दोनों अपनी लड़ाई छोड़कर मुझे यह बात समझायेंगी?” बिना उनके उत्तर का इंतज़ार किये, उसने अपने वस्त्र उतारने शुरू कर दिये।

उसका हौंसला इस बात से भी बढ़ा कि उन दोनों ने कोई जवाब नहीं दिया। उनकी चुप्पी ने उसे यह समझा दिया कि वो उससे सहमत हैं।

“तुम्हें शाहीन आँटी से जलन नहीं होनी चाहिये मम्मी...! अगर मैं इन्हें चोदता हूँ तो इसका यह अर्थ नहीं कि मैं आपको चोदना बंद कर दुँगा।” सजल एक हाथ से अपनी मम्मी और दूसरे हाथ से शाहीन के मम्मों को दबाते हुए बोला।

कोमल ने सजल को शाहीन के मोटे मम्मों से खेलते हुए देखा। उसे ईर्ष्या की जगह एक अभूतपूर्व रोमाँच का एहसास हुआ।

सजल ने अपनी मम्मी से कहा, “मम्मी मैं आप दोनों को चोदना चाहता हूँ।” यह कहकर उसने अपनी मम्मी का एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया। उसका दूसरा हाथ कोमल की गाँड दबाने लगा।

शाहीन जान गयी कि आज की दोपहर निराली होगी। उसने अपने स्तन सजल की पीठ पर लगा दिये। उसने अपना हाथ मम्मी-बेटे के बीच से सजल के लंड पर पहुँचा दिया और उसे दबाने लगी। कोमल उसके हाथ को हटाने की कोशिश करने लगी। पर फिर उसने अपने बेटे के शानदार लंड को इस औरत के साथ बाँटने का निर्णय लिया।

सजल ने अपने आप को वहीं कारपेट पर लिटा लिया और अपनी मम्मी को अपने ऊपर इस तरह खींचा कि उसकी चूत उसके मुँह पर आ लगी। उसने अपनी जीभ उसकी चूत में घुसेड़ दी। अब वह इस बात का इंतज़ार कर रहा था कि शाहीन उसका लंड चूसने लगेगी।

शाहीन के चेहरे पर मुस्कराहट फैल गयी। उसने झुककर उस झुलते हुए लंड को अपने हाथ में लिया और झट से मुँह में भर लिया।

“इसका लंड बहुत लज़ीज़ है, कोमल।” उसने कोमल को हिम्मत देते हुए कहा।

इससे कोमल का यह डर कि वह उसके लड़के को काबू में ले लेगी शाँत हो गया।

कोमल ने भी देखा कि शाहीन सजल के लंड से जलपान कर रही थी। हालांकि वो इस दृश्य को देखना चाहती थी पर उसकी चूत में छाये तूफान पर उसका बस नहीं था।

“मुझे ज़रा मुड़ने दो सजल,” कह कर कोमल तेजी से घूम गयी जिससे उसका मुँह शाहीन की ओर हो गया। “अब मेरी चूत चाटो सजल।”

उसने अपना चेहरा नीचे झुकाया जिससे उसका सिर शाहीन के सिर से जा टकराया। कोमल भी उस लंड का स्वाद लेना चाहती थी। शाहीन ने भी दरियादिली दिखाई और अपने मुँह से उस चिपचिपाते लंड को निकालकर कोमल के मुँह की ओर कर दिया।

“इसका ज़ायका लो कोमल, तब तक मैं इन टट्टों का ज़ायका लेती हूँ।”

कोमल ने अपनी जीभ सजल के लंड के सुपाड़े पर फिराई और फिर धीरे से उसे अपने मुँह में भर लिया। इस समय उसे खाने और खिलाने का दोहरा मज़ा आ रहा था।

सजल उन दोनों सुंदरियों की जिव्हाओं के आघात से तड़प रहा था। उसकी तमन्ना पूरी हो गयी थी। पर उसका अपने ऊपर काबू खत्म हो गया था। कुछ ही मिनटों की चुसाई और चटाई से उसके लंड ने पिचकारी छोड़ दी।

कोमल ने अपने मुँह मे छुटते हुए रस को पीना शुरू कर दिया। शाहीन ने कोमल को हटाने के उद्देश्य से उसके मम्मों को पकड़कर धक्का सा दिया। पर कोमल इसका कुछ और ही अर्थ समझी।

“और जोर से भींचो इन्हें शाहीन! और तुम मुझे खाओ सजल।” यह कहते समय उसे भी शिखर प्राप्ति हो गयी।

शाहीन उन दोनों को झड़ते हुए बस देखती ही रह गयी। उसे यकीन था कि इंतज़ार का फल मीठा होगा पर उसको मम्मी-बेटे के प्यार की गहराई का अनुभव जरूर हो गया था।

