मजबूर (एक औरत की दास्तान)

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रुखसाना समझ गयी कि सुनील क्या सुनना चाहता है। वो कसमसाते हुए बोली, "ऊँहहह... धीरे प्यार से चोद!" सुनील ने उसकी गाँड को दोनों तरफ़ से कस के पकड़ कर तेजी से अपने लंड को उसकी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया... जब उसका लंड जड़ तक रुखसाना की चूत में समाता तो उसकी जाँघें रुखसाना के चूतड़ों पे नीचे से टकरा कर थप-थप की आवाज़ करने लगती। सुनील के ताबड़तोड़ धक्कों ने उसकी चूत की दीवारों को रगड़ कर रख दिया। रुखसाना की चूत से पानी बह कर सुनील के लंड को भिगो रहा था। "ओहहहह सुनील.... हाँ ऐसेऐऐऐ हीईई चोद मुझे मार मेरी फुद्दी.... आहहहह फाड़ दे मेरीईईई फुद्दी आज.... आहहहहहह चोद मेरी चूत को.... आआह भर दे इसे अपनी लंड के पानी से... ऊँईईईंईं!" रुखसाना चुदाई की मदहोशी में बिल्कुल बेपरवाह होकर सिसकते हुए बोले जा रही थी। उसकी टाँगें सुनील की कमर में कैंची की तरह कसी हुई थी।

सुनील अब पूरी ताकत से रुखसान को हवा में उठाये हुए चोद रहा था। रुखसाना उसके लंड के धक्के अपनी चूत की गहराइयों में महसूस करते हुए इस कदर मदहोश हो चुकी थी कि उसे इस बात की परवाह भी नहीं रही कि नीचे सानिया भी घर में है। रुखसाना भी अपनी गाँड को ऊपर-नीचे करने लगी थी। सुनील उसके होंठों को चूसते हुए अपने लंड को पूरी रफ़्तार से उसकी चूत की गहराइयों में पेल रहा था। "हाय सुनील मेरीईई फुद्दी तो गयीईईई... हाँ येऽऽऽ ले आआहह ऊँऊँहहह ऊऊऊईईईई ये ले मेरीईईईई फुद्दी ने पानी छोड़ा... आहह आँहहह..! रुखसाना का जिस्म झड़ते हुए बुरी तरह काँपने लगा। सुनील का लंड भी इतने में झड़ने लगा, "ओहहह रुखसानाआआहहहह भाआआभी येऽऽऽ लेऽऽऽ साली येऽऽऽ ले मेरेऽऽऽ लंड का पानी ऊँह ऊँह ऊँह!" दोनों झड़ कर हाँफने लगे और थोड़ी देर बाद सुनील का लंड सिकुड़ कर रुखसाना की चूत से बाहर आ गया तो सुनील ने रुखसाना को नीचे उतारा।

रुखसाना ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और बाहर आ गयी। जैसे ही वो बाहर आयी तो उसे नज़ीला ऊपर आती हुई नज़र आयी। नज़ीला उसके पास आकर बोली, "यार वो सानिया पूछ रही थी कि अम्मी को इतना वक़्त क्यों लग गया ऊपर... और ऊपर आने को हो रही थी... मैंने उसे मुश्किल से रोका है सॉरी यार!"

रुखसाना मुस्कुराते हुए बोली, "कोई बात नहीं नज़ीला भाभी... आप जिस काम के लिये आयी थी वो तो हो गया!" नज़ीला ने पूछा, "क्या हो गया... पर तू तो अभी बाथरूम से बाहर आ रही है... इतनी जल्दी...?" नज़ीला के कान में फुसफुसाते हुए रुखसाणा बोली, "मैं जब ऊपर आयी थी तो सुनील अंदर नहा रहा था... उसने मुझे अंदर ही खींच लिया..!" नज़ीला ने शरारत भरी मुस्कुराहट के साथ पूछा, "तो बाथरूम में ही तेरी फुद्दी मार ली उसने... कैसे?" रुखसाना शर्माते हुए बोली, "वो मुझे अपनी गोद में ऊपर उठा कर!"

