मजबूर (एक औरत की दास्तान)

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फिर सुबह नफ़ीसा ने सुनील और रशीदा को आठ बजे उठाया। सुनील ने अपने कपड़े पहने और घर की तरफ़ चला गया। जैसे ही उसने घर पहुँच कर डोर-बेल बजायी तो रुखसाना ने दरवाजा खोला और सुनील दुआ-सलाम के बाद ऊपर चला गया। ऊपर जाने के बाद सुनील फ्रेश हुआ और नाश्ता करके फिर से स्टेशन पर पहुँच गया। जब सुनील वहाँ पहुँचा तो नफ़ीसा और रशीदा भी आ चुकी थी। तीनों ने एक दूसरे के तरफ़ देखा और मुस्कुरा पड़े।

उस दिन जब सुनील रात को घर आया तो रुखसाना घर पे अकेली थी सानिया को नज़ीला अपने साथ अपने घर ले गयी थी क्योंकि उसका शौहर और बेटा नज़ीला के ससुर के पास गये हुए थे। इसलिये वो सानिया को अपने साथ ले गयी थी और सानिया को आज रात वहीं सोना था। इधर फ़ारूक़ भी दो-तीन दिनों के लिये अपने डिपार्टमेंट के काम से हाजीपुर हेडक्वार्टर ऑफ़िस गया हुआ था। इसलिये रुखसाना बेहद खुश थी कि आज तो पूरी रात वो सुनील के साथ खुल कर मज़े कर सकेगी। सानिया और नज़ीला के जाने के बाद रुखसाना बहुत अच्छे से तैयार हुई थी। उसने दो दिन पहले ही खरीदा नया जोड़ा पहना था... बेहद गहरे सब्ज़ रंग की सिल्क की स्लीवलेस कमीज़ जिसपे सुनहरे धागे और क्रिस्टल की कढ़ाई थी और झीनी जारजेट की प्रिंटिड काली सलवार जिस्में नीचे लाइनिंग लगी थी... सिर्फ़ एक हाथ में हरी चूड़ियाँ और पैरों में मेल खाते गोल्डन रंग के बेहद ऊँची पेंसिल हील वाले खूबसूरत प्लेटफॉर्म सैंडल। सुनील ने घर में दाखिल होते ही हर रोज़ की तरह रुखसाना की खूबसूरती और उसके लिबास की तारीफ़ की और घर में कोई और नज़र नहीं आया तो रुखसाना को आगोश में लेकर उसके होंठों पे एक चुम्मी देकर फ्रेश होने ऊपर चला गया।

फ्रेश होकर थोड़ी देर के बाद नीचे खाने के लिये आया तो रुख्साना ने मानी-खेज़ मुस्कुराहट के साथ उसे बताया कि आज सानिया नज़ीला भाभी के घर पर है और रात को भी वहीं सोयेगी... और फ़ारूक भी टूर पे गया है... तो ये सुन कर सुनील का कोई खास रीऐक्शन ना देख कर रुखसाना को बेहद हैरानी हुई। जब से सानिया नज़ीला के घर गयी थी तब से ये सोच-सोच कर कि आज वो और सुनील फिर से घर में बिल्कुल अकेले हैं और सुनील जरूर उसे शराब पिलाकर फ़ुर्सत से उसकी फुद्दी और गाँड मारेगा और जन्नत की सैर करवायेगा... रुखसाना का बुरा हाल था। चूत शाम से चुलचुला रही थी पर सुनील आज जैसे किसी और ही दुनिया में था। सुनील ने चुपचाप खाना खाया और रुखसाना को बस आगोश में लेकर चूमते हुए गुड-नाईट कह कर ऊपर चला गया। दर असल सुनील थका हुआ था क्योंकि पिछली रात मुश्किल से चार-पाँच घंटे ही सोया था और नफ़ीसा और रशिदा ने उसे पूरी रात बिल्कुल निचोड़ कर रख दिया था। लेकिन रुखसाना तो इस बात से अंजान थी। उसने सोचा था कि जब सुनील को पता चलेगा कि आज वो दोनों अकेले हैं तो वो खुद को रोक नहीं पायेगा और उसे अपनी बाहों में कसके पूरी रात खूब प्यार करेगा... खूब चोदेगा... पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

