घरेलू चुदाई समारोह

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“मैं भी शादीशुदा हूँ, कोमल। मैं अधिकतर अपनी पत्नी के साथ दगा नहीं करता, पर तुम इतनी सुंदर हो कि मैं....” वो कहते हुए रुक गया।

कोमल को भी आश्चर्य हुआ जब उसने अपने आप को यह कहते हुए सुना, “क्या तुम यह कहना चाहते हो कि तुम मेरे साथ हमबिस्तर होना चाहते हो?” शायद यह उस शराब का ही असर था जो उसने इतनी बड़ी बात इतनी आसानी से कह दी थी।

“हाँ...” प्रेम फुसफुसाकर बोला।

“तो आगे बढ़ो न ...” वो भी वापस फुसफुसाई।

जब प्रेम की बलिष्ठ बाहों ने उसे घेरा तो उसे लगा कि वो बेहोश हो जायेगी। अपने पति से विश्वास्घात करने के रोमाँच ने उसकी ग्लानि को दबा दिया था। जब प्रेम ने उसके शरीर को बिस्तर पे बिछाया तो वो उससे चिपक गयी। प्रेम ने एक प्रगाढ़ चुम्बन की शुरुआत की।

“मेरी गर्दन को चूमो और काटो” कोमल बोली, “हाँ...हाँ प्रेम ऐसे ही, और जोर से।”

जब प्रेम ने उसके वस्त्रों के पीछे लगे ज़िप को खोलने की चेष्टा की तो कोमल बोली, “जल्दी मुझे नंगा करो प्रेम... मैं तुमसे अपने मम्मों को कटवाना चाहती हूँ... उन्हें भी उसी तरह काटो जैसे तुमने मेरी गर्दन को काटा था।”

प्रेम ने रिकॉर्ड समय में उसकी यह हसरत पूरी कर दी। कोमल ने अपने शरीर को बिस्तर पर ठीक से व्यवस्थित किया।

“वाह, क्या शानदार गोलाइयाँ हैं...” प्रेम ने उसकी नंगी चूचियों को देखकर कहा।

“बातें मत करो, मेरी चुचियों को चबाओ।” कोमल ने प्रेम का चेहरा अपने स्तनों की ओर खींचते हुए कहा। हालांकि उसे तारीफ़ अच्छी लगी थी पर उसका संयम चूक सा गया था।

प्रेम ने वही किया। कोमल की चूचियाँ पहाड़ सी खड़ी थीं। “काटो, मुझे यह बहुत अच्छा लगता है... चूसो, काटो... तुम मुझे तकलीफ़ नहीं दे रहे हो। तुम जितनी जोर से चाहो चूस और काट सकते हो।”

“रुको कोमल, तुमने मुझे उन्हें जी भर कर देखने ही नहीं दिया” अपना मुँह हटाते हुए प्रेम ने कहा और उन हसीन पहाड़ियों का अवलोकन करने लगा।

“मैं तुम्हे बाद में जी भर कर दिखा दुँगी... अभी तुम उन्हे चूसो बस!” कोमल ने उसे वापस अपनी ओर खींचा।

“यह कितने कड़क हैं!” उसने उनको अपनी मुट्ठी में लेकर मसलते हुए कहा।

“जोर से!” कोमल फुसफुसाई।

“तुम्हें आदमी की जोर-जबर्दस्ती पसंद है... है न?” उसने उन मम्मों को जोर जोर से भींचना और मसलना शुरू कर दिया।

“हाँ प्रेम, मेरे साथ इसी तरह पेश आओ, जैसे कि मेरा पति नहीं करता...” उसे यह कहने में कोई संकोच नहीं हुआ। आखिर वो प्रेम से दोबारा तो कभी मिलने से रही।

“तुम्हें देखकर कोई यह नहीं मान सकता कि इतनी उच्च-स्तरीय दिखने वाली औरत ऐसी चुदक्कड़ होगी।”

“यह सच है प्रेम, इतने सालों में मैं अपने पति को उस तरह से चोदने के लिये नहीं मना पायी जैसा कि मुझे पसंद है... तुम तो उसी तरह करोगे जैसा कि मुझे पसंद है... है न प्रेम? मैं तुम्हारे लिये कुछ भी करुँगी... तुम्हारा लंड चूसुँगी और उसका रस भी पियुँगी।”

