मजबूर (एक औरत की दास्तान)

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"क्या हुआ मैंने कुछ गलत पूछ लिया क्या?" सानिया बोली तो सुनील ने कहा, "नहीं ऐसी बात नहीं है... अब तुम्हें क्या बताऊँ... अगर मानो तो है भी और ना मानो तो नहीं है..!" सानिया बोली, "मतलब... मैं कुछ समझी नहीं...!" सुनील ने कहा, "हाँ मेरी गर्ल-फ्रेंड है पर वो सिर्फ़ मेरी नहीं है..!" सानिया हैरान होते हुए बोली, "तो क्या तुम्हारी गर्ल-फ्रेंड किसी और की भी गर्ल-फ्रेंड है?" सुनील बोला, "गर्ल-फ्रेंड नहीं... वो किसी की बीवी है..!"

सानिया ने पूछा, "क्या तुम्हारा चक्कर एक शादी शुदा औरत के साथ है..?" सुनील ने जवाब दिया, "हम दोनों के बीच में कोई कमिट्मेंट नहीं थी... और वैसे भी मैं अब उसे नहीं मिलता... अपने-अपने जिस्म की जरूरत पूरा करने का हम एक दूसरे के लिये ज़रिया भर थे... इससे से ज्यादा कुछ नहीं... तब मैं नादान था... इसलिये मैं बिना कुछ सोचे समझे इतना आगे बढ़ गया!" सानिया को तो जैसे अपनी ख्वाबों की दुनिया आग में जल कर खाक़ होती हुई नज़र आने लगी पर सुनील का जादू सानिया के सिर पर इस क़दर चढ़ा हुआ था कि वो सुनील को खोना नहीं चाहती थी। इसलिये उसने आखिर कोशिश करते हुए पूछा, "और अब उसे नहीं मिलते..?" "नहीं!" सुनील ने कहा तो सानिया ने पूछा, "और कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं बनायी?" सुनील ने फिर कहा, "नहीं..!"

सानिया के दिल को सुनील की ये बात सुन कर थोड़ी तसल्ली हुई। इसका मतलब सुनील ने नादानी में सैक्स किया था... उसे उस औरत के साथ इश्क़-विश्क़ नहीं था। सानिया बोली, "अच्छा छोड़ो ये सब बातें... आब तुम ये बताओ कि वो कमीने मेरे बारे में और क्या कह रहे थे..!" सुनील ने सानिया की तरफ़ देखा और बोला, "अरे नहीं बाबा... अब नहीं बोलता मैं कुछ... तुम फिर भड़क जाओगी!" सानिया अब सुनील की चटपटी बातों का मज़ा लेना चाहती थी। "अरे नहीं तुम बोलो... मैं बिल्कुल नहीं भड़कुँगी!"

सुनील बोला, "अब मैं कैसे कहूँ... वो कह रहे थे कि तुम्हारे ये दोनों पहले से ज्यादा बड़े हो गये हैं!" सुनील ने अपनी आँखों से सानिया की टॉप में कैद... कसे हुए मम्मों की तरफ़ इशारा किया तो सानिया का चेहरा शरम से लाल हो गया। उसने अपनी नज़रें नीचे झुका ली। सुनील थोड़ी देर चुप रहा और फिर बोला, "और बताऊँ वो और क्या कह रहे थे...?" सानिया का दिल धक-धक करने लगा कि ना जाने अब सुनील उसे क्या बोल दे.... साथ ही चूत की धुनकी भी बजने लगी। "हाँ बताओ!" सानिया ने शर्माते हुए हाँ में सिर हिला दिया। सुनील को समझते देर ना लगी कि मुर्गी कटने के लिये बेताब हो रही है। सुनील खिसक कर सानिया के और करीब बैठ गया। उसकी जाँघें सानिया की जाँघों से सटने लगी तो सानिया के जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गयी। सुनील बोला, "पता है वो तुम्हारे बारे में और क्या कह रहे थे..!" फिर थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वो बोला, "वो कह रहे थे कि जरूर तुम्हारी झाँटें भी आ गयी होंगी!"