सुनील के ऊपर जाने के बाद रुखसाना ने मायूस होकर किचन संभाली और अपने बेडरूम में चली गयी। पर रुखसाना का बुरा हाल था... उसका पूरा जिस्म सुलग रहा था... दिल चाह रहा था कि सुनील अभी आकर उसे बाहों में जकड़ कर उसके जिस्म को पीस दे... और चूत तो कब से बिलबिला रही थी। रुखसाना को बड़ी मुश्किल से आज मौका मिला था जो उसे ज़ाया होता नज़र आ रहा था। वो सोच रही थी सुनील तो खुद हमेशा ज़रा सा भी मौका देखते ही उसे अपने आगोश में भर कर चूमने और दबोचने लगता था... उसकी चूत या गाँड मारने के लिये बेकरार रहता था तो आज इतने दिन बाद अच्छा मौका मिलने पर भी उसे क्या हो गया.... शायद कल सारी रात स्टेशन पे नाइट-ड्यूटी के बाद आज फिर सारा दिन काम करने की वजह से थका होगा। रुखसाना से बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो उसने खुद ऊपर जाने का फैसला किया... प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है... और इस वक़्त उसके जिस्म की प्यास सिर्फ़ सुनील और उसका लंड ही बुझा सकता था। उसने सोचा कि अगर सुनील थका भी है तो वो उसे अपने हुस्न और प्यार की बारिश में नहला कर उसकी थकान दूर कर देगी।

ये सब सोच कर वो खड़ी हुई एक बार आइने के सामने अपना मेक-अप दुरुस्त किया और खुद अपनी फुद्दी चुदवाने ऊपर की तरफ़ चल दी। वो ऊपर पहुँची, तो उसे छत के दूसरी तरफ़ बने हुए बाथरूम में कुछ आवाज़ सुनायी दी। सुनील बाथरूम में नहा रहा था। रुखसाना सुनील के कमरे में चली गयी। कमरे में सिर्फ़ टेबल लैम्प जल रहा था। उसे मालूम था कि सुनील की अलमारी में व्हिस्की की बोतल होगी तो उसने अलमारी खोल कर बोतल निकाल ली और दो गिलासों में पैग तैयार लिये। फिर अपना गिलास लेकर वो सुनील के बेड पर पैर नीचे लटका कर बैठ गयी और सुनील के आने का इंतज़ार करते हुए सिप करने लगी। वो आज मदहोश होकर बेफ़िक्र होकर चुदवाने के मूड में थी। थोड़ी देर बाद सुनील के कदमों की आहट कमरे की तरफ़ बढ़ती हुई सुनायी दी तो रुखसाना का दिल धड़कने लगा। थोड़ी देर बाद सुनील अंदर आया तो रुखसाना ने नशीली नज़रों से मुस्कुराते हुए उसकी तरफ़ देखा। सुनील सिर्फ़ अंडरवियर पहने हुए था। सुनील भी रुखसाना को अपने बेड पर बैठ कर व्हिस्की पीते हुए देख कर समझ गया था कि रुखसाना उसके कमरे में क्यों आयी है। सुनील कुछ बोला नहीं और उसने कमरे की ट्यूब लाइट भी ऑन कर दी। फिर टेबल पर से अपना गिलास और साथ ही व्हिस्की की बोतल भी लेकर रुखसाना के सामने आकर खड़ा हो गया। रुखसाना का गिलास तकरीबन खाली हो चुका था तो सुनील ने उसका गिलास आधे से ज्यादा व्हिस्की से भर दिया और फिर उसके गिलास से अपना गिलास टकरा कर मुस्कुराते हुए बोला, "चियर्स भाभी... अब फटाफट खींच दो..!" य़े कहकर सुनील अपना पैग एक साँस में गटक गया और रुखसाना ने भी तीन-चार घूँट में ही तीन-चौथाई भरा गिलास खाली कर दिया जो कि तीन-चार पैग के बराबर था।