प्रेम वापस कोमल के मम्मे चूसने लगा। कोमल ने उसकी चड्डी उतार दी। वो उसका लंड चूसना चाहती थी। प्रेम का लंड मुक्त हो गया।

“मुझे खुशी है कि यह काफ़ी बड़ा है।” वो शायद सुनील के लंड से बड़ा और थोड़ा मोटा भी था। “मुझे अपनी चूत में मोटे बड़े लंड ही पसंद हैं।”

“इसे पूरा उतार दो और फ़िर देखो यह तुम्हारे अंदर कैसा लगेगा।” प्रेम ने कोमल के रहे-सहे वस्त्र उतारते हुए कहा। कोमल अब पूरी तरह नंगी थी। सिर्फ उसके पैरों में ऊँची ऐड़ी के सैंडल बंधे हुए थे।

प्रेम ने जब कोमल की चमचमाती चिकनी चूत देखी तो उससे रहा नहीं गया और उसने अपना मुँह कोमल की चूत में घुसेड़ दिया। वो उस अमृत का पान करना चाहता था।

“नहीं प्रेम, मैं तुमसे अपनी चूत अभी नहीं चटवाना चाहती... पहले मैं तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ... पहले मेरे मुँह को वैसे ही चोदो जैसे तुम मेरी चूत को चोदोगे।”

प्रेम ने एक सैकंड की भी देर किये बिना अपना लंड कोमल के हसीन चेहरे के आगे झुला दिया। “मेरे लंड को अपने मुँह में डालो...” उसने कहा।

“ऊंहहहहहफ़!” जब प्रेम ने सारा लंड उसके मुँह मे पेल दिया तो कोमल के मुँह भर गया। लंड का मुँह उसके गले तक पहुँच रहा था। प्रेम ने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया। कोमल के गाल फ़ूलने-पिचकने लगे। प्रेम ने जब अपने नीचे हो रहे दृश्य को देखा तो उसका तन्नाया हुआ लंड और सख्त हो गया। उसे लगा कि वो झड़ने वाला है।

“हाँ बेबी, पी जाओ” उसने अपना रस कोमल के फ़ूले हुए मुँह में छोड़ते हुए कहा।

कोमल को इस बात से कोई परेशनी नहीं हुई कि प्रेम इतनी जल्दी स्वाहा हो गया। वो तो अमृतपान में व्यस्त थी। और उसे विश्वास था कि वो प्रेम को जल्द ही फ़िर से सम्भोग के लिये तैयार कर लेगी।

“पिला दो मुझे अपना रस,” जब प्रेम के रस की पिचकारी ने पहला विश्राम लिया तो कोमल अपना मुँह खोलकर बोली। कोमल को लंड चूसना इतना अच्छा लग रहा था कि वो उसे छोड़कर राजी नहीं थी। उसने जब तक उसे पूरी तरह सुखा नहीं दिया, छोड़ा नहीं।

प्रेम थक कर बिस्तर पर लेट गया। “अभी मैं और नहीं कर सकता, मैनें बहुत औरतें देखीं, पर तुमसी ....!”

कोमल मुस्करायी और उसके ऊपर आ लेटी। “रंडी,” वो बोली, “अगर तुम मुझे रंडी कहोगे तो मैं बुरा नहीं मानुँगी। बल्कि शायद मुझे अच्छा ही लगे। मैं चाहती थी कि आज तुम मुझे एक रंडी की तरह ही चोदो। आज मैं वैसे ही चुदी जैसे सालों से चाहती थी। मेरे पति एक बहुत अच्छे आदमी हैं, इसलिये कभी इस तरह पेश नहीं आते।”

“मै समझ सकता हूँ जो तुम कहना चाहती हो... मेरी पत्नी भी सैक्स के प्रति बहुत सीधी है... तुम्हें विश्वास नहीं होगा मैनें आज तक उसके मुँह में अपना लंड नहीं डाला है।”

“तो आज की रात हम एक दूसरे की सहायता करेंगे” कोमल ने प्रेम को चूमते हुए कहा। “और ऐसा क्या है जो तुम तो चाहते हो पर वो नहीं करने देती? तुम चाहो तो मेरे मम्मों की भी चुदाई कर सकते हो। वाह देखो, यह फ़िर से मेरे लिये खड़ा होने लगा है!”