ये सुनते ही सानिया का दिल जैसे धड़कना ही भूल गया हो... साँसें जैसे हलक में ही अटक गयी हो... शरम और हया की जैसे कोई इंतेहा नहीं थी... पर अब वो क्या बोलती। सुनील के मुँह से ऐसे अल्फ़ाज़ सुन कर उसका पूरा जिस्म काँप गया था। उसने खुद को नादान दिखने का नाटक करते हुए पूछा, "ये क्या होती है...?" सुनील ने जब पूछा कि "तुम्हें नहीं पता झाँटें क्या होती है..?" तो सानिया ने इंकार में सिर हिला दिया। सुनील बोला, "अब मैं तुम्हें कैसे बताऊँ... देखोगी?"

सानिया का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। सुनील भी जान चुका था कि ये लड़की भी मस्ती करने के मूड में आ चुकी है और नादान बनने का सिर्फ़ नाटक कर रही है। सानिया के जवाब का इंतज़ार किये बिना सुनील खड़ा हुआ और इधर-उधर देखते हुए अपनी पैंट की ज़िप खोल दी। सानिया का दिल तो पहले ही जोर-जोर से धक-धक कर रहा था और अब हाथ-पैर काँपने लगे थे। सुनील ने ज़िप खोल कर अपने अंडरवियर के छेद को खोल कर अपने लंड को बाहर निकल लिया। सानिया ने सिर झुका रखा था इसलिये वो सुनील का लंड नहीं देख पा रही थी। फिर सुनील ने अपनी कुछ झाँटों को बाहर निकाला और सानिया के पास आकर उसके ठीक सामने खड़ा हो गया और अपनी काली झाँटों को हाथ से पकड़ कर दिखाते हुए बोला, "ये देखो... इसे कहते हैं झाँट!" सानिया को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि उसके ये कहने पर कि वो नहीं जानती कि झाँट क्या होती है... सुनील अपना लंड ही निकाल कर उसे दिखा देगा। जैसे ही सानिया ने सुनील की तरफ़ नज़र उठायी तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। उसकी आँखों के सामने सुनील का साढ़े-आठ इंच लंबा और बेहद मोटा लंड था। सुनील अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर हिलाते हुए बोला, "ये देखो... इसे कहते है लौड़ा... और ये बाल देख रही हो... इसे कहते झाँट!"

सानिया बोली, "हाय तौबा ये तुम क्या कर रहे हो..!" सानिया ने फिर से नज़रें झुका ली पर आठ इंच के तने हुए लौड़े को देख कर उसकी पैंटी के अंदर जवान चूत में धुनकी बजने लगी थी और चूत की फ़ाँकें फड़फड़ाने लगी थी। सुनील एक बार मुस्कराया और उसने अपने लंड को अंदर कर लिया। "क्यों अच्छा नहीं लगा?" सुनील ने फिर से सानिया के पास बैठते हुए पूछा। "तुम बहोत बेशर्म हो..." सानिया ने नज़रें झुकाये हुए शर्माते हुए कहा। सुनील ने पूछा, "क्यों क्या हुआ?" तो सानिया बोली, "ऐसे भी कोई करता है क्या..?" सुनील बोला, "तुमने ही तो कहा था कि तुम्हें नहीं पता झाँट किसे कहते हैं... वैसे एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मानोगी..?" सानिया का दिल अब और गुदगुदा देने वाली जवानी के रस से भरपूर बातें सुनने का कर रहा था। "अभी तक मैंने तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है क्या?" सानिया का जवाब सुन कर सुनील मुस्कुरा उठा, "वैसे तुम्हारी गाँड पर सच में बहुत माँस चढ़ा है... बहुत मस्त और मोटी है!" सानिया सुनील के मुँह से ऐसी बात सुन कर एक दम से चौंक गयी, "हाय तुम ऐसी बात ना करो मुझे शरम आती है... मैं ऐसी बातें नहीं करती..!"