सुनील ने अपना और रुखसाना का गिलास टेबल पर रख दिया फिर उसके सामने आकर खड़ा हो गया और अंडरवियर के ऊपर से अपना लंद मसलते हुए बोला, "कसम से भाभी... कुछ ज्यादा ही गज़ब लग रही हो आज तो... कि इतनी थकान के बाद भी आपका दिल तो रखना ही पड़ेगा... ये लो अपका दिलबर!" और ये कहते हुए उसने एक झटके में अपना अंडरवियर उतार फेंका। उसका आधा खड़ा लंड रुखसाना के चेहरे के सामने लहराने लगा। सुनील के लंड को रुखसाना प्यार से अपना दिलबर बुलाती थी। अपनी आँखों के सामने सुनील का लौड़ा लहराते देख उसकी आँखें हवस से चमक उठीं और उसने फ़ौरन उसे अपने हाठों में लेकर सहलाते हुए उसके सुपाड़े पर अपने होंठ रख दिये और फिर चुप्पे लगाने लगी। शराब के नशे की खुमारी धीरे-धीरे रुखसाना पे छाने लगी थी। सुनील का लौड़ा जल्दी ही फूल कर बिल्कुल सख्त हो गया। रुखसाना की राल से उसका लंड बेहद सन गया था। सुनील ने सिसकते हुए रुखसाना का सिर पीछे से कस कर पकड़ लिया और अपना लौड़ा उसके मुँह में ठेलने लगा। जैसे ही सुनील का लौड़ा उसके हलक में पहुँचा तो रुखसाना का दम घुटने लगा और उसने पीछे हटने की कोशिश की लेकिन सुनील ने उसका सिर कस के पकड़े रखा और जितना मुमकिन हो सकता था अपना लंड उसके हलक में ठूँस दिया। रुखसाना की आँखों में पानी भर आया और वो बाहर को निकल आयीं। वो नाक से लंबी-लंबी साँसें लेने लगी।

सुनील ने इसी तरह वहशियाना ढंग से रुखसाना का मुँह अपने लौड़े से चोदना शुरू कर दिया। वो बीच-बीच में धक्के ज़रा धीमे कर देता ताकि रुखसाना साँस ले सके और फिर ज़ोर-ज़ोर से रुखसाना के हलक तक धक्के मारने लगता। रुखसाना के मुँह से ठुड्डी तक लार बह कर नीचे टपकने लगी। रुखसाना को सुनील का लंड अपने हलक के नीचे उतरता हुआ महसूस हो रहा था और बार-बार साँस घुटने से उसके मुँह से गों-गों की आवाज़ें आ रही थीं लेकिन फिर भी सुनील का वहशियानापन कहीं ना कहीं रुखसाना की हवस भड़का रहा था। फिर सुनील अचानक अपना लौड़ा रुखसाना के होंठों से हटाते हुए बोला, "उतारो... भाभी!" रुखसाना ने राहत की साँस लेते हुए चौंक कर उसकी तरफ़ देखा तो सुनील ने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ फिर से कहा, "अपनी सलवार उतारो..!" रुखसाना तो शराब के नशे की खुमारी और चुदासी मस्ती के आलम में थी... उसकी भीगी चूत लंड लेने के लिये मचमचा रही थी। रुखसाना ने वैसे ही बैठे-बैठे अपनी कमीज़ के नीचे हाथ डाल कर अपनी सलवार का नाड़ा खोलना शुरू कर दिया। रुखसाना ने सलवार का नाड़ा खोलते हुए एक बार नज़र उठा कर सुनील की आँखों में देखा और फिर अपनी सलवार उतार कर बेड के एक तरफ़ रख दी। उसने जानबूझ कर पैंटी नहीं पहनी हुई थी। सुनील ने नीचे झुक कर उसकी टाँगों को पकड़ कर ऊपर उठा दिया जिसकी वजह से रुखसाना बेड पर पीछे की तरफ़ लुढ़क गयी। सुनील ने फिर उसे टाँगों से घसीट कर्र बेड पर सीधा लिटा दिया और उसकी टाँगों को खोल कर जाँघों के बीच में आ गया। उसने अपने लंड को एक हाथ से पकड़ा और रुखसाना की चूत की फ़ाँकों पर रगड़ते हुए अपनी एक उंगली को उसकी चूत के छेद के बीच में घुसा कर बोला, "भाभी आपकी चूत तो पहले से ही लार टपका रही है!"