कोमल ने अपनी विशाल गोलाइयों को उसपर झुकाते हुए अपने हाथों से उन्हें दबाया। “तुम चाहो तो मेरे मम्मों को चोद सकते हो।”

“मेरी पत्नी तो मुझे कभी ऐसा न करने दे!” प्रेम ने अपने लंड को कोमल की चूचियों के बीच में चलाना शुरू कर दिया।

“चोदो मेरे मम्मों को!” न जाने क्यों वो इस आदमी के साथ वो सब करना चाहती थी जो उसकी पत्नी उसे नहीं करने देती थी। हे भगवान, यह कितना गर्म लग रहा है यहाँ पर... सुनील ने कभी ऐसा नहीं किया था और वो यह न जाने कब से करने को बेताब थी। सुनील को हमेशा यह डर रहता था कि कोमल को कहीं इससे तकलीफ़ न हो। काश उसे पता होता! इसी कारण से और भी कुछ था जो सुनील ने कभी नहीं किया था।

“क्या तुमने कभी अपनी बीवी की गाँड मारी है?” कोमल ने अपने मम्मों को प्रेम के लंड पर और जोर से दबाते हुए पूछा।

“अगर मैं उससे पूछुँगा भी तो वो मर जायेगी। क्या तुम यह कहना चाहती हो कि तुम मुझसे अपनी गाँड भी मरवाना चाहती हो?”

इसके जवाब में कोमल ने अपने शरीर को इस तरह मोड़ा की उसका पिछवाड़ा प्रेम के मुँह की तरफ़ हो गया। “मेरी गाँड मारो, अपने इस मूसल से मेरी गाँड की धज्जियाँ उड़ा दो!” कोमल ने जवाब दिया।

प्रेम कोमल के पीछे गया और उसने कोमल के पिछवाड़े को पकड़कर उसके इंतज़ार करते हुए छेद पर एक नज़र डाली। वो इस दृश्य का भरपूर आनंद उठाना चाहता था।

“जल्दी करो! मुझे इस बात की बिलकुल परवाह नहीं कि मुझे दर्द होगा।” कोमल ने मिन्नत की। उसने अपने हाथ पीछे करते हुए अपने कद्दू से पुट्टों को फ़ैलाया जिससे कि उसका गाँड का छेद प्रेम के लिये और खुल गया। अब कोई शक नहीं था कि वह मूसल सा लौड़ा किस रास्ते को पावन करेगा।

प्रेम का लौड़ा अपने मदन रस से गीला था, उसे किसी और चिकनाहट की आवश्यकता नहीं थी। उसने अपने लंड का सुपाड़ा गाँड के मुंहाने रखा और धुंआधार धक्का मारा।

“अरे मरी रे! इसमें तो बहुत दर्द होता है।” जैसे ही प्रेम के सुपाड़े ने गाँड को छेदा तो कोमल चीख उठी। उसके शरीर में एक तीव्र वेदना उठी। एक मिनट के लिये तो उसकी साँस ही बंद हो गयी और गाँड - उसके दर्द की तो कोई इंतहा ही नहीं थी। जब वो थोड़ा सम्भली तो बोली, “ओके प्रेम अब पूरा पेल दो अपना लंड मेरी गाँड में!”

“क्या इसमें बहुत दर्द होता है?” प्रेम ने पूछा। उसने नीचे देखा पर समझ नहीं पाया कि उसका पूरा लंड इतनी सम्करी गली में कैसे घुस पाया था।

“और नहीं तो क्या, जान निकल जाती है!” कोमल अभी भी तकलीफ़ में थी। “पर मुझे परवाह नहीं, तुम जितनी जल्दी इसकी चुदाई शुरू करो उतना ही अच्छा है... मैं जल्द ही आदी हो जाऊँगी!” उसने अपनी गाँड को पीछे धक्का दिया जिससे कि लंड थोड़ा और अंदर जाये।

प्रेम ने धीरे से आगे की ओर धक्का दिया। उसे अभी भी यह चिंता थी कि कहीं कोमल को चोट न पहुँचे। उसका लंड इतनी जोर से फ़ंसा हुआ था जितना आज तक कभी नहीं हुआ था। हालांकि उसे इस बात की फ़िक्र थी कि कोमल की गाँड को कोई नुकसान न हो पर अब उसे यह भी ख्याल आ रहा था कि ऐसा न हो कि इस आक्रमण में उसका लंड ही शहीद हो जाये। उसका जैसे जैसे लंड अंदर समा रहा था उसे अपनी रक्त-धमनियों पर दबाव बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था।