सुनील बोला, "अच्छा वैसे तुम्हारी मस्त गाँड देख कर मुझे सुहाना की याद आ जाती है!" "ये सुहाना कौन?" सानिया ने पूछा। "वही जिसके बारे में थोड़ी देर पहले तुम्हें बताया था... क्या मस्त गाँड थी उसकी... बिल्कुल तुम्हारी तरह... बाहर को निकाली हुई... हाइ हील की सैंडल पहन कर जब वो गाँड निकाल कर चलती थी तो दिल करता था कि उसकी गाँड को पकड़ कर मसल दूँ... जब मैं उसकी मारता था तो साली की गाँड से पादने जैसी आवाज़ आने लगती थी..!" हालाँकि सानिया को सुनील की बातों में बेहद मज़ा आ रहा था लेकिन फिर भी शराफ़त का नाटक करती हुई बोली, "हाय अल्लह ये तुम क्या बोल रहे हो... तुम्हें तो किसी लड़की से बात करना ही नहीं आता... बहोत गंदा बोलते हो तुम..!" सुनील ने कहा, "अब ये क्या बात हुई... मैंने कहा तो था कि मुझे ऐसे ही बोलना आता है... और मैंने सच में आज तक किसी लड़की से बात नहीं की जो मुझे पता चलता कि किसी लड़की से कैसे बात करते हैं!" सानिया बोली, "पर ऐसे भी नहीं बोलना चाहिये तुम्हें!" उसकी बात पर ध्यान ना देते हुए सुनील बोला, "अच्छा एक बात कहूँ तो मानोगी?"

"क्या..?" सनिया ने पूछा तो सुनील बोला, "पहले बताओ कि मानोगी?" सानिया ने हाँ मैं सिर हिला दिया। सुनील का आठ इंच का तन्नाया हुआ मोटा लौड़ा देख कर उसकी चूत की तो पहले से धुनकी बज रही थी। "तुम भी मुझे अपनी झाँटें दिखाओ ना!" सुनील की ये बात सुनते ही सानिया के एक दम होश उड़ गये... वो बुत सी बनी उसको देखने लगी। "क्या हुआ सानिया... प्लीज़ दिखाओ ना... देखो अगर तुम मुझे अपना दोस्त मानती हो तो प्लीज़ दिखा दो ना... तुमने भी तो मेरी देख ली है... बोलो तुम मुझे अपना दोस्त नहीं मानती... मानती हो ना?" सानिया ने हाँ मैं सिर हिला दिया। सुनील बोला, "तो फिर दिखाओ ना..!" सानिया बोली, "अगर किसी को पता चल गया तो..?"

"नहीं चलता किसी को पता... तुमने मेरी देखी... किसी को पता चला... तुमने तो मेरा लौड़ा भी देख लिया है!" सानिया को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे और क्या ना करे। सुनील के लिये तो वो कितने दिनों से तड़प रही थी लेकिन उसे उम्मीद नहीं थी कि पहली ही डेट पे बात यहाँ तक पहुँच जायेगी। "अगर तुमने ने किसी को बता दिया तो..?" सानिया ने अपना शक ज़हिर करते हुए कहा तो सुनील बोला, "अब भला मैं क्यों बताने लगा... प्लीज़ दिखा दो ना... अपने दोस्त की इतनी सी भी बात नहीं मान सकती चलो मत दिखाओ... मैं आगे से तुम्हें कुछ नहीं कहुँगा...!" सुनील ने फिर से उसे जज़्बाती तौर पे ब्लैकमेल किया। "पक्का किसी को पता तो नहीं चलेगा ना?" सानिया बोली तो सुनील बेंच से खड़ा हो गया और इधर-उधर देखते हुए बोला, "मुझ पर भरोसा रखो... किसी को नहीं पता चलेगा..!"

"अगर इधर कोई आ गया तो?" सानिया ने पूछा तो इधर-उधर देखते हुए सुनील की नज़र थोड़ी आगे घनी झाड़ियों पर पड़ी। वो झाड़ियाँ कोई दस फीट ऊँची जंगली घास की थी। "तुम उन झाड़ियों के बीच में चली जाओ... वहाँ ऐसे बैठना जैसे पेशाब करते हुए बैठते हैं... मैं तुम्हारे पीछे आता हूँ..!" सुनील ने उसे समझाया। सानिया बिना कुछ बोले खड़ी हुई और झाड़ियों के तरफ़ जाने लगी। सुनील वहीं खड़ा इधर-उधर देख कर जायज़ा लेटा रहा। तभी उसकी नज़र दूसरी तरफ़ की झाड़ियों पर लटक रहे तिरपाल के टुकड़े पर पढ़ी। शायद किसी ट्रक के ऊपर रखे सामान को ढकने वाली तिरपाल का फटा हुआ टुकड़ा था। सुनील ने आगे बढ़ कर उस तिरपाल को उठाया और उसे लपेट कर इधर उधर देखने लगा। उसके दोस्त रवि ने बताया था कि इधर कोई नहीं आता। थोड़ी देर बाद वो भी झाड़ियों की तरफ़ बढ़ने लगा। झाड़ियाँ बहुत घनी और ऊँची थीं। सुनील जगह बनाता हुआ आगे बढ़ा। तभी उसे सानिया उकड़ू बैठी नज़र आयी। सुनील को देखते ही उसके चेहरे का रंग लाल सेब जैसा हो गया। सुनील उसके पास जाकर खड़ा हुआ और उसने वहाँ की झाड़ियों को जल्दी से हटा कर थोड़ी जगह बनायी और उस तिरपाल को बिछा दिया। सानिया अब खड़ी होकर ये सब देख रही थी।