सुनील की बात सुन कर रुखसाना ने मुस्कुराते हुए उसकी चौड़ी छाती में मुक्का झड़ दिया, "इसका तो शाम से ही ये हाल है... पर तुझे क्या फ़र्क पड़ता है... हरजाई कहीं का!" रुखसाना के जवाब में सुनील बोला, "तो ये लो भाभी मेरी जान!" और अपना लंड रुखसाना की चूत में एक धक्के के साथ पेल दिया। "आआआऊऊऊहहहह याल्लाआआहहहह ऊऊहहहह आहहहहह" रुखसाना जोर से सिसकते हुए सुनील से चिपक गयी। सुनील ने झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया और तेजी से अपने लंड को अंदर-बाहर करते हुए रुखसाना के होंठों को चूसने लगा। रुखसाना मस्ती के समंदर में गोते खाते हुए सुनील के नीचे मचल रही थी और वो लगातार अपना मूसल उसकी चूत में चला रहा था। रुखसना को अपनी चूत की दीवारों पे सुनील के लंड की रगड़ इंतेहाई लज़्ज़त दे रही थी। रुखसाना के हाथ खुद-ब-खुद सुनील की पीठ पर कसते चले गये। उसने अपनी टाँगें उठा कर सुनील की गाँड के नीचे लपेट कर कैंची की तरह कस दीं और उसकी खुद की गाँड बेकाबू होकर अपने आप ऊपर की और उछलने लगी। करीब दस मिनट की धुंआधार चुदाई में ही रुखसाना मस्ती के सातवें आसमान पे उड़ने लगी और फिर उसकी चूत में तेज सिकुड़न होने लगी और उसकी चूत ने सुनील के लंड के टोपे को चूमते हुए उस पर अपना प्यार भरा रस लुटाना शुरू कर दिया। सुनील भी चंद और झटकों के बाद रुखसाना की चूत में ही झड़ने लगा। झड़ने के बाद रुखसाना को बेहद सकुन मिल रहा था। शाम से जिसके लिये वो तड़प रही थी... उस लौड़े ने दस मिनट में रुकसाना को दुनिया भर की जन्नत की सैर करवा दी थी।

उसके बाद देर रात तक दोनों चुदाई के मज़े लूटते रहे। सुनील ने रुखसाना की गाँड भी मारी और फिर पहली दफ़ा सुनील ने रुखसाना की गाँड में से निकला गंदा लंड उससे चुसवाया। दरसल सुनील ने उसकी गाँड मारने के फ़ौरन बाद अपना गंदा लंड अचानक ही रुखसाना के मुँह में दे दिया। नशे और मस्ती के आलम में पहले तो रुखसाना को एहसास नहीं हुआ और जब उसे एहसास हुआ तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी और वो अपने मुँह में चूसते हुए उसपे ज़ुबान फिरा कर चुप्पे लगाते उसका गंदा लंड पुरी तरह चाट चुकी थी। आखिर में दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के आगोश में लेट कर सो गये। रात के तीन बजे के करीब रुखसाना की आँख खुली तो उसने देखा कि सुनील गहरी नींद में सोया हुआ था। कमेरे में ट्यूब लाइट अभी भी चालू थी। रुखसाना को पेशाब भी लगी थी तो उसने बिस्तर से उतर कर सिर्फ़ अपनी कमीज़ पहन ली। फिर सुनील के नंगे जिस्म और मुर्झाये हुए लंड को उसने एक बार प्यार भरी नज़र से देखा और फिर लाईट बंद करके कमरे से बाहर निकल गयी। शराब के नशे की खुमारी अभी भी छायी हुई थी तो रुखसाना झूमती हुई हाई पेन्सिल हील के सैंडलों में आहिस्ता-आहिस्ता सीढ़ियाँ उतर कर अपने कमरे में आयी और बाथरूम में जा कर पेशाब करने के बाद उसी हालत में अपने बेड पर आकर लेट गयी। भले ही वो हवस के नशे में और जिस्मानी सुकून के लिये ये सब कुछ कर रही थी पर दिल के एक कोने में उसे ये ख्याल आ रहा था कि यही उसका वजूद है... वो जिस्मानी रिश्ते के साथ-साथ कहीं ना कहीं सुनील में अपनी मोहब्बत भी ढूँढ रही थी पर उसे एहसास हो गया था कि सुनील के लिये शायद वो सिर्फ़ सैक्स और मौज मस्ती करने की जरूरत है। वो सोच रही थी कि क्या सुनील उसे सिर्फ़ उसके हसीन जिस्म के लिये चाहता है... और वो खुद भी क्या से क्या बन गयी है.... वो खुद भी तो सुनील के ज़रिये अपनी हवस की आग बुझा रही है... एक शादीशुदा औरत होकर भी वो आधी रात को अपने से आधी उम्र से भी कम जवान लड़के के कमरे में जाकर खुद अपने कपड़े उतार के नंगी होके अपनी टाँगें और चूत खोल कर शराब के नशे में उससे चुदवाती है... उससे गाँड मरवाती है... अपनी गाँड में से निकला उसका गंदा लंड चाट कर चुप्पे लगाती है... बेहयाई से खुल कर गंदी- गंदी अश्लील बातें और गालियाँ बोलती है...! लेकिन इसमें गलत भी क्या है... उसका शौहर तो उसे छोड़ कर अपनी भाभी का गुलाम बना हुआ है... इतने सालों से वो अपनी हसरतों का गला घोंटती रही थी पर जब से सुनील से रिश्ता बना है उसकी ज़िंदगी कितनी खुशगवार हो गयी है... यही सब उधेड़बुन उसके दिमाग में चल रही थी कि पता नहीं कब उसे नींद आ गयी।