“मुझे ऐसा लग रहा है जैसे तुम मुझे दो टुकड़ों में चीर रहे हो...” कोमल ने अपना मुँह तकिये में गढ़ाकर गहरी साँस लेते हुए कहा। आखिर यह पहला लंड था जिसने उसकी मखमली गाँड को चीरा था। “पर तुम ऐसे ही लगे रहो प्रेम, जब तक कि तुम्हारा लंड जड़ तक नहीं समा जाता।”

प्रेम ने ऐसा ही किया। उसने देर न करते हुए एक जोरदार शानदार धक्का मारा और अपने लौड़े को कोमल की गाँड में जड़ तक पेल दिया। फ़िर वो कुछ देर साँस लेने के लिये ठहरा। गाँड की माँसपेशियों का दबाव और स्पम्दन वो महसूस कर पा रहा था। एक पल तो उसे लगा कि वो तभी वहीं झड़ जायेगा।

“फ़िर से डालो, प्रेम” कोमल ने विनती की।

जब प्रेम थोड़ा संभला तो उसने अपना लंड बाहर खींचा और फ़िर दुगने जोश से वापस ठोक मारा। कोमल की स्वीकृती पाकर उसने ऐसा ही एक बार और किया, फ़िर और, फ़िर और....

“यही तरीका है! इसमें तकलीफ़ जरूर होती है, पर अब थोड़ी कम है। मुझे यह बेहद पसंद आ रहा है। मुझे पता था कि मुझे गांड-पिलाई पसंद आयेगी।”

कोमल को उसके गंतव्य तक शीघ्र पहुँचाने के लिये प्रेम ने अपना हाथ बढ़ाकर कोमल की चूत को ढूँढा और अपनी एक उंगली उस बहती हुई नदी के उद्गम में डाल दी।

कोमल के लिये अब यह बता पाना कि क्या पीड़ा थी और क्या आनंद मुश्किल हो चला था। उसकी चूत और गाँड दोनों में चल रहे आनंद को वो बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। दोनों यही संकेत दे रहे थे कि अब बांध ढहने को है। “प्रेम और जोर से! तेज़ और तेज़! मार लो मेरी गाँड, अपने रस से मेरी गाँड भर दो!”

प्रेम भी यही सुनना चाहता था। “ए बेबी तुम तो मेरा लंड ही छील डालोगी...” वो चिल्लाया। कोमल की गाँड ने उसके लंड पर जकड़ बढ़ा दी थी। इस कारण वह ठीक तरह से झड़ भी नहीं पा रहा था। इसी कारण उसे अपना लंड खाली करने में काफी देर लगी।

कोमल और भी बहुत देर तक मैदान में टिकी रहती पर प्रेम अब थक चुका था। यह देख कोमल तकिये पर सहारा लेकर लेट गयी। वो सोच रही थी कि आज उसने सच में एक आदमी से अपनी गाँड मरवा ही ली थी।

आज उसने दो काम ज़िंदगी में पहली बार किये थे। अपने पति से दगा और गाँड मराई।

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अध्याय - ३
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दूसरे दिन कोमल सजल को लेने उसके कॉलेज गयी। उसकी चूत कल की चुदाई को अभी भुला नहीं पायी थी और अभी तक रुक-रुक कर अपनी खुशी ज़ाहिर कर रही थी। प्रेम ने जब उसके घर का पता और फ़ोन नंबर माँगा तो उसने उसे मना कर दिया था। एक अजनबी के साथ एक ही रात काफ़ी थी। उसे वो रात सुनील के साथ बेइमानी करने के कारण हमेशा याद रहनी थी। इतना ही काफ़ी था।

कोमल खुश थी क्योंकि उसने सुबह ही कर्नल मान से बात की थी और सजल को अपने साथ होटल में रात बिताने की आज्ञा ले ली थी।

“मेरी गाड़ी खराब है और उसे ठीक करने में पूरा दिन लग जायेगा। मैं शाम को वापस घर के लिये नहीं निकलना चाहती। मैं बहुत आभारी रहुँगी अगर आप अपने नियम में ढील देकर सजल को मेरे साथ रहने की आज्ञा दे दें। मैं वादा करती हूँ मैं किसी और के माता-पापा को इसके बारे में नहीं बताऊँगी।” कोमल ने बड़ी सफ़ाई के साथ झूठ बोला था।

