मजबूर (एक औरत की दास्तान)

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फिर नजीला ने अपने सिर को और झुका कर सुनील के लंड के सुपाड़े को अपने होंठों से चूम लिया तो सुनील के जिस्म ने एक तेज झटका खाया। उसने अपने लंड को उसकी चूचियों से बाहर निकाला और नजिला के सिर को पकड़ कर अपना लंड का सुपाड़ा उसके होंठों के तरफ़ बढ़ाते हुए बोला, "आहह भाभी... चुसो ना इसे..!" नज़ीला ने सुनील की आँखों में हवस से भरी नज़रों से देखा और फिर सानिया के तरफ़ देखते हुए बोली, "ओहहह सुनील.... तेरा लंड इतना शानदार है की इसका ज़ायका चखने के लिये मेरे मुँह में कब से पानी आ रहा है..!" ये कहते हुए नज़ीला ने सानिया की तरफ़ देखते हुए सुनील के लंड को अपने होंठों में भर लिया और अपने होंठों से सुनील के लंड के सुपाड़े को पूरे जोश के साथ चूसने लगी। सामने का नज़ारा देख कर सानिया की चूत फुदफुदाने लगी। उसने आज तक चुदाई की सैक्सी कहानियों किताबों में ही लंड चुसने के मुतालिक़ पढ़ा था या अपनी सहेलियों से उनके बॉय फ्रेंड्स के लंड चूसने के किस्से सुने थे। नज़ीला अब किसी राँड की तरह सुनील का लंड चूस रही थी। सुनील का आधे से ज्यादा लंड नजीला के मुँह के अंदर बाहर हो रहा था और उसका लंड नज़ीला के थूक से गीला होकर चमकने लगा था।

फिर नज़ीला ने सुनील के लंड को मुँह से बाहर निकला और अपने हाथ से हिलाते हुए सानिया की तरफ़ दिखाते हुए सुनील के लंड के सुपाड़े के छेद को अपनी ज़ुबान बाहर निकाल कर कुरेदते हुए सुपाड़े पर ज़ुबान फिराने लगी और आँखों ही आँखों में सानिया को अपने करीब आने का इशारा किया। सामने चल रहा गरम नज़ारा देख सानिया खुद-बखुद उसके करीब खिंचती चली गयी। अब सानिया नज़ीला के बिल्कुल करीब घुटनों के बल बैठी हुई थी। नज़ीला ने सुनील के लंड को हाथ में थामे हुए सानिया से कहा, "ले तू भी चूस ले अपने यार का लौड़ा... बेहद मज़ेदार है!" नज़ीला की बात सुन कर सानिया के दिल के धड़कनें बढ़ गयीं। सानिया भी सुनील का लंड चूसना तो चाह रही थी लेकिन नज़ीला के सामने उसे हिचकिचाहट हो रही थी और उसने ना में सिर हिलाते हुए मना कर दिया। नज़ीला ने मुस्कुराते हुए सुनील के लंड के सुपाड़े के चारों तरफ़ अपनी ज़ुबान रगड़ते हुए फिरायी और बोली, "सानिया देख ना सुनील का लौड़ा कितना मस्त है... तू बहोत खुशनसीब है कि तेरा यार है सुनील... देख सानिया मर्द के लंड को तू जितना प्यार करेगी उतना ही उसका लंड तेरी फुद्दी को ठंदक पहुँचायेगा... ले चूस ले..." और नशे में लहकती आवाज़ में ये कहते हुए नज़ीला ने सानिया का हाथ पकड़ सुनील के लंड पर रख दिया।

सानिया अब पूरी तरह हवस से तड़प रही थी। उसने सुनील के लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया और फिर ऊपर सुनील की आँखों में झाँकने लगी जैसे सुनील से पूछ रही हो कि अब क्या करूँ। सुनील ने उसकी तरफ़ मुस्कुराते हुए देखा और फिर उसके प्यारे से चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर उसके होंठों को अपने लंड के सुपाड़े की तरफ़ झुकाने लगा। सानिया ने अपने होंठ खोल लिये और नज़ीला के थूक से सने हुए सुनील के लंड को अपने होंठों में भर लिया। "ओहहहह सानिया... आहहहह" सानिया के रसीले तपते होंठों का स्पर्श अपने लंड पर महसूस करते ही सुनील एक दम से सिसक उठा और सानिया के सिर को पकड़ कर अपने लंड को उसके मुँह में ढकेलने लगा। सानिया अब पूरी तरह गरम और चुदास हो गये थी। उसकी पैंटी सलवार के अंदर उसकी चूत से निकल रहे पानी से एक दम गीली हो चुकी थी। नज़ीला मौका देखते हुए उसके पीछे बैठ गयी और सानिया की कमीज़ को पकड़ कर धीरे-धीरे ऊपर उठाने लगी। जैसे ही सानिया को इस बात का एहसास हुआ कि नज़ीला उसकी कमीज़ उतारने जा रही है तो उसने दोनों हाथों से अपनी कमीज़ को पकड़ लिया। "क्या हुआ सानिया... शरमा क्यों रही है... यहाँ पर कोई गैर तो नहीं है.... तेरा बॉय फ्रेंड सुनील ही तो है... सुनील देख ना ये कैसे शरमा रही है!" नज़ीला बोली। दर असल सानिया सुनील से नहीं बल्कि नज़िला की मौजूदगी की वजह से हिचकिचा रही थी। नज़ीला नहीं होती तो सानिया खुद ही अब तक नंगी होकर सुनील का लंड अपनी चूत में ले चुकी होती।

