घरेलू चुदाई समारोह

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“उरररर” कोमल गुर्रायी जब उसने कर्नल के मुँह से अपने लिये गालियाँ सुनीं। कोमल बड़े चाव से उसका लंड चूस रही थी और तरस रही थी कि कर्नल जी भर कर बेरहमी से जैसे चाहे उसका शरीर इस्तमाल करे। कोमल का मुँह बड़ी लालसा से उस विशाल लंड की लंबाई पर ऊपर-नीचे चल रहा था और कर्नल के टट्टों को उबलता हुआ लंड-रस छोड़ने के लिये तैयार कर रहा था।

“साली... लंड चूसने वाली कुत्तिया!” कर्नल दहाड़ा और अपने हाथ नीचे ले जा कर उसने कोमल की झुलती हुई चूचियाँ जकड़ लीं। “खा जा मुझे... चूस ले मेरे लंड का शोरबा... साली! कुत्तिया! साली! रांड! अभी मिलेगा तुझे मेरा लंड-रस! ओहह साली कुत्तिया! रांड! ये आया... मैं झड़ा!”

कर्नल इतने वेग से झड़ते हुए सोफ़े पर उछला कि कोमल के मुँह से उसका झड़ता लंड छूटते-छूटते बचा। कोमल भी उसके लंड का शोरबा पीने के लिये इतनी उतावली थी कि इतनी आसानी से उस मोटे लंड को अपने मुँह से बाहर छुटने नहीं दे सकती थी। उसने अपने होंठ उस फैलाते हुए लंड पर कस लिये और जोर से चूसते हुए अपने मुँह में बाढ़ की तरह प्रवाहित होते हुए स्वादिस्ष्ट वीर्य को निगलने लगी।

कर्नल सोफ़े पर अपनी बगल में गिर गया पर कोमल ने उसका लंड अपने होंठों से छोड़ा नहीं। उसके स्वादिष्ट वीर्य को अपने हलक में नीचे गटकते हुए कोमल और अधिक वीर्य छुड़ाने के प्रयास में कर्नल के टट्टों को भींचने लगी। “मुझे और दो कर्नल! रुको नहीं... मुझे और वीर्य चाहिये”, कोमल उसके लंड को सुपाड़े तक ऊपर चूसते हुए बोली और वीर्य की आखिरी बूँदें चूसती हुई चप-चप की तृष्णा भरी आवाज़ें निकालने लगी।

कर्नल को आखिर में उस प्रचंड औरत को अपने लंड से परे ढकेलना पड़ा। “झड़ने के बाद मेरा लंड काफी नाज़ुक हो जाता है कोमल... जी!” वो बोला।

“नहीं... ऐसे नहीं चलेगा”, कोमल फुफकारी क्योंकि उसकी भीगी चूत की प्यास तृप्ति की माँग कर रही थी। ये लंड मेरी चूत को चोदने के लिये जल्दी ही तैयार हो जाना चाहिये... पर तब तक तुम अपनी बड़ी अंगुलियाँ मेरी चूत में घुसेड़ो। कोमल ने कर्नल को सोफ़े पर एक तरफ खिसकाया ताकि वो खुद कर्नल की बगल में लेट सके। कोमल ने कर्नल का हाथ पकड़ कर अपनी जलती हुई चूत पर रख दिया। “डालो अपनी अंगुलियाँ मेरी चूत में... कर्नल!” कोमल पर व्हिस्की का नशा अब तक और भी चढ़ गया था और वोह वासना और नशे में लगभग चूर थी।

कर्नल मान की मोटी अंगुली जब कोमल की दहकती चूत को चीरती हुई अंदर घुसी तो कोमल को वो अंगुली किसी छोटे लंड की तरह महसूस हुई। कोमल ने उस अंगुली को अपनी चूत में चोदते हुए कर्नल का हाथ थाम लिया कि कहीं वो अपनी अंगुली बाहर न निकाल ले। “और अंदर तक घुसेड़ कर चोद मेरी चूत... चूतिये!”