अपने पूरी मिठास और आकर्षण का इस्तेमाल करते हुए वो बड़ी मुश्किल से उस अड़ियल कर्नल को मना पई थी। उसे महसूस हुआ कि शायद कर्नल भी आकर उसे होटल में चोदना चाहता है। इससे कोमल को बहुत प्रसन्नता हुई। शायद इसी बात से कर्नल की स्वीकृती मिल गयी थी। उसने मन में विचार किया कि एक दिन वो इस हट्टे-कट्टे कर्नल को भी चुदाई के लिये फुसलायेगी। वो यह भी सोच रही थी कि क्या अपने बेटे के साथ होटल के एक ही कमरे में अकेले रात बिताना ठीक होगा। उसने अपने मन को मनाया कि ज़रूरी तो नहीं कि कुछ हो ही।

हालांकि वो अपने आप को समझा रही थी पर उसे पूरा विश्वास नहीं था। कुछ दिनों से वह सजल को मात्र एक माँ की दृष्टि से नहीं देख रही थी बल्कि... सजल से चुदवाने के ख्याल से ही उसकी चूत ने पानी के फ़ुहारे छोड़ने शुरू कर दिये। इस भावना के आगे वो अपने आप को कमजोर पा रही थी।

“आप सच कह रही हैं कि कर्नल मान ने रात बाहर रहने की आज्ञा दी है?” सजल ने पूछा।

“अब तुम इस बारे में चिंता नहीं करो। मुझे तुम्हे सुबह जल्दी यहाँ पहुँचाना है... इसलिये अभी जल्दी करो।”

“हम कहाँ जा रहे हैं?” सजल ने पूछा।

“यहाँ एक अच्छी पिक्चर चल रही है, उसे देखकर किसी बढ़िया से रेस्तरां में खाना खायेंगे और फ़िर होटल चलेंगे। क्या तुमने अपने तैरने के वस्त्र साथ लिये हैं?”

जब सजल ने हामी भरी तो कोमल खुश हो गयी। “हम बहुत दिन से एक साथ तैरे नहीं हैं। तुमने मुझे डाइव करना सिखाने का वादा किया था।”

“मुझे तो बिल्कुल ऐसा लग रहा है जैसे मैं किसी जवान लड़की के साथ डेट पर जा रहा हूँ।”

“ठीक है तो हम इसे डेट ही कहेंगे। कुछ ही दिनों में तुम लड़कियों के साथ घूमना-फ़िरना शुरू कर दोगे। इससे मुझे तो बड़ी जलन होगी।”

“मुझे उम्मीद है कि वो भी तुम्हारी जैसी ही सैक्सी होंगी।” सजल ने मुस्कराकर कहा। वो कोमल को बिकिनी में देखने के लिये उत्सुक था। जब वह पिछली बार कोमल के साथ तैरने गया था तो कोमल को देखकर उसका लंड खड़ा हो गया था। उसे काफ़ी देर तक पानी में रहना पड़ा था जब तक कि उसका लंड वापस अपने वास्तविक स्वरूप में नहीं लौटा था।

“क्या तुम समझते हो कि मैं सैक्सी हूँ?” कोमल को अपने शरीर में एक स्फ़ूर्ति सी महसूस हुई।

“और नहीं तो क्या? तुम क्या समझती हो, जब तुम मुझे छोड़ने आती हो तो क्यों सारे लड़के तुम्हे हेलो करने आते हैं?”

कोमल की चूत गरमा गयी पर उसने अपना ध्यान दूसरी ओर कर लिया। पिक्चर बड़ी मज़ाकिया थी। वो अपने बेटे के साथ खूब हँसी। रात के भोजन में कोमल ने अपनी वाइन सजल के साथ बाँटी। हालांकि रेस्तरां के मालिक ने इस पर एतराज़ किया था पर यह जान कर कि वो मम्मी-बेटे हैं मान गया था। जब वो होटल पहुँचे तो कोमल के दिल की धड़कन बढ़ने लगी। अगर आज रात को कुछ होगा तो शायद उससे कुछ भला ही होगा।

“मैं अपने तैरने के वस्त्र बाथरूम से बदल कर आता हूँ... लेकिन आज मैं आपको डाइव करना नहीं सिखाऊँगा क्योंकि आपने काफी ड्रिंक की हुई है “ सजल ने कहा।

“मैं तुम्हारी मम्मी हूँ, तुम मेरे सामने भी बदल सकते हो... चलो यहीं बदलो... देखो मैं भी तुम्हारे सामने ही बदल रही हूँ।”

बिना सजल के जवाब का इंतजार किये कोमल ने अपने कपड़े और सैंडल उतारने शुरू कर दिये। उसने अपनी ब्रा और चड्डी उतारने में हल्की सी देर लगाई जिससे कि सजल को कुछ उत्सुकता हो। “देखो कितना आसान है... मैं तुम्हारी मम्मी हूँ और तुम मेरे बेटे, हमें एक दूसरे को नंगा देखने में शर्म कैसी?”