आगे क्या होने वाला है ये सोच-सोच कर उसकी चूत में तेज सरसराहट होने लगी थी। सुनील तिरपाल पर घुटनों के बल बैठ गया और सानिया को पास आने का इशारा किया। सानिया धड़कते हुए दिल के साथ सुनील के करीब आ गयी। "पक्का सिर्फ़ देखोगे ना..? प्लीज़ कुछ और मत करना..!" उसने सुनील की तरफ देखते हुआ कहा। "हाँ-हाँ... कुछ नहीं करुँगा... सिर्फ़ देखुँगा... जल्दी करो उतारो अपनी कैप्री..!" सानिया फिर से बुरी तरह शरमा गयी। सानिया वैसे तो काफ़ी तेज तर्रार लड़की थी लेकिन इस तरह पब्लिक प्लेस में कपड़े उतारने में उसे घबराहट और शर्म महसूस हो रही थी। उसने अपनी कैप्री के आगे का बटन खोल कर धीरे से नीचे अपनी गोरी रानों तक कैप्री सरका दी और अपनी सफ़ेद रंग की लेस वाली पैंटी के इलास्टिक में उंगलियाँ फंसा कर धीरे-धीरे नीचे सरकाना शुरू कर दिया। सुनील ने उसे कैप्री और पैंटी बिल्कुल उतार देने को कहा तो सानिया ने झिझकते हुए दोनों निकाल दीं। सानिया की गोरी चिकनी टाँगें और जाँघें देख कर सुनील का लंड उसकी पैंट में कुलांचे भरने लगा। सानिया की चूत और चूतड़ उसके कुर्ती-टॉप से ढंके हुए थे। सुनील ने सानिया के हाथ से कैप्री और पैंटी को लेकर तिरपाल पर रख दिया और सनिया को कमर से पकड़ कर बैठने को कहा। सानिया थोड़ा डरी हुई सी नीचे अपने चूतड़ों के बल बैठ गयी। अब वो सिर्फ़ अपने गुलाबी कुर्ती-टॉप और ऊँची वेज हील वाली सैंडल पहने हुई थी। सुनील ने उसकी टाँगों को उसकी पिंडलियों से पकड़ कर फैला दिया और उसकी आँखों में झाँकते हुए बोला, "अब दिखाओ भी!" सानिया ने अपने काँपते हुए हाथ से अपनी कुर्ती को नीचे से पकड़ा और धीरे-धीरे ऊपर करने लगी और अगले ही पल सुनील का मुँह खुला का खुला रह गया। सानिया की गुलाबी चूत देखते ही सुनील का लंड झटके पे झटके खाना लगा। झाँट तो दूर... बाल का एक रोआँ भी नहीं था। एक दम चिकनी और गुलाबी चूत... बिल्कुल अपनी अम्मी रुखसाना की तरह। चूत की दोनों फाँकें आपस में कसी हुई थी। सुनील से रहा नहीं गया और उसने अपनी उंगली को उसकी चूत की फ़ाँकों के बीच रख कर फिरा दिया। "श्श्शहहह ऊँहहह... ये क्या कर रहे हो सुनील तुम..!" सानिया ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में कहा और सुनील का हाथ पकड़ कर उसका हाथ हटाने की कोशिश करने लगी। लेकिन सुनील ने धीरे-धीरे उसकी चूत की फ़ाँकों के दर्मियान अपनी उंगली रगड़ते हुए पूछा, "इस पर तो एक भी बाल नहीं है... कैसे साफ़ किया इसे?" सानिया को जवानी का ऐसा मज़ा पहली बार मिल रहा था। उसका पूरा जिस्म काँप रहा था और उसके हाथ में इतनी ताकत नहीं बची थी कि वो सुनील का हाथ हटा पाये। "आआहहह स्स्सीईई उईईईई... ऐसे ना करो आआहहह..." सुनील ने जैसे ही अपनी उंगली को उसकी चूत की फ़ाँकों के बीच में दबाया तो उसकी उंगली उसकी चूत के रस टपका रहे छेद पर जा लगी। सानिया का पूरा जिस्म थर्रा उठा। "बोलो ना कैसे साफ़ की तुमने अपनी झाँटें..." इस बार सुनील ने अपनी उंगली को सख्ती से रगड़ा तो सानिया की चूत पिघल उठी। "उईईईईई.... याल्लाहहह.... ऊँऊँहहह क्रीम से..!"