सुनील ने सानिया के मुँह से लंड निकाला और नीचे बैठते हुए सानिया के हाथों को पकड़ कर कमीज़ से छुड़वा लिया। नज़ीला ने फ़ौरन सानिया की कमीज़ पकड़ कर ऊपर कर दी और फिर गले से निकाल कर नीचे फेंक दी। सुनील ने सानिया के होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसना करना शुरू कर दिया और एक हाथ नीचे ले जाकर सलवार के ऊपर से सानिया की चूत पर रख दिया। अपनी चूत पर सुनील का हाथ पड़ते ही सानिया के जिस्म में करंट सा दौड़ गया और अपनी बाहों को सुनील की गर्दन में डालते हुए उसके जिस्म से चिपक गयी। पीछे नज़ीला ने अपना काम ज़ारी रखा और उसने सानिया की ब्रा के हुक खोल दिये और जैसे ही सानिया के जिस्म से ब्रा ढीली हुई तो सुनील ने ब्रा के स्ट्रैप को पकड़ उसके कंधों से सरकाते हुए उसकी ब्रा को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया। फिर धीरे-धीरे सानिया को कालीन पे पीछे लिटाते हुए सुनील उस पर सवार हो गया और उसकी एक चूंची को मुँह में भर कर चूसने लगा। सान्या एक दम से सिसक उठी और उसकी चूत में ज़ोर से कुलबुलाहट होने लगी। ये नज़ारा कर देख नज़ीला की चूत भी और ज्यादा लार टपका रही थी। उसने फ़ौरन अपनी सलवार फेंकी। नज़ीला ने नीचे पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी और अब वो हाइ पेन्सिल हील के सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी थी।

सानिया की बगल में लेटते हुए नज़ीला ने सानिया के दूसरे मम्मे को अपने मुँह में भर लिया। अपने दोनों मम्मों को एक साथ चुसवाते हुए सानिया एक दम बेहाल हो गयी। उसके आँखें मस्ती में बंद होने लगी। नज़ीला ने सानिया की चूंची को मुँह से निकाला और सुनील को सानिया की सलवार उतारने के लिये कहा। सुनील ने भी सानिया की चूंची को मुँह से बाहर निकाला और सान्या की पलाज़्ज़ो सलवार का नाड़ा खोलने लगा। नज़ीला ने फिर सानिया की चूंची को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके दूसरी चूंची को मसलने लगी। स्स्सीईईई ऊँहहह आँटी प्लीज़. आहहह मत करो ना! सानिया ने मस्ती में सिसकते हुए नज़ीला भाभी के सिर को अपनी बाहों में जकड़ लिया। दूसरी तरफ़ सुनील सानिया की सलवार और पैंटी दोनों उतार चुका था। लोहा एक दम गरम था... सानिया की चूत अपने पानी से एक दम भीगी हुई थी। एक बार पहले चुदाई का मज़ा ले चुकी सानिया एक दम मदहोश हो चुकी थी और पिछले कईं दिनों से फिर चुदने के लिये तड़प रही थी।

सानिया की सलवार और पैंटी उतारने के बाद जैसे ही सुनील सानिया की टाँगों के बीच में आया तो पूरी तरह गरम और मदहोश हो चुकी सानिया ने अपनी टाँगों को घुटनों से मोड़ कर खुद ही ऊपर उठा लिया। सानिया भी अब नज़ीला की तरह सिर्फ़ ऊँची हील वाले सैंडल पहने बिल्कुल नंगी थी। सानिया को बेकरारी में अपनी टाँगें उठाते देख कर नज़ीला को एक तरकीब सूझी और उसने सानिया को पकड़ कर बिठाया और खुद उसके पीछे आकर बैठ गयी और अपनी टाँगों को सानिया की कमर के दोनों तरफ़ करके आगे की ओर सरकते हुए उसने सानिया को पकड़ कर अपने ऊपर लिटा लिया। अब नज़ीला नीचे लेटी हुई थी पीठ के बल और उसके ऊपर सानिया पीठ के बल लेटी हुई थी। सानिया नज़ीला आँटी की इस हर्कत से हैरान थी कि उसका मंसूबा क्या था। नज़ीला ने अपने हाथों को नीचे की तरफ़ ले जाते हुए सानिया की टाँगों को पकड़ कर ऊपर उठा कर फैला दिया जिससे सानिया की चूत का छेद खुल कर सुनील की आँखों के सामने आ गया। सानिया की टाँगें तो नज़ीला ने पकड़ कर ऊपर उठा रखी थीं और सुनील ने नज़ीला की टाँगों को फैला कर ऊपर उठाते हुए अपनी जाँघों पर रख लिया।