जब इतने से कोमल को करार नहीं मिला तो वो अपने हाथ से भी अपनी क्लिट से खेलने लगी। कर्नल की अंगुली और अपने हाथ की दोहरी हरकत से जल्दी ही विस्फोट के कगार पर पहुँच गयी।

“ओह कर्नल... हरामी साले!” कोमल सिसकी जब उसकी चूत झटके खाने लगी। “मैं तेरे लंड के लिये रुकना चाहती थी... पर अब मैं खुद को झड़ने से नहीं रोक सकती! कस के ठूंस अपनी अंगुली मेरी चूत के अंदर... चोद मुझे अंगुली से... मैं... आयी... ईईईईंईंईं... मादरचोद! चोद मुझे उस अंगुली से... हाय... लंड जैसी लग रही है तेरी अंगुली... हरामी कुत्ते... मैं झड़ी रे... आंआंआंआंईईईईईई....!”

जब अपने शरीर में उठते विस्फोट से कोमल काँपने लगी तो उसकी चूत ने कर्नल की अंगुली जकड़ ली और कोमल कर्नल की बाँह पकड़ कर खींचने लगी। अपने दूसरे हाथ से कोमल पागलों की तरह जोर-जोर से अपनी क्लिट रगड़ रही थी। सोफ़े पर जोर से फ़ुदकती हुई कोमल की चूचियाँ भी जोर-जोर से काँपने लगी और कोमल एक धमाके के साथ झड़ गयी। “और अंदर.... घुसेड़ ऊंऊंऊंहहहहह....!”

कर्नल मान ने सोचा कि कुछ समय के लिये तो अब ये गरम गाँड वाली चुदक्कड़ औरत संतुष्ट हुई। लेकिन कर्नल गलत था। जैसे ही कोमल का झड़ना समाप्त हुआ उसी क्षण वो कर्नल के लंड की ओर लपकी। “इसे फिर से खड़ा कर न... प्यारे चोदू! तेरी अंगुली से तो मज़ा आया पर मुझे तेरे इस मूसल लंड से अपनी चूत चुदवानी है... खड़ा कर इसे... मादरचोद... खड़ा कर इसे!”

कर्नल का हलब्बी लंड कोमल की हर्कतों से जल्दी ही फ़ूल कर सख्त होने लगा। कोमल नशे में थी और बहुत ही बेरहमी से कर्नल के लंड पर अपनी मुठ्ठी चला रही थी। कोमल ने उसे इतना कस के अपनी अंगुलियों में तब तक जकड़े रखा जब तक ऐसा लगने लगा कि उसका फूला हुआ सुपाड़ा कसाव के कारण फट जायेगा। कर्नल के बड़े टट्टे भी कोमल की थिरकती जीभ के जवाब में सख्त हो कर झटकने लगे। “और सख्त... भोंसड़ी के... और सख्त! मुझे अपनी चूत में ये किसी बड़ी स्टील की रॉड की तरह लगना चाहिये।”

कोमल के निर्दयी हाथ कर्नल के लंड को उत्तेजना से जला और धड़का रहे थे जिससे कर्नल वेदना से हाँफने लगा। “बस ठीक है कोमल... अब ले ले इसे अपनी चूत में... मेरा लंड चोदने के लिये तैयार है।”

“हाँ... तैयार तो है...!” कोमल उत्तेजना में बोली और कर्नल के बदन पर छा गयी और अपनी टपकती चूत में उसके विशाल लंड को घुसेड़ने के लिये अपना हाथ नीचे ले गयी। कोमल ने उसके विशाल लंड को पकड़ा और उस पर बैठने के पहले रक्त से भरपूर सुपाड़े को अपनी चूत की फाँकों के बीच में रगड़ने लगी। “मुझे इस राक्षसी लंड पर बैठ कर चोदने में बहुत मज़ा आयेगा।”

“अब जल्दी से अंदर तो डालो!” कर्नल गुर्राया जब कोमल विलंब करने लगी। कर्नल का लंड उत्तेजना के मारे जल रहा था और उसके टट्टों में वीर्य का मंथन चल रहा था। उसके लंड के सुपाड़े पर कोमल की चूत के होंठों की छेड़छाड़ उसे पागल बना रही थी।

“जैसे एक असली मर्द किसी गर्म औरत से चुदाई के लिये कहता है... वैसे मुझसे बोल... मैं कोई तेरी स्टूडेंट नहीं हूँ... कर्नल... ये शालीन भाषा मेरे साथ मत बोल... तू मुझसे क्या चाहता है... मुझे ऐसे बता जैसे किसी रंडी से कहा जाता है... मुझसे सिर्फ अश्लील गंदी भाषा में बात कर...।”