"क्यों?" सुनील ने पूछा तो सानिया मस्ती में आँखें बंद करके सिसकते हुए बोली, "हाइजीन के लिये... मुझे साफ़-सफ़ाई पसंद है इसलिये...! तभी सानिया को कुछ सरसराहट सुनायी दी तो उसने अपनी आँखें खोल कर देखा तो सुनील अपनी पैंट और अंडरवियर उतार रहा था। सानिया ये देख कर एक दम से घबरा गयी। "ये... ये तुम क्या कर रहे हो ऊँहहह!" वैसे तो कितने दिनों से वो सुनील से चुदने के ख्वाब देख रही थी लेकिन आज जब असल में उसका ख्वाब पूरा होने जा रहा था तो पता नहीं वो क्यों घबरा रही थी। "कुछ नहीं मेरी जान... तुम्हारी चूत का उदघाटन करने की तैयारी कर रहा हूँ!" सुनील ने कहा तो सानिया उसे रोकते हुए बोली, "नहीं ये ठीक नहीं है.... प्लीज़ मुझे जाने दो..!" लेकिन सानिया ने कोई मुज़ाहिमत नहीं की और उसकी आवाज़ में भी ज़रा सी भी मज़बूती नहीं थी।

"प्लीज़ सानिया एक बार!" सुनील ने कहा और घुटनों के बल नीचे झुक कर उसने सानिया की तमतमा रही सुर्ख चूत की फ़ाँकों पर अपने होंठ रख दिये। जवान सानिया को जैसे ही जवानी का मज़ा मिला वो एक दम से पिघल गयी। वो पीछे के तरफ़ लुड़क गयी और उसकी कुर्ती उसकी कमर पर इकट्ठी हो गयी। "नहीं ओहहहह येऐऐऐ तुम हायऽऽऽ आँहहह ऊँहहफ़्फ़्फ़..." सानिया जैसी जवान गरम लड़की के लिये ये सब बर्दाश्त से बाहर था। आज तक उसे किसी लड़के ने छुआ तक नहीं था और कहाँ आज वो अपनी जवानी के बेशकीमती खज़ाने को सुनील के सामने खोल कर बैठे थी। सानिया की आँखें मस्ती में बंद हो चुकी थी। उसने सिसकते हुए दोनों हाथों से सुनील के सिर को पकड़ लिया और उसके चेहरे को पीछे हटाने की हल्की सी कोशिश करने लगी। सानिया की चूत मैं तेज मचमचाहट और मस्ती की लहरें दौड़ने लगीं... चूत फक-फक करने लगी। आखिरकार उसने चूत की आग के आगे हथियार डाल दिये और बुरी तरह काँपते सिसकते हुए पीछे के तरफ़ लेट गयी। सानिया की कमर अब उसके काबू में नहीं थी। रह-रह कर उसकी कमर झटके खाती और उसकी गाँड ऊपर की ओर उछल जाती। चूत से चिपचिपा रसीला रस बह-बह कर बाहर आने लगा।