अब नीचे नज़ीला की चूत और ऊपर सानिया की चूत... दोनों ही चिकनी चूतें अपने-अपने निकले हुए रस से लबलबा रही थी। अपने सामने चुदवाने के लिये तैयार दो-दो चिकनी चूतों को देख कर सुनील से रहा नहीं गया। उसने अपने लंड के सुपाड़े को सानिया की चूत की फ़ाँकों के बीच रगड़ना शुरू कर दिया। "ऊँऊँऊँ स्स्सीईई आहहहह सुनील...!" सानिया ने सिसकते हुए अपने हाथों को अपने सिर के नीचे ले जाते हुए नज़ीला के सिर को कसके पकड़ लिया और नज़ीला ने सानिया की गर्दन पर अपने होंठों को रगड़ना शुरू कर दिया। सुनील ने सानिया की चूत के छेद पर अपना लंड टिकाते हुए धीरे-धीरे अपने लंड को आगे की ओर दबाना शुरू कर दिया। सुनील के लंड का मोटा सुपाड़ा जैसे ही सानिया की तंग चूत के छेद में घुसा तो सानिया का पूरा जिस्म काँप गया और वो मस्ती में मछली की तरह छटपटाने लगी। सुनील के लंड का सुपाड़ा सानिया की चूत को बुरी तरह फैलाये उसके अंदर फंसा हुआ था। "हाय सानिया... अपने यार का लौड़ा अपनी चूत में लेकर मज़ा आ रहा है ना...!" नज़ीला ने सानिया की चूचियों को मसलते हुए कहा।

सानिया मस्ती में सिसकते हुए बोली, "ऊँहहहहाँ आँटी.... बेहद मज़ा आ रहा है.... आहहहायऽऽ आँटी रोज सुनील को यहाँ बुलाया करो ना..!" नज़ीला ने सानिया को छेड़ते हुए शरारत भरे अंदाज़ में पूछा, "किस लिये बुलाया करूँ..?" सानिया ने तड़पते हुए कहा, "ऊँहहह जिसके लिये आज बुलाया है... आँटीईईई...!"

"ये तो बता दे कि आज किस लिये बुलाया है...?" नज़ीला ने उसे फिर छेड़ा तो सानिया चुदने के लिये बेकरार होते हुए बोली, "आआहह चुदने के लिये... चूत में लंड लेने के लिये... आँआहहह... सुनील डालो ना..!" नज़ीला रसभरी आवाज़ में बोली, "देख सुनील कैसे गिड़गिड़ा रही है बेचारी... आब डाल भी दी ने अपना लौड़ा साली के चूत में!" सुनील ने सानिया की टाँगों को पकड़ कर और फैलाते हुए एक जोरदार धक्का मारा और लंड सानिया की चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर जा घुसा। "आआआईईईई हाय सुनील.... ओहहहहह हाँ चोदो.... आहहह ऊँहहह ऊँईईईई ओहहहह ऊँहहह अम्म्म्म्म ओहोहोहोआआहहह बहोत मज़ा आ रहा है..!" सानिया मस्ती में जोर-जोर से सिसकने लगी। सुनील ने धीरे-धीरे अपने लंड को सानिया की चूत के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। सुनील के झटकों से सानिया और नज़ीला दोनों नीचे लेटी हुई हिल रही थीं। करीब पाँच मिनट सानिया की चूत में अपना लंड पेलने के बाद जब सानिया की चूत ने पानी छोड़ दिया तो सुनील ने अपना लंड सानिया की चूत से बाहर निकला और नज़ीला की टाँगों को उठा कर उसकी चूत के छेद पर लंड को टिका कर एक ज़ोरदार धक्का मारते हुए पूरा लौड़ा अंदर थोक दिया। "हायै..ऐऐऐ ऊँफ्फ सुनीईईईल.. आहिस्ता... आहहहह ओहहहहहह मर गयीईईई मैं.... याल्लाआआह... ओहहहह धीरेऽऽऽ आहहह आहहह हायेऐऐऐऐ सानिया... तेरे आशिक़ ने मेरी चूत का कचूमर बना दिया...!" कमरे में थप-थप की आवाज़ गूँजने लगी। सुनील पूरी रफ़्तार से नज़ीला की चूत की गहराइयों में अपना लंड जोर-जोर से ठोक रहा था। नज़ीला की चूत सुनील के जवान लौड़े के धक्कों के सामने ज्यादा देर टिक नहीं सकी और नज़ीला सिसकते हुए झड़ने लगी, "आहहह आँआँहह ऊहहह सुनीईईल मेरी फुद्दी... हाआआआयल्लाआआह मेरी चूत पानी छोड़ने वाली आहहह ओहहह गयीईई ओहहह मैं गयीईई आँआँहहह!"