कोमल ने खुद को महज इतना ही नीचे किया जिससे कि सिर्फ सुपाड़े का अग्र भाग ही उसकी चूत में प्रविष्ट हुआ। वोह कर्नल को तड़पाने के लिये इसी स्थिति में थोड़ी सी हिलती हुई उसके लंड पर दबाव डालने लगी।

“बैठ जा इस पर ... छिनाल! चल साली कुत्तिया... चोद मेरे लौड़े को! अब किस बात का इंतज़ार है...? मुझे पता है कि मुझसे ज्यादा तू तड़प रही है मेरा लौड़ा अपनी चूत में खाने के लिये... बैठ जा अब इस पर राँड...! चोद अपनी गीली चूत पुरी नीचे तक मेरे लंड की जड़ तक!”

“ये ले... साले हरामी...!” कोमल बोली और उस मोटे लंड को जकड़ने के लिये उसने अपनी चूत नीचे दबा दी। “हाय... कितना बड़ा और मोटा महसूस हो रहा है...! विशाल सख्त लौड़ा! अपना लंड मेरी चूत में ऊपर को ठाँस... चोदू! मुझे पूरा लंड दे दे... मैंने अपनी चूत में कभी कुछ भी इतना बड़ा नहीं लिया। ऐसा लग रहा है जैसे ये लौड़ा मेरी चूत को चीर रहा है...।”

कोमल सच ही बोल रही थी। ये अदभुत ठुँसायी जो इस समय उस की चूत में महसूस हो रही थी, इसकी कोमल ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उसे लग रहा था कि उसकी तंग चूत इतनी फैल जायेगी कि फिर पहले जैसी नहीं होगी। “मुझे पूरा चाहिये... बेरहमी से चोद मुझे कर्नल! मेरी चूत में ऊपर तक ठाँस दे... चीर दे मेरी चूत को... इसका भोंसड़ा बना दे।”

कर्नल को हैरानी हो रही थी कि इस उछलती और चिल्लाती औरत ने उसका पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया था। उसने पहले जितनी भी औरतों को चोदा था, कोई भी उसका लंड आधे से ज्यादा नहीं ले सकी थी। उसे खुशी थी कि आखिर उसे ऐसी औरत मिल गयी थी जिसने न सिर्फ़ उसका पूरा लंड अपनी चूत मे ले लिया था बल्कि और माँग कर रही थी। “चोद इसे... भारी चूचियों वाली राँड!” वो कोमल के झुलती चूचियों को मसलते हुए बोला।

“ओह! हाँ! वही तो मैं हूँ... दो-टके की राँड! चोद अपनी बड़ी चूचियों वाली राँड को अपने इस गधेड़े लंड से... ठूंस दे मेरी चूत अपने लंड से... बना दे मेरी चूत का भोंसड़ा”, कोमल बोली और जब उत्तेजना और जोश में उसका शरीर थरथराने लगा तो वो अपनी आँखें बंद कर के अपना सिर आगे-पीछे फेंकने लगी। अपनी दहकती चूत की दीवारों पर मोटे लौड़े का घर्षण महसूस करती हुई कोमल अपना हाथ नीचे ले जा कर अपनी सख्त हुई क्लिट रगड़ने लगी। कोमल को विश्वास हो गया था कि अगर भविष्य में उसे गधे या घोड़े से चुदवाने का मौका मिला तो वो छोड़ेगी नहीं क्योंकि कर्नल का लंड भी किसी गधे-घोड़े के लंड से कम नहीं था।

जब कर्नल ने कोमल की चूचियों को एक साथ मसला और उसके निप्पलों पर चुटकी काटी तो कोमल को चरम सीमा पर पहुँचने के लिये यही काफी था। उसका बदन ऊपर उठा जब तक कि सिर्फ सुपाड़ा ही उसकी तंग चूत में रह गया था। जब सनसनाती आग उसकी चूत में धधकने लगी तो कोमल उसी तरह एक लंबे क्षण के लिये स्थिर हो गयी। फिर जितनी जोर से हो सकता था, कोमल ने उतनी जोर से अपनी चूत उस भीमकाय लंड पर दबा दी और जब तक उसका परमानंद व्याप्त रहा तब तक बहुत जोर-जोर से अपनी चूत उस लंड पर ऊपर-नीचे उछालने लगी।