“कुछ भी नहीं।” सजल के मुँह से मुश्किल से आवाज़ निकली पर अगर यह इतना आसान था तो उसका लंड खड़ा क्यों हो रहा था?

“जल्दी करो सजल, तरणताल थोड़ी ही देर में बंद हो जायेगा।” कोमल अपनी बिकिनी निकालने में मशगूल हो गयी। उसकी पीठ सजल की ओर थी पर वह सजल के नंगे जिस्म को देखने के लिये मुड़ने को तत्क्षण तैयार थी।

कोमल ने अपनी बिकिनी पहनी ही थी कि सजल ने अपनी चड्डी उतार दी। वह तेज़ी के साथ अपनी तैरने की चड्डी पहनने के लिये झपटा। पर वो कोमल के सामने थोड़ा धीमा पड़ गया। कोमल तब तक पलट चुकी थी और उसने सजल का मोटा बड़ा लंड भी देख लिया था।

“तुम काफ़ी बड़े हो गये हो, प्रिय।” उस खुशनसीब माँ ने अपने बेटे के हथियार पर एक भरपूर नज़र डाली। उसने जो देखा उससे उसका मन अती आनंदित हो गया। सजल का लंड सुनील से बड़ा और मोटा रहा होगा, कोई दस इंच लंबा और अच्छा खासा मोटा। सजल के टट्टे भी भारी थे और घनी झाँटों में छुपे हुए थे। कोमल के मुँह में पानी आ गया। पर उसने संयम बरता और कहा, “बेहतर होगा कि तुम अपनी चड्डी पहन कर तैरने चलो।” यह कहकर उसने दूसरी ऊँची ऐड़ी की चप्पलों में पैर डाले और दरवाज़े की ओर बढ़ गयी।

सजल को नंगा देखकर कोमल की दबी हुई भावनायें दोबारा करवटें लेने लगी थीं। उसे शक था कि आज की रात वो अनचुदी नहीं रहेगी। सजल भी अपने आप को संतुलित करने की कोशिश कर रहा था पर उसके मन में भी एक सागर उमड़ रहा था।

थोड़ी देर तैरने के बाद कोमल बोली, “अब बहुत ठंडक हो गयी है, चलो अंदर चलते हैं।”

कमरे में पहुँच कर दोनों काफ़ी तनाव में थे। सजल ने पहले कमरे में बिछे दोनों बिस्तरों की ओर देखा, ओर फ़िर अपनी मम्मी की ओर। कोमल समझ गयी कि वो क्या सोच रहा था। अब सच्चायी को छुपाया नहीं जा सकता था। पर उसे एक ही डर था कि अगर सजल उससे नफ़रत करने लगा तो वो क्या करेगी? कहीं वो खुद ही अपने आप से नफ़रत न करने लगे।

इन सारे शकों के बावज़ूद अपने बेटे को चोदने का ख्याल हावी था। कोमल ने अपनी बिकिनी की डोर खोलते हुए कहा, “हमें सोने के पहले नहा लेना चाहिये...” और इसी के साथ उसकी बिकिनी की ब्रा ज़मीन पर जा गिरी। सजल अपनी पैंट उतारने में अभी भी हिचकिचा रहा था।

“तुम यह कच्छा पहनकर तो ठीक से नहा नहीं सकते...” कोमल ने अपनी चड्डी उतारते हुए कहा।

वो लड़का अपनी मम्मी के शानदार जिस्म को देखकर ठगा सा रह गया। उसकी मम्मी उसके सामने सिर्फ ऊँची ऐड़ी की चप्पलें पहने बिल्कुल नंगी खड़ी थी।

“तुम जाकर पहले नहा लो मम्मी, मैं तुम्हारे बाद नहा लुँगा।”

“नहीं, हम दोनों साथ ही नहायेंगे” यह कहते हुए कोमल अपने विशाल मम्मे झुलाती हुई सजल की ओर बढ़ी। वो काफ़ी उत्तेजित थी।

“मम्मी क्या तुम समझती हो कि ये ठीक होगा?”