सुनील भी नज़ीला की चूत में लगातार शॉट मारते हुए बोला, "आहहह भाभी आपकी भोंसड़ी सच में बहुत गरम है...!"

नज़ीला हाँफते हुए बोली, "बस रुक जा सुनील... थोड़ी देर सानिया की चूत में चोद दे अब!" सुनील ने अपने लंड को नज़ीला की चूत से बाहर निकला और सानिया की चूत पर रखते हुए एक जोरदार धक्का मार कर आधे से जयादा लंड सानिया की चूत में पेल दिया। दर्द और मज़े की वजह से सानिया का जिस्म एक दम से अकड़ गया। सुनील ने अपने लंड को पूरी रफ़्तार से सानिया की चूत के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। नज़ीला सानिया के नीचे से निकल कर बगल में लेट गयी और सानिया की चूंची को मुँह में भर कर चूसने लगी और दूसरी चूंची को सुनील ने अपने मुँह में भार लिया और हुमच-हुमच कर चोदते हुए चूसने लगा। दस मिनट बाद सानिया की चूत ने अपने आशिक़ के लंड पर अपना प्यार बहान शुरू कर दिया और अगले ही पल सुनील ने भी सानिया के चूत में अपने प्यार की बारिश कर दी। पूरी रात सानिया नज़ीला और सुनील की चुदाई का खेल चला।

दिन इसी तरह गुज़र रहे थे और अगले दो महीनों के दौरान जब भी नज़ीला का शौहर दौरे पर शहर के बाहर गया तो करीब छः-सात बार नज़ीला के घर पे नज़ीला और रुखसाना ने रात-रात भर सुनील के साथ ऐयाशियाँ की... हर तरह से खूब चुदवाया और थ्रीसम चुदाई का मज़ा लिया। इसके अलावा नज़ीला और रुखसाना को अलग-अलग भी जब मौका मिलता तो अकेले सुनील से चुदवा लेती। सुनील भी दूसरी तरफ़ नफ़ीसा के साथ भी ऐश कर रहा था पर सानिया को इन दो महीनों में सिर्फ़ दो बार ही सुनील से चुदवाने का मौका नसीब हुआ वो भी नज़ीला की ही मेहरबानी से। सानिया तो दिल ही दिल में सुनील से और भी ज्यादा मोहब्बत करने लगी थी। हालांकि सानिया और रुखसाना को सुनील के साथ एक दूसरे के रिश्ते के बारे में तो पता नहीं चला लेकिन सानिया को अपनी अम्मी पे शक पहले से ज्यादा बढ़ गया था।

फिर एक दिन की बात है... सानिया को अचानक से उल्टियाँ शुरू हो गयी और वो बेहोश होकर गिर पड़ी। रुखसाना ने उसके चेहरे पर पानी फेंका तो उसे थोड़ी देर बाद होश आया। रुखसाना उसे हास्पिटल लेकर गयी क्योंकि सानिया को कभी कोई बिमारी या शिकायत नहीं हुई थी। जब वहाँ पर एक लेडी डॉक्टर ने उसका चेक अप किया तो उसने रुखसाना बताया कि सानिया प्रेगनेंट है। रुखसाना के तो पैरों तले से जमीन खिसक गयी। उसने वहाँ तो सानिया को कुछ नहीं कहा और उसे लेकर घर आ गयी। घर आकर रुखसाना ने सानिया को जब सारी बात बतायी तो सानिया के चेहरे का रंग उड़ गया। रुखसाना के डाँटने और धमकाने पर सानिया ने सारा राज़ उगल दिया। रुकसाना बेहद परेशान थी... उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सुनील उसके साथ इतना बड़ा दगा कर सकता है। फ़ारूक़ दो-तीन दिन की छुट्टी लेकर अपनी भाभी अज़रा के साथ रंगरलियाँ मनाने गया हुआ क्योंकि वो अकेली थी। शाम को जब सुनील घर वापस आने के बाद रुखसाना ऊपर सुनील के कमरे में गयी तो सुनील उठ कर उसे अपने आगोश में लेने के लिये उसकी तरफ़ बढ़ा। रुखसाना ने सुनील को वहीं रुकने के लिये कह दिया और फिर बोली, "सुनील तूने ये सब हमारे साथ ठीक नहीं किया..?" सुनील ने पूछा, "पर हुआ क्या है... मुझे पता तो चले..!"