सुबह सात बजे रुखसाना उठी और खुद तैयार होकर नाश्ता तैयार करने लगी। इतने में सानिया भी आ गयी और वो भी कॉलेज जाने के लिये जल्दी से तैयार हुई। फिर तीनों ने एक साथ नाश्ता किया। जैसे ही सुनील नाश्ता करके उठा तो उसने सानिया से पूछा, "तुम्हें कॉलेज जाना हो तो छोड़ दूँ..?" सानिया ने सुनील की बात सुनते ही रुखसाना की तरफ़ देखा तो रुखसाना ने रज़ामंदी में सिर हिला दिया। सानिया ने अपना बैक-पैक कंधे पे लटकाया और फिर वो सुनील की बाइक के पीछे बैठ कर चली गयी। दर असल अब सुनील सानिया को अपने नीचे लिटाने की फ़िराक़ में था जिसका रुखसाना को अंदाज़ा नहीं था।

उस दिन जब दोनों बाइक पर निकले तो सानिया के दिमाग में उस शाम की बातें घूम रही थी जब सुनील ने उसे कहा था कि उसके कॉलेज के लड़के उसे देख कर गंदे-गंदे कमेंट्स कर रहे थे। सानिया जवान थी और उसकी चूत में खूब चुलचुलाहट होती थी। सानिया ने सुनील के बाइक पीछे बैठे हुए पूछा, "उस दिन तुमने ये क्यों कहा था कि वो लड़के जो भी मेरे बारे में गंदे कमेंट्स कर रहे थे... वो सही है... क्या मैं तुम्हें ऐसी लड़की लगती हूँ...?"

सुनील बोला, "नहीं-नहीं... मेरा मतलब वो नहीं था...!"

"तो फिर तुम्हारा मतलब क्या था... अगर कोई बोले कि मैं चालू लड़की हूँ तो तुम सच मान लोगे..?" सानिया ने नाराज़गी ज़ाहिर की तो सुनील बोला, "नहीं बिल्कुल नहीं... मैं किसी की कही हुई बातों पर यकीन नहीं करता..!"

"फिर तुमने क्यों कहा कि वो लड़के जो भी कह रहे थे सच कह रहे थे...?" सनिया बोली। "हाँ सच कह रहे थे... वो तुम्हारे जिस्म के बारे में कुछ गलत शब्द इस्तेमाल कर रहे थे... पर उन्होंने जो भी तुम्हारे फ़िगर के बारे में कहा... एक दम सच कहा था..!" सुनील ने कहा तो सानिया उसकी बात सुन कर थोड़ा शरमा गयी। दोनों में से कुछ देर कोई भी कुछ ना बोला। सानिया का दिल जोरों से धड़क रहा था। उसका दिल बार-बार गुदगुदा रहा था। "वैसे क्या बोल रहे थे वो कमीने मेरे बारे में...?" सानिया का दिल अब सुनील से अपने बारे में सुनने को बेचैन होता जा रहा था। "वो कमीने जो भी बोल रहे थे उसे छोड़ो... मैं नहीं बता सकता!" सुनील बोला। "क्यों..?" सानिया ने पूछा तो सुनील बोला, "क्योंकि इस तरह तो मैं भी कमीना हुआ ना?"

"तुम क्यों? मैंने तुम्हें थोड़ा ना कहा है!" सानिया ने कहा। "कहा तो नहीं पर मुझे उनकी बातें सही लगी... अगर तुम सुनोगी तो तुम्हें लगेगा कि मैं भी उनकी तरह ही कमीना हूँ क्योंकि मैं भी उनके बातों से सहमत हूँ..!" सुनील की ये बात सुन कर सानिया बोली, "अरे तौबा मैं तुम्हें ऐसा नहीं कह सकती..!"