“लौड़ा...! गधे का चोदू लौड़ा!” कोमल चिल्लायी और फिर भक से झड़ गयी। कोमल की अँगुलियों ने उसकी भिनभिनाती क्लिट पर चिकोटी काटी। उसकी चूत उस मोटे लंड पर सिकुड़ गयी और उसके निप्पल कर्नल की चिकोटी काटती अंगुलियों में जलने लगे। “मुझे अपना वीर्य दे मादरचोद! इससे पहले कि मैं झड़ना बंद करूँ... अपना गाढ़ा वीर्य मेरी चूत में छोड़ दे... प्लीज़... छोड़ अपना वीर्य... अबबबबब... ऊँआआआआआआआहहहह आँआँआँ ओंओंओं....!”

“ये ले मेरा रस... छूट रहा है तेरी चूत में कुत्तिया.... साली मर्दखोर”, कोमल की दहकती चूत में अपने वीर्य की बाड़ बहाते हुए कर्नल गुर्राया।

“हाँ मेरे चोदू... हाँ..!” कोमल उछलती हुई बोली। कर्नल के लंड कि आखिरी बूँद अपनी भूखी चूत से निचोड़ कर सुखा देने के बाद तक कोमल का परमानंद बना रहा। जब वो कर्नल के ऊपर, आगे को गिरी तो कोमल ने अपनी जीभ कर्नल के मुँह में ठेल दी। उसे गर्व था कि उसने कर्नल को एक असली मर्द की तरह व्यवहार करने में मदद की थी और ये भी कि कर्नल ने अपने अदभुत लौड़े से उसकी चूत की सेवा की थी।

कर्नल मान कोमल के चूत्तड़ों को भींचता हुआ बोला, “अब तो तुम सजल को वापिस हमारे कॉलेज में भेजने के बारे में पुनः विचार करोगी...कोमल!”

कोमल ने हँसते हुए कर्नल के होंठों को फिर से चूम लिया। “नहीं! यह तय हो चुका है कि सजल इसी शहर में पढ़ेगा।” कर्नल की जीभ को चूसने के बाद कोमल फिर से बोली, “पर तुम जब चाहे मुझे चोदने के लिये आ सकते हो कर्नल!”

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अध्याय - ५
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शाहीन ने कोमल को तैयार होकर अपने घर से निकलते हुए देखा। इसका मतलब था कि सुनील अब अकेला था। सजल को जाते हुए वह पहले ही देख चुकी थी। शाहीन सात साल से कोमल की पड़ोसन थी। इन सालों में उसकी कोमल से दोस्ती न के बराबर हुई थी। न ही उसे इसकी कोई इच्छा थी। हाँ, पर वो सुनील को अच्छे से जानने को बेहद उत्सुक थी पर अभी तक सुनील ने उसे कभी लिफ़्ट नहीं दी थी। पर पिछले कुछ दिनों में आये बदलाव को वह महसूस कर रही थी और उसे लग रहा था कि उसकी इच्छा-पूर्ति का समय आ गया था। आज शनिवार था और सुनील धूप सेंकने के लिये बाहर आने ही वाला होगा। उसने अपने जिस्म और कपड़ों का मुआयना किया। उसने ब्रा नुमा छोटा सा ब्लाउज़, और हल्के नीले रंग की शिफॉन की साड़ी पहनी हुई थी और साथ ही काले रंग के बहुत ही ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए थे।

शाहीन का शौहर उसे चार साल पहले छोड़ कर चला गया था। और उसे दूसरा ऐसा कोई नहीं मिला था जिसको वो अपनाना चाहती - सुनील को छोड़कर। वो बेचैनी से सुनील का इंतज़ार करने लगी। जिन थोड़े मर्दों से उसने इन चार सालों में संबंध स्थापित किये थे वो बिल्कुल ही बकवास और बेदम निकले थे। उसे उम्मीद थी कि सुनील उसके मापदंड पर खरा उतरेगा।

जब उसने सुनील को बाहर निकलते देखा तो उसके दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं और चूत गरमाने लगी। उसकी चूचियाँ भी तन कर खड़ी हो गईं। शाहीन ने सुनील को थोड़ा समय दिया और फिर वो भी अपने आँगन में उतर गयी।

“हेलो, सुनील।”

“ओह हेलो शाहीन!” पर उसने खास ध्यान नहीं दिया।

शाहीन को बहुत तेज़ गुस्सा आया पर आज उसने अपने आप को समझाया।

“क्या तुम मेरी थोड़ी मदद करोगे, सुनील?”