"सुनील तू हमारे साथ इस तरह दगा करेगा.. अगर मुझे पहले मालूम होता तो मैं तुझे अपने घर में कभी रहने नहीं देती...!" सुनील को समझ नहीं आ रहा था कि अचानक रुखसाना को क्या हो गया। "साफ-साफ बोलो ना भाभी कि बात क्या है...?" सुनील ने पूछा तो रुखसाना बोली, "सानिया के पेट में तेरा बच्चा है... अब मैं क्या करूँ तू ही बता... तूने हम सब के साथ दगा किया है... मैं तुझे कभी माफ़ नहीं करुँगी... तूने सानिया की ज़िंदगी बर्बाद क्यों की...?" रुखसाना की बात सुन कर सुनील के चेहरे का रंग उड़ चुका था। "कोई बात नहीं... मैं पैसे देता हूँ... आप उसका अबोर्शन करवा दो!" सुनील ने ऐसा जताया जैसे उसे किसी की परवाह ही ना हो। "अबोर्शन करवा दो...? अबोर्शन से तूने जो गुनाह किया है वो तो छुप जायेगा... पर सानिया का क्या... जिसे तूने प्यार का झूठा ख्वाब दिखा कर उसके साथ इतना गलत किया है!"

सुनील बोला, "देखो भाभी ताली एक हाथ से नहीं बजती... अगर इस बात के लिये मैं कसूरवार हूँ... तो सानिया भी कम कसूरवार नहीं है और भाभी अबोर्शन के अलावा और कोई चारा है आपके पास...!" सुनील की बात सुनकर रुखसाना बोली, "ठीक है सुनील मैं सानिया का अबोर्शन करवा देती हूँ... पर एक बात बता कि क्या तू सच में सानिया से प्यार करता है..?" सुनील बोला, "नहीं मैं उसे कोई प्यार-व्यार नहीं करता... वो ही मेरे पीछे पढ़ी थी..!"

रुखसाना ने कहा, "देख सुनील अगर सानिया को ये सब पता चला तो वो टूट जायेगी... सानिया भले ही मेरी कोख से पैदा नहीं हुई पर मैंने उसे अपनी बेटी के तरह पाला है... तुझे उससे शादी करनी ही होगी!" ये सुनकर सुनील थोड़ा गुस्से से से बोला, "ख्वाब मत देखो रुख़साना भाभी... आपको भी मालूम कि ऐसा कभी नहीं होगा.... इस शादी के लिये मैं तो क्या आपके और मेरे घर वाले भी कभी तैयार नहीं होंगे... अगर आपको मेरा यहाँ रहना पसंद नहीं है तो मैं दो-तीन दिनों में किसी दूसरी जगह शिफ्ट हो जाउँगा!" ये कह कर सुनील बाहर चला गया।

रुखसाना उसी के कमरे में सिर पकड़ कर बैठ गयी। एक तरफ उसे सानिया की फ़िक्र थी और सुनील के घर छोड़ के जाने की बात सुनकर तो उसे अपनी दुनिया बिखरती हुई नज़र आने लगी। उसकी खुद की बियाबान ज़िंदगी में सुनील की वजह से इतने सालों बाद बहारें आयी थीं और पिछले कुछ महीनों में उसे सुनील के लंड की... उससे चुदवाने की ऐसी लत्त लग गयी थी कि वो सुनील को किसी भी कीमत पे खो नहीं सकती थी। अपनी सौतेली बेटी का दिल टूटने से ज्यादा उसे अब अपनी हवस... रोज़-रोज़ अपनी चुत की आग बुझाने का ज़रिया खतम होने की फ़िक्र सताने लगी। वो सोचने लगी कि सानिया तो फिर भी जल्दी ही वक़्त के साथ सुनील को भुल जायेगी और उसका निकाह भी एक ना एक दिन हो जायेगा... लेकिन वो खुद तो बिल्कुल तन्हा रह जायेगी... पहले की तरह तड़प-तड़प कर जीने के लिये मजबूर...! ये सब सोचते हुए रुकसाना का दिल डूबने लगा... उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे... अगर सुनील अभी घर छोड़ कर नहीं भी गया तो भी वो हमेशा तो यहाँ उसके घर पे वैसे भी नहीं रहेगा... उसकी भी तो कभी ना कभी शादी होगी... तब वो क्या करेगी। तभी रुखसाना की नज़र टेबल पर रखी हुई एक डायरी पर पड़ी। उसने वो डायरी उठा कर देखी तो उसमें सुनील के दोस्तों और कुछ रिश्तेदारों के पते और फोन नंबर लिखे हुए थे और रुखसाना को उसी डयरी में सुनील की मम्मी का फोन नंबर मिल गया। उसने पेन उठा कर उस नंबर को अपने हाथ पर लिखा और नीचे आ गयी। सुनील को हमेशा अपने करीब रखने की आखिरी तरकीब उसे नज़र आयी। फिर बाहर का दरवाजा लॉक करके उसने अपने बेडरूम में आकर सुनील के घर का नंबर मिलाया। थोड़ी देर बाद किसी आदमी ने फ़ोन उठाया, "हेल्लो कौन..!"