"चलो छोड़ो सब... तुम बेकार ही परेशान हो गयी!" सुनील ने कहा लेकिन सानिया बोली, "नहीं एक बार पता तो चले वो हरामजादे कह क्या रहे थे..!" सानिया बेझिझक कमीने और हरामजादे जैसे अल्फ़ाज़ बोल रही थी। सुनील ने कहा, "अभी नहीं... अभी तुम्हारा कॉलेज आने वाला है!" थोड़ी देर बाद सानिया का कॉलेज आ गया। सानिया सुनील की तरफ़ देख कर एक बार मुस्कुरायी और फिर कॉलेज की तरफ़ जाने लगी। "सानिया तुम्हारा कॉलेज कितने बजे खतम होता है..?" सानिया ने सुनील की तरफ़ मुड़ कर देखा और बोली, "साढ़े तीन बजे... क्यों?" सुनील ने एक बार गहरी साँस ली और फिर हिम्मत करते हुए बोला, "मेरे साथ घूमने चलोगी..?" जैसे ही सुनील ने सानिया से ये बात कही तो सानिया के दिल धड़कन बढ़ गयी। आज तक सानिया किसी लड़के के साथ डेट पर नहीं गयी थी। "बोला ना... चलोगी..?" सुनील ने फिर पूछा तो सानिया बोली, "अगर अम्मी को पता चला तो..!" सुनील बोला, "नहीं पता चलेगा... तुम बारह बजे छुट्टी लेकर आ सकती हो?" सानिया ने हाँ में सर हिला दिया और बोली, "पक्का ना... घर पर तो किसी को पता नहीं चलेगा..?" सानिया तो खुद ही सुनील के साथ वक़्त बिताने को बेताब थी पर थोड़ी शरम-हया और घर वालों का डर अभी तक उसे बाँधे हुए थे। अब जब कि उसके ख्वाबों का शहज़ादा उसे खुद साथ में चलने को कह रहा था तो वो भला कैसे इंकार कर सकती थी! "ठीक है मैं बारह बजे आ जाऊँगी!" सानिया ने मुस्कुराते हुए कहा।

उसके बाद सुनील स्टेशन पर आ गया। सुनील ने ग्यारह बजे तक वहाँ काम किया और फिर वो उठ कर रशीदा के कैबिन में चला गया। "आओ सुनील... बैठो... कैसे हो?" रशीदा ने कहा तो सुनील बैठते हुए बोला, "मैं ठीक हूँ मैडम... मेरा एक काम करेंगी..?" ये सुनकर रशीदा कमीनगी से मुस्कुराते हुए बोली, "हाय मैं तो हमेशा तैयार हूँ... चल आजा टॉयलेट में?"

"नहीं-नहीं... वो काम नहीं... दर असल एक और जरूरी काम है... मुझे थोड़ी देर बाद निकलना है और आज अज़मल साहब भी नहीं हैं पर्मिशन लेने के लिये... अगर कोई और पूछे या अज़मल साहब कॉल करें तो क्या आप संभाल लोगी?" सुनील ने कहा तो रशीदा बोली, "हाँ-हाँ क्यों नहीं... ये भी कोई बात है.. अरे तुम जान माँग लो तो वो भी हम हंसते हुए दे देंगे..!"

उसके बाद सुनील साढ़े ग्यारह सानिया के कॉलेज के लिये निकल गया। सुनील ठीक बारह बजे सानिया के कॉलेज के बाहर पहुँच गया। थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद उसे सानिया कॉलेज के गेट से बाहर आती हुई नज़र आयी। सानिया बेहद खूबसूरत और सैक्सी लग रही थी। उसने बेबी पिंक कुर्ती-टॉप के साथ सफ़ेद कैप्री और बेबी पिंक रंग की ही ऊँची वेज हील वाली सैंडल पहनी हुई थी। अपने बाल उसने पीछे पोनी टेल में बाँधे हुए थे और होंठों पे हल्की गुलाबी लिपस्टिक थी। कॉलेज के गेट से बाहर आकर सानिया बिना कुछ बोले सुनील के पीछे बाइक पर दोनों तरफ़ पैर करके बैठ गयी। सुनील बाइक चलाने लगा पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो सानिया को लेकर कहाँ जाये। "कहाँ चलें...?" सुनील ने आगे रास्ते पर देखते हुए पूछा तो सानिया उसके दोनों कंधों पे अपने हाथ रखते हुए बोली, "कहीं भी... जहाँ तुम्हारा दिल करे वहाँ ले चलो!"