“कहो, क्या करना है?”

“क्या तुम अंदर आओगे?”

इस बार सुनील ने उसे नज़र भर कर देखा। उसकी आँखें शाहीन के छोटे से ब्लाऊज़ में से झाँकती चुचियों पर कुछ देर रुकी भी।

जब सुनील अंदर आ गया तो शाहीन ने उससे पूछा, “सुनील क्या तुम मेरे साथ एक ठंडी बीयर पियोगे? अभी काम करने के लिये मौसम बहुत गर्म है... या तुम्हे डर है कि कोमल ने तुम्हें यहाँ देख लिया तो झमेला खड़ा कर देगी?”

“नहीं, वो तो खैर दिन भर नहीं आने वाली। पर...”

“पर क्या? फिर तो चिंता की कोई बात ही नहीं है।” यह कहते हुए शाहीन उसे अंदर खींच ले गयी। कुछ ही देर में दोनों ने तीन-तीन बोतल बीयर चढ़ा लीं थीं और सुनील काफ़ी खुल गया था। उसकी नज़र अब बार-बार शाहीन के ब्लाऊज़ से झाँकते सुडौल उरोजों पर ठहर रही थी। शाहीन को तो ऐसा लग रहा था कि वो उसी समय कपड़े उतारकर उस आकर्षक आदमी से चुदवाना शुरू कर दे। पर वो पहले माहौल बनाना चाहती थी और फिर अपने शयनकक्ष में चुदवाने का आनंद ही और था।

“मुझे माफ़ करना, पर क्या तुम मेरा एक और काम कर सकते हो, प्लीज़?” शाहीन ने अपना जाल फैंका।

“तुम बोलो तो सही।”

“मेरे बैडरूम का एक दराज़ खुलता नहीं है... उसमें मेरी कुछ जरूरी चीज़ें रखी है... क्या तुम...”

उसकी बात खत्म होने से पहले ही सुनील उठकर शयनकक्ष की ओर जाने लगा। “बिलकुल, अभी लो।”

“क्या सोचते हो, खुल पायेगा?”

“पता नहीं, यहाँ अंधेरा बहुत है, सारे पर्दे क्यों गिराये हुए हैं? कुछ दिखता ही नहीं?”

“तुम्हे जो करना है उसके लिये बहुत अच्छे से देखने की जरूरत नहीं है, सुनील!” शाहीन ने हल्के से अपने ब्लाऊज़ का बटन खोलते हुए कहा। इससे पहले कि उस बेचारे आदमी को अपने आप को संभालने का मौका मिलता, उसकी आँखों के सामने कुदरत के दो करिश्मे दीदार हो गये। शाहीन ने अपना ब्लाऊज़ उतार फैंका और अपने सीने को सामने किया और तान दिया। सुनील के तो छक्के ही छूट गए।

“अब मुझे छोड़कर भागना नहीं, सुनील! जब से ज़ाकीर मुझे छोड़कर गया है मैं प्यासी हूँ... मुझे एक मर्द चाहिये... मैनें कई मर्दों के साथ ताल्लुकात बनाये पर कोई मुझे मुतमाईन नहीं कर पाया... मुझे तुम्हारी बेहद जरूरत है सुनील... मैं जानती हूँ कि तुम एक अच्छे चुदक्कड़ हो... मेरा मन कहता है कि तुम मेरी प्यास मिटा सकोगे... तुम्हे भी मेरी जरूरत है... कोमल तुम्हारा ध्यान जो नहीं रखती...” यह कहते हुए शाहीन ने अपने रहे-सहे कपड़े भी उतार फैंके। शाहीन अब सिर्फ़ ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी खड़ी थी और उसे उम्मीद थी की उसकी जवान नंगी काया को देखने के बाद सुनील का संयम टूट जायेगा।

सुनील तो जैसे सकते में था। वह उस शानदार नंगे बदन पर से अपनी आँखें नहीं हटा पा रहा था। उसकी चूत पर गिनती के बाल थे जिससे कि वह दूर से ही चमचमा रही थी।