रुखसाना बोली, "जी मैं रुखसाना बोल रही हूँ... सुनील हमारा किरायेदार है... क्या मैं कवीता जी से बात कर सकती हूँ!" उस आदमी ने रुखसाना को दो मिनट होल्ड करने को कहा और फिर उसे फोन पे उस आदमी की आवाज़ सुनायी दी कि, "कवीता दीदी आपका फ़ोन है..!" फिर थोड़ी देर बाद रुख़साना को एक औरत की आवाज़ सुनायी दी, "हेल्लो कौन..?"

रुखसाना: "जी मैं रुखसना बोल रही हूँ..!"

कवीता: "रुखसाना कौन... सॉरी मैंने आपको पहचना नहीं..!"

रुखसाना: "जी सुनील हमारे घर पर किराये पे रहता है...!"

कवीता: "ओह अच्छा-अच्छा... सॉरी मैं भूल गयी थी.... हाँ एक बार सुनील ने बताया था.... जी कहिये कुछ काम था क्या...!"

रुखसाना: "जी क्या आप यहाँ आ सकती हैं..!"

कवीता: "क्यों... क्या हुआ... सब ठीक है ना... सुनील तो ठीक है ना...!"

रुखसाना: "जी सुनील बिल्कुल ठीक है..!"

कवीता: "तो फिर बात क्या है...?"

रुखसाना: "जी बहोत जरूरी बात है... फ़ोन पर नहीं बता सकती... बस आप यही समझ लें कि मेरी बेटी की लाइफ का सवाल है..!"

कवीता: "क्या आपकी बेटी... ओके-ओके मैं कल सुबह-सुबह ही अकाल-तख्त एक्सप्रेस से निकलती हूँ यहाँ से और फिर पटना से लोकल ट्रेन या बस लेकर पर्सों तक पहुँच जाऊँगी...!"

रुखसाना: "कवीता जी... प्लीज़ सुनील को नहीं बताना कि मैंने आपको फ़ोन किया है... और आपको यहाँ बुलाया है..!"

कवीता: "ठीक है तुम चिंता ना करो... मैं पर्सों तक वहाँ पर पहुँच जाऊँगी...!"

फिर रुखसाना ने कवीता को अपना पूरा पता समझाया और फ़ोन रख दिया। उस दिन और अगले दिन भी घर में मातम जैसा माहौल बना रहा। सुनील ने भी दोनों रातें नफ़ीसा के घर पर गुज़ारीं... बस अगले दिन शाम को कपड़े बदलने के लिये आया लेकिन रुखसाना या सानिया से कोई बात नहीं की । रुखसाना ने सानिया को कॉलेज नहीं जाने दिया। रुखसाना कवीता के आने का इंतज़ार कर रही थी और दो दिन बाद शाम को चार बजे के करीब बजे कवीता उनके घर पहुँची। रुखसाना और सानिया ने कविता की मेहमान नवाज़ी की और फिर रुखसाना कवीता को लेकर अपने कमरे में आ गयी।

कवीता: "हाँ रुखसाना... अब कहो क्या बात है..?"

रुखसाना: "कवीता जी दर असल बात ये है कि... आपके बेटे ने मेरी बेटी के साथ..." और ये बोलते-बोलते रुखसाना चुप हो गयी।

कवीता: "तुम सच कह रही हो... और तुम्हें पूरा विश्वास है कि मेरे बेटे ने...!"

रुखसाना: "जी... सानिया को दूसरा महीना चल रहा है..!"

कवीता एक दम से चौंकते हुए बोली, "क्या.... हे भगवान... उस नालायक ने... उसने तो मुझे कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा... पर आपकी बेटी भी तो समझदार है ना... उसने ये सब क्यों होने दिया...?"

रुखसाना: "जी मैं नहीं जानती.... पर दोनों ही बच्चे हैं अभी..!"