"तुम्हें कोई ऐसी जगह पता है जहाँ पर हम दोनों अकेले कुछ देर तक बातें कर सकें?" सुनील ने पूछा। सानिया का दिल सुनील की बातें सुन कर मचलने लगा। सानिया की कईं सहेलियाँ अपने बॉय फ्रेंड्स के किस्से उसे सुनाया करती थीं कि कैसे उनके बॉय फ़्रेंड ने उन्हें बाँहों में भरा... कैसे किस किया... कहाँ-कहाँ हाथ लगाया... एक दो सहेलियों ने तो अपने बॉय फ्रेंड के लौड़े चूसने और चुदने के किस्से भी बयान किये थे। ये सब बातें सुन-सुन कर सानिया का दिल भी मचलने लगता था पर सानिया अपने खूंसठ बाप फ़ारूक से डरती थी और खासतौर पर बदनामी के डर से भी उसने खुद पे काबू रखा हुआ था और रोज़ाना खुद-लज़्ज़ती करके अपनी हवस की आग बुझानी पड़ती थी। सानिया बोली, "मालूम नहीं पर मेरी एक सहेली ने बताया था कि शहर के बाहर हाईवे पर एक बहोत बड़ा नेश्नल पार्क है... जंगल सा है... पर काफ़ी लोग वहाँ घूमने जाते हैं!"

उन्होंने वहीं जाने का फ़ैसला किया। दोनों थोड़ी देर में ही शहर से बाहर आ चुके थे। रास्ता एक दम विराना था और कुछ अगे जाने पर वो उस जंगल में पहुँच गये। जैसे ही वो उस जंगल में पहुँचे, तो वहाँ सुनील को एक बाइक स्टैंड नज़र आया। उसने सानिया को नीचे उतरने के लिये कहा और उसे उतार कर वो बाइक पार्क करने के लिये स्टैंड में चला गया। जैसे ही वो बाइक स्टैंड पर पहुँचा तो उसे वहाँ उसका कॉलेज का एक पुराना दोस्त मिल गया। उसने सुनील को देखते ही पहचान लिया। उसका नाम रवि था। रवि ने सुनील को पीछे से आवाज़ लगायी, "अरे सुनील तुम यहाँ?" तो सुनील ने घूम कर रवि को देखते हुए कहा, "अरे रवि तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो?"

"कुछ नहीं यार... मुझे यहाँ पर पार्किंग का ठेका मिला है... बस यही अपनी रोजी रोटी है... और तू सुना... तू यहाँ क्या कर रहा है...?" रवि ने कहा। सुनील ने कहा, "यार मुझे रेलवे में जॉब मिल गयी है... और मेरी पोस्टिंग यहीं हुई है...!"

रवि ने कहा, "यार ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुझे गवर्न्मम्ट जॉब मिल गयी है... और फिर पार्क में घूमने आये हो... अकेले हो या कोई और भी साथ मैं है?" सुनील मुस्कुराते हुए बोला, "हाँ यार मेरी फ्रेंड है साथ में..!" रवि बोला, "ओह हो... नौकरी और छोकरी... यार तुझे ये दोनों बड़ी जल्दी मिल गयी... भाई यहाँ पर घूमने तक तो ठीक है... पर ध्यान रखना यार... "पार्क में हर समय गार्ड गश्त करते रहते हैं.. यहाँ पर फैमिलीज़ आती हैं... इसलिये यहाँ पर वो बहुत सख्ती बरतते हैं!" ये सुनकर सुनील बोला, "ओह अच्छा... यार फिर तू किस दिन काम आयेगा!"

रवि हंसते हुए बोला, "हुम्म बेटा... मैं तेरा इरादा समझ गया... चल तू भी क्या याद करेगा... तू इस पार्किंग के पीछे वाले रास्ते से चले जाना... यहाँ से और कोई नहीं जाता... आगे जाकर काफ़ी घना जंगल है... वहाँ पर कोई नहीं होता...!" सुनील ने उसे धन्यवाद किया और उसके बाद बाइक पार्क की और सानिया को इशारे से आने के लिये कहा। फिर वो सानिया को लेकर रवि के बताये हुए रास्ते पर जाने लगा। उसके पीछे चलते हुए सानिया का दिल ज़ोर से धड़क रहा था वो इस तरह पहली बार किसी लड़के के साथ अकेली थी... वो भी कॉलेज बंक करके आयी थी। एक तरफ़ उसके दिल में सुनील के साथ वक़्त बिताने की लालसा भरी हुई थी और दूसरी तरफ़ उसे थोड़ा डर भी लग रहा था।