“अगर मैंने तुम्हारे साथ कुछ किया तो कोमल मुझे मार डालेगी... यह तुम भी भली-भांति जानती हो। तुम दोनों की वैसे भी पटती नहीं है।”

“मुझे कोमल से दोस्ती करने का कोई शौक नहीं है न ही ऐसी कोई इरादा है... मैं तो सिर्फ़ तुमसे दोस्ती करना चाहती हूँ... दोस्ती से कुछ ज्यादा...” यह कहते हुए शाहीन आगे बढ़ी और सुनील की पैंट के बाहर से उसके लंड को मुट्ठी में लेने की कोशिश की। “अब बेकार में वक्त मत बर्बाद करो सुनील... मैं तुम्हारी हूँ... अगर तुम मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ आज ही चोदना चाहते हो और फिर कभी नहीं तो मुझे यह भी मंज़ूर है... मैं वादा करती हूँ कि कोमल को कभी पता नहीं चलेगा... आओ, मैं बहुत गर्म हूँ, मेरी चूत तो ऐसे जल रही है जैसे उसमें आग लगी हो...”

अपनी बात सिद्ध करने के लिये शाहीन ने सुनील का हाथ पकड़कर अपनी लपलपाती चूत पर रख दिया। “तुम अपने आप देख लो कि तुमने मुझे कितना गरमाया हुआ है... तुम मुझे ऐसे छोड़कर तो जाओगे नहीं... है न सुनील? तुम नहीं चाहोगे कि मैं तुम्हारे होते हुए किसी ठंडे वाइब्रेटर का सहारा लूँ।”

सुनील ने अपने हाथ को हटाने की कोई कोशिश नहीं की। कुछ सोचे बिना उसकी एक उंगली शाहीन की चूत में धीरे से जा समाई।

“तुम वाकय बहुत गर्मी में हो,” कहते हुए सुनील ने अपनी उंगली को थोड़ा और अंदर घुसाया और अपनी एक बाँह शाहीन की कमर में डाल दी।

शाहीन ने झुकते हुए सुनील के पैंट की ज़िप खोल दी, “देखूँ सुनील तुम्हारे पास मेरे लिये क्या है... देखूँ तो तुम्हारा लंड कितना बड़ा है।”

“ठीक है, जान अगर तुम्हें इतनी बेसब्री है तो मैं भी तुम्हे तब तक चोदुँगा जब तक तुम मुझे रुकने के लिये मिन्नतें नहीं करोगी... मैनें तुम्हें कई बार आंगन में अधनंगी फुदकते हुए देखा है... अगर मुझे कोमल की फ़िक्र न होती तो मैं कब का तुम्हे चख चुका होता... पर अब मैं नहीं रुकुँगा।”

“मैं भी यही चाहती हूँ कि रुकने के लिये मुझे मिन्नतें करनी पड़ें... पर मैं तुम्हे बता दूँ कि ये इतना आसान नहीं होगा... एक बार तुमने मेरी चूत और गाँड का स्वाद चख लिया तो इसके दीवाने हो जाओगे... इनके बिना फिर जी नहीं पाओगे।”

जैसे ही सुनील ने अपने कपड़े उतारना समाप्त किया शाहीन ने अपने घुटनों के बल बैठते हुए उसका लंड अपने हाथ में लेकर झुलाना शुरू कर दिया। “मैं तुम्हे बता नहीं सकती कि कितनी बार ख्वाबों में मैनें यह लंड चूसा है।” शाहीन ने हसरत भरी निगाहों से उस शक्तिशाली लौड़े को देखते हुए कहा।

“चूसो इसे शाहीन, आज तुम्हारा सपना साकार हो गया है।”

शाहीन को तो जैसे मलाई खाने का लाइसेंस मिल गया। उसने लपक कर सुनील का लंड अपने मुँह में भर लिया। उसके नथुनों में लंड की महक समा गयी। “हूँउंउंह, और”

“पता नहीं मैं इस मौके को इतने सालों तक क्यों छोड़ता आया।”

“क्योंकि तुम बेवकूफ थे, पर अब तुम होशियार हो गये हो... अब तुम्हे पता है कि तुम्हारे पड़ोस में हलवाई की ऐसी दुकान है जो मुफ़्त में जब चाहो मिठाई खिलाने को तैयार है”