"क्या खड़े-खड़े ही तुझे उठा कर चोद दिया... वाह... काश हमारी भी किस्मत ऐसे होती... तू कहे तो मैं सानिया को अपने घर ले जाऊँ.!" नज़ीला ने पूछा तो रुखसाना ने कहा कि उसकी जरूरत नहीं क्योंकि सुनील नाइट-ड्यूटी पे जा रहा है जबकि सुनील तो नफ़ीसा के घर उसके साथ अपनी रात रंगीन करने जा रहा था। फिर दोनों नीचे आ गयी। नज़ीला कुछ और देर बैठी फिर वो अपने घर चली गयी। रुखसाना ने महसूस किया कि सानिया उसकी तरफ़ थोड़ा अजीब नज़रों से देख रही थी। रुखसाणा ने तो कुछ ज़ाहिर नहीं होने दिया लेकिन रुखसाना की लिपस्टिक मिट चुकी थी और उसकी सलवार- कमीज़ पे भी कईं जगहों पे भीगने के निशान सानिया के दिमाग में शक पैदा कर रहे थे।

दिन इसी तरह गुज़र रहे थे। उस दिन के बाद नज़ीला की बदौलत रुखसाना को अब अक्सर ऐसे मौके मिलने लगे जब शाम को नज़ीला सनिया को किसी बहाने से एक-दो घंटे के लिये अपने घर बुला लेती थी। पर रुखसाना को ऐसा कोई मौका नहीं मिला जब वो पुरी रात सुनील के साथ शराब के नशे में मदहोश होके चुदाई के मज़े ले सके। उधर सानिया को तो पहली बार सुनील से चुदने के बाद दूसरा मौका मिला ही नहीं था। इसके अलावा सानिया को रुखसाना पे भी थोड़ा शक तो होने लगा था पर वो भी श्योर नहीं थी। उसका रवैया वैसे रुखसाना के साथ नॉर्मल था। इस दौरान रुखसाना और नज़ीला आपस में कुछ ज्यादा ही फ्रेंक हो गयी थीं। जब भी नज़ीला उसके घर आती या रुखसाना उसके घर जाती तो दोनों सिर्फ़ सैक्स की ही बातें करतीं। रुखसाना और नज़ीला अक्सर दिन में नज़ीला के घर ब्लू फ़िल्में देखने के साथ-साथ शराब भी पीने लगीं। जब से रुखसाना ने उसे बताया था कि वो शराब के नशे में मदहोश होकर खूब मज़े से रात भर सुनील से चुदवाती है तब से ही नज़ीला को भी शराब पीने की ख्वाहिश थी।

रुखसाना किसी चुदैल राँड की तरह होती जा रही थी जिसे हर वक़्त अपनी चूत में लौड़ा लेने की मचमचाहट रहने लगी। शराब पी कर साथ में ब्लू फ़िल्में देखते हुए इस दौरान रुखसाना और नज़ीला के बीच इस क़दर नज़दीकियाँ बढ़ गयी कि दोनों लेस्बियन सैक्स करने लगी। दोनों ब्लू-फ़िल्में देखते हुए घंटों आपस में लिपट कर एक दूसरे के जिस्म सहलाती... चूत और गाँड चाटती। पर लंड तो लंड ही होता है और नज़ीला भी सुनील से चुदवाने के मौके की ताक में थी। एक दिन जब नज़ीला के घर रुखसाना और नज़ीला नंगी होकर लेस्बियन चुदाई का मज़ा ले रही थीं तो नज़ीला ने रुखसाना को बताया कि उसका शौहर अगले दिन टूर पर जा रहा है एक रात के लिये। "यार... रुखसाना कल रात मैं यहाँ अकेली रहुँगी... यार अच्छा मौका है... तू सुनील को कल रात यहाँ बुला ले... हम दोनों खूब मस्ती करेंगे...!" नज़ीला की बात सुन कर रुखसाना एक दम चौंकते हुए बोली, "क्या क्या कहा आपने भाभी...?"

नज़ीला बोली, "वही जो तूने सुना... देख यार मैं तेरी इतनी मदद करती हूँ ताकि तू उसके साथ मौज कर सके... तो बदले में मुझे भी तो कुछ मिलना चाहिये... और वैसे भी तेरा कौन सा उसके साथ कोई रिश्ता है... वो आज यहाँ तो कल कहीं और चला जायेगा...! रुखसना नज़ीला की बात सुन कर सोच मैं पड़ गयी कि क्या करूँ... इतने दिनों बाद ऐसा मौका हाथ आया था... रुखसाना उसे हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी, "ठीक है भाभी मैं आपको आज शाम तक सोच कर बता दूँगी कि क्या करना है!" नज़ीला बोली कि, "चल सोच ले... रोज़-रोज़ ऐसे मौके नहीं आयेंगे!" उसके बाद रुखसाना अपने घर आ गयी। दिल और दिमाग दोनों में जंग चल रही थी। रुखसाना सोचने लगी कि नज़ीला भाभी कह तो ठीक रही हैं... जवान लड़का है.... क्या भरोसा वो कल कहाँ हो... कल को अगर उसका तबादला हो गया तो... ये दिन बार-बार नहीं आयेंगे... इन दिनों को जी भर कर के जी लेना चाहिये! शाम को जब सुनील वापस आया तो रुखसाना ने उसे सारी बात बतायी। रुखसाना के सामने सुनील शरीफ़ बनते हुए बोला कि वो ये काम किसी और के साथ नहीं करेगा पर रुखसाना के एक दो बार कहने पर ही वो मान गया। रुकसाना ने नज़ीला को फ़ोन करके खुशखबरी दे दी।