कवीता: "देखो मैं अभी कुछ नहीं कह सकती... और मेरा बेटा मुझसे कभी झूठ नहीं बोलता... तुम सानिया को यहाँ बुला कर लाओ...!"

रुखसाना ने सानिया को आवाज़ दी तो सानिया कमरे में आ गयी। "तुम मेरे बेटे से प्यार करती हो?" कवीता ने पूछा पर सानिया सहमी सी कभी रुखसाना की तरफ़ देखती तो कभी जमीन की तरफ़। "घबराओ नहीं.... जो सच है बताओ...!"

सानिया हाँ में सिर हिलाते हुए बोली, "जी..!"

कवीता: "और ये बच्चा..?"

सानिया: "जी..!"

कवीता: "हे भगवान... ये आज कल के बच्चे... माँ-बाप के लिये कहीं ना कहीं कोई ना कोई मुसीबत खड़ी कर ही देते हैं आने दो उस नालायक को..!"

अभी वो बात ही कर रहे थे कि बाहर डोर-बेल बजी। "सुनो अगर सुनील होगा तो उसे यहीं बुला लाना और सानिया तुम अपने कमरे में जाओ...!" कवीता की बात सुन कर रुखसाना ने हाँ में सिर हिलाया और बाहर आकर दरवाजा खोला तो देखा सामने सुनील ही खड़ा था। उसके अंदर आने के बाद रुखसाना ने डोर लॉक किया और सुनील के पीछे चलने लगी। जैसे ही सुनील ऊपर जाने लगा तो रुखसाना ने उसे रोक लिया, "तुम्हारी मम्मी आयी हैं... अंदर बेडरूम में बैठी हैं!"

सुनील ने रुखसाना की तरफ़ देखा। उसके चेहरे का रंग उड़ चुका था। वो तेजी से कमरे में गया और रुखसाना भी उसके पीछे रूम में चली गयी। सानिया पहले ही अपने कमरे में जा चुकी थी। सुनील ने जाते ही अपनी मम्मी के पैर छुये, "मम्मी आप यहाँ अचानक से...?"

कवीता: "जब बच्चे अपने आप को इतना बड़ा समझने लगें कि उनको किसी और की परवाह ना रहे तो माँ बाप को ही देखना पड़ता है... क्या इसलिये तुझे पढ़ा लिखा कर बड़ा किया था... इसलिये तुझे अपने से इतनी दूर भेजा था कि तुम बाहर जाकर अपने परिवार का नाम मिट्टी में मिलाओ... सुनील जो कुछ भी रुखसाना ने मुझे बताया है क्या वो सच है...?"

सुनील ने सिर झुका कर बोला, "जी!"

कवीता: "और जो बच्चा सानिया के पेट में है वो तेरा है... उसके साथ तूने गलत किया?"

सुनील: "जी..!"

कवीता: "शादी भी करना चाहता होगा तू अब उससे..?"

सुनील: "जी.. जी नहीं..!"

ये सुनकर कविता उठकर खड़ी हुई और एक ज़ोरदार थप्पड़ सुनील के गाल पर जमाते हुए बोली, "नालायक ये सब करने से पहले नहीं सोचा तूने... किसने हक दिया तुझे किसी की ज़िंदगी को बर्बाद करने का... हाँ बोल अब बुत्त बन कर क्यों खड़ा है..?"

सुनील: "मम्मी मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी... मुझे माफ़ कर दो भले ही मुझे जो मर्ज़ी सजा दो!"

कवीता: "गल्ती तो तूने की है... और गल्ती स्वीकार भी की है... अगर तेरी बहन होती और अगर सानिया के जगह तेरी बहन के साथ ऐसा होता... तो तुझ पर क्या बीतती... कभी सोचा भी है कि किसी की ज़िंदगी से ऐसे खिलवाड़ करने से पहले?"

फिर कवीता रुखसाना से बोली, "देखो रुखसाना बच्चों ने जो गल्ती करनी थी कर दी... पर अब हमें इनकी गल्ती को सुधाराना है... अगर तुम्हें और तुम्हारे हस्बैंड को स्वीकार हो तो मैं अभी इसके मामा जी को फ़ोन करके बुलाती हूँ... और जल्द से जल्द... इसी हफ़्ते दोनों की शादी करवा देते हैं... और सुनील तुझे भी कोई प्रॉब्लम तो नहीं है..!" कवीता ने बड़े कड़क लहजे में सुनील को कहा।

रुखसाना: "कवीता जी... मुझे क्या ऐतराज़ हो सकता है... बल्कि मैं तो आपका ये एहसान ज़िंदगी भर नहीं भूलुँगी और मेरे हस्बैंड भी राज़ी हो जायेंगे!"