“चूसो मुझे शाहीन, चूसो और मेरे रस को पी जाओ” कहते हुए सुनील ने अपना लंड शाहीन के छोटे से मुँह में जड़ तक पेल दिया और धकाधक अंदर-बाहर करने लगा - ऐसे जैसे कि वो मुँह नहीं चूत हो।

शाहीन की वर्षों की इच्छा थी कि वो सुनील के लंड का रस जी भर कर पिये और अब जब वह मौका उसके हाथ में था तो उसे लग रहा था कि वो खुशी से बेहोश न हो जाये। उसे लंड के फूलने से यह तो पता लग गया कि उसको थोड़ी ही देर में अपना पेट भरने को माल मिलने वाला है।

“शाहीन, शाहीन, शाहीन!” सुनील ने दोहराया और फ़िर उसने शाहीन का मुँह अपने रस से भर दिया। “पी अब, बड़ी प्यासी थी न तू... अब जी भर कर पी... और ले! और।”

शाहीन ने भी बिना साँस रोके, पूरा का पूरा वीर्य पी लिया। “खाली कर दो अपने टट्टों का पानी मेरे मुँह में।”

जब शाहीन ने दिल और पेट भर लिया तो उसने सुनील का हाथ पकड़ा और बिस्तर की ओर ले गयी और उसे बिस्तर पर गिरा दिया। फिर उसने अपनी गर्मागर्म पनियाई हुई चूत को सुनील के मुँह पर रख दिया। उसे तब ज्यादा खुशी हुई जब बिना बोले ही सुनील ने अपनी जीभ को उसकी चूत के संकरे रास्ते से अंदर डाल दिया और लपलपा कर चूसने लगा।

“चोद मुझे अपने मुँह से” शाहीन ने अपने बड़े मम्मों को अपने हाथों से मसलते हुए और सुनील के मुँह पर अपनी चूत को ज़ोर से रगड़ते हुए चीख मारी।

सुनील को चूत चूसने से कोई परहेज़ नहीं था। कोमल की चूत तो वो सालों से चूस ही रहा था, पर उसने और भी कई घाटों का पानी पिया था। उसे इस बात का बड़ा अचरज था कि हरेक का स्वाद अलग रहा था। कोमल की चूत शाहीन से ज्यादा मीठी थी, पर पानी शाहीन ज्यादा छोड़ रही थी।

“मेरी गाँड भी चाटो!” शाहीन फिर चीखी और उसने अपने शरीर को थोड़ा सा आगे सरकाया जिससे कि सुनील को आसानी हो। “हाँ ऐसे ही, तुम वाकय हर काम सही तरीके से करते हो।”

जब सुनील अपने काम मे व्यस्त था, शाहीन ने अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया। एक बार पहले वह इस तरह से झड़ी थी और आज तक उसे वह दिन याद था। उसे उम्मीद थी कि सुनील अपना मुँह उसकी गाँड पर से हटायेगा नहीं।

“रुकना नहीं सुनील! अपनी जीभ मेरी गाँड के अंदर डालने की कोशिश करो... मुझे एक बार यूँ ही झड़ाओ... मुझे यह बहुत अच्छा लगता है... मैं भी तुम्हारे साथ ऐसा ही करुँगी बाद में।”

और जब सुनील की जीभ उसकी गाँड में गयी तो शाहीन तो बेकाबू हो गयी। उसने अपनी चूत को बेहताशा नोचना शुरू कर दिया। “हाय अल्लाह... मैं झड़ी रे! खा जा मेरी गाँड! तू क्या चुदक्कड़ है रे! वाह! झड़ गयी रे! कितने दिन हो गये, न जाने कितने इस तरह झड़े हुए... तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया सुनील।”

जब उसका शरीर काबू में आया तो शाहीन ने नीचे उतर कर सुनील का एक गहरा चुम्बन लिया।

“मैं फिर आऊँगा, पर कोमल को इस बारे में पता नहीं चलना चाहिये।”

शाहीन ने अपना मुँह फिर से सुनील के लंड की ओर बढ़ाया,”मुझे खुशी है कि तुम मुझे फिर से चोदने के लिये आओगे... पर हम अभी पूरी तरह से फ़ारिग कहाँ हुए हैं? अभी तो मुझे यह जानदार लौड़े को अपनी चूत में अंदर डलवाना है...” यह कहते हुए सुनील का लंड शाहीन ने वापस अपने मुँह मे डाल लिया।

“यह क्या कर रही हो?” सुनील ने पूछा।

“तुम्हारे लौड़े को वापस से सख्त कर रही हूँ... ज़रा सोचो, इसके बाद मैं तुम्हें अपने इस सनम को अपनी चूत में घुसाने दुँगी... पर मुझे पहले इस कड़ा करना है... क्योंकि उसके बाद ही मुझे उस तरह से चोद सकोगे जैसा कि मैं इतने सालों से चाहती हूँ... बोलो मुझे जबरदस्त तरीके से चोदोगे न मुझे!”