फ़ारूक ने उसी रात को रुखसाना को बताया कि उसके मामा की मौत हो गयी है और अगले दिन सुबह उन दोनों को उनके गाँव जाना है और शाम को चार-पाँच बजे तक वापस आ जायेंगे। एक पल के लिये रुखसाना को नज़ीला के साथ बनाया प्रोग्राम बेकार होता नज़र आया पर ये सोच कर दिल को तसल्ली मिली कि शाम को तो वो वापस आ ही जायेंगे। अब प्लैन के मुताबिक सुनील को सानिया और फ़ारूक के सामने नाइट-ड्यूटी का बहाना बनाना था और नज़ीला को रुखसाना को अपने घर सोने के लिये फ़ारूक को कहना था। अगले दिन सुबह की ट्रेन से फ़ारूख और रुखसाना उसके मामा के गाँव के लिये निकल गये। सुनील भी उनके साथ ही घर से निकल गया था स्टेशन जाने के लिये।

रुखसाना और फ़ारूक करीब ग्यारह बजे उसके मामा के घर पहुँचे पर उन्हें वहाँ देर हो गयी और और उनकी आखिरी ट्रेन छूट गयी। रुखसाना ने नज़ीला के साथ जो भी प्लैन बनाया था वो सब उसे मिट्टी में मिलता हुआ नज़र आ रहा था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। उधर सानिया घर पर अकेली थी। उन्होंने सानिया को कभी रात भर के लिये अकेला नहीं छोड़ा था। रुखसाना को उसकी चिंता सताने लगी थी। उसने फ़ारूक से कहा कि वो सानिया को घर पर फ़ोन करके उसे बता दें कि वो आज रात नहीं आ पायेंगे और कल सुबह आयेंगे और इसलिये वो नज़ीला भाभी के यहाँ सो जाये। रुखसाना के ज़हन में अजीब सा डर था... सुनील को लेकर... कहीं वो सानिया के साथ कुछ गलत ना कर दे। रुखसाना इस बात से अंजान थी कि सुनील और सानिया इतने करीब आ चुके हैं कि वो चुदाई भी कर चुके हैं।

उसके बाद रुखसाना ने नज़ीला को भी फ़ोन करके सारी बात बता दी और उसे कहा कि सानिया को आज रात अपने घर सुला ले और सुनील के आने पर उसे घर की चाबी देदे। नज़ीला ने उसे बेफ़िक्र रहने के लिये कहा तो रुखसा ना को राहत महसूस हुई कि चलो नज़ीला की वजह से उसे सानिया की फ़िक्र नहीं करनी पड़ेगी। पर जो वो सोच रही थी शायद उससे भी बदतर होने वाला था।

शाम के पाँच बजे के करीब नज़ीला जब सानिया को अपने घर ले आने के लिये अपने घर से बाहर निकली ही थी कि उसे बाइक पर सुनील आता हुआ नज़र आया। नज़ीला ने देखा कि सुनील ने बाइक गेट के अंदर कर दी और फिर उसने घंटी बजायी तो सानिया ने दरवाजा खोला और सुनील अंदर चला गया। अब नज़ीला तो थी है ऐसी जो हर बात में कुछ ना कुछ उल्टा जरूर सोचती थी। वो तेजी से चलते हुए रुकसाना के घर आयी और गेट खोलकर जैसे ही वो डोर-बेल बजाने वाली थी कि उसे हॉल की खिड़की से कुछ आवाज़ें सुनायी दीं। उसने देखा कि खिड़की खुली हुई थी लेकिन उसपे पर्दा पड़ा हुआ था। नज़ीला थोड़ा सा आगे होकर पर्दे के किनारे से अंदर झाँकने लगी। अंदर का नज़ारा देख कर नज़ीला के होंठों पर एक कमीनी मुस्कान फ़ैल गयी। अंदर सुनील ने सानिया को हॉल में ही अपनी बाहों में भरा हुआ था। सानिया और सुनील एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। सानिया ने हाई-हील के सैंडल पहने होन के बावजूद अपनी ऐड़ियाँ और ज्यादा उठायी हुई थीं और सुनील से किसी बेल की तरह लिपटी हुई अपने होंठ चुसवा रही थी। सुनील का एक हाथ सानिया की सलवार के अंदर था और वो उसकी चूत को मसल रहा था।

सानिया: "ओहहहह सुनील... ये तुमने मुझे क्या कर दिया है!"