जब कोमल झड़कर शाँत हुई तो शाहीन उसकी ओर देखकर बोली, “मैं तुम्हारे मम्मों को तुमसे पूछे बिना नहीं दबाना चाहती थी। शायद तुम्हे ये पसंद न आया हो।”

“कोई बात नहीं, शाहीन, मुझे वाकय अच्छा लगा था। मैं हमेशा अचरज करती थी कि दूसरी औरत के साथ यह सब करना कैसा लगेगा।” उसने शाहीन के तने हुए मम्मों पर आँखें जमाते हुए जवाब दिया।

“हम दोनों भी नमूने हैं, कोमल! कुछ देर पहले हम एक दूसरे की जान लेने पर आमादा थे और अब माशुका बनने की बात कर रहे हैं...” दोनों औरतें साथ-साथ हंसने लगीं।

“शायद मैं तुमसे इसीलिये दूर रहना चाहती थी... मुझे डर था कि मैं कहीं तुम्हारे साथ संबंध ना बना लूँ...” कोमल बोली।

सजल का लंड सामने के दृश्य को देखकर फिर से तनतना गया था। उसने अपने सामने नाचते हुई अपनी मम्मी की गाँड देखी तो वो उसके पीछे झुका और अपना दुखता हुआ लौड़ा अपनी मम्मी की चूत में पेलने लगा।

“नहीं सजल,” कोमल ने अपनी चूत से उसका लंड बाहर निकालते हुए कहा, “मैं तुम्हे शाहीन को चोदते हुए देखना चाहती हूँ... उसके पीछे जाओ और उसे चोदो... जाओ!”

सजल का लंड इस समय इतना अधिक दुख रहा था कि उसे इस बात से कतई मतलब नहीं था कि उन दोनों में से किसे उसके मोटे लंड का आनंद मिलेगा। उसने शाहीन के चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना लंबा लंड जड़ तक, एक ही धक्के में ठोक दिया। शाहीन की गिलियाई हुई चूत ने भी आसानी से पूरे मूसल को अपने अंदर समा लिया। हालांकि शाहीन अभी ही झड़ के निपटी थी, पर वो एक बार फिर तैयार थी।

“शुक्रिया, कोमल, जो तुमने मुझे इसे चोदने दिया... मुझे खुशी है कि अब तुम सारी बात को समझती हो... मैं इतनी अकेली थी, इतनी चुदासी... मुझे इसके लंड की सख्त जरूरत थी।”

कोमल की चूत में भी आग बदस्तूर लगी हुई थी। उसने अच्छे पड़ोसी का कर्तव्य तो निभा दिया था पर वो इंतज़ार कर रही थी कि सजल शाहीन को निपटाकर उसकी चूत की प्यास बुझाये। कुछ ही देर की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद सजल के झड़ने की बारी आखिर आ ही गयी।

“मैं झड़ रहा हूँ, मम्मी!” सजल चीखा और अपना रस शाहीन की चूत में भरना शुरू कर दिया।

कोमल अपने सामने का दृश्य देखकर ही झड़ गयी। शाहीन आखिर में झड़ी। मम्मी-बेटे के बीच में सैंडविच की तरह चुदने का आनंद अपरंपार था।

“मेरे साथ झड़ो, तुम दोनों! दोनों! सजल! कोमल! मैं तुम्हारी चूत के ज़ायके से प्यार करती हूँ... मैं तुम्हारी घनघोर चुदाई से भी प्यार करती हूँ, सजल! चोदो मुझे! चो...दो! मैं झड़ी रे! हाय रे! मैं मरी!”

जब सब शाँत हुए तो शाहीन को ऐसा महसूस हुआ जैसे कि वो भी सिंह परिवार का हिस्सा हो गयी हो।

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अध्याय - ९
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सुनील एक बड़ा खतरा उठाने के बारे में सोच रहा था। ये पागलपन था और ये उसे भी पता था, पर वो कुछ रोमाँचक करने के मूड में था। उसने अपना गोल्फ का खेल खत्म ही किया था और उसका ग्राहक मित्र राकेश उसे घर छोड़ने जा रहा था। उसने अगली सीट पर बैठे हुए अपने शरीर को मोड़ा जब उसने अपने लंड को खड़ा होते हुए महसूस किया। उसका लंड शाहीन को चोदने के ख्याल से सख्त हो रहा था। उस सुंदर चुदक्कड़ औरत को चोदने के बारे में सोचने के कारण आज उसका खेल बहुत बेकार रहा था। राकेश की गाड़ी से उतरकर सीधा शाहीन के घर घुसने में खतरा था और कोमल घर पर थी तो ये खतरा और भी बड़ जाता था। वो अपने खेल का सामान शाहीन के घर ले जायेगा और वहाँ से अपने घर चला जायेगा और ऐसे दिखायेगा जैसे वो खेल कर लौटा है। सुनील ने ये सोचते हुए अपने दुखते हुए लंड को एडजस्ट किया और शाहीन की रसीली चूत में डालने का इंतज़ार करने लगा।