शाहीन को लगभग बीस सेकंड लगे सुनील के लौड़े को अपने लिये तैयार करने में। उसके बाद सुनील ने उसके कंधों को जोर से पकड़ा और उसे उसकी कमर के बल लिटा दिया। शाहीन के हाथ ने उसके लंड को अपने हाथ में लिया और उसका मोटा सुपाड़ा अपनी सुलगती हुई चूत के मुंहाने पर लगा दिया।

“अब मुझे और इंतज़ार न कराओ...” उसने आंख बंद करते हुए कहा।

“हुरर्र!” सुनील ने एक ही धक्के में अपना पूरा का पूरा लौड़ा शाहीन की चूत में पेल दिया। जिस भीषण गर्मी ने उसके लंड का स्वागत किया वह अभूतपूर्व थी। इस जोरदार धक्के से वह खुद भी शाहीन पर जा गिरा और उसका बलिष्ठ सीना शाहीन के विशालकाय स्तनों को दबाने लगा।

लंड से भरी हुई शाहीन ने आँखें खोलीं, “मैं जानती थी, मैं जानती थी कि तुम्हारा लंड मेरे अंदर तक खलबली मचा देगा... मैं जानती थी!”

उसके बाद तो शाहीन को रोकना ही असंभव हो गया। उसने अपनी गाँड उचका-उचका कर जो चुदवाना चालू किया तो सुनील की तो आँखें ही चौधिया गईं। उसने भी दनादन अपने लौड़े से पूरे जोर के साथ लम्बे-लम्बे गहरे गहरे धक्के लगाने शुरू कर दिये। शाहीन भी उसे और जोर और गहराई से चोदने के लिये प्रोत्साहित कर रही थी।

सुनील को आश्चर्य था कि इतनी संकरी चूत में यह महाचुदक्कड़ औरत कितना लौड़ा खा सकती थी। वो जितना जोर से पेलता वह उतना ही ज्यादा की माँग करती थी। उसकी प्यासी चूत उसके लंड को केले के छिलके की तरह पकड़े हुए थी। जब उसका लंड अंदर की तरफ जाता था तो उसे ऐसा लगता था जैसे वह भट्टी उसके लंड को ही छील देगी।

शाहीन ने अपनी जीभ सुनील के मुँह में डाल दी। “मुझे और जोर से चोदो... मेरे मुँह को भी अपनी जीभ से चोदो।”

सुनील ने उसका मुँह और चूत दोनों को तन-मन से चोदना चालू रखा। जब दोनों एक साथ झड़े तो जैसे तूफ़ान आ गया। शाहीन तो जैसे उस भारी लंड को छोड़ने को ही राज़ी नहीं थी। न वो रुकी न सुनील और दोनों का ज्वालामुखी फट गया।

“हाय मेरे महबूब, फाड़ दे मेरी चूत को... मैं झड़ रही हूँ मेरे यार... ओ मेरे खुदा देख मेरा क्या हाल कर दिया इस पडोसनचोद ने। हाय रे, मैं मरी रे।!” उसके शरीर का कौन सा अंग क्या क्रिया कर रहा था इस बात से वो बिलकुल अनभिज्ञ हो चुकी थी।

जब वह थोड़ी ठंडी हुई तो शाहीन ने सबसे पहले सुनील का लंड अपने मुँह से साफ़ किया।

“क्या तुम उस दराज को आज ठीक करोगे?” उसने मज़ाक किया।

सुनील उसकी बात समझ न पाया और बोला, “नहीं आज नहीं, मैं कल आकर ठीक कर दुँगा... कल कोमल दिन भर घर में नहीं होगी और इसमें काफी समय लग सकता है।”

“मैं यहीं रहुँगी” शाहीन मुस्करायी। उसे पता था कि कल सुनील कौन सी दराज को ठीक करने आयेगा।