सुनील: "ऊँहह सानिया मेरी जान... बहुत दिनों बाद आज तुम मेरे हाथ आयी हो..!"

सानिया: "लेकिन सुनील... नज़ीला आँटी आने वाली होंगी.. अम्मी ने नज़ीला आँटी को फ़ोन करके कहा है कि वो मुझे अपने साथ अपने घर सुला लें!"

सुनील: "ओह ये क्या बात है... साला आज इतना अच्छा मौका था..!"

सानिया: "अब मैं क्या कर सकती हूँ... मैं तो खुद तुमसे मिलने के लिये तड़प रही थी...!"

तभी नज़ीला ने डोर-बेल बजा दी तो सुनील और सानिया दोनों हड़बड़ा गये। सुनील जल्दी से ऊपर चला गया। सानिया ने खुद को ठीक किया और दरवाजा खोला तो सामने नज़ीला खड़ी थी, "सानिया क्या कर रही थी?"

सानिया: "कुछ नहीं आँटी... पढ़ रही थी.!"

नज़ीला: "अच्छा वो लड़का जो ऊपर किराये पे रहता है आ गया क्या?"

सानिया: "हाँ आँटी!"

नज़ीला: कहाँ है वो?

सानिया: "ऊपर है... अपने कमरे में!"

नज़ीला: "अच्छा एक काम कर तू जल्दी से उसके लिये चाय बना दे... मैं उसे चाय दे आती हूँ... और उसे बता दूँगी कि आज तेरी अम्मी और अब्बू नहीं आयेंगे और तू मेरे साथ मेरे घर पर सोने जा रही है... खाना वो बाहर होटल में खा लेगा..!"

सानिया: "ठीक है आँटी!"

उसके बाद सानिया ने चाय बनायी और नज़ीला सुनील को चाय देने ऊपर चली गयी। सुनील अपने बेड पर बैठा कुछ सोच रहा था। नज़ीला ने उसकी तरफ़ देख कर मुस्कुराते हुए कहा, "चाय रखी है तुम्हारे लिये... पी लेना... वो आज रुखसाना और फ़ारूक भाई नहीं आ पायेंगे... इसलिये सानिया को मैं अपने साथ अपने घर ले जा रही हूँ... किसी चीज़ के जरूरत हो तो बे-तकल्लुफ़ बता दो...!"

सुनील: "जी कोई बात नहीं मैं मैनेज कर लुँगा..!"

नज़ीला पलट कर जाने लगी लेकिन फिर वो रुकी और सुनील की तरफ़ पलटी। "वैसे सुनील... रुखसाना ने जो आज प्लैन बनाया था... वो तो हाथ से गया... पर अगर तुम चाहो तो रात को नौ बजे आ सकते हो... मैं नौ बजे तक इंतज़ार करुँगी...!" नज़ीला ने कातिल मुस्कान के साथ सुनील की तरफ़ देखते हुए कहा।

सुनील: "पर सानिया... वो तो आपके घर ही जा रही है!"

नज़ीला: "तुम उसकी फ़िक्र ना करो... तुम ठीक नौ बजे मेरे घर आ जाना... गेट के बिल्कुल सामने मेरा पार्लर है... मैं उसका दरवाजा अंदर से खुला छोड़ दूँगी... पार्लर में आने के बाद अंदर से दरवाजा लॉक कर लेना और वहीं बैठे रहना... जब सानिया सो जायेगी तो मैं वहाँ आ जाऊँगी... और हाँ... तुम्हें कुछ लाने की जरूरत नहीं.... शराब और शबाब का सारा इंतज़ाम मैंने कर रखा है!"