सुनील ने सानिया की चूत को चूसते हुए उसकी कुर्ती में कैद दोनों कबूतरों को पकड़ लिया और धीरे-धीरे मसलने लगा। सानिया ने एक दम से अपने हाथ सुनील के हाथों के ऊपर रख दिये पर सुनील नहीं रुका। उसने सानिया की कमर में हाथ डाल कर उसकी कुर्ती के हुक एक-एक करके खोलने शुरू कर दिये। "स्स्सीईईई ऊँऊँहहह स्स्सीईईई ना करो... नाआआ... मुझे कुछ हो रहा है...!" सानिया सिसकते हुए बोली और फिर सानिया की कुर्ती के हुक खोल कर उसे निकालते ही सुनील ने उसकी ब्रा के कपों को पकड़ कर ऊपर खिसका दिया और सानिया की मोटी और कसी हुई चूचियाँ उछल कर बाहर आ गयीं। एक दम सख्त और तनी हुई चूंचीयों पर हाथ लगते ही सानिया फिर से सिसकारियाँ भरने लगी। सुनील ने अपना मुँह सानिया की चूत से हटाया और ऊपर की ओर आते हुए सानिया के एक मम्मे को मुँह में भर लिया और उसके निप्पल को होंठों और जीभ से चुलबुलाने लगा। सानिया का बुरा हाल हो रहा था। सानिया का पूरा जिस्म आग की तरह तपने लगा था। सुनील अपने नीचे जवान लड़की के एक दम तने हुए मम्मों को देख कर पागल सा हो गया था। वो जितना अपने मुँह में उसकी चूचियों को भर सकता था उतना भर कर जोर-जोर से उसके मम्मों को चूसने लगा।

सुनील ने देखा कि अब सानिया पूरी तरह से गरम हो चुकी है तो उसने उसकी चूत से मुँह हटाया और सानिया की जाँघों के बीच में घुटनों के बल बैठ गया। उसने सानिया की चिकनी टाँगों को उठा कर हल्के गुलाबी सैंडलों में उसके गोरे-गोरे पैरों को एक-एक बार चूमा और फिर उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रख के अपने लंड का मोटा सुपाड़ा उसकी चूत की फ़ाँकों के बीच में दो-तीन बार रगड़ा। जैसे ही सानिया को अपनी चूत के छेद पर सुनील के लंड के गरम सुपाड़े के छूने का एहसास हुआ तो सानिया बुरी तरह से मचल उठी। इससे पहले कि सानिया कुछ कर पाती सुनील ने अपने लंड को जोर से सानिया की चूत पर दबा दिया। गच की आवाज़ से सुनील के लंड का मोटा सुपाड़ा सानिया की जवान अनचुदी चूत को फाड़ता हुआ अंदर जा घुसा।

इससे पहले आज तक उसकी चूत में मोमबत्ती, हेयर-ब्रश का हैंडल, खीरा-बैंगन-केला वगैरह जैसी बेजान चीज़ें ही घुसी थीं लेकिन सुनील के इतने मोटे लंड का मोटा सुपाड़ा जैसे ही सानिया की चूत के अंदर घुसा तो दर्द के मारे सानिया एक दम से तड़प उठी। उसकी साँसें अटक गयीं और मुँह ऐसे खुल गया जैसे उसकी साँस बंद हो गयी हों... आँखें एक दम से पत्थरा गयीं। 'गच-गच' फिर से दो बार और ये आवाज़ आयी और साथ ही सुनील का पूरा का पूरा लंड सानिया की चूत की गहराइयों में उतर गया। "आअहहहह याआआलाहहहह ओहहहह..." सानिया एक दम से चिल्ला उठी। लेकिन अगले ही पल सुनील ने उसकी टाँगें अपने कंधों से उतार दीं और आगे झुक कर सानिया के रसीले गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नाजुक होंठों को अपने होंठों में भर लिया और उसके होंठों को अपने दाँतों से हल्का सा चबाते हुए चूसना शुरू कर दिया। गरम जवान लड़की के होंठ और चूत दोनों पा कर सुनील एक दम मस्त हो चुका था। "बस मेरी जान बस हो गया..!" सुनील ने ये कहते हुए फिर से सानिया के होंठों को चूसना शुरू कर दिया... ताकि वो चींख भी ना सके और फिर अपने मोटे मूसल जैसे लंड को अंदर-बाहर करने लगा। सानिया ने दर्द के मारे सुनील के कंधों पर अपने नाखून गड़ा दिये पर सुनील को कोई फ़र्क़ नहीं पढ़ा। वो अपना मूसल जैसा लंड उस जवान लड़की की चूत में पागलों की तरह पेलने लगा। सुनील नहीं रुका पर सानिया का दर्द अब धीरे-धीरे कमतर होने लगा था। उसकी चूत अब फिर से पानी छोड़ने लगी थी। लंड के सुपाड़े की तंग चूत की दीवारों पर हर रगड़ सानिया को जन्नत की ओर ले जने लगी। पाँच मिनट बाद ही सानिया ने मस्ती में आकर सिसकना शुरू कर दिया और वो भी धीरे-धीरे अपनी गाँड को ऊपर की ओर उछालने लगी। ये देख कर सुनील ने अपना लंड बाहर निकल कर एक झटके में उसे कुत्तिया की तरह घुटनों पर कर दिया और फिर पीछे से अपना मूसल लंड उसकी चूत में पेल दिया। फिर क्या था सुनील के जबरदस्त झटकों से उसका लंड सानिया की चूत के अंदर-बाहर होने लगा।