“अवश्य, अब तुम अपनी पैंट उतारो, या मैं उतारूँ?”

“नहीं, मैं उतार लुँगा।”

कोमल ने पानी चलाकर टब के अंदर अपना पैर रखा। जब उसने अपने पीछे सजल को आते न देखा तो आवाज़ दी कि वो अब देर न करे। नंगा लड़का बाथरूम में घुसा। कोमल उसे देखकर समझ गयी कि वो क्यों शर्मा रहा था। उसका लंड ताड़ की तरह अपनी पूरी दस इंची लम्बाई तक तनकर खड़ा था। सजल ने अपनी इस हालत के लिये क्षमा माँगने को मुँह खोलना चाहा।

“तो क्या तुम इसलिये इतने शर्मा रहे थे?” कोमल ने हँसते हुए कहा। “इसमें कुछ गलत नहीं है बच्चे!, इससे सिर्फ़ यह सिद्ध होता है कि तुम एक स्वस्थ लड़के हो। मुझे इसलिये भी खुशी है कि शायद यह मेरे कारण है।”

“आओ अंदर, पानी तुम्हारी पसंद का है, हल्का गुनगुना।” कोमल ने अपना हाथ बढ़ाकर सजल को टब में खींच लिया। उसने सजल को साबुन देकर कहा कि वो उसकी पीठ पर मले। “जोर से घिसना।”

सजल का लंड नीचे उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था। ऊपर से उसकी मम्मी की नंगी पीठ का स्पर्श उसे और उत्तेजित कर रहा था। उसका लंबा लंड उचक-उचक कर उसकी मम्मी की गाँड को छूने की कोशिश कर रहा था।

“ऊँहुं, मुझे कुछ लगा।” कोमल खिलखिलाई जब सजल के लंड ने अपने परिश्रम में सफ़लता पायी और अपने लक्ष्य को छू लिया। वो थोड़ा पीछे सरकी जिससे कि उसे दोबारा यह सुख मिले।

“माफ़ करना मम्मी!” लड़का सकपकाकर बोला और थोड़ा पीछे हटा।

“क्यों, तुम्हारे शरीर का कोई हिस्सा मेरे शरीर को छुए तो इसमें क्या गलत है? मुझे साबुन दो, मैं तुम्हारी पीठ प लगा दूँ।”

पहले कोमल ने सजल की पीठ पर साबुन लगाया और फ़िर छाती पर। “अब मेरी छाती पर साबुन लगाने की तुम्हारी बारी है।”

“शर्माओ मत... मुझे छुओ...” कहते हुए उसने सजल के हाथ अपने मम्मो पर लगा दिये। इसके बाद कोमल ने अब तक की सबसे साहसी हरकत की। “तुम्हे अपने शरीर के हर हिस्से को अच्छे से साफ़ करना होगा, इसे भी...” कहते हुए उसने सजल का भरपूर लौड़ा अपने हाथ में भर लिया।

“ओह मम्मी!”

“मैं जानती थी कि तेरा लौड़ा ऐसा ही शानदार होगा।” कोमल उसे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। उसने अपने चेहरे को झुकाया।

“नहीं, मम्मी हम ऐसा ... पाप...” लड़का हकलाने लगा पर उसने अपनी मम्मी को रोका नहीं।

“हमें करना ही होगा... मुझे तुम्हारी इतनी ज़रूरत है कि मैं रुक नहीं सकती... अब बहुत देर हो चुकी है... अपनी मम्मी को स्वयं को खुश कर लेने दो मेरे बेटे” कहते हुए उसने वो मूसल अपने मुँह में भर लिया।

“आआआह मम्मी, तुम्हारा मुँह!”