उसके बाद नज़ीला सानिया को साथ लेकर अपने घर चली गयी। सानिया और नज़ीला और सलील रूम में बैठे थे। शाम के करीब साढ़े-छः बज चुके थे। "सानिया चल तेरा फेशियल और पेडिक्योर कर देती हूँ...!" नज़ीला ने सानिया को कहा। फिर सानिया और नज़ीला पार्लर में आ गये। सानिया ने अपनी सैंडल उतार दी और नज़ीला उसका पेडिक्योर करने लगी। "सानिया एक बात पूछूँ...?" नज़ीला ने सानिया की तरफ़ देखते हुए कहा।

सानिया: "हाँ आँटी.. पूछें!"

नज़ीला: "तुझे सुनील कैसा लगता है...!"

नज़ीला की बात सुन कर घबराते हुए सानिया बोली, "पर आँटी आप ये क्यों पूछ रही हो?"

नज़ीला: "चल अब नाटक करने से क्या फ़ायदा... मैं तुझे बता ही देती हूँ... जब मैं तेरे घर आयी थी... तब मैंने खिड़की सब देख लिया था... तू कैसे उससे अपने होंठ चुसवा रही थी... और वो तेरी फुद्दी को सलवार के अंदर हाथ डाल कर सहला रहा था...!"

ये बात सुनते ही सानिया के चेहरे का रंग एक दम से उड़ गया। उसका केलजा मुँह को आ गया। वो कभी अपने सामने नज़ीला की तरफ़ देखती जो उसके पैर की मालिश कर रही थी तो कभी नीचे फ़र्श की तरफ़। "तुझे ये सब करते हुए डर नहीं लगा... अगर तेरी अम्मी और अब्बू को पता चल गया कि तू उनके पीछे अपना मुँह काला करवाती फिरती है तो वो तुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे... बोल बताऊँ तेरी अम्मी को..?" नज़ीला की धमकी सुनकर सानिया की हालत रोने जैसी हो गयी थी। सानिया ने नज़ीला का हाथ पकड़ लिया और रुआँसी आवाज़ में बोली, "प्लीज़ आँटी... अम्मी-अब्बू को नहीं बताना... वो मुझे मार डालेंगे...!"

शिकार को अपने जाल में फंसते देख कर नज़ीला बोली, "तुझे क्या यही... दूसरे मज़हब का लड़का मिला था सानिया... क्यों क्या तूने उसके साथ ये सब!"

सानिया: "आँटी मैं सुनील से प्यार करती हूँ..!"

नज़ीला: "प्यार हुँम्म.... आने दे तेरे अम्मी और अब्बू को... सब प्यार-मोहब्बत भूल जायेगी!"

सानिया: "आँटी प्लीज़... आपको अल्लाह का वस्ता... प्लीज़ आप अम्मी और अब्बू से कुछ ना कहना!"

नज़ीला: "हम्म्म चल ठीक है... नहीं बताती... पर उसके बदले में मुझे क्या मिलेगा...?"

सानिया: "आँटी आप जो कहेंगी मैं वो करुँगी!"

नज़ीला: "सोच ले वरना फिर ना कहना कि मैंने तुझे मौका नहीं दिया और तेरी अम्मी से तेरी शिकायत कर दी...!"

सानिया: "नहीं आँटी ऐसी नौबत नहीं आयेगी... आप जो कहेंगी मैं वो ही करुँगी..!"

नज़ीला: "तो फिर मेरी बात का सही-सही जवाब देना... ये बता तूने सुनील के साथ सैक्स किया है क्या... देख सच बोलना वरना पता लगाने के मुझे और भी तरीके आते हैं...!"

नज़ीला की बात सुन कर सानिया खामोश हो गयी। वो कुछ नहीं बोल पायी। नज़ीला ने फिर से उसे पूछा, "इसका मतलब तू उससे चुदवा चुकी है ना? बता मुझे!" सानिया ने हाँ में सिर हिला दिया।

नज़ीला: "हाय मेरे अल्लाह... तो तू हक़ीकत में उसका लंड अपनी फुद्दी मैं ले चुकी है... कब चोदी उसने तेरी फुद्दी?"

सानिया: "वो आँटी एक दिन घर पर ही..!"

नज़ीला: "अरे तो इसमें इतना शरमाने या घबराने की क्या बात है... मैं तो तेरी सहेली जैसी हूँ... खैर चल मैं तेरा फेशियल कर देती हूँ पहले फिर तू जल्दी से घर जा और कोई और बढ़िया से कपड़े और सैंडल पहन कर आ... उसके बाद तेरा मेक-अप कर दुँगी ताकि रात को जब सुनील तुझे देखे तो बस दीवाना हो जाये!"

सानिया: "रात को सुनील... मैं समझी नहीं!"