सुनील की माँसल जाँघें सानिया के चूतड़ों से टकरा कर 'थप-थप' की आवाज़ करने लगी। सुनील ने अपना लंड अंदर-बाहर करते हुए सानिया के दोनों चूतड़ों को फैला दिया और उसकी चूत के पानी से भीगे उसकी गाँड के छेद को अपनी उंगली से कुरेदने लगा। सानिया का पूरा जिस्म एक दम से काँप गया। बेजान चीज़ों से खुद-लज़्ज़ती के मुकाबले असल लंड से चुदवाने में इतना मज़ा आता है... ये आज सानिया को एहसास हो रहा था और वो भी सिसकते हुए सुनील के लंड को अपनी चूत की गहराइयों में महसूस कर रही थी। सानिया का पूरा जिस्म ऐंठने लगा था। उसे अपने जिस्म का सारा लहू चूत में इकट्ठा होता हुआ महसूस होने लगा। "ओहहहह सुनील येऽऽऽ मुझेऽऽऽ क्याआआ कर दियाआआ तुमनेऽऽऽ ऊउहहह हाआआय मैं पागल.... ओहहहह सुनील!"

"क्यों क्या हुआ मेरी जान... मज़ा नहीं आ रहा क्या?" सुनील ने पूछा तो सानिया सिसकते हुए बोली, "आआआहहह ऊँऊँहहह बहोत आ रहा है..!" सुनील ने पूछा, "और मारूँ क्या?" "हुम्म्म्म्म!" सानिया सिसकी। सुनील ने अपने झटकों की रफ़्तार और बढ़ा दी। अब सुनील का लंड सानिया की तंग चूत में पूरी रफ़्तार से अंदर-बाहर हो रहा था और फिर सानिया का जिस्म एक दम अकड़ने लगा। चूत का सैलाब बाहर जलजला बन कर बह निकला और उसका पूरा जिस्म झटके खाते हुए झड़ने लगा। सुनील भी उसकी गरम तंग चूत में ज्यादा देर नहीं टिक पाया और उसके चूत के अंदर ही उसके लंड ने वीर्य के बौंछार कर दी।

सानिया झड़ने के बाद बुरी तरह हाँफ रही थी। सुनील ने जैसे ही अपना लंड सानिया की चूत से बाहर निकाला तो सानिया आगे के तरफ़ लुढ़क कर उस तिरपाल पर लेट गयी और गहरी साँसें लेने लगी। सुनील कुछ देर वैसे ही घुटनों के बल बैठा रहा और सानिया के नरम और माँसल चूतड़ों को सहलाता रहा। अपनी साँसें कुछ दुरुस्त होने के बाद जैसे ही उसे अपने चूतड़ों पर सुनील का हाथ फिरता हुआ महसूस हुआ तो वो उठ कर बैठ गयी। उसने शर्माते हुए एक बार सुनील के तरफ़ देखा और फिर नीचे अपनी रानों में देखा तो उसकी चूत की फ़ाँकें उसकी चूत के गाढ़े पानी और सुनील की मनी से सनी हुई थी। सानिया शर्माते हुए बोली, "ये तुमने ठीक नहीं किया सुनील... मैं भी तुम्हारी बातों से बहक गयी!"