उसके बाद सानिया और सुनील के शादी हो गयी। फ़ारूक़ ने पहले थोड़ा बवाल किया लेकिन उसके पास भी अपनी इज़्ज़त बचाने के लिये कोई और रास्ता नहीं था। शादी के बाद सानिया और सुनील दोनों उसी घर में रुखसाना और फ़ारूक़ के साथ रहते हैं। । सुनील अपनी बीवी सानिया के साथ-साथ अपनी सास रुखसाना की चूत और गाँड का भी पूरा ख्याल रखता है। दर असल रुखसाना और सुनील ने सानिया को समझा-बुझा कर अपने नाजायज़ रिश्ते से वाक़िफ़ करवा दिया और सानिया ने भी पहले-पहले थोड़ी नाराज़गी के बाद अपनी अम्मी को अपनी सौतन बनाना मंज़ूर कर लिया और अब तो तीनों अक्सर ठ्रीसम चुदाई का रात-रात भर मज़ा लेते हैं। रुखसाना की ज़िंदगी अब बेहद खुशगवार है क्योंकि अब उसे कभी ज़िंदगी में पहले की तरह अपनी जिस्मानी ख्वाहिशों का गला घोंट कर जीने के लिये मजबूर नहीं होना पड़ेगा।

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AnonymousAnonymous4 months ago

ZareenKazmi5 months ago

Whoa, hold up! This story is a total emotional rollercoaster ride, and I loved every bit of it! It's like a spicy mix of interfaith cultures and relationships. It kept me on the edge throughout and fully invested in the characters' lives. I mean, you've got this Hindu dude Sunil living as a tenant in a Muslim household and gets seduced by landlord's drunk Bhabhi, Azra and the landlady Rukhsna, enjoys watching their steamy sex while feeling jealous and angry. Seriously, it's like a soap opera filled with passion, intrigue and secrets. The way young Sunil navigates through relationship with multiple middle aged Muslim women and romance with Sania is both captivating and scandalous. Rukhsana is the real heroine of this story. How she transforms from homely Muslim housewife to a sex-addict, always craving for drunken and kinky sex with a young man half her age. I couldn't believe how Rukhsana orchestrated everything to keep her relationship with Sunil alive while also managing to get him married to her daughter. It's cunning and yet undeniably compelling. The story's raw depiction of human desires and emotions made it feel so real and relatable.

Oh, and I can't forget to mention how I also enjoyed and orgasmed multiple times while masturbating as I read about how Nafisa and Rashida seduced young Sunil and the wild kinky sex both the women had with him.

Their boldness and indulgence in kinky activities like pee-drinking etc. resonated with me on a personal level as I also have flair for such things.

All in all, this story was an exhilarating journey into lives of diverse characters, and I was enthralled by their experiences sexual experiences. The dynamics between the characters and the emotional connections that formed were beautifully portrayed.

ZareenKazmiZareenKazmi9 months ago

Whoa, hold up! This story is a total emotional rollercoaster ride, and I loved every bit of it! It's like a spicy mix of interfaith cultures and relationships. It kept me on the edge throughout and fully invested in the characters' lives. I mean, you've got this Hindu dude Sunil living as a tenant in a Muslim household and gets seduced by landlord's drunk Bhabhi, Azra and the landlady Rukhsna, enjoys watching their steamy sex while feeling jealous and angry. Seriously, it's like a soap opera filled with passion, intrigue and secrets. The way young Sunil navigates through relationship with multiple middle aged Muslim women and romance with Sania is both captivating and scandalous. Rukhsana is the real heroine of this story. How she transforms from homely Muslim housewife to a sex-addict, always craving for drunken and kinky sex with a young man half her age. I couldn't believe how Rukhsana orchestrated everything to keep her relationship with Sunil alive while also managing to get him married to her daughter. It's cunning and yet undeniably compelling. The story's raw depiction of human desires and emotions made it feel so real and relatable.

Oh, and I can't forget to mention how I also enjoyed and orgasmed multiple times while masturbating as I read about how Nafisa and Rashida seduced young Sunil and the wild kinky sex both the women had with him.

Their boldness and indulgence in kinky activities like pee-drinking etc. resonated with me on a personal level as I also have flair for such things.

All in all, this story was an exhilarating journey into lives of diverse characters, and I was enthralled by their experiences sexual experiences. The dynamics between the characters and the emotional connections that formed were beautifully portrayed.

AnonymousAnonymous10 months ago

excellent wring, wonderful story, my dick was hard all the the time I was reading the story. plea put more stories like these

AnonymousAnonymousover 1 year ago

This is the hottest story that I have read on Literotica. Maza aa gaya…

AnonymousAnonymousover 1 year ago

Ultimate story! Too hot!

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