नज़ीला: "चल ठीक है तो फिर सुन.... मैंने सुनील को आज रात यहाँ बुलाया है...!"

सानिया एक दम चौंकते हुए बोली, "क्या?"

नज़ीला: "हाँ मैंने उसे बुलाया है... वो रात को नौ बजे आयेगा.... अब मुद्दे की बात करते हैं... देख तुझे तो मालूम है कि तेरे अंकल तो मेरी चूत की प्यास नहीं बुझा पाते... इसलिये मुझे भी जवान लंड की ख्वाहिश है... आज मैं भी तेरे साथ उससे अपनी चूत की आग को ठंडा करवाउँगी!"

सानिया: "ये... ये आप क्या बोल रही हो आँटी!"

नज़ीला: "वही जो तू सुन रही है... अगर तुझे मेरी बात नहीं माननी तो ठीक है... मैं कल तेरी अम्मी को सब बता दुँगी...!"

सानिया: "नहीं नहीं... प्लीज़ आप अम्मी से कुछ नहीं कहना... आप जो बोलेंगी वो मैं करुँगी..!"

नज़ीला: "वेरी गुड... चल फिर रात के लिये तैयारी करते हैं!"

फिर नज़ीला ने सानिया का फेशियल किया और सानिया कपड़े बदलने अपने घर चली गयी। सुनील उस वक़्त घर पे नहीं था क्योंकि वो खाना खाने बाहर चला गया था। इतने में नज़ीला भी नहा कर बेहद सैक्सी सलवार कमीज़ पहन कर तैयार हो गयी। उसकी कमीज़ स्लीवलेस और बेहद गहरे गले वाली थी। रुखसाना से उसे सुनील की सब पसंद-नापसंद मालूम थी तो उसने बेहद ऊँची पेंसिल हील की कातिलाना सैंडल भी पहन ली। सानिया भी अपने घर से स्लीवलेस कुर्ती और पलाज़्ज़ो सलवार के साथ अपनी अम्मी की एक ऊँची हील वाली सेन्डल पहन कर आ गयी। फिर दोनों ने खाना खाया और उसके बाद नज़िला ने सानिया का और अपना अच्छे से मेक-अप किया। आठ बजे के करीब दोनों की फुद्दियाँ लंड लेने के मचलने लगी थीं।

रात के नौ बजे रहे थे। सलील नज़ीला के बेडरूम में सो चुका था और सानिया ड्राइंग रूम में टीवी देख रही थी। नज़ीला खिड़की के पास खड़ी होकर बार-बार बाहर झाँक रही थी... पर सुनील अभी तक नहीं आया था। नज़ीला की बेकरारी बढ़ती जा रही थी। साढ़े नौ बजे तक नज़ीला ने इंतज़ार किया और फिर मायूस होकर सानिया से कहा कि लगता है कि शायद सुनील नहीं आयेगा और फिर ये कह कर सानिया को दूसरे बेडरूम में भेज दिया कि अगर सुनील आया यो वो उसे वहीं ले आयेगी।

बेकरार और मायूस होकर नज़ीला कुद ड्राइंग रूम में ही अकेली बैठ कर शराब पीने लगी। उसने महंगी शराब की बोतल का खास इंतज़ाम किया था कि सुनील के साथ बैठ कर पियेगी लेकिन अब अकेले ही शराब पीते हुए वो अपने दिल में बार-बार सुनील को कोस रही थी। अगले आधे घंटे में नज़ीला दो स्ट्रॉंग पैग पी चुकी थी और तीसरा पैग पीते हुए उसके ज़हन में सानिया को आज रात अपने साथ लेस्बियन सैक्स में शरीक करने का मंसूबा बन रहा था। इतने में उसे बाहर गेट खुलने की आवाज़ आयी। उसने उठ कर खिड़की से झाँका तो उसे सुनील गेट के अंदर सामने पार्लर की तरफ़ जाता हुआ नज़र आया। नज़ीला को शराब पीने का ज्यादा तजुर्बा नहीं था और मायूसी में आज उसने आमतौर से ज़्यादा पी ली थी तो शराब का खासा नशा छाया हुआ था और वो हाई हील की सैंडल में झूमती हुई उस दरवाजे की तरफ़ बढ़ी जो उसके ब्यूटी पार्लर में खुलता था।