सुनील बोला, "अरे क्यों घबरा रही हो मेरी जान... यही तो जवानी के मज़े लूटने के दिन हैं... मैं तुम्हारा ख्याल रखुँगा ना... चलो इसे साफ़ कर लो!" "किससे साफ़ करूँ...?" सानिया ने पूछा तो सुनील ने सानिया की पैंटी उठायी और उसी से अपना लंड साफ़ करने लगा। ये देखकर सानिया एक दम से बोल पढ़ी, "अब मैं क्या पहनुँगी..?" सुनील ने हंसते हुए अपने लंड को साफ़ किया और फिर वो पैंटी सानिया की तरफ़ बढ़ाते हुए बोला, "क्यों कैप्री तो है ना... किसी को नहीं पता चलता... मैं तुम्हें घर वाली गली के बाहर छोड़ दुँगा... वहाँ से तुम पैदल चली जाना!" सानिया ने सिर झुकाये हुए सुनील के हाथ से पैंटी ली और अपनी चूत और रानों को ठीक से साफ़ किया। सानिया उसके सामने बेहद शरमा रही थी। सानिया की गोरी चिकनी जाँघें और चूत देख कर एक बार फिर से सुनील का लंड झटके खाने लगा था। उसने अभी तक अंडरवियर और पैंट नहीं पहनी थी। सुनील का लंड फिर से खड़ा होने लगा था। तभी अचानक सानिया की नज़र सुनील के झटके खा रहे लंड पर गयी जिसे देखते ही उसके दिल की धड़कने फिर से बढ़ने लगी। सानिया एक दम से खड़ी हो गयी और थोड़ा आगे खड़ी हो कर अपनी कैप्री पहनने के बाद अपनी कुर्ती पहन कर उसके हुक बंद करने लगी। सुनील सानिया की कैप्री में मटकते हुई उसके गोलमटोल चूतड़ों को देख कर पगल हो उठा। उसने जल्दी से अपनी अंडरवियर और पैंट पहनी पर उसे जाँघों तक चढ़ा कर छोड़ दिया और फिर अपनी पैंट को पकड़ कर सानिया के ठीक पीछे आकर खड़ा हो गया। सुनील ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया और उसकी लंबी सुराहीदार गर्दन पर अपने होंठों को लगा दिया। सानिया एक दम से चौंक गयी और सुनील की बाहों से निकलने की कोशिश करने लगी पर सुनील के होंठों की तपिश अपनी गर्दन पर महसूस करके वो एक दम से बेजान से हो गयी। "ऊँऊँहहह क्या क्या कर रहे हो तुम्म्म!"

"कुछ नहीं अपनी जान को प्यार कर रहा हूँ!" सुनील ने अपने होंठों को सानिया की गर्दन पर रगड़ते हुए कहा। "ऊँऊँहहह बस करो.. कोई देख लेगा आहहह...!" सानिया सिसकी तो उसकी कुर्ती के ऊपर से उसकी चूचियों को मसलते हुए सुनील बोला, "हुम्म्म यहाँ कोई नहीं देखेगा... प्लीज़ मेरी जान मुझसे रहा नहीं जा रहा आज... तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो... प्लीज़ एक बार और दे दो ना..?" सुनील लगातार सानिया की चूचियों को मसलते हुए उसकी गर्दन और गाल पर अपने होंठों को रगड़ रहा था और सानिया भी मस्त होती जा रही थी। "प्लीज़ जान एक बार और दे दो ना..!"

"क...क...क्या...?" सानिया ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में पूछा। "ऊम्म्म फुद्दी... तुम्हारी फुद्दी चाहिये!" सुनील बोला तो सानिया मस्ती में भर कर बोली, "हाय अल्लाहहहह... कैसी बातें करते हो तुम!" सुनील बोला, "प्लीज़ जान मेरे लिये इतना भी नहीं कर सकती... प्लीज़ एक बार... तुम्हें मज़ा नहीं आया क्या!" ये कहते हुए सुनील ने आगे की तरफ़ नीचे हाथ ले जाकर कैप्री का बटन खोल कर सानिया की कैप्री नीचे सरकानी शुरू कर दी। सानिया की कैप्री को उठा कर उसके घुटनों के नीचे सरका दिया और फिर अपनी टाँगों को फैला कर अपने घुटनों को मोड़ते हुए नीचे झुका और सानिया के कान में धीरे से बोला, "सानिया खोलो ना...!" सानिया ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में पूछा, "क्या?"

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