दोनों दस मिनट तक बिना कुछ बोले चलते रहे। अंदर की तरफ़ जंगल घना होता जा रहा था। थोड़ी दूर और चलने पर दोनों को एक बेंच दिखायी दी। दोनों उस पर जाकर बैठ गये। थोड़ी देर दोनों खमोश बैठे रहे... दोनों में से कोई बात नहीं कर रहा था। सानिया इधर-उधर देख रही थी जैसे अपना ज़हन किसी बात से हटाने की कोशिश कर रही हो पर एक जवान लड़की जब किसी जवान लड़के के साथ ऐसे सुनसान माहौल में हो तो उसके दिल में कुछ-कुछ होने लगता है! सानिया चुप्पी तोड़ते हुए बोली, "अब तो तुम बता ही सकते हो.!"

"क्या..?" सुनील ने पूछा तो बोली, "कि वो लड़के मेरे बारे में क्या कह रहे थे?" सुनील ने कहा, "छोड़ो तुम्हें बुरा लगेगा..!" सानिया बोली, "नहीं मैं बुरा नहीं मानती"! सुनील ने फिर एक बार उसे आगाह किया, "देख लो मुझसे बाद में नाराज़ मत होना...!" सानिया बोली, "नहीं होती नाराज़... अब बताओ भी!"

"वो कह रहे थे कि तुम्हारे वहाँ पर बहुत चर्बी चढ़ गयी है!" सुनील बताने लगा तो सानिया ने बीच में पूछा, "मेरे चर्बी... कहाँ?" सुनील ने कहा, "अब मैं तुम्हें कैसे कहूँ... तुम बुरा मान जओगी..!" सानिया बोली, "मैं क्यों तुम्हारा बुरा मानुँगी... तुमने थोड़े ना कुछ कहा...!" सुनील की बात सुन कर सानिया को कुछ अंदाज़ा तो हो ही गया था और उसका दिल धधक -धधक करने लगा था। "वो तुम्हारी गाँड पर!" सुनील ने जानबूझ कर झेंपने का नाटक करते हुए कहा। "क्या..?" सानिया एक दम से चौंक उठी... उसे नहीं मलूम था कि सुनील ऐसे अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल करेगा। "हाँ वो कह रहे थे कि तुम्हारी गाँड पर बहुत चर्बी चढ़ गयी है!" ये बात सुनते ही सानिया का चेहरा सुर्ख लाल हो गया। उसने अपनी नज़रें झुकाते हुए सुनील को कहा, "तुम्हें तो ऐसे बोलने में शरम आनी चाहिये... वो तो है ही कमीने!"

सुनील बोला, "देखा मैंने कहा था ना कि तुम बुरा मान जाओगी... मैं इसी लिये तुम्हें नहीं बता रहा था... ठीक है अब मैं ऐसी बात नहीं करता!" सानिया थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली, "मैंने ये नहीं कहा कि तुम गलत बोल रहे हो... पर तुम ऐसे अल्फ़ाज़ तो इस्तेमाल ना करो..!" सुनील बोला, "अब मुझे जैसी वर्डिंग आती है वैसे ही बोलुँगा ना... अगर तुम नहीं सुनना चाहती तो मैं नहीं बोलता..!" सानिया सुनील की बात सुन कर चुप हो गयी। अपनी गाँड पर चर्बी चढ़ने की बात सुनकर उसका दिल गुदगुदा उठा था... दिल बार-बार सुनील के मुँह से अपने बारे में सुनने के लिये मचल रहा था। "अच्छा सॉरी.. मैं ही गलत हूँ..!" सानिया ने सुनील के गुस्से से भरे चेहरे को देखते हुए कहा। "अच्छा क्या तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड है...?" सानिया ने सुनील की ओर देखते हुए बड़ी बेकरारी से पूछा और धड़कते हुए दिल के साथ उसके जवाब का इंतज़ार करने लगी। सुनील भी अपने दिमाग के घोड़ों को तेजी से दौड़ा रहा था कि वो सानिया को क्या जवाब दे... ऐसा जवाब जिससे वो मुर्गी खुद ही कटने को तैयार हो जाये।

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