नज़ीला ने ब्यूटी पार्लर का दरवाजा खोला तो सुनील पार्लर में अंदर आ चुका था। नज़ीला ने उसे ब्यूटी पार्लर का मेन-डोर अंदर से लॉक करने को कहा और फिर उसे लेकर घर के अंदर ड्राइंग रूम में आ गयी। ब्यूटी पार्लर में तो हल्की सी नाइट-लैंप की रोशनी थी लेकिन ड्राइंग रूम की ट्यूब-लाइट की रोशनी में सामने का नज़ारा देख कर सुनील के होश उड़ गये। चालीस साल की एक गदरायी हुई औरत स्लीवलेस और बेहद गहरे गले की कमीज़ और सलवार पहने खड़ी थी... उसकी कमीज़ के गहरे गले में से उसका क्लीवेज और चूचियों का काफ़ी हिस्सा साफ़ झलक रहा था... शराब और हवस के नशे में चूर नज़ीला का हुस्न और उसके पैरों में हाइ हील के कातिलाना सैंडल देखते ही सुनील का लंड पैंट में झटके खाने लगा। वो नज़ीला के करीब गया और उसके चेहरे के करीब अपना चेहरा ले जाकर सरगोशी में बोला, "आप तो चुदने के लिये पूरी तैयारी करके बैठी हो..!"

नज़ीला उसे सोफ़े पर बिठा कर शराब का पैग देते हुए बड़ी अदा से मुस्कुराते हुए बोली, "यू लक्की बास्टर्ड क्या... किस्मत पायी है तुने.... अभी तो तुझे पता ही नहीं कि मैंने और क्या-क्या तैयारी की हुई है इस रात को यादगार बनने के लिये... मुझे तो लगा कि तू आयेगा ही नहीं..!" ये कह कर नज़ीला अपना शराब का पैग लेकर सुनील की गोद में उसकी जाँघ पर बैठ गयी और अपनी एक बाँह उसकी गर्दन में डाल दी। सुनील ने भी नज़ीला की कमर में एक बाँह डालते हुए उसकी गोलमटोल चूची को जोर से दबा दिया "आआहहहस्सीईई... जान लेगा क्या मेरी..." नज़ीला जोर से सिसकी। सुनील बोला, "मेरी बाइक पंक्चर हो गयी थी इसलिये देर हो गयी... वैसे मुझे भी तो पता चले कि आपने और क्या-क्या तैयारी कर रखी है... शराब और शराब के नशे में चूर शबाब तो मरे सामने है ही!"

नज़ीला शराब का घूँट पीते हुए अदा से बोली, "बताऊँ?" तो सुनील ने कहा कि "हाँ बताओ ना!" नज़ीला बेहद कातिलाना अंदाज़ में मुस्कुराते हुए बोली, "मेरी चूत के अलावा अंदर एक और चूत सज संवर कर तेरे लंड का इंतज़ार कर रही है..!"

"क्या.. कौन?" सुनील चौंकते हुए बोला। उसे लगा कि हो सकता है शायद रुखसाना वापस आ गयी है।

नज़ीला कमीनगी से मुस्कुराते हुए रसभरी आवाज़ में बोली, "सानिया और कौन... श्श्श अब तू सोच रहा होगा कि मुझे कैसे मालूम ये सब कैसे हुआ... है ना? तो चल मैं ही बता देती हूँ... आज जब तू घर आया था तब मैंने खिड़की से सब देख लिया था... कैसे तू उसकी चूत को मसल रहा था... फिर मैंने सानिया को ज़रा धमकाया कि मैं उसकी शिकायत रुखसाना से कर दुँगी... और उसे कबूल करने पर मजबूर कर दिया..!" नज़ीला की बात सुनकर सुनील समझ गया कि ये चुदक्कड़ औरत अपनी सहेली रुखसाना के विपरीत बिल्कुल बिंदास किस्म की है। "अच्छा... जितना मैं सोचता था... आप तो उससे कहीं ज्यादा चालाक हो... बहुत चालू चीज़ हो आप!" सुनील हंसते हुए बोला तो नज़िला ने कहा, "अरे चालू नहीं हूँ मैं... अब क्या करूँ मेरी ये चूत लंड के लिये तड़पती है... बस चूत के हाथों मजबूर हूँ... वैसे तू भी कम चालू नहीं है... दोनों माँ-बेटी को अपने लंड का दीवाना बना रखा है तूने... चल पैग खतम कर... अंदर चलते हैं.... सानिया भी तुझसे चुदने के लिये मरी जा रही है...!"