“ऊंह ऊंह” कोमल तो अब उस महान हथियार का स्वाद लेने में जुटी थी। वो हुंचक-हुंचक कर लौड़े को चूस रही थी। इस समय उसकी तुलना गर्मी में आई हुई बिल्ली से की जा सकती थी।

सजल भी अब चुप नहीं रहा। जब उसने यह जान लिया कि उसकी मम्मी अब रुकने वाली नहीं है, तो उसने भी अपनी मम्मी को पूरा आनंद देने का निर्णय लिया। उसने अपने हाथ बढ़ाकर उसकी चुचियों पर रखे और धीरे-धीरे मसलने लगा।

“उन्हें खींचो और उमेठो...” कोमल ने सीत्कार भरी। वो समझ नहीं पा रही थी कि इस जवान लंड का स्वाद लिये बगैर वो अभी तक जीवित कैसे थी? उसके मुँह से तो वो छूट ही नहीं पा रहा था।

हालांकि उसकी चूत उबल रही थी, पर उस प्यासी मम्मी ने पहले अपने पुत्र को पहले सम्पूर्णानंद देने का वचन लिया। वो दिखाना चाहती थी वो उसके लिये क्या कुछ कर सकती थी। “तुम मेरे मुँह में झड़ सकते हो, मेरे राजा बेटे” उसने अपनी जीभ को लंड के द्वार पर लगाये रखा।

“क्या तुम सच कह रही हो मम्मी?” सजल अब रुक नहीं पा रहा था। उसने पूरा दम लगाकर अपनी मम्मी के विशाल मम्मों को खींचा।

“मुझे इस समय दुनिया में और कुछ नहीं चाहिये।”

“तो फ़िर लो... यह मेरी पहली बार है किसी औरत के मुँह में झड़ने की।”

“आ जाओ बेटे, तुम्हारी मम्मी का मुँह तुम्हारे रस को पीने के लिये बेचैन और प्यासा है।”

सजल यही सुनना चाहता था। उसने कोमल के मम्मों को और जोर से भींच डाला। कोमल की चीख निकल गयी। पर अगले ही पल उसको अपनी जीभ पर अमृत की पहली बूँद का स्वाद महसूस हुआ।

“पियो मम्मी!” कहते ही सजल ने जो पिचकारी मारनी शुरू की तो कोमल का पूरा मुँह वीर्य से भर गया। यह सोच कर कि कोई बूँद बाहर न गिर जाये कोमल ने वापस अपना मुँह सजल के तने लंड पर कस दिया।

इस प्रक्रिया में कोमल को लगा कि कुछ हो रहा है जो उसकी समझ के बाहर है... पर क्या? फ़िर उसने जाना कि वो भी तेज़ी के साथ झड़ रही थी, बिना चुदे, बिना अपनी चूत को छुए! और ऐसे बह रही थी कि बस!

“चोद मेरे मुँह को, मॉय डियर! मैं भी झड़ रही हूँ।”

जब वासना का ज्वर समाप्त हुआ तो कोमल ने अपने बेटे को अपनी बाहों मे भर लिया और सिसकने लगी।

“मम्मी, क्या तुम ठीक हो?”

मम्मी ने अपने बेटे का एक प्रगाड़ चुम्बन लिया। “मैं इससे ज्यादा संतुष्ट कभी नहीं हुई, मॉय डियर!”

सजल ने उसकी एक चूची को कचोट कर पूछा, “मम्मी क्या तुम समझती हो कि जो हुआ वो सही था?”

“अब वापस जाने के लिये बहुत देर हो चुकी है... और मैं सोचती हूँ कि जो हुआ अच्छा हुआ। तुम क्या सोचते हो?”

“मुझे इस बारे में कुछ अजीब सा लग रहा है... पर था बहुत अच्छा... बहुत... पर मैं अब पापा से मिलने में थोड़ा परेशान होऊँगा।”

कोमल की मुस्कराहट गायब हो गयी। “हाँ ये दिक्कत रहेगी... पर हम उन्हे बता नहीं सकते। हमें ध्यान देना होगा कि हमारे आचरण से उन्हे कोई शक न हो।”

जब सजल ने हामी भरी तो कोमल बोली, “हमारे पास पूरी रात पड़ी है, प्यारे... और अभी तक मैनें तुम्हारा यह मूसल जैसा लौड़ा अपनी चूत में महसूस नहीं किया है।”

“यहाँ? टब में?” सजल ने पूछा।

“नहीं पागल, मैं चाहती हूँ कि जब तुम मुझे चोदो तो खूब जगह हो जिससे कि मैं जितना घूमना चाहूँ घूम सकूँ। मैं जानती हूँ कि जब तुम्हारा यह बल्लम मेरी चूत में घुसेगा तो मैं पागल हो जाऊँगी और तड़प-तड़पकर घूम-घूमकर चुदवाऊँगी... चलो बिस्तर पर चलो।”