दोनों ने अपने पैग खतम किये और नज़ीला और सुनील दोनों सानिया वाले बेडरूम की तरफ़ जाने लगे। हाइ हील के सैंडल में चलते हुए नशे की हालत में नज़ीला के कदमों में लड़खड़ाहट नुमाया तौर पे मौजूद थी। पहले नज़ीला बेडरूम में दाखिल हुई। बेडरूम में ट्यूब-लाइट जल रही थी और सानिया बेड पर पैर नीचे लटका कर बैठी हुई कोई मैगज़ीन पढ़ रही थी। उसने अपने कपड़े नहीं बदले थे क्योंकि उसे भी उम्मीद थी कि शायद सुनी.ल आ जाये। नज़ीला को देख कर सानिया का दिल जोरों से धड़कने लगा। नज़ीला ने बाहर खड़े सुनील को अंदर आने का इशारा किया और जैसे ही सुनील अंदर आया तो सानिया के दिल की धड़कनें और तेज़ हो गयीं। अंदर आते ही नज़ीला ने सुनील को दीवार से सटा दिया और खुद उसके सामने घुटनों के बल नीचे कालीनदार फर्श पर बैठ गयी। उसने सुनील की ट्रैक-पैंट को पकड़ कर नीचे खींचा तो सुनील का आठ-इंच का लम्बा-मोटा अनकटा लंड बाहर आकर झटके खाने लगा। नज़ीला के पीछे बिस्तर पे बैठी हुई सानिया ये सब अपनी फटी आँखों से देख रही थी। नजीला ने सुनील के लौड़े को अपनी मुट्ठी में भर लिया और सानिया की तरफ़ सुनील के लंड को दिखाते हुए बोली, "हाय अल्लाह... देख कैसे शरमा रही है... जैसे पहली दफ़ा अपने आशिक़ का लंड देख रही हो..!" और फिर सानिया की तरफ़ देखते हुए सुनील के लंड को ज़ोर से हिलने लगी। नज़ीला ने एक हाथ सानिया की तरफ़ बढ़ाया जो उसके पीछे दो फुट की दूरी पर बेड पर नीचे पैर लटकाये बैठी थी।

नज़ीला ने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ़ खींचा पर सानिया हिली नहीं। नज़ीला ने फिर से उसे जोर लगा कर अपनी तरफ़ खींचा तो सानिया उठ कर उसके करीब आ गयी और नज़ीला ने उसे अपने पास खींचते हुए बिठा लिया। "क्या हुआ सानिया... तू पहली दफ़ा तो नहीं देख रही है सुनील का लंड... इतना क्यों शरमा रही है... ले पकड़ इसे हाथ में... माशाल्लाह ऐसा लंड तो बस ब्लू-फ़िल्मों में ही देखा है!" नज़ीला ने सानिया का हाथ पकड़ कर सुनील के लंड पर रखना चाहा तो सानिया ने अपना हाथ पीछे कर लिया और ना में सिर हिलाने लगी। नज़ीला की मौजूदगी में उसे बहोत अजीब लग रहा था। "चल तेरी मर्ज़ी... फिर बैठ कर देखती रह...!"

नज़ीला ने सुनील के लंड को छोड़ा और अपनी कमिज़ को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाते हुए अपने गले से निकल कर सानिया की तरफ़ फेंक दिया। नज़ीला ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी और उसकी छत्तीस-डी साइज़ के बड़ी-बड़ी चूचियाँ ट्यूब-लाइट की रोशनी में चमकने लगी। फिर नज़ीला ने सुनील के लंड को पकड़ा और अपनी दोनों चूचियों के बीच में लेकर उसके लंड को रगड़ने लगी। सुनील ने सानिया की तरफ़ देखा जो बड़ी दिलचस्पी से उनकी तरफ़ देख रही थी। सुनील ने नज़ीला के मम्मों को पकड़ कर अपने लंड को उसके मम्मों के बीच की गहरी घाटी में आगे-पीछे करते हुए रगड़ना शुरू कर दिया। दोनों के मुँह से 'आहह आहह ओहह' जैसी सिसकारियाँ निकल रही थी जिन्हें करीब बैठी सानिया सुन कर गरम होने लगी थी। सुनील पूरी मस्ती मैं नज़ीला की बड़ी-बड़ी गुदाज़ चूचियों के बीच अपने लंड को रगड़ रहा था और नज़ीला अपने सिर को नीचे के तरफ़ झुकाये हुए सुनील के लंड के सुपाड़ा को देख रही थी जो उसकी चूचियों के बीच से बाहर आता और फिर से अंदर छुप जाता। नज़ीला की चूत सुनील के लाल हो चुके लंड के सुपाड़ा को देख कर और चुलचुलाने लगी थी।